29-04-2019, 10:37 PM
मैं दीदी के शर्ट का बटन खोलने लगा और दीदी की चूचियों को आजाद कर दिया. बड़े बड़े तरबूज के जैसी चूचियां थी. जिसे मैंने खूब दबाया और चूसा..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.