22-11-2021, 10:29 AM
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दो-दो चुतो का स्वाद लेने के बाद लंड महोदय तो बड़े खुश थे, लेकिन मुझे कुच्छ थकान सी होने लगी,
सो चाय पीकर मे सो गया… और सीधा शाम को 5 बजे ही उठा…
उठकर आँगन में पहुँचा तो वहाँ भाभी रूचि के साथ खेल रही थी, दीदी भी उनके साथ शामिल थी..
रूचि अब चलने और बोलने लगी थी… वो कभी-2 ऐसी बातें करती कि हम सब हँसते-हँसते लॉट पॉट हो जाते…
मुझे देखते ही रूचि चिल्लाई – चाचू आ गये.. मे तो चाचू के साथ ही खेलूँगी..
और अपने छ्होटे-2 पैरों पर भागती हुई मेरी तरफ आई, मेने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया…
उसके गाल पर एक पप्पी करके बोला – अले मेला प्याला बच्चा… चाचू के साथ खेलेगा…?
रूचि – हां चाचू..! मम्मी और बुआ तो मुझे चिढ़ाती हैं.. अब इन दोनो के पास कभी नही जाउन्गा…
भाभी बोली – अच्छा चाचा की चमची.. हमारी शिकायत करती है… ठहर, अभी तुझे बताती हूँ..
भाभी जैसे ही उसकी तरफ थप्पड़ दिखा कर आई, मे उसे लेकर घूम गया, और वो उन्हें अंगूठा दिखा कर चिढ़ाने लगी…
ऐसे ही बच्ची के साथ थोड़ा खेलने के बाद भाभी मेरे से बोली - क्या बात है लल्लाजी… आज तो बहुत सोए…!
दीदी की तरफ देखते हुए बोली - कुच्छ महंत वाला काम किया था क्या..?
दीदी ने शर्म से अपनी गर्दन नीची कर ली.. मेने कहा नही भाभी बस ऐसे ही कॉलेज में थोड़ा इधर-से उधर ज़्यादा भाग दौड़ रही सो थोड़ी थकान सी हो गयी थी…
लगता है.. कसरत में ढील दे दी है तुमने, आलसी होते जा रहे हो.... अब कुच्छ टाइट रखना पड़ेगा… और कहकर वो हँसने लगी…
दीदी ने हम सबके लिए चाय बनाई, चाय पीकर मे रूचि के साथ खेलता हुआ खेतों की तरफ निकल गया…!
रात को सोने से पहले भाभी ने मुझे इशारा कर दिया, तो दीदी के सोने को जाने के बाद मे उनके कमरे में चला गया…
वो एक लाल रंग का वन पीस गाउन पहने लेटी हुई थी, मुझे देख कर वो पलंग के सिरहाने के साथ टेक लगा कर कुच्छ इस तरह बैठ गयी..
और बोली – आओ लल्लाजी.. तुमसे कुच्छ बातें करनी थी…
मेने अंदर से गेट लॉक किया, और उनके बगल में टेक लेकर बैठ गया..!
भाभी मेरे हाथ को अपने हाथों के बीच लेकर बोली – लल्ला जी, मुझे पता है आज तुमने और रामा ने फिरसे मस्ती की, है ना !
मे – हां भाभी सॉरी ! वो दीदी ने मुझे जबर्जस्ती पकड़ लिया… मे क्या करता..
वो – अरे कोई बात नही… मे कोई तुमसे नाराज़ थोड़ी ना हूँ, बस ये देखना चाह रही थी कि तुम मुझसे क्या-क्या छुपाते हो…!
वैसे यही बात छुपाई है या और कुच्छ भी है…
मे – वो मे..वो.. भाभी… आशा दीदी ने भी मुझे कॉलेज से आते वक़्त अपने घर रोक लिया… और उन्होने… भी……..
वो – क्या ? आशा को भी ठोक दिया तुमने..हहहे…. एक नंबर के चोदुपीर होते जा रहे हो लल्ला… लगाम कसनी पड़ेगी.. तुम्हारी…..हहहे…
वैसे वो कुँवारी थी या… फिर..
मे – एक तरह से कुँवारी ही थी, इसके पहले उसके मामा के लड़के ने आधा करके छोड़ दिया था…
भाभी हँसते हुए बोली – क्यों ? आधे में क्यों छोड़ दिया था उसने…?
मे – वो कह रही थी.. मुझे जैसे ही दर्द हुआ, और मे चीख पड़ी.. तो वो डर गया और वहाँ से भाग लिया…
हाहहाहा… . भाभी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी, मे भी उनका साथ देने लगा.. फिर हँसते हुए बोली – साला एकदम गान्डू किस्म का लड़का निकला वो तो…
खैर अब अपनी बहनों की ही चिंता करते रहोगे या इस भाभी की भी फिकर है कुच्छ..
मे – अरे भाभी.. आपके लिए तो आधी रात को भी हाज़िर है आपका ये आग्यकारी देवर … वो तो मे आपके कहे वगैर कैसे कुच्छ कर सकता हूँ…
वो – तो अभी क्या इरादा है.. लिखित में चाहिए….?
भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया..
और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा.
दो-दो चुतो का स्वाद लेने के बाद लंड महोदय तो बड़े खुश थे, लेकिन मुझे कुच्छ थकान सी होने लगी,
सो चाय पीकर मे सो गया… और सीधा शाम को 5 बजे ही उठा…
उठकर आँगन में पहुँचा तो वहाँ भाभी रूचि के साथ खेल रही थी, दीदी भी उनके साथ शामिल थी..
रूचि अब चलने और बोलने लगी थी… वो कभी-2 ऐसी बातें करती कि हम सब हँसते-हँसते लॉट पॉट हो जाते…
मुझे देखते ही रूचि चिल्लाई – चाचू आ गये.. मे तो चाचू के साथ ही खेलूँगी..
और अपने छ्होटे-2 पैरों पर भागती हुई मेरी तरफ आई, मेने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया…
उसके गाल पर एक पप्पी करके बोला – अले मेला प्याला बच्चा… चाचू के साथ खेलेगा…?
रूचि – हां चाचू..! मम्मी और बुआ तो मुझे चिढ़ाती हैं.. अब इन दोनो के पास कभी नही जाउन्गा…
भाभी बोली – अच्छा चाचा की चमची.. हमारी शिकायत करती है… ठहर, अभी तुझे बताती हूँ..
भाभी जैसे ही उसकी तरफ थप्पड़ दिखा कर आई, मे उसे लेकर घूम गया, और वो उन्हें अंगूठा दिखा कर चिढ़ाने लगी…
ऐसे ही बच्ची के साथ थोड़ा खेलने के बाद भाभी मेरे से बोली - क्या बात है लल्लाजी… आज तो बहुत सोए…!
दीदी की तरफ देखते हुए बोली - कुच्छ महंत वाला काम किया था क्या..?
दीदी ने शर्म से अपनी गर्दन नीची कर ली.. मेने कहा नही भाभी बस ऐसे ही कॉलेज में थोड़ा इधर-से उधर ज़्यादा भाग दौड़ रही सो थोड़ी थकान सी हो गयी थी…
लगता है.. कसरत में ढील दे दी है तुमने, आलसी होते जा रहे हो.... अब कुच्छ टाइट रखना पड़ेगा… और कहकर वो हँसने लगी…
दीदी ने हम सबके लिए चाय बनाई, चाय पीकर मे रूचि के साथ खेलता हुआ खेतों की तरफ निकल गया…!
रात को सोने से पहले भाभी ने मुझे इशारा कर दिया, तो दीदी के सोने को जाने के बाद मे उनके कमरे में चला गया…
वो एक लाल रंग का वन पीस गाउन पहने लेटी हुई थी, मुझे देख कर वो पलंग के सिरहाने के साथ टेक लगा कर कुच्छ इस तरह बैठ गयी..
और बोली – आओ लल्लाजी.. तुमसे कुच्छ बातें करनी थी…
मेने अंदर से गेट लॉक किया, और उनके बगल में टेक लेकर बैठ गया..!
भाभी मेरे हाथ को अपने हाथों के बीच लेकर बोली – लल्ला जी, मुझे पता है आज तुमने और रामा ने फिरसे मस्ती की, है ना !
मे – हां भाभी सॉरी ! वो दीदी ने मुझे जबर्जस्ती पकड़ लिया… मे क्या करता..
वो – अरे कोई बात नही… मे कोई तुमसे नाराज़ थोड़ी ना हूँ, बस ये देखना चाह रही थी कि तुम मुझसे क्या-क्या छुपाते हो…!
वैसे यही बात छुपाई है या और कुच्छ भी है…
मे – वो मे..वो.. भाभी… आशा दीदी ने भी मुझे कॉलेज से आते वक़्त अपने घर रोक लिया… और उन्होने… भी……..
वो – क्या ? आशा को भी ठोक दिया तुमने..हहहे…. एक नंबर के चोदुपीर होते जा रहे हो लल्ला… लगाम कसनी पड़ेगी.. तुम्हारी…..हहहे…
वैसे वो कुँवारी थी या… फिर..
मे – एक तरह से कुँवारी ही थी, इसके पहले उसके मामा के लड़के ने आधा करके छोड़ दिया था…
भाभी हँसते हुए बोली – क्यों ? आधे में क्यों छोड़ दिया था उसने…?
मे – वो कह रही थी.. मुझे जैसे ही दर्द हुआ, और मे चीख पड़ी.. तो वो डर गया और वहाँ से भाग लिया…
हाहहाहा… . भाभी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी, मे भी उनका साथ देने लगा.. फिर हँसते हुए बोली – साला एकदम गान्डू किस्म का लड़का निकला वो तो…
खैर अब अपनी बहनों की ही चिंता करते रहोगे या इस भाभी की भी फिकर है कुच्छ..
मे – अरे भाभी.. आपके लिए तो आधी रात को भी हाज़िर है आपका ये आग्यकारी देवर … वो तो मे आपके कहे वगैर कैसे कुच्छ कर सकता हूँ…
वो – तो अभी क्या इरादा है.. लिखित में चाहिए….?
भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया..
और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा.