18-12-2021, 10:13 PM
मैनेजर साहब दम लगा कि मेरे मुह को चूत समझ मज़े लेने लगे और मेरी गांड की आग उनके कुरेतने से बढ़ने लगीं । वो मेरी अर्धांगनी के सामूहिक सहवास को देख मानो उसको पाने के लिए तड़पते जा रहे थे जिस वजह से मेरा मुँह उनको मेरी ही पत्नी का योनि लग रहा था जो वो हाथों से मेरे सर को दबाते अपने लंड को मेरे हलक तक उतारने लगे थे ।
वो अचानक से रुक कर मेरे सर को लड़ पर दबा के हलक तक उतार कर बोले क्या दिख गया मधु को तेरे जैसे नामर्द मे काश मुझे मिली होती उसको ऐसे बजाता अकेले की मेरे घर आने के लिए तड़पती रहती और रोज नए अंदाज से मेरे लिए इंतज़ार करती और मैं थक हार कर घर जाते ही नंगा हो के पहले मधु को गुसलखाने मे कपड़ो के साथ खिंच कर ले जाता और भीग कर उनको इतना चोदता की वो पागल हो जाती कहते मैनेजर साहब ने मेरे सर को छोड़तें अपना लड़ मेरे मुँह से खींच कर बोले सच यार तेरे जैसे नामर्दों को ही क़यामत मिलती है और आखिर ऐसी क़यामत मेरे होटल के कमरों मे अपनी प्यास बुझाती है कहते वो सिगरेट सुलगा कर बोले देख गांडू तेरी मधु की अकड़ आखिर इस तरह वो तेरे साथ अकड़ लेती तो आज इतने मर्दो को मज़ा कैसे मिलता कहते वो बोले सुबह साथ ले चल मुझे अपने घर मुझे मधु के साथ दिन भर बिताने दे तुझे मैं अलग से पैसे भी दूँगा और तेरी बीवी के लिए ऐसे ऐसे मोटे मर्दो की लाइन लग दूँगा की वो एक रात मे इतना कमाने लगेगी की तू सोच नही सकता ।
मैं मैनेजर का लोडा चूसते बोला आप चलो या जब मन करे घर आ जाना पर मेरी बीवी को बाजारू मत समझो ,पैसे नही प्यास की लड़ाई है ,पैसे नही चाहिए बस मेरी मधु मेरे सामने मर्दो से खेले और मैं उसके मलाई से भरे जिस्म को चाट कर उसे चूमे यही मेरे लिए अद्भुत आनंद है कहते मैंने मैनेजर के लड़ पर थूक कर उसका लड़ सहलाते उठ कर उसके लड़ पर गांड लगा कर बैठने लगा वो मेरे कमर को पकड़ कर अपने लड़ को मेरे गांड पर जाते महसूस करते बोला मादरचोद तू तो लौंडिया जैसे कर रहा हैं, क्या मस्त गांड है तेरी अहह करते मैं उसके लड़ को गांड मे लेते उनके हाथ से सिगरेट लेते बोला जानते हो सालों से मेरी मधु प्यासी रही है पर अब वो एक रात प्यासी नही सोने वाली इसके लिए मैंने अपनी मधु को एक स्वतंत्र औरत बनाया और खुद लड़ चूस कर उसके चूत पर लगा कर बोला आज से तेरी जवानी मस्त रहेगी ,मैनेजर साहब मेरी मधु लाखों मे एक अर्धाग्नि है वो मेरे नामर्द लुल्ली से बरसों खुश रही तभी वो आज एक आज़ाद औरत बन कर लड़ की सवारी कर रही ,आपकी बीवी आपके लड़ से तो खुश है पर आपसे नही क्योंकि आपने उसके जिस्म को मज़ा दिया उसे नही पर मैंने मधु को मज़ा दिया तभी वो मेरे पीठ पीछे अपनी जिस्म को लुटाई नही कहते मैं उनके लड़ पर उछलने लगा और इतना उछला की बेचारा मैनेजर मेरे गांड के गर्मी से पस्त होते झड़ने लगा और बोला मादरचोद तू मधु से कम नही मेरा भी निकाल दिया कहते वो पागल होने लगा।
मैनेजर पूरी तरह पसीने से लथपथ हो चुका था और मैं उठ कर उसकी मलाई से भरी गार्ड को सौंफे पर टिका दिया और मैनेजर ने मुझे अपने हाथों से सहलाते बोला क्या तुम सच में मुझे घर ले चलेगा मैं बोला हाँ चिंता मत करो कल सारे दिन मधु की जवानी से खेलने दूंगा यह सुनते ही मैनेजर ने लूल्ली को पकड़ा और अहिस्ता अहिस्ता सहलाते बोला तू झड़ेगा नहीं मैं बोला बस मेरी मधु ही मेरे लड़ का पानी निकाल सकती है । इतना सुनते ही मैनेजर ने कुछ ऐसा किया जिसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी वो झुककर मेरे लूली को चाटने लगा मैंने मैनेजर से पूछा क्या कर रहे हो वो बोला बस चुप होजा तू मुझे मधु देगा तो मैं तेरी लुल्ली से हर वक्त मलाई निकाल लूँगा कहते हुए मेरे लौंडा को चूसने लगा ।
मैनेजर चूत की आग में बिल्कुल पागल हो चुका था। उसने इस अंदाज से मेरा लड़ चूसना सुरु किया कि मेरा लड़ अकड़ कर तंबू सा हो गया और उसके मुँह मे फूलने लगा और वो बोला मस्त है तेरा तो लॉलीपॉप कहते वो बेशर्मी से चुस्ते रहा और उधर शिशे के पार मेरी मदमस्त मेरी रानी मेरी जान मधु ने दूसरे दफ़े सारे मर्दो को खुश कर के टाँगे खोली बिस्तर पर पस्त लेटी हपस रही थी और सारे थके मर्द वही मधु के आस पास लेटे तृप्ति का एहसास करते बड़े खुश नजर आ रहे थे ।
मेरी मदमस्त शालिनी भाभी भी धकों पर टिकी पड़ी थी पर उनका उत्साह कम सा जान पड़ रहा था शायद वो अपने ही देवरानी के बढ़ते भाव से ज़रा सी आघात थी ।
बड़े समय के बाद खुद का लड़ चुस्वते मुझे अच्छा लग रहा था और मेरी गांड से मैनेजर साहब की मलाई उनकी मखमली सोफे को भिगो रही थी ।
वो अचानक से रुक कर मेरे सर को लड़ पर दबा के हलक तक उतार कर बोले क्या दिख गया मधु को तेरे जैसे नामर्द मे काश मुझे मिली होती उसको ऐसे बजाता अकेले की मेरे घर आने के लिए तड़पती रहती और रोज नए अंदाज से मेरे लिए इंतज़ार करती और मैं थक हार कर घर जाते ही नंगा हो के पहले मधु को गुसलखाने मे कपड़ो के साथ खिंच कर ले जाता और भीग कर उनको इतना चोदता की वो पागल हो जाती कहते मैनेजर साहब ने मेरे सर को छोड़तें अपना लड़ मेरे मुँह से खींच कर बोले सच यार तेरे जैसे नामर्दों को ही क़यामत मिलती है और आखिर ऐसी क़यामत मेरे होटल के कमरों मे अपनी प्यास बुझाती है कहते वो सिगरेट सुलगा कर बोले देख गांडू तेरी मधु की अकड़ आखिर इस तरह वो तेरे साथ अकड़ लेती तो आज इतने मर्दो को मज़ा कैसे मिलता कहते वो बोले सुबह साथ ले चल मुझे अपने घर मुझे मधु के साथ दिन भर बिताने दे तुझे मैं अलग से पैसे भी दूँगा और तेरी बीवी के लिए ऐसे ऐसे मोटे मर्दो की लाइन लग दूँगा की वो एक रात मे इतना कमाने लगेगी की तू सोच नही सकता ।
मैं मैनेजर का लोडा चूसते बोला आप चलो या जब मन करे घर आ जाना पर मेरी बीवी को बाजारू मत समझो ,पैसे नही प्यास की लड़ाई है ,पैसे नही चाहिए बस मेरी मधु मेरे सामने मर्दो से खेले और मैं उसके मलाई से भरे जिस्म को चाट कर उसे चूमे यही मेरे लिए अद्भुत आनंद है कहते मैंने मैनेजर के लड़ पर थूक कर उसका लड़ सहलाते उठ कर उसके लड़ पर गांड लगा कर बैठने लगा वो मेरे कमर को पकड़ कर अपने लड़ को मेरे गांड पर जाते महसूस करते बोला मादरचोद तू तो लौंडिया जैसे कर रहा हैं, क्या मस्त गांड है तेरी अहह करते मैं उसके लड़ को गांड मे लेते उनके हाथ से सिगरेट लेते बोला जानते हो सालों से मेरी मधु प्यासी रही है पर अब वो एक रात प्यासी नही सोने वाली इसके लिए मैंने अपनी मधु को एक स्वतंत्र औरत बनाया और खुद लड़ चूस कर उसके चूत पर लगा कर बोला आज से तेरी जवानी मस्त रहेगी ,मैनेजर साहब मेरी मधु लाखों मे एक अर्धाग्नि है वो मेरे नामर्द लुल्ली से बरसों खुश रही तभी वो आज एक आज़ाद औरत बन कर लड़ की सवारी कर रही ,आपकी बीवी आपके लड़ से तो खुश है पर आपसे नही क्योंकि आपने उसके जिस्म को मज़ा दिया उसे नही पर मैंने मधु को मज़ा दिया तभी वो मेरे पीठ पीछे अपनी जिस्म को लुटाई नही कहते मैं उनके लड़ पर उछलने लगा और इतना उछला की बेचारा मैनेजर मेरे गांड के गर्मी से पस्त होते झड़ने लगा और बोला मादरचोद तू मधु से कम नही मेरा भी निकाल दिया कहते वो पागल होने लगा।
मैनेजर पूरी तरह पसीने से लथपथ हो चुका था और मैं उठ कर उसकी मलाई से भरी गार्ड को सौंफे पर टिका दिया और मैनेजर ने मुझे अपने हाथों से सहलाते बोला क्या तुम सच में मुझे घर ले चलेगा मैं बोला हाँ चिंता मत करो कल सारे दिन मधु की जवानी से खेलने दूंगा यह सुनते ही मैनेजर ने लूल्ली को पकड़ा और अहिस्ता अहिस्ता सहलाते बोला तू झड़ेगा नहीं मैं बोला बस मेरी मधु ही मेरे लड़ का पानी निकाल सकती है । इतना सुनते ही मैनेजर ने कुछ ऐसा किया जिसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी वो झुककर मेरे लूली को चाटने लगा मैंने मैनेजर से पूछा क्या कर रहे हो वो बोला बस चुप होजा तू मुझे मधु देगा तो मैं तेरी लुल्ली से हर वक्त मलाई निकाल लूँगा कहते हुए मेरे लौंडा को चूसने लगा ।
मैनेजर चूत की आग में बिल्कुल पागल हो चुका था। उसने इस अंदाज से मेरा लड़ चूसना सुरु किया कि मेरा लड़ अकड़ कर तंबू सा हो गया और उसके मुँह मे फूलने लगा और वो बोला मस्त है तेरा तो लॉलीपॉप कहते वो बेशर्मी से चुस्ते रहा और उधर शिशे के पार मेरी मदमस्त मेरी रानी मेरी जान मधु ने दूसरे दफ़े सारे मर्दो को खुश कर के टाँगे खोली बिस्तर पर पस्त लेटी हपस रही थी और सारे थके मर्द वही मधु के आस पास लेटे तृप्ति का एहसास करते बड़े खुश नजर आ रहे थे ।
मेरी मदमस्त शालिनी भाभी भी धकों पर टिकी पड़ी थी पर उनका उत्साह कम सा जान पड़ रहा था शायद वो अपने ही देवरानी के बढ़ते भाव से ज़रा सी आघात थी ।
बड़े समय के बाद खुद का लड़ चुस्वते मुझे अच्छा लग रहा था और मेरी गांड से मैनेजर साहब की मलाई उनकी मखमली सोफे को भिगो रही थी ।


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