04-05-2019, 10:49 AM
"गुड्डी ,... मम्मी " खुद उनके मुंह से निकल गया।
" देखो ममी मैंने नाम लिया नहीं , आपने नाम लिया नहीं , अब ये उसे खुद छिनाल बोल रहे हैं तो मेरी क्या गलती जो मैं छिनाल को छिनाल बोलती हूँ। "
हंसी रोकती हुयी मैं बोली।
बिचारे वो शर्म से गुलाल हो रहे थे।
मम्मी ने बात सम्हालने की कोशिश की , और प्यार से ब्लश करते गुलाबी गालों को सहलाते उनका पक्ष लेते बोलीं,
" तू भी न मेरे बिचारे सीधे साधे दामाद के पीछे पड़ जाती है। अरे अगर उनकी ममेरी बहन छिनाल है , सारे मोहल्ले में बांटती फिरती है ,सबसे नैन मटक्का करती है ,सबसे दबवाती लगवाती है , तो इसमें इन बिचारे का क्या कसूर। अरे दो साल पहले जब आई थी तभी उसके गदरा रहे थे , अब तो और बड़े ,... मेरा मतलब क्या साइज है उसकी? "
ये सवाल मम्मी ने सीधे उन्ही से पूछा था और उनकी हालत सांप छछूंदर वाली हो रही थी।
मैंने उकसाया ,
" अरे बता दो न , मम्मी सिर्फ उसकी ब्रा का नंबर ही तो पूछ रही हैं ये थोड़े पूछ रही हैं की तू उसके जुबना दबाते हो की नहीं। बोलो न। "
( अब बात ये थी की उन्होंने मुझसे कबूला था उसकी साइज ३२ सी है , जो की एकदम सही जवाब था। क्योंकि इसी साल कुछ महीने पहले ही होली में तो मैंने जम कर नाप जोख की थी , तो वो मम्मी से झूठ तो बोल नहीं सकते थे की उन्हें मालुम नहीं है। )
उन्होंने थूक गटका , थोड़ी देर इधर उधर देखा और जल्दी से बोल दिया ,
" ३२ सी मम्मी। "
" अरे वाह तब तो बड़े मस्त हो गए होंगे उस छिनाल के ,खूब दबाती मिसवाती होगी ,घूम घूम के , ऐसा करना अबकी तुम उसे १०-१५ के दिन के लिए मेरे साथ गाँव भेज देना , उसका भी मन बदल जाएगा और ,... "
मम्मी ने प्रस्ताव रखा और समर्थन मैंने किया।
" एकदम मम्मी , अभी कुछ दिन बाद जब हम इनके मायके जायंगे न तो यही कह रहे थे उसे कुछ दिन के लिए यहीं से आपके साथ भेज देंगे , क्यों ,... "
मैं उन्हें कमिट कराने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो चुप बैठे थे।
लेकिन मेरी मॉम के तरकश में बहुत तीर थे।
मॉम ने अपना हाथ उनके कंधे पर रख दिया।
और उनका सफ़ेद आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट स्लीवलेस ,डीप लो कट ब्लाउज अच्छी तरह स्ट्रेच हो गया। उनकी बड़ी बड़ी गोरी गुदाज गोलाईयां , उनका कटाव ,उभार कड़ापन सब कुछ साफ़ झलक रहा था। अब एकदम दिख रहा था की उन्होंने सिर्फ हाफ कप ब्रा पहन रखी जो सिर्फ उनके उभारों को सपोर्ट कर रही थी और थोड़ा और उभार रही थी।
हाथ उठाने से स्लीवलेस ब्लाउज से ,मॉम की गोरी गोरी कांखे भी दिख रही थीं ,
और एक गजब की नशीली महक,... उन की आँखे तो बस वहीँ चिपक के रह गयी थीं।
मॉम ने अगला हथियार चलाया , उनकी लम्बी उँगलियाँ , शार्प स्कारलेट कलर्ड नेल्स , ... उनके मुलायम गाल में धंसाते वो बोली ,
" अरे यार , कोई न कोई तो उसका नेवान करेगा न ,और अब तो एकदम लेने लायक हो गयी है। ये सही कह रही है , तुम लोग कुछ दिन उसे अपने पास रखो , मजे लो मन भर के आखिर पहला हक़ तो तेरा ही है न।
और कुछ दिन बाद भेज देना मेरे पास , गाँव की हवा की बात ही कुछ और है , फिर बहुत चाहने वाले हैं उस के तेरे ससुराल में भी , और मैं भी ,... उसे रहन सहन , चलना फिरना ,... सब कुछ अच्छी तरह से सिखा के तेरे पास भेज दूंगी ,१०-१५ दिन में। "
" और क्या मम्मी , आज कल गाँव में गन्ने और अरहर के खेत भी तो खूब बड़े बड़े हो गए होंगे। इनके माल के तो मजे ही मजे हैं। "
मैं छेड़ने का मौका क्यों छोड़ती।
लेकिन मम्मी मेरी ,बिना उनसे हाँ कहलाये नहीं छोड़ने वाली थीं।
" तो पक्का न , भेजेगा न उसे मेरे पास १०-१५ दिन के लिए, " उन्होंने फिर पूछा।
कुछ झिझके लेकिन बोल ही दिया उन्होंने ,' ठीक है मम्मी "
और मना करने का सवाल इसलिए भी नहीं था की उनकी निगाहें ,गहरे क्लीवेज में खोयी हुयी थीं। हाफ कप ब्रा और आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट सफ़ेद ब्लाउज से बड़े बड़े निपल्स तक की हलकी आभा दिख रही थी।
जब वो प्लेट रख कर वापस लौटे तो मम्मी ने तय कर लिया था की उनकी इस बात के लिए थोड़ा इनाम तो बनता है।
मम्मी ने अपने हाथ थोड़े और ऊपर कर लिए , अब उनकी गोरी गोरी कांखे एकदम साफ़ साफ़ दिख रही थी।
थोड़ी परेशानी वाली आवाज में मम्मी उनसे बोलीं , " मुन्ना ,जरा देख तो कुछ इचिंग सी हो रही है जैसे कुछ चुनचुना रहा है।