23-11-2021, 12:37 PM
मैंने उसके दोनों हाथों को साईड में रखी टेबल पर जमा दिए और बोला कि अब थोड़ा झुक जाओं. मैंने उन्हें डॉगी स्टाईल में खड़ा कर दिया और पीछे से उनके दोनों मुम्मे को पकड़कर मसल डाला और अपना लंड उनकी दोनों जांघो के बीच में डालकर से अपने लंड को उनकी चूत पर थोड़ा रगड़ा और उसे गर्म किया||
थोड़ी देर के बाद मैंने अपना पूरा लंड एक ही झटके में अंदर डाल दिया. अब मेरे हाथ उनके मुम्मे को मसल रहे थे और उनके निप्पल को पकड़कर खींच रहा था. अब इस स्टाईल में उन्हें दोनों तरफ से इतना मज़ा आ रहा था कि वो आहह, ऊहह, ऊऊऊफफफफफफफफफ्फ़ करती जा रही थी और बोल रही थी कि करते रहिए रुकिये नहीं. अब मेरा लंड उनकी चूत में मशीन की तरह चला गया था और फिट हो गया था. इससे उन्हें बहुत दर्द हो रहा था और मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था||
मैंने उनसे कहा कि अब मेरे मैं घोड़े कि ताकत देखो, तुम्हें घोड़ी की तरह चोदूंगा. मैंने अपनी पोज़िशन लिए उनके मुम्मे को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्का देने लगा. अब वो भी अपनी गांड को पीछे कर करके मेरा पूरा लंड खाना चाहती थी. अब में भी ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा था और अब मुझे उनके गोल- गोल चूतड़ों को धक्के देने में मज़ा आ रहा था||
अब वो बोल रही थी कि चल मेरे घोड़े फटाफट और ज़ोर से और जोर से आज तेरी दिव्या मस्त हो गयी है, रवि आज मान गयी तुझको, आज तक इतना मजा कभी नहीं आया. अब मेरा वक़्त आ गया था कि अब में कभी भी अपना पानी छोड़ सकता था और अब वो भी झड़ने वाली थी. मैंने उसकी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर धक्के देना चालू किया और अब वो भी काफ़ी खुश व चिल्ला भी रही थी, आआआआआहह और ज़ोर से धक्का मारो, मेरी चूत फाड़ दो और हम दोनों एक साथ झड़ गये और हम धीरे-धीरे अलग हुए और मैंने उनके साथ थोड़ी इधर-उधर की बातें की||
मैंने पूछा तो उनसे उनको कैसा लगा? और बोला कि अच्छा एक नयी स्टाईल और है करवाना चाहोगी? तो वो बोली कि क्या? जल्दी बोलो, जो करना है जैसे करना है बस करते जाओ, कुछ मत पूछो मेरे रवि . मैंने कहा कि क्या में तुम्हारे मुम्मे को चोद सकता हूँ? तो वो बोली कि कैसे? तो मैंने उन्हें बताया कि में तुम्हारे मुम्मे को पकड़कर उसे भींच दूँगा और उसमें अपना घोड़े जैसा लंड घुसाकर तुम्हारे मुम्मे को की चुदाई करूँगा||
मैंने उन्हें बताया कि मेरे लंड के आगे पीछे होने से तुम्हारे निप्पल और मुम्मे दोनों को मज़ा आएगा, तो वो बोली कि ठीक है, चलो आजमाते है. मैंने उसे सोफे पर लेटा दिया और उनकी कमर तक आ गया और उन्हें अपने मुम्मे को अपने दोनों हाथों से दबाकर उनके दोनों मुम्मे को जोर से भींच दिया. मैंने उनके बीच में से अपने लंड के लिए जगह बनाई और उसमें डालकर अंदर बाहर किया. अब उन्हें पहले तो ज्यादा मज़ा नहीं आया, लेकिन बाद में उनकी निप्पल धीरे-धीरे कड़क हो गयी||
अब में ज़ोर-ज़ोर से उनके मुम्मे को चोदने लगा था और उनके मुम्मे को और जोर-जोर से दबाने लगा था, तो उन्हें बहुत मजा आने लगा. अब बीच-बीच में मेरा लंड उनके होंठो को भी छू लेता था. अब उन्हें चूचियों की चुदाई का मज़ा आ गया था और उन्होने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी||
अब में उनके निप्पल मसल रहा था और अपने एक हाथ से उनकी चूत को मसल रहा था. अब वो भी बुरी तरह खुश हो गयी थी. मैंने अपना लंड उनके मुँह से बाहर निकाला, क्योंकि अब में झड़ने वाला था और मैंने अपने लंड का फव्वारा उनके मुम्मे पर ही छोड़ दिया और मुझे इससे इतना मज़ा आया कि क्या बताऊँ?
में उन्हें अपने से लिपटाकर अपनी गोदी में बैठा लिया और मेरा लम्बा लंड उनकी दोनों गांड के बीच में डालकर पीछे से उनको किस करता, उन्हें सहलाता, उनके मोटे मोटे मुम्मे दबाता और उनकी चूत, गांड सबको चूमता, चाटता, उंगली करता हुआ उनसे बात करता रहा और अब में उन्हें छोड़ना नहीं चाह रहा था. में और वो इसी पोज़िशन में सोफे पर जाकर एक दूसरे पर लेट गये और चुम्मा चाटी करने लगे. अब मुझे मानो आज जन्नत और उसमें हूर की परी मिल गयी थी और उन्हें उसका नज़ारा देखने को मिल गया था||
हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में आ गिरे और बिस्तर पर लेट गये. अब में नीचे और वो ऊपर थी और मैंने उन्हें अपनी बाँहों में भर लिया और उन्हें किस करने लगा. वो बोली कि ऐसी शानदार मस्ती मुझे आज तक नहीं मिली थी. मैंने कहा कि मेरी जान तुम जब मौका दोगी तो इससे भी जोरदार स्टाईल में करूँगा कि तुम सोचती रह जाओगी, आज से तुम मेरी हो गयी हो ना, अब तुम जब भी बुलाओगी तो में हाज़िर हो जाऊंगा मेरी जान और मैंने एक ज़ोर का चुम्मा लिया और उसकी जीभ भी चूस ली||
थोड़ी देर के बाद हम दोनों उठे और अपने-अपने कपड़े बदल लिए और बोले कि जब भी मौका मिलेगा, हम दोनों इस तरह के मज़े लूटते रहेंगे और खूब मस्ती करेंगे||
~~~ समाप्त ~~~
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा|||
आपके जवाब के इंतेज़ार में|||
आपका अपना
डॉक्टर मस्तराम // "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर)
At raviram69 at rediffmail dot com / suneeelpandit at gm ail dotcom
(दोस्तों, यह कहानी मैंने दूसरी साईट पर लिखी थी, एक अलग नाम से )
थोड़ी देर के बाद मैंने अपना पूरा लंड एक ही झटके में अंदर डाल दिया. अब मेरे हाथ उनके मुम्मे को मसल रहे थे और उनके निप्पल को पकड़कर खींच रहा था. अब इस स्टाईल में उन्हें दोनों तरफ से इतना मज़ा आ रहा था कि वो आहह, ऊहह, ऊऊऊफफफफफफफफफ्फ़ करती जा रही थी और बोल रही थी कि करते रहिए रुकिये नहीं. अब मेरा लंड उनकी चूत में मशीन की तरह चला गया था और फिट हो गया था. इससे उन्हें बहुत दर्द हो रहा था और मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था||
मैंने उनसे कहा कि अब मेरे मैं घोड़े कि ताकत देखो, तुम्हें घोड़ी की तरह चोदूंगा. मैंने अपनी पोज़िशन लिए उनके मुम्मे को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्का देने लगा. अब वो भी अपनी गांड को पीछे कर करके मेरा पूरा लंड खाना चाहती थी. अब में भी ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा था और अब मुझे उनके गोल- गोल चूतड़ों को धक्के देने में मज़ा आ रहा था||
अब वो बोल रही थी कि चल मेरे घोड़े फटाफट और ज़ोर से और जोर से आज तेरी दिव्या मस्त हो गयी है, रवि आज मान गयी तुझको, आज तक इतना मजा कभी नहीं आया. अब मेरा वक़्त आ गया था कि अब में कभी भी अपना पानी छोड़ सकता था और अब वो भी झड़ने वाली थी. मैंने उसकी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर धक्के देना चालू किया और अब वो भी काफ़ी खुश व चिल्ला भी रही थी, आआआआआहह और ज़ोर से धक्का मारो, मेरी चूत फाड़ दो और हम दोनों एक साथ झड़ गये और हम धीरे-धीरे अलग हुए और मैंने उनके साथ थोड़ी इधर-उधर की बातें की||
मैंने पूछा तो उनसे उनको कैसा लगा? और बोला कि अच्छा एक नयी स्टाईल और है करवाना चाहोगी? तो वो बोली कि क्या? जल्दी बोलो, जो करना है जैसे करना है बस करते जाओ, कुछ मत पूछो मेरे रवि . मैंने कहा कि क्या में तुम्हारे मुम्मे को चोद सकता हूँ? तो वो बोली कि कैसे? तो मैंने उन्हें बताया कि में तुम्हारे मुम्मे को पकड़कर उसे भींच दूँगा और उसमें अपना घोड़े जैसा लंड घुसाकर तुम्हारे मुम्मे को की चुदाई करूँगा||
मैंने उन्हें बताया कि मेरे लंड के आगे पीछे होने से तुम्हारे निप्पल और मुम्मे दोनों को मज़ा आएगा, तो वो बोली कि ठीक है, चलो आजमाते है. मैंने उसे सोफे पर लेटा दिया और उनकी कमर तक आ गया और उन्हें अपने मुम्मे को अपने दोनों हाथों से दबाकर उनके दोनों मुम्मे को जोर से भींच दिया. मैंने उनके बीच में से अपने लंड के लिए जगह बनाई और उसमें डालकर अंदर बाहर किया. अब उन्हें पहले तो ज्यादा मज़ा नहीं आया, लेकिन बाद में उनकी निप्पल धीरे-धीरे कड़क हो गयी||
अब में ज़ोर-ज़ोर से उनके मुम्मे को चोदने लगा था और उनके मुम्मे को और जोर-जोर से दबाने लगा था, तो उन्हें बहुत मजा आने लगा. अब बीच-बीच में मेरा लंड उनके होंठो को भी छू लेता था. अब उन्हें चूचियों की चुदाई का मज़ा आ गया था और उन्होने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी||
अब में उनके निप्पल मसल रहा था और अपने एक हाथ से उनकी चूत को मसल रहा था. अब वो भी बुरी तरह खुश हो गयी थी. मैंने अपना लंड उनके मुँह से बाहर निकाला, क्योंकि अब में झड़ने वाला था और मैंने अपने लंड का फव्वारा उनके मुम्मे पर ही छोड़ दिया और मुझे इससे इतना मज़ा आया कि क्या बताऊँ?
में उन्हें अपने से लिपटाकर अपनी गोदी में बैठा लिया और मेरा लम्बा लंड उनकी दोनों गांड के बीच में डालकर पीछे से उनको किस करता, उन्हें सहलाता, उनके मोटे मोटे मुम्मे दबाता और उनकी चूत, गांड सबको चूमता, चाटता, उंगली करता हुआ उनसे बात करता रहा और अब में उन्हें छोड़ना नहीं चाह रहा था. में और वो इसी पोज़िशन में सोफे पर जाकर एक दूसरे पर लेट गये और चुम्मा चाटी करने लगे. अब मुझे मानो आज जन्नत और उसमें हूर की परी मिल गयी थी और उन्हें उसका नज़ारा देखने को मिल गया था||
हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में आ गिरे और बिस्तर पर लेट गये. अब में नीचे और वो ऊपर थी और मैंने उन्हें अपनी बाँहों में भर लिया और उन्हें किस करने लगा. वो बोली कि ऐसी शानदार मस्ती मुझे आज तक नहीं मिली थी. मैंने कहा कि मेरी जान तुम जब मौका दोगी तो इससे भी जोरदार स्टाईल में करूँगा कि तुम सोचती रह जाओगी, आज से तुम मेरी हो गयी हो ना, अब तुम जब भी बुलाओगी तो में हाज़िर हो जाऊंगा मेरी जान और मैंने एक ज़ोर का चुम्मा लिया और उसकी जीभ भी चूस ली||
थोड़ी देर के बाद हम दोनों उठे और अपने-अपने कपड़े बदल लिए और बोले कि जब भी मौका मिलेगा, हम दोनों इस तरह के मज़े लूटते रहेंगे और खूब मस्ती करेंगे||
~~~ समाप्त ~~~
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा|||
आपके जवाब के इंतेज़ार में|||
आपका अपना
डॉक्टर मस्तराम // "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर)
At raviram69 at rediffmail dot com / suneeelpandit at gm ail dotcom
(दोस्तों, यह कहानी मैंने दूसरी साईट पर लिखी थी, एक अलग नाम से )
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!