19-12-2021, 10:21 PM
दूसरा राज
मैंने पुछा क्यों श्री कुछ बात है जो तू मुझे नहीं बता सकता मैं तेरे बचपन का दोस्त हूँ तेरा हमदम रहा हूँ बता ना साले मैंने माहौल को खुशनुमा बनाने की कोशिश की. इतने देर में मेरी हुस्न परी पुष्प अपनी जवानी के दर्शन कराती हुई पानी के गिलास ले आई. श्री बोल उठा अरे इसे ऐसे टरकाने का इरादा है क्या कोई चाय वाय. क्यों नहीं राजू भैया को ऐसे थोड़े ही जाने दूंगी चाय क्या इनको तो डिनर भी हमारे साथ करना पड़ेगा. अरे भाभी क्यों मेहनत करोगी मैंने भी बोल तो दिया पर सोचा की साली मान गयी तो इसकी जवानी के दर्शन जाने फिर कब हो. पर लगता है कि देव मेरे साथ थे. बाहर बिजली कडकी और इधर पुष्प की कोयल जैसी आवाज मेरे कान में पड़ी. नहीं नहीं मौसम भी ख़राब है और मैं भी आपको ऐसे नहीं जाने दूंगी जाये कुछ भी हो जाये मैं जा रही हूँ चाय लाती हूँ और डिनर बनाती हूँ देखिये मौसम कितना ख़राब हो गया है. थोडा ठीक हो जाये फिर जाना. ठीक बोल रही है पुष्प श्री ने उसका समर्थन किया. मैंने भी सरेंडर करे हुए कहा ठीक है जैसा तुम लोग बोलो अब मैं तो तुम दोनों के रहमोकरम पर हूँ. हमारे रहमोकरम का मतलब पुष्प में अपनी खुबसूरत और मादक आँखें चौड़ी करते हुए पूछा. मेरा मन हुआ आगे बदके साली को दबोच लूँ साली शादी के बाद रोज़ रोज़ पति के नीचे लेट लेट के और भी हसीं और मादक हो गयी थी. अरे जाने दो यह कुछ भी कह देता है तुम जानती ही हो न इसको श्री ने मेरा पक्ष लिया. अच्छा मैं जाती हूँ और चाय लती हूँ कहके पुष्प पीछे पलट गयी और कमरे से बहार जाने लगी. पुष्प के पीछे मुडके जाने पर मैं प्यासे कुत्ते की तरह उसकी गांड का मटकना देखता रहा और यह भी देखा कि मेरी इस हरकत को श्री ने नोटिस नहीं किया. जैसे ही पुष्प मेरी नजरो से ओझल हुई मैंने श्री की ओर मुंह किया और कहा हाँ श्री क्या गड़बड़ है कुछ मेरे लायक हो तो बोल मेरे यार.तेरे लिए जान भी हाज़िर है जान दे भी सकता हूँ और जान ले भी सकता हूँ तू एक बार बोल तो सही मैंने मगर मन ही मन कहा साले तेरी जान (पुष्प) को पूरा का पूरा ले जाने का इरादा है जाने कब मौका मिलेगा हे भगवान मेरी सुन ले. शायद आज मेरी हर इच्छा पूरी होने वाली थी. श्री ने कहा यार फॅमिली प्रोबलेम है पुष्प कहती है कि मैं काम कमाता हूँ और वो हीरे की लौंग और हीरे की अंगूठी के निचे बात नहीं करती है. मैंने मन ही मन सोचा साली कुतिया एक बार मेरे लौड़े के निचे आ जा तेरे को हीरे से लाद दूंगा. तो तूने क्या सोचा कुछ तो तेरे भी दिमाग में आया होगा. क्यों बोलती है ऐसा वो मैंने पूछा . वो बाहर घर से निकल के काम करना चाहती है तुम तो जानते ही हो न कि पुष्प की होटल मैनेजमेंट में इंटरेस्ट है उसके साथ के कई दोस्त पढाई के बाद इस फील्ड में आ गए है और वो उनके संपर्क में है. (मैंने सोचा तो इस परी के पर निकलना चाहते है साली चाहती है की उसके इस हुस्न को सारी दुनिया देखे तो ठीक है ऐसा ही सही.) श्री बोलता रहा मैंने उसे समझाना चाहा पर वो अपनी फॅमिली लाइफ डिस्टर्ब करने को तैयार है मगर अपनी डिमांड काम नहीं करना चाहती है मैंने बोला है की मैं ऑफिस में और ज्यादा काम करूँगा और ज्यादा इनकम की कोशिश करूँगा तो उसने मुझे अल्टीमेटम दे दिया है की एक दो महीने में रिजल्ट नहीं आया तो उसके और मेरे रास्ते बदल सकते है. मैंने कहा हाँ यार यही तरीका है तुम ज्यादा काम करो और अपनी कमाई का जरिया भी बढाओ मैं भी तुम्हारे साथ हूँ. मेरा समर्थन मिलने से श्री उत्साहित नज़र आया. तब तक मेरी मस्त पुष्प अपनी जवानी के खुबसूरत नज़ारे के साथ चाय लेकर आई इस बार मैंने देखा तो देखता ही रह गया वो अपने कपडे बदल के साड़ी की जगह सलवार सूट डाल के आई थी मगर वो अपनी निगोड़ी और कामुक जवानी से लादे हुए शरीर को मेरी कुत्सित निगाहों से कैसे बचाती मैंने अपने एक्सरे की निगाह से ताड लिया की साली ने सब कुछ पहना है मगर पैंटी नहीं डाली है जाने क्या सोच के उसने ऐसा किया मगर मेरी नज़रों की तो ऐश हो गयी मैं पुष्प की चूची के साथ साथ उसकी चूत की दरार का भी ऊपर से नज़ारा कर रहा था. मैंने सोच लिया था की इस राज को मैं जान के रहूँगा की उसने मेरे होते हुए भी सलवार के निचे अपनी कामुक और मस्त चूत को छुपाने के लिए पैंटी क्यों नहीं पहनी.
आगे अब पढ़िए पुष्पा के तीसरे राज में
मैंने पुछा क्यों श्री कुछ बात है जो तू मुझे नहीं बता सकता मैं तेरे बचपन का दोस्त हूँ तेरा हमदम रहा हूँ बता ना साले मैंने माहौल को खुशनुमा बनाने की कोशिश की. इतने देर में मेरी हुस्न परी पुष्प अपनी जवानी के दर्शन कराती हुई पानी के गिलास ले आई. श्री बोल उठा अरे इसे ऐसे टरकाने का इरादा है क्या कोई चाय वाय. क्यों नहीं राजू भैया को ऐसे थोड़े ही जाने दूंगी चाय क्या इनको तो डिनर भी हमारे साथ करना पड़ेगा. अरे भाभी क्यों मेहनत करोगी मैंने भी बोल तो दिया पर सोचा की साली मान गयी तो इसकी जवानी के दर्शन जाने फिर कब हो. पर लगता है कि देव मेरे साथ थे. बाहर बिजली कडकी और इधर पुष्प की कोयल जैसी आवाज मेरे कान में पड़ी. नहीं नहीं मौसम भी ख़राब है और मैं भी आपको ऐसे नहीं जाने दूंगी जाये कुछ भी हो जाये मैं जा रही हूँ चाय लाती हूँ और डिनर बनाती हूँ देखिये मौसम कितना ख़राब हो गया है. थोडा ठीक हो जाये फिर जाना. ठीक बोल रही है पुष्प श्री ने उसका समर्थन किया. मैंने भी सरेंडर करे हुए कहा ठीक है जैसा तुम लोग बोलो अब मैं तो तुम दोनों के रहमोकरम पर हूँ. हमारे रहमोकरम का मतलब पुष्प में अपनी खुबसूरत और मादक आँखें चौड़ी करते हुए पूछा. मेरा मन हुआ आगे बदके साली को दबोच लूँ साली शादी के बाद रोज़ रोज़ पति के नीचे लेट लेट के और भी हसीं और मादक हो गयी थी. अरे जाने दो यह कुछ भी कह देता है तुम जानती ही हो न इसको श्री ने मेरा पक्ष लिया. अच्छा मैं जाती हूँ और चाय लती हूँ कहके पुष्प पीछे पलट गयी और कमरे से बहार जाने लगी. पुष्प के पीछे मुडके जाने पर मैं प्यासे कुत्ते की तरह उसकी गांड का मटकना देखता रहा और यह भी देखा कि मेरी इस हरकत को श्री ने नोटिस नहीं किया. जैसे ही पुष्प मेरी नजरो से ओझल हुई मैंने श्री की ओर मुंह किया और कहा हाँ श्री क्या गड़बड़ है कुछ मेरे लायक हो तो बोल मेरे यार.तेरे लिए जान भी हाज़िर है जान दे भी सकता हूँ और जान ले भी सकता हूँ तू एक बार बोल तो सही मैंने मगर मन ही मन कहा साले तेरी जान (पुष्प) को पूरा का पूरा ले जाने का इरादा है जाने कब मौका मिलेगा हे भगवान मेरी सुन ले. शायद आज मेरी हर इच्छा पूरी होने वाली थी. श्री ने कहा यार फॅमिली प्रोबलेम है पुष्प कहती है कि मैं काम कमाता हूँ और वो हीरे की लौंग और हीरे की अंगूठी के निचे बात नहीं करती है. मैंने मन ही मन सोचा साली कुतिया एक बार मेरे लौड़े के निचे आ जा तेरे को हीरे से लाद दूंगा. तो तूने क्या सोचा कुछ तो तेरे भी दिमाग में आया होगा. क्यों बोलती है ऐसा वो मैंने पूछा . वो बाहर घर से निकल के काम करना चाहती है तुम तो जानते ही हो न कि पुष्प की होटल मैनेजमेंट में इंटरेस्ट है उसके साथ के कई दोस्त पढाई के बाद इस फील्ड में आ गए है और वो उनके संपर्क में है. (मैंने सोचा तो इस परी के पर निकलना चाहते है साली चाहती है की उसके इस हुस्न को सारी दुनिया देखे तो ठीक है ऐसा ही सही.) श्री बोलता रहा मैंने उसे समझाना चाहा पर वो अपनी फॅमिली लाइफ डिस्टर्ब करने को तैयार है मगर अपनी डिमांड काम नहीं करना चाहती है मैंने बोला है की मैं ऑफिस में और ज्यादा काम करूँगा और ज्यादा इनकम की कोशिश करूँगा तो उसने मुझे अल्टीमेटम दे दिया है की एक दो महीने में रिजल्ट नहीं आया तो उसके और मेरे रास्ते बदल सकते है. मैंने कहा हाँ यार यही तरीका है तुम ज्यादा काम करो और अपनी कमाई का जरिया भी बढाओ मैं भी तुम्हारे साथ हूँ. मेरा समर्थन मिलने से श्री उत्साहित नज़र आया. तब तक मेरी मस्त पुष्प अपनी जवानी के खुबसूरत नज़ारे के साथ चाय लेकर आई इस बार मैंने देखा तो देखता ही रह गया वो अपने कपडे बदल के साड़ी की जगह सलवार सूट डाल के आई थी मगर वो अपनी निगोड़ी और कामुक जवानी से लादे हुए शरीर को मेरी कुत्सित निगाहों से कैसे बचाती मैंने अपने एक्सरे की निगाह से ताड लिया की साली ने सब कुछ पहना है मगर पैंटी नहीं डाली है जाने क्या सोच के उसने ऐसा किया मगर मेरी नज़रों की तो ऐश हो गयी मैं पुष्प की चूची के साथ साथ उसकी चूत की दरार का भी ऊपर से नज़ारा कर रहा था. मैंने सोच लिया था की इस राज को मैं जान के रहूँगा की उसने मेरे होते हुए भी सलवार के निचे अपनी कामुक और मस्त चूत को छुपाने के लिए पैंटी क्यों नहीं पहनी.
आगे अब पढ़िए पुष्पा के तीसरे राज में