19-12-2021, 08:56 PM
मेरी भाभी पुष्पा
आपकी प्यारी यस्मिन आप सब दोस्तों की राय के बाद यह कहानी शुरू करेगी क्या आप दोस्त मेरी इस थ्रेड को उतना ही प्यार देंगे जितना कामुक संध्या को दे रहे है
आपके जवाब के इंतजार में
आपकी यासमीन
धन्यवाद मित्रों आपको इस कहानी के सभी अपडेट यहीं पर क्रमश मिलते रहेंगे आप अपना प्यार मुझे और पुष्प को देते रहिये. पुष्पा के सभी राज आपको यहीं पर मिल जायेंगे.
हौसला अफजाई का शुक्रिया दोस्तों
नाम व् जगह के संयोग के लिए लेखक/लेखिका जिम्मेदार नहीं है.
मित्रों इसी पोस्ट को अपडेट किया जायेगा और अगली पोस्ट के लिए अपडेट के बाद इशारा कर दिया जायेगा तब तक आप सब इसी पोस्ट को बार बार पढ़ के नयी नयी पंक्तियों का आनंद ले और अपनी राय देते रहे की कहानी कहाँ ले जाई जाये
कहानी शुरू होती है एक शहर से हमारी कहानी की मुख्य पात्रा पुष्पा, जिसे मैं पुष्प के नाम से ज्यादा पुकारना पसंद करता करूँगा पुष्प मेरे ही मोहल्ले की एक खुबसूरत जवान और कामुक युवती है रंग गोरा ऐसा जैसे दूध में चुटकी भर सिन्दूर मिला दिया गया हो. अंडाकार चेहरा, बायीं भोह के पास एक तिल जो उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगाता है, वो जब हंसती है उसके गालों में पड़ने वाले गढ्ढे उसके आशिकों की जान ले लेते है, सुतवा नाक पर हीरे की लौंग दिल पर क़टार चलाती है, जहाँ पर वो नाक में लौंग पहनती है वहीँ पर एक तिल उसके मदमाते यौवन को दूना खुबसूरत बना देता है, उसका बदन यौवन में कदम रख चूका था जब वो चौदह साल की थी तभी अठारह साल से कम की नहीं लगती थी उसके सीने के उभार उसके कपडे फाड़ने को बेताब रहते थे जब वो टी शर्ट पहनती थी तो उसके निप्पल्स गली के लौंडों को दावत देते थे की आओ उनको चूस के पुष्प का रसपान करो, अब तो वो खुद ही उन्नीस साल की हो चुकी थी अब तो उसका बदन किसी भी तेईस साल की मादक औरत से कम नहीं था, सबसे बड़ी बात अपने इस अनमोल खजाने का पुष्पा हाय मेरी जान पुष्प को खुद भी पता था वो जानती थी की वो जैसे चाहे अपने इस खजाने का उपभोग, उपयोग, खर्च या इसे लुटवा सकती है, आजकल की आधुनिक दुनिया ने अन्य लड़कियों की तरह उसे भी कामशास्त्र की अधकचरी जानकारी दे दी थी और इतना तो समझदार बना दिया था की मर्दों की अपने ऊपर पड़ने वाली कामुक और कुत्सित निगाहों को वो पहचान सके.उसमे शर्माने, लाजाने, नाज़ नखरे , मान मंनौवल की एक अलग ही अदा थी जो उसके आशिकों के साथ साथ मेरी पैंट को तम्बू बना दिया करती थी. इसीलिए जब से पुष्प ने बारहवी की परीक्षा पास की और उसके बाद ही उसके माता पिता को उसके विवाह की फिक्र होने लगी उन्हें ज़माने की नहीं पुष्प की फूटती जवानी की जयादा चिंता थी वो जानते थे की अगर पुष्प ने एक बार गलत कदम उठाये तो वह जवानी की बर्बादी के दलदल में धंस जाएगी काश उनकी सोच के हिसाब से दुनिया चलती पर ऐसा होना नहीं था किसे पता था की पुष्पा का एक राज की जगह पुष्पा के कई राज होंगे .
पुष्पा की शादी मेरे ही जान पहचान में हुई थी उसकी शादी को तय करवाने में मेरा अहम् रोल था इसलिए उसके माता पिता मेरा खास ध्यान रखते थे जब भी उसके घर जाता था मेरी अलग से खातिर होती थी और यह बात पुष्पा भी जानती थी इसलिए उसकी नज़रों में मेरा अलग नजरिया था जबकि मैं अन्य भंवरों की तरह पुष्प के यौवन पर अपनी कामुक निगाहें गडाये बैठा था मेरा बस चलता तो उसकी शादी से पहले ही पुष्प के यौवन की कलि को मसल के फूल बना देता पर मैंने भी कसम ली थी की एक न एक दिन पुष्प को अपने बिस्तर की हमराह बना के ही दम लूँगा साली को नंगी करके चोदुंगा अपनी हर कामेच्छा की पूर्ति करूँगा मेरी दिली तमन्ना थी की मैं पुष्प को रात रात भर क्या पुरे दिन भर अपने सामने नंगी रखूं और उसके चिकने और कामुक जिस्म के हर अंग पर लंड रगडू पुष्प का इसमें पूरा सहयोग हो वो खुद अपनी नरम और गुदाज़ हथेलियों में मेरा लंड पकड़े और मुझे अपना मर्द बोले.
खैर वो जब होगा तब होगा तब तक तो यह हुआ की पुष्प की शादी हो गयी और वो मेरी जान पहचान में चली गयी आब मुझे यह आराम था की मैं गाहे बगाहे उसकी मस्त जवानी को देखने के लिए उसकी ससुराल (जिसे मैं उसका घर कहूँगा) पहुँच जाता था मेरे को दोनों पति पत्नी जानते थे इसलिए उस घर में मेरी दिन के चौबीस घंटे एंट्री मुमकिन थी इसी वजह से मेरे मन में पुष्प को पाने का ख्याल ने दम नहीं तोडा.मैं पुष्प का अंजाना आशिक उसे बड़ी हसरतों से निहारा करता था मुझे पता ही नहीं चला कब पुष्प को मेरे इरादों की भनक लग गयी या फिर उसने अपने स्त्री सुलभ स्वभाव के कारण जान लिया था मैं उसके इस विचारों से अंजान था की वो मेरी निगाहों का उद्देश्य जान चुकी है. खैर जाने दो मैं अपनी दास्ताँ को आगे बढ़ाता हूँ. उस दिन क्या हुआ यह सुनिए आप सभी.
आपकी प्यारी यस्मिन आप सब दोस्तों की राय के बाद यह कहानी शुरू करेगी क्या आप दोस्त मेरी इस थ्रेड को उतना ही प्यार देंगे जितना कामुक संध्या को दे रहे है
आपके जवाब के इंतजार में
आपकी यासमीन
धन्यवाद मित्रों आपको इस कहानी के सभी अपडेट यहीं पर क्रमश मिलते रहेंगे आप अपना प्यार मुझे और पुष्प को देते रहिये. पुष्पा के सभी राज आपको यहीं पर मिल जायेंगे.
हौसला अफजाई का शुक्रिया दोस्तों
नाम व् जगह के संयोग के लिए लेखक/लेखिका जिम्मेदार नहीं है.
मित्रों इसी पोस्ट को अपडेट किया जायेगा और अगली पोस्ट के लिए अपडेट के बाद इशारा कर दिया जायेगा तब तक आप सब इसी पोस्ट को बार बार पढ़ के नयी नयी पंक्तियों का आनंद ले और अपनी राय देते रहे की कहानी कहाँ ले जाई जाये
कहानी शुरू होती है एक शहर से हमारी कहानी की मुख्य पात्रा पुष्पा, जिसे मैं पुष्प के नाम से ज्यादा पुकारना पसंद करता करूँगा पुष्प मेरे ही मोहल्ले की एक खुबसूरत जवान और कामुक युवती है रंग गोरा ऐसा जैसे दूध में चुटकी भर सिन्दूर मिला दिया गया हो. अंडाकार चेहरा, बायीं भोह के पास एक तिल जो उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगाता है, वो जब हंसती है उसके गालों में पड़ने वाले गढ्ढे उसके आशिकों की जान ले लेते है, सुतवा नाक पर हीरे की लौंग दिल पर क़टार चलाती है, जहाँ पर वो नाक में लौंग पहनती है वहीँ पर एक तिल उसके मदमाते यौवन को दूना खुबसूरत बना देता है, उसका बदन यौवन में कदम रख चूका था जब वो चौदह साल की थी तभी अठारह साल से कम की नहीं लगती थी उसके सीने के उभार उसके कपडे फाड़ने को बेताब रहते थे जब वो टी शर्ट पहनती थी तो उसके निप्पल्स गली के लौंडों को दावत देते थे की आओ उनको चूस के पुष्प का रसपान करो, अब तो वो खुद ही उन्नीस साल की हो चुकी थी अब तो उसका बदन किसी भी तेईस साल की मादक औरत से कम नहीं था, सबसे बड़ी बात अपने इस अनमोल खजाने का पुष्पा हाय मेरी जान पुष्प को खुद भी पता था वो जानती थी की वो जैसे चाहे अपने इस खजाने का उपभोग, उपयोग, खर्च या इसे लुटवा सकती है, आजकल की आधुनिक दुनिया ने अन्य लड़कियों की तरह उसे भी कामशास्त्र की अधकचरी जानकारी दे दी थी और इतना तो समझदार बना दिया था की मर्दों की अपने ऊपर पड़ने वाली कामुक और कुत्सित निगाहों को वो पहचान सके.उसमे शर्माने, लाजाने, नाज़ नखरे , मान मंनौवल की एक अलग ही अदा थी जो उसके आशिकों के साथ साथ मेरी पैंट को तम्बू बना दिया करती थी. इसीलिए जब से पुष्प ने बारहवी की परीक्षा पास की और उसके बाद ही उसके माता पिता को उसके विवाह की फिक्र होने लगी उन्हें ज़माने की नहीं पुष्प की फूटती जवानी की जयादा चिंता थी वो जानते थे की अगर पुष्प ने एक बार गलत कदम उठाये तो वह जवानी की बर्बादी के दलदल में धंस जाएगी काश उनकी सोच के हिसाब से दुनिया चलती पर ऐसा होना नहीं था किसे पता था की पुष्पा का एक राज की जगह पुष्पा के कई राज होंगे .
पुष्पा की शादी मेरे ही जान पहचान में हुई थी उसकी शादी को तय करवाने में मेरा अहम् रोल था इसलिए उसके माता पिता मेरा खास ध्यान रखते थे जब भी उसके घर जाता था मेरी अलग से खातिर होती थी और यह बात पुष्पा भी जानती थी इसलिए उसकी नज़रों में मेरा अलग नजरिया था जबकि मैं अन्य भंवरों की तरह पुष्प के यौवन पर अपनी कामुक निगाहें गडाये बैठा था मेरा बस चलता तो उसकी शादी से पहले ही पुष्प के यौवन की कलि को मसल के फूल बना देता पर मैंने भी कसम ली थी की एक न एक दिन पुष्प को अपने बिस्तर की हमराह बना के ही दम लूँगा साली को नंगी करके चोदुंगा अपनी हर कामेच्छा की पूर्ति करूँगा मेरी दिली तमन्ना थी की मैं पुष्प को रात रात भर क्या पुरे दिन भर अपने सामने नंगी रखूं और उसके चिकने और कामुक जिस्म के हर अंग पर लंड रगडू पुष्प का इसमें पूरा सहयोग हो वो खुद अपनी नरम और गुदाज़ हथेलियों में मेरा लंड पकड़े और मुझे अपना मर्द बोले.
खैर वो जब होगा तब होगा तब तक तो यह हुआ की पुष्प की शादी हो गयी और वो मेरी जान पहचान में चली गयी आब मुझे यह आराम था की मैं गाहे बगाहे उसकी मस्त जवानी को देखने के लिए उसकी ससुराल (जिसे मैं उसका घर कहूँगा) पहुँच जाता था मेरे को दोनों पति पत्नी जानते थे इसलिए उस घर में मेरी दिन के चौबीस घंटे एंट्री मुमकिन थी इसी वजह से मेरे मन में पुष्प को पाने का ख्याल ने दम नहीं तोडा.मैं पुष्प का अंजाना आशिक उसे बड़ी हसरतों से निहारा करता था मुझे पता ही नहीं चला कब पुष्प को मेरे इरादों की भनक लग गयी या फिर उसने अपने स्त्री सुलभ स्वभाव के कारण जान लिया था मैं उसके इस विचारों से अंजान था की वो मेरी निगाहों का उद्देश्य जान चुकी है. खैर जाने दो मैं अपनी दास्ताँ को आगे बढ़ाता हूँ. उस दिन क्या हुआ यह सुनिए आप सभी.