28-11-2021, 11:17 AM
देवर भौजाई
" दी आपके देवर तो पता नहीं कब उठेंगे पता नहीं सपने में अपने बहनों से कुश्ती लड़ रहे हों , चलिए हम दोनों ही नाश्ता बना लेते हैं। कल रात का कबाब अच्छा था न बहुत बचा है ,मैंने फ्रिज में रख दिया था। आप कहें तो तो उसी को गरम कर लेते हैं। "
" हाँ एकदम " वो बोलीं ,फ्रिज से निकाला भी उन्होंने और किचेन में तवे पर रखकर उन्होंने सेंकना भी शुरू कर दिया।
जो जेठानी मुझे रोज बोलती थीं ,इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता आज खुद
मटन कबाब तवे पर सेंक रही थी।
मुस्कराहट रोकते हुए मैंने दूसरे चूल्हे पर हलवा चढ़ा दिया।
लेकिन तब तक जो रोज रात बिना नागा दो साल से मेरा हलवा बना रहा था और अब अपनी सारी छिनार मायकेवालियों, माँ ,बहन ,भाभी का हलवा बनाने की तैयारी कर रहा था , वो आगया और आते ही ,
मेरा सपना पूरा ,
उन्होंने देखा की उनकी ' लहसुन प्याज भी नहीं आता ' वाली भौजाई उसी किचेन में मटन कबाब तवे पर गरम कर रही थीं। उन्होंने मुझे जबरदस्त आँख मारी , आँखों ही आँखो में हाई फाइव किया ,और पीछे से अपनी गदरायी भौजाई को दबोच लिया।
उनकी भाभी का ब्लाउज तो आलमोस्ट खुला ही था , वो चुटपुटिया बटन मैंने बंद करने ही नहीं दिया जो मैंने खोली थीं ,सिर्फ एक दो बटनों के सहारे मेरी जेठानी की भारी भारी चूँचियाँ मुश्किल से फंसी थी और उनके देवर के हाथों ने सीधे डाका डाल दिया।
अबकी न मुझे उन्हें उकसाना पड़ा न इशारा करना पड़ा , बस सीधे खुद उन्होंने और जेठानी जी भी बिना उन्हें हटाए , कुछ बोले तवे पर मजे से मटन कबाब सेंकती रही।
" गुड मॉर्निंग भौजी " उनके होंठ अब अपनी भौजाई के गालों पे सीधे चिपके।
…………………………………………………
" अभी आ रही होगी तेरी छमिया ,एलवल वाली , उससे करना गुड मॉर्निंग , ऐसे बहुत चींटे काट रहे हैं उसके बिल में " बिना छुड़ाने की कोई कोशिश करती मेरी जेठानी ने उन्हें चिढ़ाया।
जवाब में खुल के ,कस कस के उन्होंने अपनी भौजाई की गदरायी चूँचियाँ रगड़नी मसलनी शुरू कर दी। और उनका खड़ा खूंटा, शार्ट फाड़ता सीधे मेरी जेठानी के बड़े बड़े चूतड़ों की दरार के बीच ठोकर मार रहा था।
जिस 'संस्कारी घर' में अगर बेडरूम से उतरकर बिना नहाये किचेन में घुस नहीं सकती थी मैं ,जहाँ एगलेस पेस्ट्री भी इन्ही जेठानी ने फिंकवा दी थी की क्या पता और जहाँ मेरी जेठानी ने ही मुझे ज्ञान दिया था ,' वो सब ' बातें सिर्फ रात में बेडरूम में ' दिन में इस घर में बहुओं को एकदम संस्कारी ढंग से , पराये पुरुष को छोडो अपने पुरुष को भी खुल के देखने की मुंह भर बतियाने की आजादी नहीं , घूंघट ही नहीं , कोई अंग दिखना नहीं चाहिए।
और आज उसी 'संस्कारी घर ' में वही जेठानी तवे पर मटन कबाब सेंक रही थीं ,
उनके देवर खुल के ,उनके खुले ब्लाउज में हाथ डाल के अपनी भौजाई का जोबन रस लूट रहे थे और उनका साढ़े सात इंच का खूंटा एकदम उनकी भौजाई की गांड के बीच धंसा ,
तबतक मेरे सैयां की निगाह मेरे हाथ में मोबाइल पर पड़ गयी , उन्ही का मोबाइल था ,उन्होंने पहचान लिया। मैं मेसेज पढ़ रही थी ,
" हे किसका है " वो पूछ बैठे।
" तेरी प्रेमिका का , तेरे ही लिए , लो पढ़ लो। "मैंने मोबाइल उन्हें पकड़ा दिया।
तब तक जेठानी जी भी सिंके कबाब को एक प्लेट में रख रही थीं और तवा चूल्हे से हटा रही थीं।
मेसेज पढ़ते ही बिचारे वो उनकी ऐसी की तैसी ,कुछ उनके पल्ले नहीं पड़ा।
मेसेज था ,
" दी आपके देवर तो पता नहीं कब उठेंगे पता नहीं सपने में अपने बहनों से कुश्ती लड़ रहे हों , चलिए हम दोनों ही नाश्ता बना लेते हैं। कल रात का कबाब अच्छा था न बहुत बचा है ,मैंने फ्रिज में रख दिया था। आप कहें तो तो उसी को गरम कर लेते हैं। "
" हाँ एकदम " वो बोलीं ,फ्रिज से निकाला भी उन्होंने और किचेन में तवे पर रखकर उन्होंने सेंकना भी शुरू कर दिया।
जो जेठानी मुझे रोज बोलती थीं ,इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता आज खुद
मटन कबाब तवे पर सेंक रही थी।
मुस्कराहट रोकते हुए मैंने दूसरे चूल्हे पर हलवा चढ़ा दिया।
लेकिन तब तक जो रोज रात बिना नागा दो साल से मेरा हलवा बना रहा था और अब अपनी सारी छिनार मायकेवालियों, माँ ,बहन ,भाभी का हलवा बनाने की तैयारी कर रहा था , वो आगया और आते ही ,
मेरा सपना पूरा ,
उन्होंने देखा की उनकी ' लहसुन प्याज भी नहीं आता ' वाली भौजाई उसी किचेन में मटन कबाब तवे पर गरम कर रही थीं। उन्होंने मुझे जबरदस्त आँख मारी , आँखों ही आँखो में हाई फाइव किया ,और पीछे से अपनी गदरायी भौजाई को दबोच लिया।
उनकी भाभी का ब्लाउज तो आलमोस्ट खुला ही था , वो चुटपुटिया बटन मैंने बंद करने ही नहीं दिया जो मैंने खोली थीं ,सिर्फ एक दो बटनों के सहारे मेरी जेठानी की भारी भारी चूँचियाँ मुश्किल से फंसी थी और उनके देवर के हाथों ने सीधे डाका डाल दिया।
अबकी न मुझे उन्हें उकसाना पड़ा न इशारा करना पड़ा , बस सीधे खुद उन्होंने और जेठानी जी भी बिना उन्हें हटाए , कुछ बोले तवे पर मजे से मटन कबाब सेंकती रही।
" गुड मॉर्निंग भौजी " उनके होंठ अब अपनी भौजाई के गालों पे सीधे चिपके।
…………………………………………………
" अभी आ रही होगी तेरी छमिया ,एलवल वाली , उससे करना गुड मॉर्निंग , ऐसे बहुत चींटे काट रहे हैं उसके बिल में " बिना छुड़ाने की कोई कोशिश करती मेरी जेठानी ने उन्हें चिढ़ाया।
जवाब में खुल के ,कस कस के उन्होंने अपनी भौजाई की गदरायी चूँचियाँ रगड़नी मसलनी शुरू कर दी। और उनका खड़ा खूंटा, शार्ट फाड़ता सीधे मेरी जेठानी के बड़े बड़े चूतड़ों की दरार के बीच ठोकर मार रहा था।
जिस 'संस्कारी घर' में अगर बेडरूम से उतरकर बिना नहाये किचेन में घुस नहीं सकती थी मैं ,जहाँ एगलेस पेस्ट्री भी इन्ही जेठानी ने फिंकवा दी थी की क्या पता और जहाँ मेरी जेठानी ने ही मुझे ज्ञान दिया था ,' वो सब ' बातें सिर्फ रात में बेडरूम में ' दिन में इस घर में बहुओं को एकदम संस्कारी ढंग से , पराये पुरुष को छोडो अपने पुरुष को भी खुल के देखने की मुंह भर बतियाने की आजादी नहीं , घूंघट ही नहीं , कोई अंग दिखना नहीं चाहिए।
और आज उसी 'संस्कारी घर ' में वही जेठानी तवे पर मटन कबाब सेंक रही थीं ,
उनके देवर खुल के ,उनके खुले ब्लाउज में हाथ डाल के अपनी भौजाई का जोबन रस लूट रहे थे और उनका साढ़े सात इंच का खूंटा एकदम उनकी भौजाई की गांड के बीच धंसा ,
तबतक मेरे सैयां की निगाह मेरे हाथ में मोबाइल पर पड़ गयी , उन्ही का मोबाइल था ,उन्होंने पहचान लिया। मैं मेसेज पढ़ रही थी ,
" हे किसका है " वो पूछ बैठे।
" तेरी प्रेमिका का , तेरे ही लिए , लो पढ़ लो। "मैंने मोबाइल उन्हें पकड़ा दिया।
तब तक जेठानी जी भी सिंके कबाब को एक प्लेट में रख रही थीं और तवा चूल्हे से हटा रही थीं।
मेसेज पढ़ते ही बिचारे वो उनकी ऐसी की तैसी ,कुछ उनके पल्ले नहीं पड़ा।
मेसेज था ,