29-04-2019, 09:02 PM
आपके दोस्त को किसी लडक़ी की नहीं, माँ की गोद की जरूरत थी। भीतर जाइए, वह सो रहा है। इतना कहते ही वह मुझसे नजरें चुराने लगती है।
मैं भीतर लपकता हूं। टीपू सोया हुआ है और लडक़ी उसे कंधों तक चादर ओढा गयी है। मैं कमरे की पीली रोशनी में उसका चेहरा नजदीक से देखता हूं। उसके चेहरे पर तृप्ति का वही भाव है, जो माँ का दूध पीने के बाद शिशु के चेहरे पर होता है।
मेरी पहुंचने के सामने आंटी का तुनक भरा चेहरा आ जाता है।
मैं भीतर लपकता हूं। टीपू सोया हुआ है और लडक़ी उसे कंधों तक चादर ओढा गयी है। मैं कमरे की पीली रोशनी में उसका चेहरा नजदीक से देखता हूं। उसके चेहरे पर तृप्ति का वही भाव है, जो माँ का दूध पीने के बाद शिशु के चेहरे पर होता है।
मेरी पहुंचने के सामने आंटी का तुनक भरा चेहरा आ जाता है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.