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Adultery लघु कथा - मेरे विचार (with Pictures and Gifs)
निर्मला चाची को अपने होंठो पर मेरे होंठ महसूस होते ही उन्होंने झट से मेरे बालो में हाथ डालकर मुझे अपनी और खींच लिया और मुझे बड़ी ही जोर से चूमने लगी, मैं एक पल के लिए बौखला गया की आखिर ये क्या हो गया है निर्मला चाची को, लेकिन जैस ही उनकी जुबान मेरे होंठो को चीरते हुए मेरी मुंह में गई तब मेरा दिमाग भी एकदम से काम करना बंद करने लगा। उनकी जुबान अब मेरी जुबान के साथ कुश्ती करने लगी थी, चाची अब बिना रुके मेरे होंठो को काटने लगी और मेरे जुबान को अपने होंठो के बीच पकड़ कर उसको चूसने लगी। मेरे लिए ये सब किसी सपने से कम नहीं था। निर्मला चाची के अंदर का जानवर अब बाहर आ चुका था और उसका पहला शिकार मैं था। चाची ने मेरे होंठो को ऐसे काटा की अब मेरे निचले वाले होंठ से हलके से दबाने पर खून बहने लगा, चाची को उसकी कोई फिक्र नहीं थी और नाही मुझे कोई फिक्र थी। थोड़ी देर तक हम दोनो ने एक दूसरे को अच्छे से चूमा और फिर हमारी भूख खत्म हुई तो चाची ने मुझे अपने से दूर करते हुए जोर से हाफने लगी। थोड़ी देर में ही हम दोनो पसीने से भीग चुके थे। मैं चाची को देख रहा था, वो अपने हाथो पर से हाथ फेर रही थी और हलकी सी शर्म उसके चेहरे पे थी। उसका शर्मिला देख मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसकी गर्दन पर जोर से चूसने लगा

"आह, राजा।, रुको जरा" , चाची ने हल्की सी सिसकारी के साथ मुझ से कहा। "नही चाची, अब मुझ से रुका नहीं जा रहा, अब मैं तब तक नहीं रुकूंगा जब तक...", मैने अपनी बात पूरी नहीं की

"जब तक क्या?", चाची ने मेरे पीठ पर से हाथ फेरते हुए कहा, वो जानना चाहती थी की मैं क्या कहना चाहता हु. "जब तक, जब तक मैं आपका सपना पूरा न कर दू.", मैने अपनी बात चाची के सामने रख दी।

"कोनसा सपना? ठीक से बता मुझे तू कोन से सपने के बारे में बात कर रहा है?" , चाची अब मुझे अपने से थोडी अलग करती है और अब मैं उनके सेक्सी चेहरे को देख उनकी आंखों में आंखे डाल कर बोलता हूं, "चाची, मैं आपको मां बनाने का सपना पूरा करना चाहता हु!", मेरी बात सुन चाची के चेहरे पे एक मुस्कान सी छा जाती हैं और वो मेरे चेहरे को पकड़ कर मेरे माथे को चूमते हुए बोलती है, " मेरा राजा, तू सच में बड़ा हो गया है" चाची रोने वाली आवाज में कहती है और मेरे कानो को काटते हुए एक तरह से मुझे इजाजत दे देती है।

कुछ ही पलों में हम दोनो के जिस्मों से कपड़े उतर जाते है और मैं अब अपनी चाची के सामने पूरा नंगा खड़ा था, जब की चाची अपनी ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी। मैने उनके ब्रा पे हाथ रखा और चाची ने एक हाथ से मेरा लन्ड पकड़ लिया। मैं काफी जोश के आ गया था मेरा लन्ड पूरी तरह से सख्त हो गया था और मैं अब चाची के बड़े बड़े स्तनों को जोरो से ।मसलने के लग गया था।

"चाची, आपके ये मम्मे देख तो मेरा दिल कब से आप का दीवाना बन गया था, कई कई सालो से आपके चूचों के सपने देख मुठ मारता रहता था", मैने अपने दिल की बात अब खुलकर निर्मला चाची के सामने रख दी। चाची के लिए ये किसी शॉक से कम नहीं था। उनके नजर में मैं हमेशा एक शर्मिला लड़का था। मेरे मुंह से ये सुन उनका दिल भी जोरो से धड़कने लगा।

"अच्छा, तुम कब से मेरे बारे में ये सब सोच रहे थे, मुझे बताओ तो जरा", चाची अब मेरे लन्ड को पकड़ कर उसको अच्छे से मसलने लगी।

"आह्ह, वो वो चाची आपके बारे में मैने सब से पहले बार शायद १० वो मुठ मारी थी , आह, जब मैं एग्जाम के बाद छुट्टी के लिए यहां आया था। तब मैंने आपको छुपके से पिशाब करते देखा था।" , मैने अब अपने पुराने राज़ खोलने शुरू कर दिए। " फिर मैंने आपको बाथरूम में नहाते हुए भी देखा था, आपकी पैंटी भी सुंघी थी, उसपर मुठ भी मारी थी। और आपकी पैंटी और ब्रा चोरी करके मैं घर लेकर गया था मुठ मारने के लिए, आह्ह्ह्", मेरी बात सुनकर चाची ने मेरे लन्ड पर हलके से चुटकी काट ली।

"राजा, इसका मतलब तू था जिसने मेरी ब्रा पैंटी चुराई थी, मुझे लगा की वो मैने कही खो दी होगी इसलिए मैंने कभी उसके बारे में सोचा भी नही।", चाची को मेरे राज़ सुनकर शॉक सा लगा था।

अब मैंने चाची के ब्रा का हुक निकाल दिया और उनके बड़े चूचे अब मेरी नजरो के सामने थे, में बिना वक्त गवाए उसके चूची को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा।

"उम्म्म, उम्मम" मैं अब चाची के निप्पल को हलके से अपने दातों के बीच दबाकर उनको काटने लगा। चाची अपने होंठो को काटते हुए मेरे बालों में से हाथ फेर रही थी, साथ ही दूसरे हाथ से मेरे लन्ड को भी सहला रही थी. मैं एक बच्चे की तरह बस निर्मला चाची की बड़े स्तनों को चूसने में लग चुका था और चाची आहे भरते हुए मेरे सर को अपने चूचों पर दबा रही थी। मैंने अब वैसे ही चूचे चूसते हुए अब चाची को नीचे जमीन पर लिटा दिया और अब उनके पूरे बदन को चाटने लगा। चाची मेरी हरकते देख और उत्तेजित हो रही थी। मैने अब चाची की दोनो जांघो को चाटना शुरू कर दिया और अब मेरा ध्यान चाची की चूत पर जा चुकी थी। मैने भी अब अपनी उंगली अब उनकी चूत पर रख दी और चाची ने आहे भरते हुए अपने मुंह पर हाथ रख दिया। मैने अब धीरेसे चाची की चूत पर से उंगली फेरते हुए हलके से अपनी उंगली उनकी चूत के अंदर डाल दी।

"आह्ह्", चाची की कामुक आवाज ने मेरे जिस्म की आग को और बढ़ा दिया। चाची की चूत के अंदर की गर्मी मुझे अब अच्छे से मेहसूस हो रही थी , ऐसा लग रहा था की मैने जलते हुए कोयले की भट्टी में हाथ रख दिया हो। मैने अब अपनी उंगली अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। चाची की चूत काफी गर्म और गीली थी और मेरे कुछ देर तक उंगली करने से ही उनकी चूत का बांध टूट गया और उनकी चूत से पानी निकलने लगा। मेरे दिमाग पर अब कोई काबू नही था, मैं तुरंत अपना मुंह चाची की चूत पर रख दिया और उनका पानी निगलने लगा, ये देख चाची बोली, "आह्ह्ह्ह, राजा, ये क्या कर रहे हो? आह, ये गंदा काम है, रुको", मैने उनकी बात को अनसुना करते हुए उनकी चूत पर से अपनी जुबान फेरने लगा, काले बाल से भरी उनकी चूत की खुशबू मेरे लन्ड को और सख्त कर रही थी। मेरी जुबान को अपनी चूत पर मेहसूस करते निर्मला चाची भी आहे भरते हुए अपनी गांड़ उठाने लगी और अपनी चूत को मेरे मुंह पर दबाने लगी। थोड़ी ही देर में फिर से चाची के अंदर एक अलग सा एहसास जाग उठा और उन्होंने मेरा सर पर अपनी दोनो जांघो के बीच दबा लिया और एक तेज पानी की पिचकारी सीधे मेरे मुंह में गिर गई। वो एक बार फिर से झड़ने लगी थी। मैने भी प्यासे आशिक की तरह उनकी चूत का सारा पानी चाट चाट कर साफ कर दिया। अब चाची तेज़ सास ले रही थी और मैं अपना मुंह साफ करते हुए अब सीधे चाची के होंठो पर लन्ड रखकर बोला

"चाची, अब आपकी बारी, चलिए शुरू हो जाइए", मैं ऐट में उनके चेहरे पर अपना लन्ड रगड़ने लगा। चाची ने भी बिना देरी किए अब मेरा लन्ड अपने मुंह में भर लिया और प्यासी शेरनी की तरह उसको चूसने लगी।

"उम्म्, उम्म्म्म, आह्ह्ह्ह", चाची के मुंह से आह अलग अलग सी आवाज आने लगी। वो मेरा अपने हलक तक लें रही थी, उनके मुंह के अंदर तक अपना लन्ड डालते देख मेरा हाथ अब चाची के खुले बालो में चला गया और मैं अब उसके सर को पकड़कर अपना लन्ड उनके मुंह में दबाने लगा,

"गररर, उम्म, ऊररर" , चाची के मुंह से ये आवाजे सुन मेरे लन्ड का पानी निकलने को था, पर तभी चाची ने अपने मुंह से मेरा लन्ड निकाला और अपनी थूक से मेरे लन्ड को चिकना करने लगी।

"अभी नही राजा, अभी नही निकालना तेरा पानी, अभी तो तुझे और मेहनत करनी है, सुबह की तरह पानी नही उधेल देना," चाची मेरे लन्ड को देख बोल रही थी। पर उनकी बात सुनकर मेरा मुंह खुला रह गया

"सुबह की तरह?", मैने चाची से पूछा। मुझे मालूम नही था की चाची क्या कहना चाहती है, पर चाची ने अब मेरी तरफ कामुक अंदाज में देखते हुए मुझे जमीन पर लिटा दिया और मेरे लन्ड को सहलाते हुए अब खुद मेरे ऊपर आ गई। "राजा, जैसे तूने मुझे तेरे राज़ बताए, वैसे ही मेरा एक राज है।", चाची ने अपनी चूत मेरे लन्ड पर रख कर उसपे वो हल्के से बैठने लगी। "मैंने आज सुबह तेरे इस बदमाश के साथ मजे लिए थे। हीही! और तेरे इस बदमाश ने अपनी सारी मलाई मेरे मुंह में डाल दी और मैं बड़े प्यार से वो सारी मलाई निगल गई", चाची ने अपनी बात खत्म करते ही अपनी चूत जोर से मेरे लन्ड पर दबा दी और उनकी चूत को चीरता हुआ मेरा लन्ड अब सीधा उनकी चूत की गहराइयों में चला गया

"आह्ह्ह्ह्ह", हम दोनो एक साथ आहे भरने लगे और मैं अपने दोनो हाथ चाची की मोटी गांड़ पर रख दिए।

"हे भगवान, आह्ह्ह्ह" , चाची अपनी दोनो आंखे बंद किए अपनी चूत में मेरा गर्म लन्ड मेहसूस करने लगी। वो अब धीरे से ऊपर होकर नीचे बैठ जाती है। एक बार फिर से मेरा लन्ड चाची की गहराई में उतर जाता है।

"आह्ह्ह्ह" , मेरा लन्ड चाची की गर्म चूत में जैसे पिगल सा गया था, चाची के हरकतों के साथ ही मेरे मुंह से बस आह निकल रही थी। चाची अब मेरे सीने पे हाथ रखकर अपनी गांड़ ऊपर नीच करने लगती है और मेरा लन्ड उसकी चूत की बरसो की प्यास बुझाने में लग जाता है। मेरे सामने एक संस्कारी पत्नी, एक भोली चाची थी जो अब अपने सब नकाब फेंककर अपनी असली रूप में मेरे लन्ड पर कुद रही थी। चाची के बड़े चूचे मेरे सामने ऊपर नीचे हो रह थे, मैने उनको अपने दोनो हाथो में पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया। साथ ही मेरा ध्यान उसके मंगलसूत्र पे था, जो अब किसी काम का नही था। किसी दूसरे आदमी की पतिव्रता पत्नी को चोदने का मजा मुझे आज आ रहा था। आखिरकार फिर से चाची की चूत हार जाती है और मेरे लन्ड पर झड़ने लगती है। वो लगातार ३ बार झड़ी थी, पर उसका जोश काम नही हुआ था। झड़ने के बाद वो अब मेरे ऊपर गिर जाती है और मेरे होंठो को चूमने लगती है।

"राजा, तुम्हारा ये बदमाश तो काफी जोशीला भी है", चाची अब मेरा निप्पल पर से हाथ फेरते हुए बोलने लगती है। मेरा लन्ड अब भी उसकी चूत में ही था, मैने तुरंत चाची को जमीन पर लिटा दिया और खुद उनके ऊपर आ गया। "चाची, अब आप देखिए, मेरा ये जोशीला लन्ड कैसे आपकी चूत को पागल करता है", मैंने ऐसा कहते हुए जोर से मेरे लन्ड को चाची की चूत में पेलने लगा।

"आह, आह, आह, आह", अब हर धक्के के साथ सिसकारियां भरने लगी, मेरा अब चाची को अपनी कोख तक महसूस हो रहा था और वो अब अपनी दोनो जांघो से मुझे जखड़ लेती है। मैं चाची के चेहरे को देख रहा था, पसीने से भरा वो चेहरा मुझे और ज्यादा गर्म कर रहा था, मैने अब नीच झुक कर चाची माथे को चूमा, जिससे चाची मुझे देखने लगी। अब हम दोनो के बीच की सभी दिवारे टूट चुकी थी और मुझे अब चाची के जिस्म के साथ साथ उनका दिल भी हासिल करना था। मैने उनके आंखो में देखते हुए कहा, "चाची, मुझे आपसे बहुत प्यार है, इतना की मैं आप के साथ पूरी जिदंगी बिता सकता हु", चाची मेरी बात सुनकर हसीं और कुछ नही बोली, उन्होंने मेरे चेहरे को अपनी और खींचा और मेरे होंठो पर अपने होंठ रख कर मुझे चूमने लगी। अब मेरे लन्ड से बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मेरे टट्टे अब टाइट होने लगे और मेरी रफ्तार भी बढ़ चुकी थी। चाची ने अब मुझ जोर से जखड़ लिया और मेरे कानो में धीरे से फुसफुसाते बोली, " राजा, मेरा सपना पूरा करो। भर दो मेरी कोख तुम्हारे वीर्य से, मैं माँ बनाना चाहती हु राजा, आह, आह, बना दो मुझे तुम्हारे बच्चे की मां, आह", चाची के उन शब्दों ने मुझे पागल बना दिया और मैने जोरदार धक्कों के साथ उसको चोदना शुरू कर दिया। आखिर कार १० तगड़े धक्कों के बाद मेरे लन्ड से गर्म लावा सीधे निर्मला चाची की निर्मल चूत की गहराई में बरसने लगा, एक बार, दो बार, तीन बार, कई सारी मलाई अब सीधे चाची की बच्चे दानी को भरने लगी। मैने अब चाची की गर्दन को जोर से चूस कर वहा पर एक जख्म सा बना दिया। मैं दिखाना चाहता की अब निर्मला चाची के जिस्म का मालिक मैं हु। लन्ड से आखिरी बूंद निकल जाने के बाद में चाची से अलग होकर जमीन पर लेट गया। हम दोनो जोर से सास लेते हुए थोड़ी देर वही पर लेटे रहे। चाची को अपनी चूत से मेरा वीर्य निकलता मेहसूस हो रहा था वो, अब धीरे से बैठ गई और अपने कपड़ों को ढूंढने लगी। मैने उनको देखा और खड़ा होकर उनको अपनी बाहों में भर लिया। चाची ने भी मुस्कुराते हुए मेरे गालों को चूमा और अपनी पैंटी पहनने लगी।
"चाची, एक बार मेरे इस लन्ड को साफ कर दो ना", मैने वैसे ही नंगे खड़े होकर चाची से पूछा। चाची ने बिना वक्त गंवाए नीचे झुक कर मेरे मुरझाए लन्ड को अपने मुंह में भर कर चूसने लगी। उनके मुंह मेरे वीर्य और उनके चूत की रस का मिला जुला रस से भर गया। मेरे लन्ड को साफ करने के बाद उन्होने उस रस को निगल दिया और मेरी तरफ हंसते हुए अपने कपड़े पहनने लगी। सब कुछ हो जाने के बाद हम दोनों वापिस घर आ गए। चाचा दारू पीकर पहले से ही सो चुका था, मैने चाची को मेरे साथ मेरे रूम में सोने के लिए पूछा, पर चाची ने ना कहा और मैं सोने के लिए चला गया। लेकिन इस बार मैं पूरा नंगा बेड पर सो गया।

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RE: लघु कथा - मेरे विचार (with Pictures and Gifs) - by Silverstone93 - 28-11-2021, 06:06 PM



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