29-04-2019, 10:26 PM
मैंने दीदी को किश किया और उनकी बड़ी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा… दीदी की मुंह से आहे निकलने लगी. एक तरफ दारू का नशा और दूसरी तरफ जवानी की आग, दीदी का भी कण्ट्रोल ख़तम हो रहा था…
दीदी: उईईईईई भाई… मत कर ऐसा… मुझे कुछ हो रहा है
मैं: दीदी बस आप मजा लो…. आज आपको मैं पूरा रिलैक्स कर दूंगा
दीदी: अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह यहाँ मत कर … चल घर चलते है…
मैं: ठीक है दीदी
दीदी: उईईईईई भाई… मत कर ऐसा… मुझे कुछ हो रहा है
मैं: दीदी बस आप मजा लो…. आज आपको मैं पूरा रिलैक्स कर दूंगा
दीदी: अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह यहाँ मत कर … चल घर चलते है…
मैं: ठीक है दीदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.