28-11-2021, 11:15 AM
जोरू का गुलाम -१००वां भाग
अगला दिन
जागो सोनेवालों , जागो ,
और साथ में गर्म चाय की प्याली।
आज बजाय उनके देवर के मैं उन्हें बेड टी देने आयी थी।
उनके तकिये के पास ही मेरी जेठानी का मोबाइल पड़ा था , बस क्या था मेरी उँगलियाँ तो मोबाइल को देख के ही मचल जाती थी। उनका मोबाइल मेरे हाथों में और बहुत कुछ मेरे मोबाइल से उनके मोबाइल में।
वो कुनमुना रही थीं , और मैंने सीधे उनके गाल पे हलके से पिंच किया ,
" हटो सोने दो न , " उन्होंने करवट लेने की कोशिश की।
चुट चुट , चुटपुटिया बटन चट पट उनकी ब्लाउज की खुल गयी ,एक दो तीन ,सिर्फ नीचे की एक बटन उनके कसे कसे ब्लाउज को किसी तरह सम्हाले थी
गोरी गोरी भारी भारी ३६ डी
पुच्च पुच्च ,मेरे होंठ सीधे मेरी जेठानी के होंठों पे और जबरदस्त किस्सी ,मेरा एक हाथ ब्लाउज में।
सच में गोलाइयाँ उनकी मस्त थीं ,एकदम प्रौढ़ा खेली खायी मार्का , कड़ी भी बड़ी भी।
होंठ छुड़ाते हुए मस्ती से बिना आँखे खोले वो बोलीं ,
" देख रही हूँ तुम बहुत शरारती होते जा रहे हो ,...छोड़ सुबह सुबह जूठा कर दिया। "
" दीदी आपके देवर नहीं मैं हूँ , और वो आपके देवर तो आपके नीचे वाले होंठों पर घात लगाए बैठे हैं ,आज आप की छुट्टी का आखिरी दिन और कल चलेगा मूसल रात भर इसी कमरे में घचाघच्च घचाघच्च। "
जोर से उनके बड़े बड़े मूंगफली के दानों के साइज के निपल को पिंच करते मैं बोली।
और जेठानी जी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखे पट्ट से खोल दीं।
तुम , तो आज देवर जी,आज कल तो बेड टी का काम तुमने उनके जिम्मे ,... " चौंक के मेरी जेठानी बोलीं।
" अरे दी आज कल कुछ बांटा रहता है क्या ,ख़ास कर मेरे उनके बीच में , कभी उनका काम मैं कर देती हूँ तो कभी मेरा काम वो , फिर कल रात आप के साथ गरम गरम पिक्चर देखकर गरम हो गए थे की पूरी रात , एक मिनट भी चैन नहीं लेने दिया , अभी थोड़े देर पहले ही उनकी आँख लगी थी। फिर मैंने ये भी सोचा की आज सो लें , कल की रात तो वैसे ही आप के साथ पूरी रात कबड्डी खेलनी है ,इसलिए। "
अपनी जेठानी की घुंडी घुमाते हुए मैंने किस्सा पूरा बयान कर दिया और एक बार फिर कस के सीधे लिप्स पे लिप्पी
और अबकी मेरी जेठानी ने हल्का ही सही ,रिस्पांस दिया।
और मैंने सोचा सही है बॉस इसका मतलब ये भी थोड़ी थोड़ी ही सही कन्या रस वाली ये भी हैं।
और मैंने चाय का प्याला अपनी जेठानी के सामने पेश कर दिया।
चाय का प्याला उनके हाथ में और उनका मोबाइल मेरे हाथ में ,
एक व्हाट्सएप ग्रुप उनके मायकेवालियों का था , उनकी बहने भौजाइयां और क्या खुल के एक से एक वल्गर बातें होती थीं , खुल के एकदम शादी शुदा तो छोड़िये कुंवारियां भी। और सुबह सुबह यही सवाल ,रात में कितने राउंड हुए ,
ज्वाइन करते ही इनकी भौजाई ( यानी मेरी जेठानी ) की भौजाई ने यही सवाल दाग दिया ,
" क्यों ननद रानी रात कित्ती बार ,... "
पहले सैड वाली स्माइली और फिर , अपनी जेठानी की ओर से जवाब ,मैंने भेज दिया , तुरंत
" क्या भाभी , सब आप की तरह से थोड़े ही , अरे आपके ननदोई मेरी सास को चार दिन से तीर्थ कराने गए हैं और ऊपर से वो पांच दिन वाली छुट्टी भी चल रही है "/
मैंने जेठानी को दिखाया , वो तो महाखुश और अपनी भौजाइयों से उन्होंने भी दो चार बातें कर के उन्होंने फोन मुझे वापस कर दिया।
लेकिन बारह आने का खेल तो अभी बाकी था।
मैंने उनके मोबाइल के दो चार बटन और दबाये चाय की चुस्की लेते हुए और मोबाइल उनकी ओर बढ़ा दिया
" दीदी आपके मोबाइल पर तो आपने एक से एक एक सेक्सी फोटुएं लगा रखी हैं ,अपने देवर के साथ "
एक फोटो में मेरे वो अपनी उँगलियों से उनका निपल मरोड़ रहे थे ,जेठानी का चेहरा ,निपल्स के क्लोज अप एकदम साफ़ साफ़।
दूसरी पिक्चर तो और , उनके देवर के होठ अपनी भौजाई के जोबना पर और भौजाई का हाथ अपने देवर के तने खूंटे को पकडे ,
कुल ९ फोटुएं थी और ६ उनकी सेल्फी आलमोस्ट टॉपलेस वाली
लेकिन सबसे बढ़कर एक छोटा सा एम् एम् एस भी जिसमें मेरी जेठानी अपने देवर को देवर का देवर का मतलब समझा रही थी , लिम्का में मिली वोडका का असर साफ़ साफ़ था
" देवर मतलब , जो अपनी भाभी से बार बार बोले , भाभी , दे बुर ,दे बुर। "
" तो भाभी दीजिये न , आपने कभी दिया नहीं। " उनके देवर की आवाज थी।
" तूने कभी माँगा ही नहीं , ... " खिलखिलाते हुए वो बोली।
" तो अब से मांग लेता हूँ न , भाभी दे बुर ,दे बुर। "
"अरे देवर जी अभी तो छुट्टी चल रही है बस परसों रात को छुट्टी ख़तम और फिर आप छुट्टे सांड की तरह ,... " उनकी आवाज।
" अरे ये सब क्या है डिलीट कर उसको " जेठानी की आवाज बड़ी तल्खी और बेचारगी से भरी थी।
" अरे दीदी आपका फोन है आप डिलीट कर दीजिये न " सीरियसली मैंने फोन उन्हें दे दिया।
और बेचारी उन्होंने डिलीट कर दिया एक एक ,लेकिन उससे क्या फरक ,
मैंने चेक करने के बहाने उनके फोन को लिया और फिर उन्हें वापस , अरे ये तो फिर आ गयी लगता है आपने ठीक से डिलीट नहीं किया /
बिचारि ,एक दो बार उन्होंने फिर से कोशिश किया लेकन ,
चाय हम दोनों की कब की ख़तम हो चुकी थी।
" अरे दी चिंता छोड़िये आपके व्हाट्सएप ग्रुप में डाल देती हूँ " कह के जैसे मैंने बटन की तरफ हाथ बढ़ाया बिचारि जेठानी एकदम ,... "
अरे दी मैं तो मजाक कर रही थी लीजिए अपना फोन " कह के मैंने उन्हें फोन वापस कर दिया और भोलेपन से बोली
" दी आपके देवर तो पता नहीं कब उठेंगे पता नहीं सपने में अपने बहनों से कुश्ती लड़ रहे हों , चलिए हम दोनों ही नाश्ता बना लेते हैं। कल रात का कबाब अच्छा था न बहुत बचा है ,मैंने फ्रिज में रख दिया था। आप कहें तो तो उसी को गरम कर लेते हैं। "
" हाँ एकदम " वो बोलीं ,फ्रिज से निकाला भी उन्होंने और किचेन में तवे पर रखकर उन्होंने सेंकना भी शुरू कर दिया।
जो जेठानी मुझे रोज बोलती थीं ,इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता आज खुद
मटन कबाब तवे पर सेंक रही थी।
अगला दिन
जागो सोनेवालों , जागो ,
और साथ में गर्म चाय की प्याली।
आज बजाय उनके देवर के मैं उन्हें बेड टी देने आयी थी।
उनके तकिये के पास ही मेरी जेठानी का मोबाइल पड़ा था , बस क्या था मेरी उँगलियाँ तो मोबाइल को देख के ही मचल जाती थी। उनका मोबाइल मेरे हाथों में और बहुत कुछ मेरे मोबाइल से उनके मोबाइल में।
वो कुनमुना रही थीं , और मैंने सीधे उनके गाल पे हलके से पिंच किया ,
" हटो सोने दो न , " उन्होंने करवट लेने की कोशिश की।
चुट चुट , चुटपुटिया बटन चट पट उनकी ब्लाउज की खुल गयी ,एक दो तीन ,सिर्फ नीचे की एक बटन उनके कसे कसे ब्लाउज को किसी तरह सम्हाले थी
गोरी गोरी भारी भारी ३६ डी
पुच्च पुच्च ,मेरे होंठ सीधे मेरी जेठानी के होंठों पे और जबरदस्त किस्सी ,मेरा एक हाथ ब्लाउज में।
सच में गोलाइयाँ उनकी मस्त थीं ,एकदम प्रौढ़ा खेली खायी मार्का , कड़ी भी बड़ी भी।
होंठ छुड़ाते हुए मस्ती से बिना आँखे खोले वो बोलीं ,
" देख रही हूँ तुम बहुत शरारती होते जा रहे हो ,...छोड़ सुबह सुबह जूठा कर दिया। "
" दीदी आपके देवर नहीं मैं हूँ , और वो आपके देवर तो आपके नीचे वाले होंठों पर घात लगाए बैठे हैं ,आज आप की छुट्टी का आखिरी दिन और कल चलेगा मूसल रात भर इसी कमरे में घचाघच्च घचाघच्च। "
जोर से उनके बड़े बड़े मूंगफली के दानों के साइज के निपल को पिंच करते मैं बोली।
और जेठानी जी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखे पट्ट से खोल दीं।
तुम , तो आज देवर जी,आज कल तो बेड टी का काम तुमने उनके जिम्मे ,... " चौंक के मेरी जेठानी बोलीं।
" अरे दी आज कल कुछ बांटा रहता है क्या ,ख़ास कर मेरे उनके बीच में , कभी उनका काम मैं कर देती हूँ तो कभी मेरा काम वो , फिर कल रात आप के साथ गरम गरम पिक्चर देखकर गरम हो गए थे की पूरी रात , एक मिनट भी चैन नहीं लेने दिया , अभी थोड़े देर पहले ही उनकी आँख लगी थी। फिर मैंने ये भी सोचा की आज सो लें , कल की रात तो वैसे ही आप के साथ पूरी रात कबड्डी खेलनी है ,इसलिए। "
अपनी जेठानी की घुंडी घुमाते हुए मैंने किस्सा पूरा बयान कर दिया और एक बार फिर कस के सीधे लिप्स पे लिप्पी
और अबकी मेरी जेठानी ने हल्का ही सही ,रिस्पांस दिया।
और मैंने सोचा सही है बॉस इसका मतलब ये भी थोड़ी थोड़ी ही सही कन्या रस वाली ये भी हैं।
और मैंने चाय का प्याला अपनी जेठानी के सामने पेश कर दिया।
चाय का प्याला उनके हाथ में और उनका मोबाइल मेरे हाथ में ,
एक व्हाट्सएप ग्रुप उनके मायकेवालियों का था , उनकी बहने भौजाइयां और क्या खुल के एक से एक वल्गर बातें होती थीं , खुल के एकदम शादी शुदा तो छोड़िये कुंवारियां भी। और सुबह सुबह यही सवाल ,रात में कितने राउंड हुए ,
ज्वाइन करते ही इनकी भौजाई ( यानी मेरी जेठानी ) की भौजाई ने यही सवाल दाग दिया ,
" क्यों ननद रानी रात कित्ती बार ,... "
पहले सैड वाली स्माइली और फिर , अपनी जेठानी की ओर से जवाब ,मैंने भेज दिया , तुरंत
" क्या भाभी , सब आप की तरह से थोड़े ही , अरे आपके ननदोई मेरी सास को चार दिन से तीर्थ कराने गए हैं और ऊपर से वो पांच दिन वाली छुट्टी भी चल रही है "/
मैंने जेठानी को दिखाया , वो तो महाखुश और अपनी भौजाइयों से उन्होंने भी दो चार बातें कर के उन्होंने फोन मुझे वापस कर दिया।
लेकिन बारह आने का खेल तो अभी बाकी था।
मैंने उनके मोबाइल के दो चार बटन और दबाये चाय की चुस्की लेते हुए और मोबाइल उनकी ओर बढ़ा दिया
" दीदी आपके मोबाइल पर तो आपने एक से एक एक सेक्सी फोटुएं लगा रखी हैं ,अपने देवर के साथ "
एक फोटो में मेरे वो अपनी उँगलियों से उनका निपल मरोड़ रहे थे ,जेठानी का चेहरा ,निपल्स के क्लोज अप एकदम साफ़ साफ़।
दूसरी पिक्चर तो और , उनके देवर के होठ अपनी भौजाई के जोबना पर और भौजाई का हाथ अपने देवर के तने खूंटे को पकडे ,
कुल ९ फोटुएं थी और ६ उनकी सेल्फी आलमोस्ट टॉपलेस वाली
लेकिन सबसे बढ़कर एक छोटा सा एम् एम् एस भी जिसमें मेरी जेठानी अपने देवर को देवर का देवर का मतलब समझा रही थी , लिम्का में मिली वोडका का असर साफ़ साफ़ था
" देवर मतलब , जो अपनी भाभी से बार बार बोले , भाभी , दे बुर ,दे बुर। "
" तो भाभी दीजिये न , आपने कभी दिया नहीं। " उनके देवर की आवाज थी।
" तूने कभी माँगा ही नहीं , ... " खिलखिलाते हुए वो बोली।
" तो अब से मांग लेता हूँ न , भाभी दे बुर ,दे बुर। "
"अरे देवर जी अभी तो छुट्टी चल रही है बस परसों रात को छुट्टी ख़तम और फिर आप छुट्टे सांड की तरह ,... " उनकी आवाज।
" अरे ये सब क्या है डिलीट कर उसको " जेठानी की आवाज बड़ी तल्खी और बेचारगी से भरी थी।
" अरे दीदी आपका फोन है आप डिलीट कर दीजिये न " सीरियसली मैंने फोन उन्हें दे दिया।
और बेचारी उन्होंने डिलीट कर दिया एक एक ,लेकिन उससे क्या फरक ,
मैंने चेक करने के बहाने उनके फोन को लिया और फिर उन्हें वापस , अरे ये तो फिर आ गयी लगता है आपने ठीक से डिलीट नहीं किया /
बिचारि ,एक दो बार उन्होंने फिर से कोशिश किया लेकन ,
चाय हम दोनों की कब की ख़तम हो चुकी थी।
" अरे दी चिंता छोड़िये आपके व्हाट्सएप ग्रुप में डाल देती हूँ " कह के जैसे मैंने बटन की तरफ हाथ बढ़ाया बिचारि जेठानी एकदम ,... "
अरे दी मैं तो मजाक कर रही थी लीजिए अपना फोन " कह के मैंने उन्हें फोन वापस कर दिया और भोलेपन से बोली
" दी आपके देवर तो पता नहीं कब उठेंगे पता नहीं सपने में अपने बहनों से कुश्ती लड़ रहे हों , चलिए हम दोनों ही नाश्ता बना लेते हैं। कल रात का कबाब अच्छा था न बहुत बचा है ,मैंने फ्रिज में रख दिया था। आप कहें तो तो उसी को गरम कर लेते हैं। "
" हाँ एकदम " वो बोलीं ,फ्रिज से निकाला भी उन्होंने और किचेन में तवे पर रखकर उन्होंने सेंकना भी शुरू कर दिया।
जो जेठानी मुझे रोज बोलती थीं ,इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता आज खुद
मटन कबाब तवे पर सेंक रही थी।