01-05-2019, 11:11 AM
(This post was last modified: 31-08-2020, 11:07 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
और मॉम आ गई।
हम दोनों उन्हें लेने स्टेशन गए थे।
श्वेत धवल शिफॉन की साडी , लो कट स्लीवलेस सफ़ेद ब्लाउज , ५-७ इंच की देह यष्टि , गोरी मांसल देह ,भरी भरी ,लेकिन खूब कसी , सफ़ेद मोतियों की माला और उसके साथ लगा बड़ा सा पेन्डेन्ट ठीक दोनों उभारों के बीच गहरी गहराई में धंसा
लेकिन लो कट ब्लाउज से साफ़ साफ़ दिखता और साफ़ साफ़ झलकती गोलाइयाँ , उनका कटाव ,उभार और कड़ापन।
और डिब्बे से निकल कर उन्हें लगेज देने के लिए जब वो झुकीं तो पता नहीं जाने में या अनजाने ,उनका आँचल झलक गया
और ब्लाउज को फाड़ते ,एकदम तने कड़े कड़े , उभार खुल कर झलक गए। खूब डीप लो कट होने से दोनों मांसल उरोजों की सख्त गोलाइयाँ , एकदम साफ़ साफ़ ,
और उनकी हालत खराब हो गयी।
उनकी निगाहें तो बस सफ़ेद स्लीवलेस ब्लाउज से झांकती
कड़ी गुदाज गोरी गोलाइयों पर चिपक गयी।
उनकी चोरी मैंने और मॉम दोनों ने पकड़ ली,मुश्किल से अपनी मुस्कराहट दबाई।
लगेज पकड़ते समय मॉम की दहकती उंगलियां भी उनकी उँगलियों को छू गईं तो लगा की उनकी उँगलियाँ झुलस गईं।
उनकी निगाहें भी बस ऊपर , ... वहीँ ,.. वो तो मैंने घुटनों से हलके से , ...
तो वो जैसे होश में आये और फिर झट से घबड़ा के झुक के
एकदम से उन्होंने मॉम के पैर छू लिए।
( ये चीज तो मॉम के लिए भी अनएक्सपेक्टेड थी। बहू को तो सास का पैर छूना ही पड़ता था , कहीं भी कभी भी। लेकिन एक दामाद अपनी सास के पैर छुए , वो भी भीड़ भरे प्लेटफार्म पर सबके सामने ,...
दामाद तो हाथ भी जोड़ ले तो बड़ी बात और वो तो हमेशा मॉम को तुम्हारी मम्मी ,तुम्हारी मम्मी कह के ही बोलते थे , तो उनके लिए ,... )
लेकिन मेरी मॉम ,मेरी भी मॉम थीं।
उन्होंने अपने हाथ से उनके सर को दबाते हुए झुक के फुसफुसाया ,
" अरे ठीक से छू न ,.. "
उन्होंने न सिर्फ दोनों हाथों से दोनों पाँव छुए बल्कि अपना माथा भी उनके गोरे गोरे पैरों हलके से छुला दिया ,
असल जादू डार्क स्कारलेट पेंटेड टो नेल्स का था ,
उनसे नहीं रहा गया तो उन्होंने हलके से उसे चूम भी लिया।
पर मॉम भी न उन्होंने हलके से अपनी सैंडल और उनके मुंह में पुश कर दी, और उनके बाल सहलाते हुए असीसा भी , सदा सुहागन रही और उठा के हलके से अपनी बाहों में भर लिया। कहने की बात नहीं उनके ३८ डी डी उभार हलके हलके उनकी छाती पे पुश कर रहे थे।
और इस का असर घर आते समय भी था। वो ड्राइव कर रहे थे लेकिन उन्होंने रियर व्यू मिरर इस तरह फिक्स कर रखा था सीधे पीछे से , ...
लेकिन मैं उन्ही को दोष क्यों दूँ।
पिछली सीट पर मेरी बगल में बैठी वो , कभी उनका आँचल छलक जाता तो कभी खुद गहराइयों में धंसी मोतियों की माला से वो खेलने लगतीं तो कभी,...
और मुझसे बात करते समय भी मेरी सास और ननद के बारे में खुल के एक से एक द्विअर्थी डायलॉग , ... और एक बार मॉम ने उन्हें , मिरर में चोरी चोरी उनकी गहराइयों ,गोलाइयों को घूरते देख लिया तो फिर तो ,
अपने होंठ गोल कर के अपनी जीभ गाढ़े लाल लिपस्टिक वाले होंठों पर इस तरह घुमाने लगीं जैसे फ़्लाइंग किस दे रही हों।
घर पहुँचने की मुझे जल्दी थी लेकिन मुझसे जल्दी उन लोगों को थी।
घर पहुंचते ही वो बिचारे मम्मी के बड़े बड़े भारी सूटकेस लाद कर मम्मी के कमरे में ले गए , जिसे उन्होंने बहुत प्यार और मेहनत से तैयार किया था।
और हम दोनों बिस्तर पर धम्म से बिस्तर पर बैठ कर पंचायत करने लगे।
हम दोनों उन्हें लेने स्टेशन गए थे।
श्वेत धवल शिफॉन की साडी , लो कट स्लीवलेस सफ़ेद ब्लाउज , ५-७ इंच की देह यष्टि , गोरी मांसल देह ,भरी भरी ,लेकिन खूब कसी , सफ़ेद मोतियों की माला और उसके साथ लगा बड़ा सा पेन्डेन्ट ठीक दोनों उभारों के बीच गहरी गहराई में धंसा
लेकिन लो कट ब्लाउज से साफ़ साफ़ दिखता और साफ़ साफ़ झलकती गोलाइयाँ , उनका कटाव ,उभार और कड़ापन।
और डिब्बे से निकल कर उन्हें लगेज देने के लिए जब वो झुकीं तो पता नहीं जाने में या अनजाने ,उनका आँचल झलक गया
और ब्लाउज को फाड़ते ,एकदम तने कड़े कड़े , उभार खुल कर झलक गए। खूब डीप लो कट होने से दोनों मांसल उरोजों की सख्त गोलाइयाँ , एकदम साफ़ साफ़ ,
और उनकी हालत खराब हो गयी।
उनकी निगाहें तो बस सफ़ेद स्लीवलेस ब्लाउज से झांकती
कड़ी गुदाज गोरी गोलाइयों पर चिपक गयी।
उनकी चोरी मैंने और मॉम दोनों ने पकड़ ली,मुश्किल से अपनी मुस्कराहट दबाई।
लगेज पकड़ते समय मॉम की दहकती उंगलियां भी उनकी उँगलियों को छू गईं तो लगा की उनकी उँगलियाँ झुलस गईं।
उनकी निगाहें भी बस ऊपर , ... वहीँ ,.. वो तो मैंने घुटनों से हलके से , ...
तो वो जैसे होश में आये और फिर झट से घबड़ा के झुक के
एकदम से उन्होंने मॉम के पैर छू लिए।
( ये चीज तो मॉम के लिए भी अनएक्सपेक्टेड थी। बहू को तो सास का पैर छूना ही पड़ता था , कहीं भी कभी भी। लेकिन एक दामाद अपनी सास के पैर छुए , वो भी भीड़ भरे प्लेटफार्म पर सबके सामने ,...
दामाद तो हाथ भी जोड़ ले तो बड़ी बात और वो तो हमेशा मॉम को तुम्हारी मम्मी ,तुम्हारी मम्मी कह के ही बोलते थे , तो उनके लिए ,... )
लेकिन मेरी मॉम ,मेरी भी मॉम थीं।
उन्होंने अपने हाथ से उनके सर को दबाते हुए झुक के फुसफुसाया ,
" अरे ठीक से छू न ,.. "
उन्होंने न सिर्फ दोनों हाथों से दोनों पाँव छुए बल्कि अपना माथा भी उनके गोरे गोरे पैरों हलके से छुला दिया ,
असल जादू डार्क स्कारलेट पेंटेड टो नेल्स का था ,
उनसे नहीं रहा गया तो उन्होंने हलके से उसे चूम भी लिया।
पर मॉम भी न उन्होंने हलके से अपनी सैंडल और उनके मुंह में पुश कर दी, और उनके बाल सहलाते हुए असीसा भी , सदा सुहागन रही और उठा के हलके से अपनी बाहों में भर लिया। कहने की बात नहीं उनके ३८ डी डी उभार हलके हलके उनकी छाती पे पुश कर रहे थे।
और इस का असर घर आते समय भी था। वो ड्राइव कर रहे थे लेकिन उन्होंने रियर व्यू मिरर इस तरह फिक्स कर रखा था सीधे पीछे से , ...
लेकिन मैं उन्ही को दोष क्यों दूँ।
पिछली सीट पर मेरी बगल में बैठी वो , कभी उनका आँचल छलक जाता तो कभी खुद गहराइयों में धंसी मोतियों की माला से वो खेलने लगतीं तो कभी,...
और मुझसे बात करते समय भी मेरी सास और ननद के बारे में खुल के एक से एक द्विअर्थी डायलॉग , ... और एक बार मॉम ने उन्हें , मिरर में चोरी चोरी उनकी गहराइयों ,गोलाइयों को घूरते देख लिया तो फिर तो ,
अपने होंठ गोल कर के अपनी जीभ गाढ़े लाल लिपस्टिक वाले होंठों पर इस तरह घुमाने लगीं जैसे फ़्लाइंग किस दे रही हों।
घर पहुँचने की मुझे जल्दी थी लेकिन मुझसे जल्दी उन लोगों को थी।
घर पहुंचते ही वो बिचारे मम्मी के बड़े बड़े भारी सूटकेस लाद कर मम्मी के कमरे में ले गए , जिसे उन्होंने बहुत प्यार और मेहनत से तैयार किया था।
और हम दोनों बिस्तर पर धम्म से बिस्तर पर बैठ कर पंचायत करने लगे।