26-11-2021, 05:33 PM
मस्ती साजन संग
उनका गन्ना चूसने में मुझे बहुत मजा आता है , खूब मोटा ,कड़ा रसीला तो है ही ,लम्बा भी कितना सीधे हलक तक , डीप थ्रोट
लेकिन जानते हैं सबसे अच्छी बात क्या हो ,
मेरा अपना है , एकदम पर्सनल ,मैं उसे चाहे चूमूँ ,चाहे चूसूं चाहे चाटूँ ,किसी को भी क्या ,
ख़ास तौर से उनके मोटे मांसल सुपाडे के पी हॉल ( पेशाब वाले छेद ) में जीभ के टिप से सुरसुरी करने में ,
जो हालत खराब होती थी उनकी ,जो तड़पन ,उनकी आँखों में जो मजा छलकता था ,वो देखने के लिए तो मैं कुछ भी।
आज भी शुरआत उन्ही शरारतों से मैंने की , जीभ की टिप से पेशाब के छेद को सहला के , वो एकदम गिनगीना गए। और फिर गप्प से पूरा सुपाड़ा अंदर।
कुछ देर चूसने चुभलाने के बाद , मैंने लंड बाहर निकाल लिया ,बेचारे वो चूतड़ उचका उचका कर ,...
कुछ देर उन्हें तड़पा कर ,मेरी जीभ तितली की तरह कभी उस मोटे गन्ने के बेस पे तो कभी बॉल्स पे तो कभी सीधे सुपाड़े ,बस छू कर हट जाती।
उनकी तपन बढ़ रही थी ,लेकिन मेरी ननद को भी तो उन्होंने बहुत तड़पाया था , हाईकॉलेज में थी तबसे उसके कच्चे टिकोरों को देख के वो ललचाते थे।
और फिर लिक ,पहले छोटी छोटी ,फिर लम्बी ,सीधे उस खूंटे के बेस से लेकर सुपाड़े तक , और एक झटके में आधा लंड गप्प।
मेरी कोमल कलाई ने भी अब उस खूंटे के बेस को पकड़ के हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया।
दूसरा हाथ उनके कोमल कोमल नितम्बों को सहला रहा था।
शरारत की शुरुआत उन्होंने ही की।
मस्ती से मेरी रसीली फांको को चूस रहे थे ,सिर्फ मैं ही नहीं मम्मी भी मानती थी उन सा चूत चटोरा दूसरा नहीं हुआ।
जिस तरह से वो अपने दोनों होठों के बीच में लेकर एक एक पुत्ती को चूसते थे , लंड भी मात ऐसी चुदाई अपनी जीभ से करते थे। जीभ की नोक जिस तरह से जी प्वाइंट ढूंढ लेती थी ,किसी भो लड़की को दो चार मिनट में झाड़ने की गारंटी ,
लेकिन आज ये सब करते करते वो पिछवाड़े पहुँच गए, उनकी उंगलिया नितम्बो को फैला के उन्होंने बीच की दरार पे रगड़ घिस्स शुरू कर दी।
और मैंने उनकी माँ बहन सब एक कर दी।
" स्साले ,भोंसड़ी के , तेरी छिनार माँ को अपने मरद से चुदवाउंगी।उसके भोंसडे में अपने मरद का मोटा लंड पेलवाउंगी , स्साले तेरी भौजाई की कोरी गांड तुझे दिलवाने का वादा क्या किया ,छिनार केजाने ,तू मेरे ही पीछे पड़ गया , "
और ये कह के गच्चाक से अपनी मंझली ऊँगली उनकी गांड के अंदर मैंने पेल दी। पूरे दो पोर तक।
उनकी जीभ जैसे हजार तितलियाँ एक साथ कभी छू दें ,कभी उड़ जाएँ ,बस उसी तरह मेरे पिछवाड़े के छेद पर ,और जो वो वहां चुम्मी लेते थे तो बस , रिमिंग में एकदम एक्सपर्ट हो गए थे वो , और मेरी तो बस जान नहीं निकलती थी बस सब कुछ हो जाता था ,
ऊपर से मेरी गालियों का असर ,और उस से भी बढ़ के उनकी नमकीन गांड में मेरी ऊँगली का ,
उन्होंने अपनी जीभ मेरे पिछवाड़े की सुरंग में ,...सिखाया तो उन्हें ये मंजू बाई ने था लेकिन अब एकदम परफेक्ट हो गए थे , जैसे कोई ऊँगली से करोचे वैसे ही उनकी जीभ गांड की अंदरूनी दीवारों पे , ...
मस्ती से मेरी हालत खराब थी।
अगर वो कुछ देर और ऐसे करते रहते तो मेरा झड़ना पक्का था ,लेकिन मेरा प्लान तो कुछ और था ,इसलिए मैंने तुरंत पोजीशन बदली ,उन्हें निहुराया और बोली ,
आँखे बंद ,...
उनका गन्ना चूसने में मुझे बहुत मजा आता है , खूब मोटा ,कड़ा रसीला तो है ही ,लम्बा भी कितना सीधे हलक तक , डीप थ्रोट
लेकिन जानते हैं सबसे अच्छी बात क्या हो ,
मेरा अपना है , एकदम पर्सनल ,मैं उसे चाहे चूमूँ ,चाहे चूसूं चाहे चाटूँ ,किसी को भी क्या ,
ख़ास तौर से उनके मोटे मांसल सुपाडे के पी हॉल ( पेशाब वाले छेद ) में जीभ के टिप से सुरसुरी करने में ,
जो हालत खराब होती थी उनकी ,जो तड़पन ,उनकी आँखों में जो मजा छलकता था ,वो देखने के लिए तो मैं कुछ भी।
आज भी शुरआत उन्ही शरारतों से मैंने की , जीभ की टिप से पेशाब के छेद को सहला के , वो एकदम गिनगीना गए। और फिर गप्प से पूरा सुपाड़ा अंदर।
कुछ देर चूसने चुभलाने के बाद , मैंने लंड बाहर निकाल लिया ,बेचारे वो चूतड़ उचका उचका कर ,...
कुछ देर उन्हें तड़पा कर ,मेरी जीभ तितली की तरह कभी उस मोटे गन्ने के बेस पे तो कभी बॉल्स पे तो कभी सीधे सुपाड़े ,बस छू कर हट जाती।
उनकी तपन बढ़ रही थी ,लेकिन मेरी ननद को भी तो उन्होंने बहुत तड़पाया था , हाईकॉलेज में थी तबसे उसके कच्चे टिकोरों को देख के वो ललचाते थे।
और फिर लिक ,पहले छोटी छोटी ,फिर लम्बी ,सीधे उस खूंटे के बेस से लेकर सुपाड़े तक , और एक झटके में आधा लंड गप्प।
मेरी कोमल कलाई ने भी अब उस खूंटे के बेस को पकड़ के हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया।
दूसरा हाथ उनके कोमल कोमल नितम्बों को सहला रहा था।
शरारत की शुरुआत उन्होंने ही की।
मस्ती से मेरी रसीली फांको को चूस रहे थे ,सिर्फ मैं ही नहीं मम्मी भी मानती थी उन सा चूत चटोरा दूसरा नहीं हुआ।
जिस तरह से वो अपने दोनों होठों के बीच में लेकर एक एक पुत्ती को चूसते थे , लंड भी मात ऐसी चुदाई अपनी जीभ से करते थे। जीभ की नोक जिस तरह से जी प्वाइंट ढूंढ लेती थी ,किसी भो लड़की को दो चार मिनट में झाड़ने की गारंटी ,
लेकिन आज ये सब करते करते वो पिछवाड़े पहुँच गए, उनकी उंगलिया नितम्बो को फैला के उन्होंने बीच की दरार पे रगड़ घिस्स शुरू कर दी।
और मैंने उनकी माँ बहन सब एक कर दी।
" स्साले ,भोंसड़ी के , तेरी छिनार माँ को अपने मरद से चुदवाउंगी।उसके भोंसडे में अपने मरद का मोटा लंड पेलवाउंगी , स्साले तेरी भौजाई की कोरी गांड तुझे दिलवाने का वादा क्या किया ,छिनार केजाने ,तू मेरे ही पीछे पड़ गया , "
और ये कह के गच्चाक से अपनी मंझली ऊँगली उनकी गांड के अंदर मैंने पेल दी। पूरे दो पोर तक।
उनकी जीभ जैसे हजार तितलियाँ एक साथ कभी छू दें ,कभी उड़ जाएँ ,बस उसी तरह मेरे पिछवाड़े के छेद पर ,और जो वो वहां चुम्मी लेते थे तो बस , रिमिंग में एकदम एक्सपर्ट हो गए थे वो , और मेरी तो बस जान नहीं निकलती थी बस सब कुछ हो जाता था ,
ऊपर से मेरी गालियों का असर ,और उस से भी बढ़ के उनकी नमकीन गांड में मेरी ऊँगली का ,
उन्होंने अपनी जीभ मेरे पिछवाड़े की सुरंग में ,...सिखाया तो उन्हें ये मंजू बाई ने था लेकिन अब एकदम परफेक्ट हो गए थे , जैसे कोई ऊँगली से करोचे वैसे ही उनकी जीभ गांड की अंदरूनी दीवारों पे , ...
मस्ती से मेरी हालत खराब थी।
अगर वो कुछ देर और ऐसे करते रहते तो मेरा झड़ना पक्का था ,लेकिन मेरा प्लान तो कुछ और था ,इसलिए मैंने तुरंत पोजीशन बदली ,उन्हें निहुराया और बोली ,
आँखे बंद ,...