Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica मेरी भाभी पुष्पा --- yasminsaxena
#5
चौथा राज

मैं पुष्प की हसीं जवानी के बारे में सोचते हुए टीवी रूम की ओर बड़ा टीवी पर कटरीना की एक मूवी रही थी मैं उसी को देखने लगा मेरी आँखों के आगे मेरी अपनी कैट यानि पुष्प नाच रही थी और टीवी पर असली वाली. पता नहीं कब समय गुजर गया ओर मेरे कानो में फिर पुष्प की मधुर आवाज गूंजी. आओ राजू भैया डिनर तैयार है चलो जल्दी से मुंह हाथ धोकर डिनर टेबल पर जाओ हम दोनों तुम्हारा इंतजार कर रहे है. डिनर टेबल तक मैं पहुंचा तो मेरे मुंह में पानी गया टेबल के दूसरी ओर पुष्प अब नाईटी में बैठी थी मुझे उसकी नाईटी के खुले गले से उसके मादक उभार नज़र रहे थे और उधर पुष्प इन सब बातों से अंजान की मैं उसके मस्त यौवन का रसिया हूँ वो मेरे इंतजार में ही थी. कहाँ खो गए थे राजू भैया बड़ी देर लगा दी टीवी रूम में .पुष्प ने मुस्कुराते हुए पूछा(श्री से ज्यादा वो मुखिर होके मुझसे बाते कर रही थी और उसकी मादक जवानी का रसपान करते हुए मैं भी ख़ुशी ख़ुशी हर जवाब दे रहा था शायद उसे भी पता था की मैं उसके अनमोल यौवन का दीवाना हूँ और वो खुद खुद आगे बढकर अपने यौवन का नज़ारा भी करवा रही थी और मस्ती भी लूट रही थी मैंने हालाँकि कोई गलत जवाब नहीं दिए थे पर मुझे लगा की वो मेरे किसी भी जवाब का बुरा नहीं मानेगी. मेरे दिमाग में श्री की बात गूंज गयी की पुष्प बाहर काम करना चाहती है शायद इस काम में वो श्री से मेरी सिफारिश करवाना चाहती है और उसको यकीं है की श्री मेरी बात टालेगा नहीं.) अरे कहीं नहीं मैंने भी उसे मस्का मारते हुए कहा जब तुम्हारे जैसी भाभी कम बहन हो तो कोई किसी की याद में क्यों खोएगा. श्री बोल पड़ा यह भाभी या फिर बहन कोई एक तो ठीक है पर भाभी कम बहन. हाँ यार मैंने भी मुस्कुराते हुए श्री को जवाब दिया. तू नहीं समझेगा यह मेरा और पुष्पा के बीच की बात है. श्री ने भी कंधे उचकाते हुए कहा चलो जाने दो तुम जानो तुम्हारी भाभी कम बहन जाने मुझे क्या. पुष्प जैसे उसकी नाराजगी दूर करना चाहती हो इस अंदाज में उसने मेरे ही सामने श्री की जांघ पर हाथ फिराते हुए कहा अरे जानू कुछ तो मेरा राज भी रहने दो या सब कुछ खोल दोगे. श्री ने इस संवाद को द्विअर्थी मोड़ देते हुए उसके कान में धीरे से कहा जानेमन तेरा हर छेद खोल दूंगा आज तो रात को मेरे निचे. हालाँकि काफी धीमे कहने के बावजूद कुच्छ शब्द मेरे कानो में पड़े और कुछ मैंने गेस किये क्योंकि पुष्प में उसके पैंट के उभार को मुठी में मसलते हुए कहा आज सारा बुखार उतार दूंगी इसका.मैं उन दोनों के सामने बैठ गया और डिनर का लुत्फ़ लेने लगा. डिनर सर्व करने में जब भी पुष्प मेरे आगे रोटी ,सब्जी, दाल देने के लिए झुकती मैं उसकी ब्रा विहीन छाती की ओर छुपी नज़र से देख देख के उसके अनमोल खजाने का पूरा आन्नद ले रहा था. मुझे पूरा यकीं था की इस वक्त मेरी पुष्प में निचे ब्रा पहनी है और ही पैंटी. मेरे मन में यह सवाल कौंध रहा था की श्री और पुष्प जब दोनों को पता है की उनके घर में एक गैर मर्द है फिर वो दोनों इस तरह बेबाक कैसे रह सकते है या फिर दोनों मुझे गैर नही मानते है खैर मैनें भी सोचा जो होगा देखा जायेगा तब तक पुष्प की अनमोल जवानी का रसपान अपनी प्यासी निगाहों से करता रहूँ. डिनर करने के बाद मैं हाथ धोने के लिए जैसे ही वॉशबेसिन के पास पहुंचा तो वो हो गया जिसकी शायद किसी को भी उम्मीद नहीं थी. वाशबेसिन के पास शायद पुष्प ने शाम को ही सफाई की थी और गलती से साबुन का पानी फैला रह गया था और मेरा पैर उस पानी पर पड़ा और में फिसल गया मेरे हाथों ने दिवार का सहारा लेना चाहा पर मैं सफल नहीं हो पाया मेरे मुंह से आह की आवाज निकली और मैं वहीँ पर गिर पड़ा मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा गया.

Like Reply


Messages In This Thread
RE: मेरी भाभी पुष्पा --- yasminsaxena - by ddey333 - 20-12-2021, 02:31 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)