28-11-2021, 09:03 AM
रीत
![[Image: download.png]](https://i.ibb.co/ZTKR5ZH/download.png)
ये तो घोड़े बेचकर सो गए थे, मैं सोच सोच कर मुस्करा रही थी बीती रात इनकी इनके बहन के साथ कुश्ती लड़ने में बीती, कल की रात मेरी बहन के साथ कुश्ती लड़ने में बीतेगी, ... कल शाम तक हम का घर पहुँच जाएंगे,... मंझली का तो हाईकॉलेज का पेपर चल रहा है, परसो आखिरी पेपर है, ... और सेंटर बनारस में है तो वो तो वहीँ रहेगी, परसों शाम को आ जाएगी, ... होली के पहले,... लेकिन छोटी साली, छुटकी तो कल रहेगी ही इनकी रगड़ाई के लिए , फिर इनकी सलहज, सास. ...
इन्होने जो पेपर, बल्कि कांसेप्ट पेपर भेजा था, मैं उसी को पढ़ रही थी, एक बार तो पहले भी पढ़ चुकी थी, बस दूसरी बार, अबकी थोड़ा ज्यादा ध्यान से देख रही थी, वही कन्वर्जेंस का, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस, बिग डाटा, क्वांटम कम्प्यूटिंग, नैनो टेक्नोलोजी , और भी बहुत कुछ था,... तभी मेरा फोन घनघनाया, ... फिर दुबारा, जैसे कट जा रहा फिर दुबारा लग रहा हो, ... और जब तीसरी बार यही हुआ तो मैं समझ गयी, और कागज पटक कर, मोबाइल अपना खोल लिया,...
मैं समझ गयी ये आकशवाणी कहाँ से हो रही है, ...
रीत का मेसेज था, और वो बात करना चाहती थी, ...
बताया तो था आपको रीत के बारे में , अरे जब ये फॉरेन गए थे अपनी ट्रेनिंग में, कांफ्रेंस में एमस्टर्डम में, इन्होने फोन पर पहले तो इतना ही वहां से बताया था,
" " नाम उसका , ... हाँ , नवरीत देवल , ...एक पक्की पंजाबी जट्टन , लेकिन उसकी आवाज में एकबार मुझे बनारसी बोली की झलक मिल रही थी , ... हम लोग एक कांफ्रेंस में थे बस मैंने पूछ दिया , ... बस , एक जोर की किक , ...टेबल के नीचे से मुझे लगी ,... मेरे कुछ समझ में नहीं आया , ... मीटिंग के बाद , जब हम उठे तो मैं पैर सहला रहा था , ...
वो बोली , " ज्यादा जोर से तो नहीं लगी ,... "
मैं क्या बोलता , वो बोले लगी तो उन्हें जोर से थी , ..ऊपर से हंसती वो लड़की बोली , ... शाम को घर आना , उसने अपना ऐड्र्स दे दिया ,
उनके कुछ समझ में नहीं आया और पूछा तो जोर से डांट पड़ी ,
,
" तुम बहुत हैंडसम हो , स्मार्ट समझते हो , ज्यादा कन्फ्यूजन में मत रहो ,..सात बजे आ जाना , यहाँ तुम्हे जल्दी इंडियन फूड नहीं मिलेगा ,... "
जितने दिन वहां एम्स्टर्डम में रात का खाना उसी के यहां , ...हाँ डांट भी बहुत पड़ती थी , ... और उसने कारण भी बता दिया , ... उसका बनारस से कनेक्शन था
बस वही रिश्ता , मैं भी तो बनारस के पास के गांव की , बस उसी रिश्ते से छोटी बहन , ... और उस रिश्ते से सिर्फ उन्हें नहीं उनकी बहनों को भी खूब गाली मिलती थी लेकिन जाते थे वो क्योंकि खाना अच्छा बनाती थी और उसने ये भी बोल दिया था की आगे से कहीं उसके बनारस के कनेक्शन की बात न करे , वरना वो किक सिर्फ नमूने वाली थी , ...
एक बात और ,... उसने बोल दिया था ,...जब वो लोग उसके घर हों तो उसे सिर्फ रीत कहें वो , नवरीत देवल नहीं। हाँ बाहर सिर्फ नवरीत।
बाद में तो बहुत कुछ पता चला मेरी एक भाभी हैं बनारस की वहीँ सिगरा की, दुबे भाभी उनकी बड़ी बहन सी थीं और वो दूबे भाभी रीत की,... लेकिन अब बात को शार्ट करती हैं बस ये समझ लीजिये बनारस के रिश्ते से मैं उसकी छोटी बहन हो गयी थी और ये बस बिना गाली वो भी असली गन्दी वाली गाली के इनसे बात नहीं करती थी, ... भले ही छोटे सही, लगे तो उसके जिज्जा ही, ...
लेकिन असली बात थी उसकी दिमाग की, लोग कहते हैं की चाचा चौधरी का दिमाग कम्यूटर से भी तेज चलता है,
और रीत का हर जानने वाला कहता है , की रीत का दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज चलता है, ...
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ये तो घोड़े बेचकर सो गए थे, मैं सोच सोच कर मुस्करा रही थी बीती रात इनकी इनके बहन के साथ कुश्ती लड़ने में बीती, कल की रात मेरी बहन के साथ कुश्ती लड़ने में बीतेगी, ... कल शाम तक हम का घर पहुँच जाएंगे,... मंझली का तो हाईकॉलेज का पेपर चल रहा है, परसो आखिरी पेपर है, ... और सेंटर बनारस में है तो वो तो वहीँ रहेगी, परसों शाम को आ जाएगी, ... होली के पहले,... लेकिन छोटी साली, छुटकी तो कल रहेगी ही इनकी रगड़ाई के लिए , फिर इनकी सलहज, सास. ...
इन्होने जो पेपर, बल्कि कांसेप्ट पेपर भेजा था, मैं उसी को पढ़ रही थी, एक बार तो पहले भी पढ़ चुकी थी, बस दूसरी बार, अबकी थोड़ा ज्यादा ध्यान से देख रही थी, वही कन्वर्जेंस का, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस, बिग डाटा, क्वांटम कम्प्यूटिंग, नैनो टेक्नोलोजी , और भी बहुत कुछ था,... तभी मेरा फोन घनघनाया, ... फिर दुबारा, जैसे कट जा रहा फिर दुबारा लग रहा हो, ... और जब तीसरी बार यही हुआ तो मैं समझ गयी, और कागज पटक कर, मोबाइल अपना खोल लिया,...
मैं समझ गयी ये आकशवाणी कहाँ से हो रही है, ...
रीत का मेसेज था, और वो बात करना चाहती थी, ...
बताया तो था आपको रीत के बारे में , अरे जब ये फॉरेन गए थे अपनी ट्रेनिंग में, कांफ्रेंस में एमस्टर्डम में, इन्होने फोन पर पहले तो इतना ही वहां से बताया था,
" " नाम उसका , ... हाँ , नवरीत देवल , ...एक पक्की पंजाबी जट्टन , लेकिन उसकी आवाज में एकबार मुझे बनारसी बोली की झलक मिल रही थी , ... हम लोग एक कांफ्रेंस में थे बस मैंने पूछ दिया , ... बस , एक जोर की किक , ...टेबल के नीचे से मुझे लगी ,... मेरे कुछ समझ में नहीं आया , ... मीटिंग के बाद , जब हम उठे तो मैं पैर सहला रहा था , ...
वो बोली , " ज्यादा जोर से तो नहीं लगी ,... "
मैं क्या बोलता , वो बोले लगी तो उन्हें जोर से थी , ..ऊपर से हंसती वो लड़की बोली , ... शाम को घर आना , उसने अपना ऐड्र्स दे दिया ,
उनके कुछ समझ में नहीं आया और पूछा तो जोर से डांट पड़ी ,
,
" तुम बहुत हैंडसम हो , स्मार्ट समझते हो , ज्यादा कन्फ्यूजन में मत रहो ,..सात बजे आ जाना , यहाँ तुम्हे जल्दी इंडियन फूड नहीं मिलेगा ,... "
जितने दिन वहां एम्स्टर्डम में रात का खाना उसी के यहां , ...हाँ डांट भी बहुत पड़ती थी , ... और उसने कारण भी बता दिया , ... उसका बनारस से कनेक्शन था
बस वही रिश्ता , मैं भी तो बनारस के पास के गांव की , बस उसी रिश्ते से छोटी बहन , ... और उस रिश्ते से सिर्फ उन्हें नहीं उनकी बहनों को भी खूब गाली मिलती थी लेकिन जाते थे वो क्योंकि खाना अच्छा बनाती थी और उसने ये भी बोल दिया था की आगे से कहीं उसके बनारस के कनेक्शन की बात न करे , वरना वो किक सिर्फ नमूने वाली थी , ...
एक बात और ,... उसने बोल दिया था ,...जब वो लोग उसके घर हों तो उसे सिर्फ रीत कहें वो , नवरीत देवल नहीं। हाँ बाहर सिर्फ नवरीत।
बाद में तो बहुत कुछ पता चला मेरी एक भाभी हैं बनारस की वहीँ सिगरा की, दुबे भाभी उनकी बड़ी बहन सी थीं और वो दूबे भाभी रीत की,... लेकिन अब बात को शार्ट करती हैं बस ये समझ लीजिये बनारस के रिश्ते से मैं उसकी छोटी बहन हो गयी थी और ये बस बिना गाली वो भी असली गन्दी वाली गाली के इनसे बात नहीं करती थी, ... भले ही छोटे सही, लगे तो उसके जिज्जा ही, ...
लेकिन असली बात थी उसकी दिमाग की, लोग कहते हैं की चाचा चौधरी का दिमाग कम्यूटर से भी तेज चलता है,
और रीत का हर जानने वाला कहता है , की रीत का दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज चलता है, ...