10-12-2021, 09:42 AM
(18-10-2021, 05:14 PM)neerathemall Wrote: उस सम'य मुझे लगा के में संगीता दीदी को बता दूं. मेरी 'इच्छा'. मेरा सपना. मेरी कल्पना.. यानी एक ही!! 'संगीता दीदी तुम्हें चोदना!!'.. लेकिन अगले ही पल मेने सोचा के 'नही' ये वक्त ठीक नही है इस'लिए मेने सिर्फ़ इतना कहा,
"फिलहाल तो मुझे याद नही आ रहा है मेरा कोई सपना. लेकिन जब कुच्छ पहना नही था इस'लिए मुझे उसकी ब्रेसीयर और पैंटी नज़र आ रही थी. जब वो बॅग में कपड़े रख'ने के लिए नीचे झुक ... तो मुझे उसके अंदर पह'नी हुई काले रंग की पैंटी नज़र आई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.