03-12-2021, 10:40 AM
थोड़ी देर बाद जीजाजी और नीरू दोनों किचन से बाहर आए, एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले और चहकते हुये। नीरू अपनी दीदी के पास जाकर बैठ गयी और जीजा जी मेरे पास पड़े सोफे सीट पर आकर बैठ गए। उन दोनों की बातें चालू हो गयी और ऋतू दीदी बीच बीच में थोड़ा बोल देती पर मैं पुरे टाइम चुप ही रहा। उन लोगो के बीच बातें होती देख मैंने भी बात आगे बढ़ाने और मेरी उपस्थिति दिखाने के लिए बात की।
प्रशांत: "ट्रैन कितने बजे की है, ए.सी. ट्रेन बुक की हैं?"
नीरज: "नीरू को ए.सी. स्लीपर में सोने में प्रॉब्लम होती हैं इसलिए मैंने उसके लिए नॉन-ए.सी. फर्स्ट क्लास क्प्म्पार्टमेन्ट बुक किया हैं"
मेरी बीबी के बारे में जो जानकारी मुझे नहीं थी वो जीजा को ज्यादा पता थी। मैं अपना बजट जोड़ने लगा। फर्स्ट क्लास के मुकाबले ए.सी. ३टिएर ज्यादा सस्ता पड़ता और ए.सी. भी मिलता। वो लोग फिर से प्लान करने लगे की बीच पर जाकर वो क्या मस्ती करेंगे और मैं फिर से अकेला अनुभव करने लगा। मैंने सोचा मुझे अब विषय बदलना चाहिये।
प्रशांत: "आपकी शादी को इतने साल हो गए, आप लोग खुश खबरी कब सुना रहे हो?"
मै खुश हुआ की मैंने अच्छा विषय ढून्ढ कर उनकी बातचीत में शामिल हो पाउँगा पर एक बार फिर मैंने मुह की खायी। इतनी देर से जीजा और नीरू की चहचहाने की आवाज एकदम बंद हो गयी और ख़ामोशी पसर गयी। नीरू अब एकदम गम्भीर हो गयी और बोली।
नीरु: "मैंने तुम्हे कभी बताया नहीं, दीदी को मेडिकल प्रॉब्लम हैं और वो कन्सीव नहीं कर सकती हैं"
ऋतू दीदी ने निराशा में अपना मुह झुका लिया और नीरू ने उनके कंधे पर हाथ रख उनको सान्त्वना दी। यह सवाल पुछ मैंने बेवकूफ़ी कर दी थी और मैंने तुरंत उन सब से माफ़ी मांगी।
दीदी ने मुझको दोषी न अनुभव करने के लिए बोली, की इसमें मेरा कोई दोष नहीं, क्यों की मुझे पता ही नहीं था इस बारे मे। तभी जीजाजी ने माहौल को हल्का ब्नाने क प्रयास किया।
नीरज: "अरे तो क्या हो गया! नीरू को जो बच्चा होगा वो मेरा ही तो होगा"
नीरु: "ओह्ह्ह्ह! आई लव यू जीजाजी, यु आर द बेस्ट"
यह कहते हुए नीरू अपनी सीट से उठी और जाकर जीजा जी की गोद में बैठ गयी और उनको गले लगा दिया और जीजाजी ने भी उसकी नंगी कमर को पकडे उसको जकड़ लिया।
प्रशांत: "ट्रैन कितने बजे की है, ए.सी. ट्रेन बुक की हैं?"
नीरज: "नीरू को ए.सी. स्लीपर में सोने में प्रॉब्लम होती हैं इसलिए मैंने उसके लिए नॉन-ए.सी. फर्स्ट क्लास क्प्म्पार्टमेन्ट बुक किया हैं"
मेरी बीबी के बारे में जो जानकारी मुझे नहीं थी वो जीजा को ज्यादा पता थी। मैं अपना बजट जोड़ने लगा। फर्स्ट क्लास के मुकाबले ए.सी. ३टिएर ज्यादा सस्ता पड़ता और ए.सी. भी मिलता। वो लोग फिर से प्लान करने लगे की बीच पर जाकर वो क्या मस्ती करेंगे और मैं फिर से अकेला अनुभव करने लगा। मैंने सोचा मुझे अब विषय बदलना चाहिये।
प्रशांत: "आपकी शादी को इतने साल हो गए, आप लोग खुश खबरी कब सुना रहे हो?"
मै खुश हुआ की मैंने अच्छा विषय ढून्ढ कर उनकी बातचीत में शामिल हो पाउँगा पर एक बार फिर मैंने मुह की खायी। इतनी देर से जीजा और नीरू की चहचहाने की आवाज एकदम बंद हो गयी और ख़ामोशी पसर गयी। नीरू अब एकदम गम्भीर हो गयी और बोली।
नीरु: "मैंने तुम्हे कभी बताया नहीं, दीदी को मेडिकल प्रॉब्लम हैं और वो कन्सीव नहीं कर सकती हैं"
ऋतू दीदी ने निराशा में अपना मुह झुका लिया और नीरू ने उनके कंधे पर हाथ रख उनको सान्त्वना दी। यह सवाल पुछ मैंने बेवकूफ़ी कर दी थी और मैंने तुरंत उन सब से माफ़ी मांगी।
दीदी ने मुझको दोषी न अनुभव करने के लिए बोली, की इसमें मेरा कोई दोष नहीं, क्यों की मुझे पता ही नहीं था इस बारे मे। तभी जीजाजी ने माहौल को हल्का ब्नाने क प्रयास किया।
नीरज: "अरे तो क्या हो गया! नीरू को जो बच्चा होगा वो मेरा ही तो होगा"
नीरु: "ओह्ह्ह्ह! आई लव यू जीजाजी, यु आर द बेस्ट"
यह कहते हुए नीरू अपनी सीट से उठी और जाकर जीजा जी की गोद में बैठ गयी और उनको गले लगा दिया और जीजाजी ने भी उसकी नंगी कमर को पकडे उसको जकड़ लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
