03-12-2021, 10:37 AM
एक बार जब मैं कुछ दिन की छुट्टियो में घर गया तो घर वालों ने मुझे बोला की उन्होंने एक लड़की देखी हैं और मैं एक बार उस लड़की को देख और मिल लू। शादी चाहे तो मैं बाद मैं कर लू। घर वालों का दिल रखने के लिए मैं तैयार हो गया और मैं अपने पेरेंट्स के साथ लड़की के घर गया। मन में यही था की वापिस घर आकर लड़की को रेजेक्ट कर दूंगा और पीछा छुड़ा लुंगा। लड़की को मेरे सामने लाया गया और मेरी सिट्टी पिट्टी घुम हो गयी। खूबसूरत सी लड़की थी और उसका फिगर एकदम पेरफ़ेक्ट। कभी सोचा नहीं था की ऐसी लड़की से शादी करने का मौका मिलेंगा। उसके साथ अलग से बात करने को भी मिला।
उसका नाम नीरू था और मैं उसकी खुबसुरती में इतना खो गया की कुछ पूछा ही नहीं, यह सोच कर की कही वो नाराज न हो जाए। वो जरूर मेरे बारे में जानकार प्रभावित हुयी और दिलचस्पी दिखाई। उसके घर वालों ने बताया की नीरू की नौकरी उसी शहर में लगी हैं जहा मैं अभी नौकरी कर रहा हूं। वो लोग नीरू को उस अनजान शहर में अकेले नहीं भेजना चाहते थे और उसी शहर में किसी से शादी करवाना चाहते थे। मुझसे पूछा गया की मैं शादी को तैयार हूँ या नहीं, मैं चाहू तो सोच कर जवाब दे सकता हूं। मैंने तुरंत हां बोल दिया और हम दोनों के घर वाले बहुत खुश हुये। मैं खुश था की मुझे इतनी खूबसूरत बीबी मिलेगी। नीरू खुश थी की उसकी नौकरी का सपना पूरा होगा और मुझे तो वो, वैसे ही पसंद कर चुकी थी।
अगले महीने ही हमारी शादी हो गयी। एक महीने पहले मैंने सोचा भी नहीं था की मैं शादी कर लूंगा और अब सब कुछ इतना जल्दी हो गया। मगर मुझे अपने निर्णय पर कोई पछ्तावा नहीं था। मेरा किराए के घर को शेयर करने के लिए एक जीवन साथी आ चूका था। शादी से पहले के इस एक महीने में भी मेरी बात नीरू से होती रही थी। एक चीज जो मुझे पता चली थी वो यह की वो बहुत चुलबुली सी लड़की है। मेरा व्यहार उसके व्यहार से एकदम उलटा था तो मुझे वो बहुत पसंद आयी। मैं चुपचाप कम बात करता और वो जल्दी ही किसी के साथ घुलमिल जाती और ज्यादा बात करने की बहुत आदत थी। मेरे शांत घर में हमेशा चहल पहल रहने लगी। जिन पड़ोसियो से मैंने कभी बात नहीं की थी, नीरू की वजह से उनके नाम भी जानने लगा और वो हमारे घर भी कभी आते थे। मुझे लगा जैसे मेरा जीवन पूर्ण हो गयी है। मेरी ज़िन्दगी का अधुरापन दूर हो गया था। शादी के बाद भी वो चुलबुली, बब्बली सी लड़की अपनी शरारत और नटखटपन नहीं भूली थी। हम दोनों ने करियर को देखते हुए निर्ण्य लिया किया था की हम अपना बच्चा अभी पैदा नहीं करेंगे। नीरू को बच्चो से बहुत लगाव था। वो अपना बच्चा चाहती थी पर उसे हम दोनों के करियर की भी परवाह थी।
हमारी शादी को एक साल हो चूका था और हमारी ज़िन्दगी बहुत आराम से चल रही थी। पर फिर हमारी ज़िन्दगी में एक तूफ़ान आया। एक दिन नीरू मेरे पास आयी और हमेशा की तरह मुझसे बातें करने लगी।
नीरु: "प्रशांत, हम लम्बी यात्रा पर कभी नहीं गए, क्या हम लोग किसी बीच वाली जगह घुमने जाए, ३-४ दिन के लिये। आगे लंबा स्प्त्ताहांत भी आने वाला हैं"
उसका नाम नीरू था और मैं उसकी खुबसुरती में इतना खो गया की कुछ पूछा ही नहीं, यह सोच कर की कही वो नाराज न हो जाए। वो जरूर मेरे बारे में जानकार प्रभावित हुयी और दिलचस्पी दिखाई। उसके घर वालों ने बताया की नीरू की नौकरी उसी शहर में लगी हैं जहा मैं अभी नौकरी कर रहा हूं। वो लोग नीरू को उस अनजान शहर में अकेले नहीं भेजना चाहते थे और उसी शहर में किसी से शादी करवाना चाहते थे। मुझसे पूछा गया की मैं शादी को तैयार हूँ या नहीं, मैं चाहू तो सोच कर जवाब दे सकता हूं। मैंने तुरंत हां बोल दिया और हम दोनों के घर वाले बहुत खुश हुये। मैं खुश था की मुझे इतनी खूबसूरत बीबी मिलेगी। नीरू खुश थी की उसकी नौकरी का सपना पूरा होगा और मुझे तो वो, वैसे ही पसंद कर चुकी थी।
अगले महीने ही हमारी शादी हो गयी। एक महीने पहले मैंने सोचा भी नहीं था की मैं शादी कर लूंगा और अब सब कुछ इतना जल्दी हो गया। मगर मुझे अपने निर्णय पर कोई पछ्तावा नहीं था। मेरा किराए के घर को शेयर करने के लिए एक जीवन साथी आ चूका था। शादी से पहले के इस एक महीने में भी मेरी बात नीरू से होती रही थी। एक चीज जो मुझे पता चली थी वो यह की वो बहुत चुलबुली सी लड़की है। मेरा व्यहार उसके व्यहार से एकदम उलटा था तो मुझे वो बहुत पसंद आयी। मैं चुपचाप कम बात करता और वो जल्दी ही किसी के साथ घुलमिल जाती और ज्यादा बात करने की बहुत आदत थी। मेरे शांत घर में हमेशा चहल पहल रहने लगी। जिन पड़ोसियो से मैंने कभी बात नहीं की थी, नीरू की वजह से उनके नाम भी जानने लगा और वो हमारे घर भी कभी आते थे। मुझे लगा जैसे मेरा जीवन पूर्ण हो गयी है। मेरी ज़िन्दगी का अधुरापन दूर हो गया था। शादी के बाद भी वो चुलबुली, बब्बली सी लड़की अपनी शरारत और नटखटपन नहीं भूली थी। हम दोनों ने करियर को देखते हुए निर्ण्य लिया किया था की हम अपना बच्चा अभी पैदा नहीं करेंगे। नीरू को बच्चो से बहुत लगाव था। वो अपना बच्चा चाहती थी पर उसे हम दोनों के करियर की भी परवाह थी।
हमारी शादी को एक साल हो चूका था और हमारी ज़िन्दगी बहुत आराम से चल रही थी। पर फिर हमारी ज़िन्दगी में एक तूफ़ान आया। एक दिन नीरू मेरे पास आयी और हमेशा की तरह मुझसे बातें करने लगी।
नीरु: "प्रशांत, हम लम्बी यात्रा पर कभी नहीं गए, क्या हम लोग किसी बीच वाली जगह घुमने जाए, ३-४ दिन के लिये। आगे लंबा स्प्त्ताहांत भी आने वाला हैं"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
