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Non-erotic कहानी में, जो लड़की होती है
#26
लगभग 10 मिनट बाद हम टैक्सी से उतरते हैं। टीपू अभी भी लडख़डा रहा है। लडक़ी एक पुरानी-सी इमारत की तीसरी मंजिल पर ले आयी है और डोर बेल दबाकर दरवाजा खुलने का इन्तजार करती है। लडक़ी को फिर कनखियों से देखता हूं। यह लडक़ी कॉलगर्ल कतई नहीं लगती। मैं कल्पना करता हूं - अगर यही लडक़ी मेरठ में होती और खुद को इस धंधे में नहीं डालती तो अच्छी-अच्छी लडक़ियां इसके आगे पानी भरतीं। मैं जितना सोचता हूं, उतना ही परेशान होता हूं। मैं इस दलदल में कहां आ फंसा! किसी को पता चले कि मनीश बम्बई में कोठे पर गया था तो क्या सोचे! तभी एक बूढी औरत ने दरवाजा खोला है। हमें देखते ही दरवाजा खुला छोडक़र भीतर चली गई है। साधारण-सा ड्राइंगरूम, लेकिन साफ-सुथरा। मेज पर कुछ पत्रिकाएं। लडक़ी हमें वहीं बैठने को कह कर भीतर चली गई है।
थोडी देर में जब वह लौटती है तो वह गाउन पहने है। परदे के पीछे खडे होकर उसने मुझे आमंत्रित किया है। यह आमंत्रण बिलकुल ठंडा है। मैं सकपका गया हूं। इसके लिए कतई तैयार नहीं हूं। मैं सिर हिलाकर मना करता हूं। कुछ कह ही न पाया। तभी टीपू मेरा हाथ पकडक़र पहले भीतर जाने के लिए मुझसे आग्रह करने लगा है। मैं मना करता हूं। और टीपू को ही खडा करके भीतर भेज देताहूं। उसके शरीर का तनाव कम हो गया है पर नशा अभी भी बरकरार है। दरवाजा बन्द कर दिया गया है और परदा फिर अपनी जगह आ गया है। मेरा नशा उड चुका है। दिमाग शून्य हो गया है। मुझे कतई गुमान न था कि इतनी खुशनुमा शाम का अन्त इस तरह से होगा और एक सोलह-सत्रह साल का मासूम और अपाहिज लडक़ा मुझे इस तरह यहां ले आएगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कहानी में, जो लड़की होती है - by neerathemall - 29-04-2019, 09:01 PM



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