Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Non-erotic कहानी में, जो लड़की होती है
#21
अभी मुश्किल से मैंने सडक़ पार ही की थी कि एक तेज बौछार ने मुझे पूरी तरह भिगो दिया। लोगों ने फटाफट अपने फोल्डिंग छाते खोल लिये। मुझे आस-पास कोई ऐसी जगह नजर नहीं आई जहां शरण ले सकता। ऊपर वापस जाने का कतई मूड न था। नतीजतन भगता हुआ बस-स्टाप की तरफ ही चलता रहा। मूड और खराब हो गया था। अब घूमने की भी कोई तुक नहीं थी। तुक तो मुझे पहले ही नजर नहीं आ रही थी क्योंकि मुझे यहां जगहों के सिर्फ नाम ही मालूम थे, उनकी दिशा या दूरी का कोई अन्दाज नहीं था।किसी से कुछ भी पूछना बेकार लगा। बस-स्टाप से पैदल चल पडा। यूं ही काफी देर तक भटकता और भीगता रहा। भीगना मुझे अच्छा लगता है, लेकिन आज भीगने से मूड और भी बिगडता चला जा रहा था। तभी कोलाबा वाली सडक़ पर एक अच्छा-सा बार दिखाई दिया। मुझे इस वक्त अपना अकेलापन काटने का इससे अच्छा कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया। बीयर बार में जा घुसा। बीयर पीते हुए मुझे हमेशा इस बात का अहसास होता रहता है कि आसपास कोई है जिससे मैं अपने मन की बातें कह रहा हूं। हालांकि मैं उस समय बातें खुद से ही करता हूं। जो बात किसी से कहने को बेचैन हो रहा होता हूं, किसी के सामने मन की भडास निकालना चाहता हूं तो खुद से बातें करके बहुत सुकून पाता हूं। इस वक्त भी मुझे सुकून की जरूरत थी।
बीयर के दो घूंट भरते ही मैं अन्तर्मुखी हो गया। मेरे भीतर की सारी सुगबुगाहट बुलबुलों के साथ ऊपर आने लगी। फिर से सारी चीजें दिमाग पर हावी होने लगीं। खुद पर गुस्सा आने लगा - क्यों ठहरा मैं खन्ना अंकल के घर पर। बाऊजी को कम-से-कम एक बार तो सोच लेना चाहिए था कि इन पंद्रह-बीस सालों में उनका दोस्त कितना बदल चुका होगा। ठीक है उनकी खतो-किताबत होती रहती है, लेकिन वह अलग बात है, और फिर मुझे इस बात से क्या मतलब कि खन्ना पर बाउजी के कितने अहसान हैं या दोनों बचपन के दोस्त हैं और दोनों ने मुफलिसी के दिन एक साथ काटे हैं। बाउजी किस तरह अपनी और खन्ना की दोस्ती के चर्चे किए जा रहे थे। अब मैं अगर बाउजी को बताऊं कि जिस दोस्त की उन्होंने अपने बच्चों का पेट काट कर मदद की थी, यहां तक कि एक बार हम बच्चों के लिए दीवाली पर पटाखे न खरीदकर उनके लिए बम्बई टिकट तक जुटाया था, वह आज इतना बडा आदमी हो गया है कि उसके पास उसी दोस्त के लडक़े के लिए जरा-सा भी वक्त नहीं। गर्मजोशी तो दूर, ढंग से बात करने तक की जरूरत ही नहीं समझी गयी। ये बातें सुनकर उन्हें कैसा लगेगा !
मैं बीयर पीते-पीते दुखी हो रहा था। सुबह से आया हुआ हूं और कोई बात तक नहीं कर रहा। आने पर ड्राइंग रूम में चाय पीते हुए जो दो-एक बातें हुई थीं, बाऊजी के हालचाल पूछे गए थे, उसके बाद तो मुझे जो गेस्ट रूम में पहुंचा दिया गया है, तब से वहीं घिरा बैठा था। अब बाहर निकला हूं। यहां तक कि मेरा नाश्ता और खाना भी रूबी वहीं गेस्ट रूम में पहुंचा गई थी।बीयर अपना काम कर रही थी। मैं कुढ रहा था और सभी को दोषी मान रहा था। मुझे माँ पर भी गुस्सा आ रहा था, क्यों उसने इतनी मेहनत करके खाने का सामान बना कर दिया है खन्ना के बच्चों के लिए। उसे पता तो चले कि बम्बई के बच्चे ये सब चीजें नहीं खाते। पता नहीं क्या खाते हैं ! आंटी हलवे पकवानों का डिब्बा देखते ही किस तरह मुंह बनाकर बोली थीं - क्या जरूरत थी इतना सब भेजने की? यहां तो ये सब कोई नहीं खाता। रूबी ये तुम ले जाना अपने घर, और मैं अवाक रह गया था ! माँ ने कितनी मेहनत से यह बनाया था।कितने घंटे मेहनत करती रही थी बेचारी और बाऊजी भी तो जिद किए जा रहे थे, खन्ना को ये पसन्द है, वो पसन्द है। पता नहीं बम्बई में उसे ये खाने को मिलते होंगे या नहीं! देख लें न यहां आकर ! और रितु को देखो, क्या नखरे हैं! मंजू ने इतना शानदार कार्डीगन बनाकर दिया और वो किस तरह मुंह बनाकर बोली - मुझे नहीं पहनना ये सडा हुआ कार्डीगन।और वह स्वेटर वहीं पटककर अपने कुत्ते को गोद में लिए अपने कमरे की ओर चली गई थी। सच, उस समय तो मेरा खून ही खौल गया था। मन हुआ था कि अभी अटैची उठाकर चल दूं कहीं और। साला यह भी कोई तरीका है बात करने का! माना तुम लोग रईस हो गए हो। ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में ब्लैक की कमाई करके बीस-तीस लाख के आदमी हो गए हो लेकिन इसका ये तो कोई मतलब नहीं है कि दूसरों की इस तरह इज्जत उतार लो। अभी तो मुझे आए हुए कुल आधा घंटा ही हुआ था और किस तरह से यहां से मोहभंग हो गया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.


Messages In This Thread
RE: कहानी में, जो लड़की होती है - by neerathemall - 29-04-2019, 08:58 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)