02-05-2019, 08:07 PM
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यही लड़का चाहिए
आज मेरे मुंह से वह निकल गया जो मैंने किसी से नहीं बोला था ,
" तुम क्या समझते हो , .... सिर्फ तुम्हे ही चाहिए था ,... मुझे भी ,... यही लड़का चाहिए था , बस यही। "
और मैंने अपनी मुसीबत बुला ली , उनके हाथ , उनके होंठ ,... मेरे दोनों जोबन मसले जा रहे थे , रगड़े जा रहे थे , मेरे गाल , मेर होंठ कस कस के चूसे जा रहे, कचकचा के काटे जा रहे थे ,
बदमाशी क्या वही कर सकते थे , मैं कौन कम थी , इनकी सलहज की ननद , इनकी सास की बिटिया ,... मैं इन्हे कस के भींचे तो थीं ही , मेरा एक हाथ , थोड़ी गलती , थोड़ी शरारत ,... उनके वहां ,
ज्यादा जागा , थोड़ा सोया ,.... मेरी उँगलियों ने जैसे गलती से छुआ , सहलाया और हलके से दबा दिया ,
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मुझे इनकी सलहज का काम भी करना था , उन्होंने दस बार याद दिलाया था , लम्बाई और मोटाई ,... उनके नन्दोई का ,...
लेकिन मेरी उँगलियों का स्पर्श होते ही वो एकदम फूल कर कुप्पा , खूब मोटा , एकदम कड़ा , टनटनाया ,...
मेरी उँगलियों ने इनकी सलहज का काम कर दिया , अंदाज लगाने का
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पर सलहज के नन्दोई अब नहीं मानने वाले थे , अबकी साइड से ही ,... मैंने खुद ही अपनी टांग उठा के इनके ऊपर , मेरी गुलाबो इनके मूसल से सटी ,..
पिछली बार की सारी रबड़ी मलाई , मेरे अंदर ,... और उससे बढ़िया लुब्रिकेंट,..
उन्होंने जोर से पुश किया ,... मुझे अब इनकी सलहज की सारी सीख याद आ गयी थी , टांग जितनी फैला सको , फैला लो , ... ;उसे ' एकदम ढीली छोड़ दो , और कस के उन्हें पकडे रहो , ...
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जोर के धक्के , और पहली बार साइड से मूसलचंद मेरे अंदर , न इनके धक्कों की रफ़्तार कम हुयी न तेजी ,
थोड़ी देर में साजन , सजनी के अंदर , एकदम जड़ तक , और हम दोनों एक दूसरे के बाँहों में , ..
. मुझे इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की रजाई कब की सरक कर फर्श पर हमारे कपड़ों के साथ , बिस्तर पर हम दोनों पूरी तरह , सिर्फ एक दूसरे को पहने , दिन दहाड़े , ... भले खिड़कियां बंद थी ,
लेकिन रोशनदान से तो धूप छलक छलक कर पूरे कमरे में , हमारी देह पर फैली हुयी थी ,
मेरी शरम लाज सब मेरे कपड़ों की तरह मेरे साजन ने मुझसे दूर कर दी थी ,
मेरे अंदर घुसे धंसे , मुझे उन्होंने मेरी पीठ के बल किया , और अबकी बिना उनके कुछ कहे किये , मेरी लम्बी गोरी टाँगे , इनके कंधे पर चढ़ गयी , लगे महावर तो लगे इनके माथे पर , मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था ,...
मेरे नितम्बों के नीचे बिस्तर के सारे तकिये मैं दुहरी ,
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और अब जो धक्के लगाए उन्होंने , मैं चीखी भी , सिसकी भी ,
न इनके होंठों ने मेरी चीखों को रोकने की कोशिश की , न मैंने ,... आखिर ननदों , जेठानियों को मेरा सब राज तो मालूम ही हो गया था ,
और इनके दोनों हाथ मेरी कलाइयों पर , दोनों कलाई पकड़ के कस कस के,
पायल की रुनझुन , बिछुओं की झंकार , चूड़ियों की चुरुर मुरुर ,
और साथ में कभी मेरी सिसकियाँ तो कभी इनके चुंबन ,
बहोत ताकत थी इनके अंदर , रौंद के रख दिया ,... लेकिन अब मेरी देह यही चाहती थी , शादी के पहले जितना मैं डरती थी , अब वही दर्द मजा दे रहा था।
जब बादल बरसे , उसके पहले दो बार मैं ,,,,
बस बेहोश नहीं हुयी थी, एकदम शिथिल , सिर्फ इनके मोटे दुष्ट मूसलचंद का असर नहीं था , इनकी उँगलियाँ , इनके होंठ कम मुझे नहीं पागल करते थे
और तीसरी बार इनके साथ ,... ये झड़ रहे थे , मैं झड़ रही थी , कस के इन्हे अपनी बाहों में भींचे दबोचे ,
ये झड चुके थे तो भी मैंने इन्हे नहीं छोड़ा , दबोचे रही कस के अपनी लता सी बाँहों में ,...
पन्दरह बीस मिनट वैसे ही , और ऐसी हालत में न इन्हे टाइम का अंदाज था न मुझे ,... पर श्रीमती टिकटिक , इनसे कौन बच पाया है , मेरी निगाह पड़ी तो पांच बज चुके थे , सवा छह तक मुझे तैयार हो कर निकलना था , पहले मैंने इन्हे खदेड़ा , तैयार होने ,...
सोफे पर पड़ी साडी को जस तस लपेट लिया , न ब्लाउज न साया ,...
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उन्हें बस उठा के इनके कपड़ों के साथ ,... अंदर से इनकी आवाज आयी मेरे कपडे
और तब मैं समझी , अब इस लड़के का पूरा ख्याल मुझे ही रखना पडेगा , ...
" पहले बाहर तो आइये ,.. " मैं हँसते हुए बोली ,
मैं समझ रही थी , उस समय की बात और थी , अब ये एकदम शर्मा रहे थे ,...
एक बड़ी सी टॉवेल लपेटे , किसी तरह ये बाहर निकले
...सच में मन तो कर रहा था की झट से उनकी टॉवेल खींच लूँ ,.... पर मेरी निगाहें इनके माथे पर पड़ी , मेरे पैरों की महावर के ताजे निशान , हम लोगों की शाम की शरारत के सबूत ,...
अभी इनकी भौजाइयां ,...
एक गीले टॉवेल से , फिर थोड़ा सा मेकअप रिमूवर लगा लगा के ,... मैंने अच्छी तरह साफ़ किया , गाल पर दो जगह मेरी लिपस्टिक के निशान थे , ...
वो मैंने बस हलके कर दिए , रगड़ने पर भी साफ़ नहीं हो रहे थे ,
और कुछ तो रहने चाहिए मेरी जेठानियों के लिए ,... अपने देवर की रगड़ाई के लिए ,...
मैंने वार्डरोब खोल के इनके लिए एक डिजाइनर कुरता पाजामा , बनयाइंन चड्ढी निकाल के दी , ... मैंने बोला भी यहीं बदल लीजिये न , टॉवेल पहने तो हैं पर , झट से वो बाथरूम में ,...
मैं समझ गयी थी इस लड़के ने अब अपनी पूरी जिंदगी मुझे सौंप दी है , छोटी से लेकर बड़ी तक हर बात का इसके लिए फैसला मुंझे ही करना होगा।
फिर कमरे की हालत ठीक करने में मैं जुट गयी , ... घर का तो पता नहीं , पर ये लड़का और ये कमरा अब मेरी ही जिम्मेदारी थी।
बिस्तर पर मेरी चूड़ियां , चादर पर हमारी प्रेम लीला का सबूत , बड़ा सा सफ़ेद धब्बा ,.. चादर मैंने बदली , चूड़ियां समेटी , वैसलीन की शीशी बंद की।
और तब तक वो निकले ,... साढ़े पांच बज गए थे। उनके तैयार होकर निकलते ही मैंने उन्हें कमरे से बाहर खदेड़ा ,... उनके रहते हरदम डर रहता , क्या पता उनका फिर मन करने लगे , और अब मैं उनकी किसी बात को मना नहीं कर सकती थी।
जैसे मैं फ्रेश होकर निकली ,
गुड्डो आ गयी ,... थोड़ा उसने मुझे तैयार होने में मदद की , मायने एक टाइट कोर्सेट पहन रखी थी , खूब डीप , बहार छलक रहे थे , पर उसे पीछे से कस के बांधता कौन , ...
घर पे तो मेरी बहनें थी , मम्मी थी ,... लेकिन यहाँ गुड्डो थी , वही हाईकॉलेज वाली।
और मैं भी उसे खूब उकसा रही थी , उस का भी मैंने खूब हॉट हॉट मेकअप किया , ... उकसाया , दुपट्टा एकदम गले तक ,...
साढ़े छह बजे तक मेरी दो ननदें भी , बाहर चाट पार्टी शुरू हो गयी थी ,...