29-04-2019, 08:52 PM
अब तक के सफर में एक बात तो पक्की हो चुकी थी कि, वह लडक़ी अकेले ही सफर कर रही है।उसने अब तक का ज्यादा वक्त पत्रिकाओं में या अपनी बर्थ पर आँखे मुंदे बिताया था। आस पास की महिलाओं से भी शायद ही खुल कर कोई बात की हो। वरना एकाध हंसी या आवाज तो अब तक रोहित के कानों पर जरूर दस्तक दे चुकी होती। उसे कोई उपाय नजर नहीं आ रहा था कि वह कैसे उस लडक़ी से बातचीत करे? एक क्षण को उसने यह भी सोचा कि लडक़ी से बात करना मटिया दे,मगर वह ऐसा नहीं कर सका। घूम फिर कर एक ही बात उसके दिमाग में आती कि, लडक़ी का चेहरा इतना जाना पहचाना सा क्यों है?
डब्बे में लडक़ों के गाने की आवाजें फ़ैलने लगीं ''चलत मुसाफिर मोह लिया रे..पिंजरे वाली मुनिया''गाना रुक गया था। रोहित ने गरदन घुमा कर देखा दो लडक़े अपने अपने हाथ में तीन उंगलियों में एस्बेस्टस के दो टुकडों को फंसाये, दूसरे हाथ से उन पर सधे ढंग से प्रहार कर रहे थे। टुकडों से टक्टकाटक् टक् की लयबध्द ध्वनि निकल रही थी। ताश के खिलाडियों ने गाने वालों को रोक रखा था।
'' अरे! पुराना गाना बंद करो।''
'' दीदी तेरा देवर वाला सुनाओ।''
डोनों लडक़ों ने रुक कर सांस खींची और एस्बेस्टस के टुकडों को बजाते हुये चीख चीख कर गाने लगे,
'' दीदी तेरा देवर दीवानाहाऽय राऽम ऽऽ चिडियों को डाले दानाऽऽ''
इसी गाने की नायिका पर तो अपने मकबूल भाई फिदा हो गये। रोहित सीधा होकर लेट गया। जाने कब उसकी आँख लगी। वह जागा तो ट्रेन के बाहर शाम गहरा चुकी थी। थोडी देर में ट्रेन चुनार जंक्शन पर पहुंच गयी। वहां ट्रेन में बिजली वाले इंजन की जगह डीजल इंजन लगता है। ट्रेन लगभग पौन घंटा रुकती है। ज़ो पहली बात उसके दिमाग में आयी, लडक़ी कहाँ है? कहीं रोहित की नींद का फायदा उठा कर वह उतर तो नहीं गयी। वह प्लेटफार्म की ओर लपका। वहाँ से उसने देखा, लडक़ी बर्थ पर अपना बिस्तर ठीक कर रही है, रोहित ने चैन की सांस ली।
'' बडी ज़ल्दी सोने की तैयारी कर रही है।'' बुदबुदाता हुआ वह स्टेशन के नल की ओर बढ ग़या। हाथ मुंह धोकर लौटा तो सहसा उसे अपनी आँखों पर उसे विश्वास ही नहीं हुआ। लडक़ी प्लेटफार्म पर खडी चाय वाले से चाय ले रही थी। आस पास भीड भी नहीं थी। रोहित का दिल जोर जोर से धडक़ने लगा। जो खूबसूरत लडक़ी उसे अब तक परेशान करती रही है, वह उससे चन्द कदमों के फासले पर खडी है। अब वह लडक़ी को जरूर टोकेगा। उससे बातें करेगा और उसका परिचय जान कर रहेगा -सोचता हुआ वह चाय वाले की ओर बढ ग़या।
डब्बे में लडक़ों के गाने की आवाजें फ़ैलने लगीं ''चलत मुसाफिर मोह लिया रे..पिंजरे वाली मुनिया''गाना रुक गया था। रोहित ने गरदन घुमा कर देखा दो लडक़े अपने अपने हाथ में तीन उंगलियों में एस्बेस्टस के दो टुकडों को फंसाये, दूसरे हाथ से उन पर सधे ढंग से प्रहार कर रहे थे। टुकडों से टक्टकाटक् टक् की लयबध्द ध्वनि निकल रही थी। ताश के खिलाडियों ने गाने वालों को रोक रखा था।
'' अरे! पुराना गाना बंद करो।''
'' दीदी तेरा देवर वाला सुनाओ।''
डोनों लडक़ों ने रुक कर सांस खींची और एस्बेस्टस के टुकडों को बजाते हुये चीख चीख कर गाने लगे,
'' दीदी तेरा देवर दीवानाहाऽय राऽम ऽऽ चिडियों को डाले दानाऽऽ''
इसी गाने की नायिका पर तो अपने मकबूल भाई फिदा हो गये। रोहित सीधा होकर लेट गया। जाने कब उसकी आँख लगी। वह जागा तो ट्रेन के बाहर शाम गहरा चुकी थी। थोडी देर में ट्रेन चुनार जंक्शन पर पहुंच गयी। वहां ट्रेन में बिजली वाले इंजन की जगह डीजल इंजन लगता है। ट्रेन लगभग पौन घंटा रुकती है। ज़ो पहली बात उसके दिमाग में आयी, लडक़ी कहाँ है? कहीं रोहित की नींद का फायदा उठा कर वह उतर तो नहीं गयी। वह प्लेटफार्म की ओर लपका। वहाँ से उसने देखा, लडक़ी बर्थ पर अपना बिस्तर ठीक कर रही है, रोहित ने चैन की सांस ली।
'' बडी ज़ल्दी सोने की तैयारी कर रही है।'' बुदबुदाता हुआ वह स्टेशन के नल की ओर बढ ग़या। हाथ मुंह धोकर लौटा तो सहसा उसे अपनी आँखों पर उसे विश्वास ही नहीं हुआ। लडक़ी प्लेटफार्म पर खडी चाय वाले से चाय ले रही थी। आस पास भीड भी नहीं थी। रोहित का दिल जोर जोर से धडक़ने लगा। जो खूबसूरत लडक़ी उसे अब तक परेशान करती रही है, वह उससे चन्द कदमों के फासले पर खडी है। अब वह लडक़ी को जरूर टोकेगा। उससे बातें करेगा और उसका परिचय जान कर रहेगा -सोचता हुआ वह चाय वाले की ओर बढ ग़या।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.