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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (completed)
सभी उसकी ऐसी परफॉर्मेंस देखकर तालियाँ बजाने लगे...

अब बिल्लू की बारी थी...

उसने दस हज़ार रूपए दिए और बोला : "मुझे तो उसको नंगा देखना है...''

वो तो वैसे भी वो हो ही जाती, शायद अगली 2-3 गेम्स में ..पर उसका उतावलापन अपनी जगह सही भी था... सारिका के जवान जिस्म को नंगा देखने की चाहत उसे कब से थी...आज वो पूरी होने जा रही थी..

काजल ने उसे इशारा किया और सारिका अपने पैरों पर खड़ी हो गयी..

वो बिल्लू के सामने आकर बैठ गयी...और अपनी शर्ट को दोनो तरफ से पकड़कर उसने दोनो तरफ खींचना शुरू कर दिया...और एक-2 करते हुए उसकी शर्ट के बटन टूट कर नीचे बिखरने लगे...

अब सारिका सिर्फ़ ब्रा मे बैठी थी उसके सामने...

बिल्लू तो इतनी पास से उसकी ब्रा में क़ैद मुम्मों को देखकर फिर से बावला हो गया..

और फिर सारिका ने हंसते हुए अपनी ब्रा के हुक भी खोले और उसे एक ही झटके मे उतार कर फेंक दिया...

और कमरे मे हर शख्स ने पहली बार उसे टॉपलेस देखा..

एकदम कड़क थे उसके बूब्स...सामने की तरफ तने हुए...भरे हुए, दोनो हाथों मे मुश्किल ही आए..पर ज़्यादा बड़े भी नही...इतने रसीले और बड़े रसगुल्लों को अपने सामने देखकर सभी के मुँह में पानी गया..

पर कोई कुछ कर तो नही सकता था ना..

और फिर सारिका ने अपनी पेंटी को पकड़ा और उसे भी उतार दिया..

और एक ताजी चूत का झोंका बिल्लू के नथुनों से टकराया...ऐसा लगा उसे की उसकी चूत से गर्म भाप छोड़ी गयी है ख़ास उसके लिए..जिसकी खुश्बू में अपनी सुध बुध खोकर उसने अपनी आँखे बंद कर ली...

सारिका पूरी की पूरी नंगी खड़ी थी सबके सामने...क्या तराशा हुआ जिस्म था उसका...उपर से नीचे तक माल थी वो लड़की..

सबने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को रोका हुआ था...भले ही वो कुछ नही कर पा रहे थे, पर इस खेल में उन्हे मज़ा बहुत रहा था.

अब गणेश की बारी थी..

उसने दस हज़ार काजल को सौंप दिए और अपने दिल की इच्छा बताई..

गणेश : "काजल, तुमने जो हंटर पकड़ा हुआ है अपने हाथ मे, उससे तुम इसकी गांड की पिटाई करके इसको लाल कर दो...''

ये सुनकर सभी चोंक गये...

सारिका : "ऐसा क्यो कर रहे हो तुम....मेरे से ऐसी क्या दुश्मनी है जो मेरी लाल करने पर तुले हो...''

वो हंस भी रही थी, की ऐसा क्यो बोल रहा है वो.

गणेश : "अब ये तो मुझे नही मालूम, पर यहाँ जब सभी अपनी - 2 इच्छा बता रहे हैं तो मैने भी बोल दी, वैसे ये काम मैं अपनी बीबी के साथ कब से करना चाहता हू...उसे नंगा करके अपनी गोद में लेकर उसकी भरी हुई गांड पर चपेटें लगाकर उसे लाल करना चाहता हू...और फिर उसे चूमना चाहता हू..पर वो मेरी इस बात को आज तक नही मान सकी...बोलती है की मैं पागल हू...ऐसा कौन करता है भला ...अब वो मना कर देती है तो उसकी मर्ज़ी, ये तो मना नही करेगी ना, इसको तो पैसे दे रहा हू मैं ...''

यानी अपने पैसे के बल पर वो अपने दिल की इच्छा को पूरा करवाना चाह रहा था...राणा और बिल्लू की तो जायज़ सी डिमांड थी, पर ये थोड़ी ख़तरनाक सी थी..

पर अपनी गांड पर हंटर पड़ने की बात सुनकर सारिका काफ़ी गर्म हो चुकी थी...केशव भी अक्सर उसे घोड़ी बनाकर जब चोदता था तो उसकी गांड पर बेतहाशा थप्पड़ मारकर उसे लाल कर देता था..उसे काफ़ी मज़ा आता था उसके हाथों की मार अपनी गांड पर खाकर...इसलिए उसने झट से वो पैसे लिए और अपनी गांड को काजल की तरफ करके खड़ी हो गयी..

जब उसको ही कोई प्राब्लम नही थी तो भला किसी और को क्या हो सकती थी...काजल ने उसे उसी सोफे के हत्थे पर उल्टा लिटाया, जिसपर बैठकर वो पहले खेल देख रही थी और हल्के हाथों से उसकी गोरी गांड पर हंटर बरसाने शुरू कर दिए...


हल्की डोरियाँ लगी थी हंटर के आगे...जो एक रेशमी सा एहसास छोड़ रही थी सारिका की मखमली गांड पर...और वो हर प्रहार से कराह उठती...दर्द से नही, मज़े से...क्योंकि उसे उसमें काफ़ी मज़ा मिल रहा था..

और धीरे-2 उसकी गोरी गांड लाल सुर्ख हो गयी...जिसे चूमकर काजल ने उसकी गर्मी को शांत किया..

और इस तरहा से उसका ये मास्टर-स्लेव वाला खेल वहीं ख़त्म हुआ..

सभी को काफ़ी मज़ा आया था..
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RE: काजल, दीवाली और जुए का खेल - by Jyoti Singh - 29-04-2019, 03:33 PM



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