17-11-2021, 02:07 AM
(06-03-2019, 03:57 AM)neerathemall Wrote: जब जब मुझे मौका मिलता था तब तब मैं संगीता दीदी की ब्रा और पैंटी चुपके से लेकर उसके साथ मूठ मारता था . मैं उसकी पैंटी अपने लंड पर घिसता था और उसकी ब्रा को अपने मुंह पर रखकर उसके कप चूसता था . जब मैं उसकी पहनी हुई पैंटी को मुंह मे भरकर चूसता था तब मैं काम वासना से पागल हो जाता था . उस पैंटी पर जहाँ उसकी चूत लगती थी वहां पर उसकी चूत का रस लगा रहता था और उसका स्वाद कुछ अलग ही था . मेरे खड़े लंड पर उसकी पैंटी घिसते घिसते मैं कल्पना करता था कि मैं अपनी बहन को चोद रहा हूँ और फिर उसकी पैंटी पर मैं अपने वीर्य का पानी छोड़ कर उसे गीला करता था . संगीता दीदी के नाजुक अंगो को छू लेने से मैं वासना से पागल हो जाता था और उसे छूने का कोई भी मौका मैं छोड़ता नहीं था .
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हमारा घर छोटा था इसलिए हम सब एक साथ हाल मेँ सोते थे और मैं संगीता दीदी के बगल मेँ सोता था . आधी रात के बाद जब सब लोग गहरी नींद मेँ होते थे तब मैं संगीता दीदी के नजदीक सरकता था और हर तरह की होशियारी बरतते हुए मैं उससे धीरे से लिपट जाता था और उसके बदन की गरमी को महसूस करता था . उसके बड़े बड़े छाती के उभारो को हलके से छू लेता था . उसके नितम्बों को जी भर के हाथ लगाता था और उनके भारीपन का अंदाजा लेता था . उसकी जांघो को मैं छूता था तो कभी कभी उसकी चूत को कपडे के ऊपर से छूता था . मेरे मन में मेरी बहन के बारे में जो काम लालसा थी उस बारे मेँ मेरे माता , पिता को कभी कुछ मालूम नहीं हुआ . उन्हें क्या , खुद संगीता दीदी को भी मेरे असली खयालात का कभी पता न चला कि मैं उसके बारे मे क्या सोचता हूँ . मेरे असली खयालात के बारे मे किसी को पता न चले इसका मैं हमेशा ख्याल रखता था . मेरे मन मेँ संगीता दीदी के बारे में काम वासना थी और मैं हमेशा उसको चोदने के सपने देखता था लेकिन मुझे मालूम था कि हकीकत में ये असंभव है . मेरी बहन को चोदना या उसके साथ कोई नाजायज काम सम्बन्ध बनाना ये महज एक सपना ही है और वो हकीकत में कभी पूरा हो नहीं सकता ये मुझे अच्छी तरह से मालूम था . इसलिए उसे पता चले बिना जितना हो सके उतना मैं उसके नाजुक अंगो को छूकर या चुपके से देखकर आनंद लेता था और उसे चोदने के सिर्फ सपने देखता था .
जब संगीता दीदी 24 साल की हो गयी तब उसकी शादी के लिए लडके देखना मेरे माता , पिता ने चालू किया . हमारे रिश्तेदारों में से एक 33 साल के लडके का रिश्ता उसके लिए आया . लड़का पुणे मे रहता था . उसके माता , पिता नहीं थे . उसकी एक बड़ी बहन थी जिसकी शादी हो गयी थी और उसका ससुराल पुणे में ही था . अलग प्लाट पर लडके का खुद का मकान था . उसकी खुद की राशन की दुकान थी जिसे वो मेहनत कर के चला रहा था . संगीता दीदी ने बिना किसी ऐतराज के यह रिश्ता मंजूर कर लिया . लेकिन मुझे इस लडके का रिश्ता पसंद नहीं था . संगीता दीदी के लिए ये लड़का ठीक नहीं है ऐसा मुझे लगता था और उसकी दो वजह थी . एक वजह ये थी कि लड़का 33 साल का था यानी संगीता दीदी से काफी बड़ा था . शादी नहीं हुई इसलिए उसे लड़का कहना चाहिए नहीं तो वो अच्छा खासा अधेड़ उम्र जैसा आदमी था . इसलिए वो मेरी जवान बहन को कितना सुखी रख सकता है इस बारे मेँ मुझे आशंका थी . और उनकी उम्र के ज्यादा फरक की वजह से उनके ख़यालात मिलेंगे की नहीं इस बारे मेँ भी मुझे आशंका थी . सिर्फ उसका खुद का मकान और दुकान है इसलिए शायद संगीता दीदी ने उसके लिए हाँ कर दी थी . दूसरी वजह ये थी की उसके साथ शादी हो गयी तो मेरी बहन मुझसे दूर जाने वाली थी . उसने अगर मुंबई का लड़का पसंद किया होता तो शादी के बाद वो मुंबई मेँ ही रहती और मुझे उससे हमेशा मिलना आसान होता . लेकिन मेरी बहन की शादी की बारे मे मैं कुछ कर नहीं सकता था , ना तो मेरे हाथ मेँ कुछ भी था . देखते ही देखते उसकी शादी उस लडके से हो गयी और वो अपने ससुराल , पुणे मे चली गयी . उसकी शादी से मैं खुश नहीं था लेकिन मुझे मालूम था कि एक ना एक दिन ये होने ही वाला था . उसकी शादी होकर वो अपने ससुराल जाने ही वाली थी , चाहे उसका ससुराल पुणे मे हो या मुंबई में . यानी मेरी बहन मुझसे बिछड़ने वाली तो थी ही और मुझे उसके बिना जीना तो था ही .