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Non-erotic कहानी में, जो लड़की होती है
#37
और बाल बिखरे हुए इसी तरह बोलती-चिल्लाती कभी वह घर की छत पर पहुँच जाती और कभी बाहर निकलकर घर के आसपास चक्कर काटने लगती। उसने दो-एक बार होंठों पर हाथ रखकर निर्मला का मुँह बन्द करना चाहा, तो वह और भी ज़ोर से चिल्लाने लगी, “तुम मेरा मुँह बन्द करना चाहते हो? मेरा गला घोटना चाहते हो? मुझे मारना चाहते हो? तुम्हें पता है मैं देवी हूँ? मेरे चारों भाई चार शेर हैं! वे तुम्हें नोच-नोचकर खा जाएँगे। उन्हें पता है उसकी बहन देवी है। कोई मेरा बुरा चाहेगा, तो वे उसे उठाकर ले जाएँगे और काल-कोठरी में बन्द कर देंगे। मेरे बड़े भाई ने अभी-अभी नई कार ली है। मैं उसे चिट्‌ठी लिख दूँ, तो वह भी कार लेकर आ जाएगा, और हाथ-पैर बाँधकर तुम्हें कार में डालकर ले जाएगा। छ: महीने बन्द रखेगा, फिर छोड़ेगा। तुम्हें पता नहीं वे चारों के चारों शेर कितने ज़ालिम हैं? वे राक्षस हैं, राक्षस। आदमी की बोटी-बोटी काट दें और किसी को पता भी न चले। मगर मैं उन्हें नहीं बुलाऊँगी। मैं सती स्त्री हूँ, इसलिए अपने सत्य से ही अपनी रक्षा करूँगी...!”

सब कोशिशों से हारकर वह थका हुआ अपने पढऩे के कमरे में बन्द होकर पड़ जाता, तो भी आधी रात तक वह साथ के कमरे में उसी तरह बोलती रहती। फिर बोलते-बोलते अचानक चुप कर जाती और थोड़ी देर बाद उसका दरवाज़ा खटखटाने लगती।

“क्या बात है?” वह कहता।

“इस कमरे में मेरी साँस रुक रही है,” निर्मला जवाब देती, “दरवाज़ा खोलो, मुझे अस्पताल जाना है!”

“इस समय सो जाओ,” वह कहता, “सुबह तुम जहाँ कहोगी, वहाँ ले चलूँगा।”

“मैं कहती हूँ दरवाज़ा खोलो, मुझे अस्पताल जाना है,” और वह ज़ोर-ज़ोर से धक्के देकर दरवाज़ा तोडऩे लगती।

वह दरवाज़ा खोल देता, तो वह हँसती हुई उसके सामने आ जाती।

“तुम्हें हँसी किस बात की आ रही है?” वह कहता।

“तुम्हें लगता है मैं हँस रही हूँ?” निर्मला और भी ज़ोर से हँसने लगती, “यह हँसी नहीं, रोना है रोना।”

“तुम अस्पताल चलना चाहती हो?”

“क्यों?”

“अभी तुम कह रही थीं...!”

“मैं अस्पताल जाने के लिए कहाँ कह रही थी? मैं तो कह रही थी कि मुझे उस कमरे में डर लगता है, मैं यहाँ तुम्हारे पास सोऊँगी।”

“देखो निर्मला, इस समय मेरा मन ठीक नहीं है। तुम बाद में चाहे मेरे पास आ जाना, मगर इस समय थोड़ी देर...।”

“मैं कहती हूँ मैं अकेली उस कमरे में नहीं सो सकती। मेरे जैसी छोटी-सी बच्ची क्या कभी अकेली सो सकती है?”

“तुम छोटी बच्ची नहीं हो, निर्मला!”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कहानी में, जो लड़की होती है - by neerathemall - 29-04-2019, 09:10 PM



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