16-11-2021, 03:31 PM
अपडेट-56
घर पहुँच कर मैने बहुत हिम्मत से घर का दरवाज़ा खट-खाटाया कुछ देर बाद हीना ने एक दिल-क़श मुस्कान के साथ दरवाज़ा खोला...
हीना: आज जल्दी आ गये नीर ...
मैं: हाँ आज कुछ खास काम नही था इसलिए जल्दी आ गया...
उसके बाद मैने चारो तरफ देखा तो मुझे सिर्फ़ नाज़ी नज़र आई जो नीर को बोतल से दूध पिला रही थी... लेकिन मुझे रूबी कही नज़र नही आई...
मैं: रूबी कहाँ है...
हीना: वो यतीम खाने मे हैं अभी बच्चों का कॉलेज चल रहा है ना इसलिए शाम को आएगी...
मैं: अच्छा... यार मैं तुम लोगो से एक ज़रूरी बात करना चाहता था
ये सुनकर दोनो मेरे पास आके खड़ी हो गई ऑर सवालिया नज़रों से मुझे देखने लगी... मैने दोनो को एक नज़र देखा ऑर दोनो का हाथ पकड़कर अपने साथ उनको भी बेड पर अपनी दोनो तरफ बिठा लिया...
मैं: तुम दोनो तो जानती ही हो कि हमारे बढ़ते हुए बिज़्नेस ऑर मेरे कारनामो की वजह से मैं पूरे मुल्क़ मे मोस्ट-वांटेड हूँ इसलिए मुझे ये मुल्क़ छोड़ना होगा लेकिन मैं सोच रहा हूँ इस मुल्क़ से मैं अकेला नही बल्कि शादी करके अपनी बीवी के साथ जाउ...
हीना: (खुश होते हुए) ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुमने शादी करने का फ़ैसला कर लिया है वैसे कौन है वो खुश-नसीब...
मैं: यार इसका फ़ैसला मैं नही बल्कि तुम तीनो मिलकर कर ही कर लो क्योंकि मैं जानता हूँ तुम, नाज़ी ऑर रूबी तीनो ही मुझे बे-इंतेहा प्यार करती हो मेरे लिए तुमने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया अब मुझ मे इतनी हिम्मत नही है कि तुम तीनो मे से किसी को भी बीच रास्ते मे ऐसे ही छोड़ कर चला जाउ...
हीना: (हँसते हुए) बस इतनी सी बात तो इसमे कन्फ्यूज़ होने की क्या बात है... चलो तुम्हारी एक मुश्किल तो मैं आसान कर देती हूँ... तुमको रूबी ऑर नाज़ी मे से एक को चुनना है क्योंकि मुझे लगता है मुझसे ज़्यादा तुमको ये दोनो प्यार करती हैं...
नाज़ी: नही... मुझे लगता है तुमको रूबी ऑर हीना बाजी ज़्यादा प्यार करती है...
हीना: चलो जी हो गया फ़ैसला... तुम रूबी से ही शादी कर लो वो तुमको हम दोनो से ज़्यादा प्यार करती है...
मैं: और तुम दोनो...
नाज़ी: हम दोनो की फिकर मत करो हम दोनो यहाँ महफूज़ है ना तो फिकर कैसी ऑर वैसे भी रूबी बाजी के जाने के बाद यतीम खाना संभालने वाला भी तो कोई होना चाहिए ना...
उनकी बात सुनकर मैं कुछ देर सोचता रहा ऑर फिर बिना कुछ कहे बेड से उठा ऑर चुप-चाप घर से बाहर निकल गया...
//
मैं अपनी गहरी सोच मे इतना उलझा हुआ था कि मुझे पता ही नही चला कब मैं यतीम खाने तक पैदल ही आ गया...
वहाँ जाके मैं रूबी से मिला ऑर यही बात रूबी से भी कही तो उसका भी जवाब यही था कि हीना ऑर नाज़ी मुझे उससे ज़्यादा प्यार करती है इसलिए मैं उन दोनो मे से किसी से शादी करूँ...
..
उसका जवाब सुनके मैं वहाँ से वापिस घर की तरफ चल दिया ऑर जाने कब मेरे कदम मुझे बाबा की क़ब्र तक ले आए... वहाँ मैं कुछ देर बैठा रहा ऑर अपने सवालो के जवाब हासिल करने की कोशिश करता रहा लेकिन मैं नाकाम साबित हो रहा था फिर मैं अपनी गुज़री हुई ज़िंदगी को देखने लगा जब मैं सबसे पहले नाज़ी से मिला था वहाँ उसने कैसे पहले मेरी जान बचाई फिर फ़िज़ा के साथ मेरी बेहतरीन देख-भाल कि जिससे मैं चन्द महीनो मे अपने पैरो पर खड़ा हो गया कही ना कही मेरा रोम-रोम नाज़ी ऑर उसके परिवार के अहसान के नीचे दबा हुआ था ऑर वैसे भी अब उसका मेरे सिवा कौन था मैं उसको कैसे छोड़कर जा सकता था, दूसरी तरफ हीना थी जिसने मेरी एक छोटी सी दिल्लगी को प्यार समझ कर मेरे जाने के बाद नीर ऑर नाज़ी का ना सिर्फ़ ख़याल रखा बल्कि मेरी गैर हाज़री मे बाबा ऑर फ़िज़ा की भी हमेशा मदद की वो नही होती तो आज शायद नाज़ी ऑर नीर भी ज़िंदा नही होते, वही रूबी के बारे मे सोचता तो वो सबसे अलग थी सारी दुनिया ने मान लिया था कि मैं मर चुका हूँ फिर भी वो मेरा इंतज़ार करती रही मुझसे शादी किए बिना भी मेरी बेवा बनकर वो अपनी उमर गुज़ारने के लिए तेयार थी ऑर मेरे चले जाने के बाद उसने मेरे सपने को अपनी ज़िंदगी का मकसद बना लिया ऑर अपनी सारी ज़िंदगी यतीम खाने के नाम करदी...
देखा जाए तो मैं इन तीनो का ही कही ना कही कर्ज़दार था इनके किए हुए प्यार ऑर अहसान को मैं ऐसे कैसे छोड़ कर जा सकता था लिहाज़ा मैने एक ऐसा फ़ैसला किया जो शायद किसी ने भी ना सोचा हो... एक नतीजे पर पहुँच कर मैं खुद को काफ़ी शांत महसूस कर रहा था ऑर बाबा की कब्र के पास बैठा खुश हो रहा था...
...............
घर पहुँच कर मैने बहुत हिम्मत से घर का दरवाज़ा खट-खाटाया कुछ देर बाद हीना ने एक दिल-क़श मुस्कान के साथ दरवाज़ा खोला...
हीना: आज जल्दी आ गये नीर ...
मैं: हाँ आज कुछ खास काम नही था इसलिए जल्दी आ गया...
उसके बाद मैने चारो तरफ देखा तो मुझे सिर्फ़ नाज़ी नज़र आई जो नीर को बोतल से दूध पिला रही थी... लेकिन मुझे रूबी कही नज़र नही आई...
मैं: रूबी कहाँ है...
हीना: वो यतीम खाने मे हैं अभी बच्चों का कॉलेज चल रहा है ना इसलिए शाम को आएगी...
मैं: अच्छा... यार मैं तुम लोगो से एक ज़रूरी बात करना चाहता था
ये सुनकर दोनो मेरे पास आके खड़ी हो गई ऑर सवालिया नज़रों से मुझे देखने लगी... मैने दोनो को एक नज़र देखा ऑर दोनो का हाथ पकड़कर अपने साथ उनको भी बेड पर अपनी दोनो तरफ बिठा लिया...
मैं: तुम दोनो तो जानती ही हो कि हमारे बढ़ते हुए बिज़्नेस ऑर मेरे कारनामो की वजह से मैं पूरे मुल्क़ मे मोस्ट-वांटेड हूँ इसलिए मुझे ये मुल्क़ छोड़ना होगा लेकिन मैं सोच रहा हूँ इस मुल्क़ से मैं अकेला नही बल्कि शादी करके अपनी बीवी के साथ जाउ...
हीना: (खुश होते हुए) ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुमने शादी करने का फ़ैसला कर लिया है वैसे कौन है वो खुश-नसीब...
मैं: यार इसका फ़ैसला मैं नही बल्कि तुम तीनो मिलकर कर ही कर लो क्योंकि मैं जानता हूँ तुम, नाज़ी ऑर रूबी तीनो ही मुझे बे-इंतेहा प्यार करती हो मेरे लिए तुमने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया अब मुझ मे इतनी हिम्मत नही है कि तुम तीनो मे से किसी को भी बीच रास्ते मे ऐसे ही छोड़ कर चला जाउ...
हीना: (हँसते हुए) बस इतनी सी बात तो इसमे कन्फ्यूज़ होने की क्या बात है... चलो तुम्हारी एक मुश्किल तो मैं आसान कर देती हूँ... तुमको रूबी ऑर नाज़ी मे से एक को चुनना है क्योंकि मुझे लगता है मुझसे ज़्यादा तुमको ये दोनो प्यार करती हैं...
नाज़ी: नही... मुझे लगता है तुमको रूबी ऑर हीना बाजी ज़्यादा प्यार करती है...
हीना: चलो जी हो गया फ़ैसला... तुम रूबी से ही शादी कर लो वो तुमको हम दोनो से ज़्यादा प्यार करती है...
मैं: और तुम दोनो...
नाज़ी: हम दोनो की फिकर मत करो हम दोनो यहाँ महफूज़ है ना तो फिकर कैसी ऑर वैसे भी रूबी बाजी के जाने के बाद यतीम खाना संभालने वाला भी तो कोई होना चाहिए ना...
उनकी बात सुनकर मैं कुछ देर सोचता रहा ऑर फिर बिना कुछ कहे बेड से उठा ऑर चुप-चाप घर से बाहर निकल गया...
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मैं अपनी गहरी सोच मे इतना उलझा हुआ था कि मुझे पता ही नही चला कब मैं यतीम खाने तक पैदल ही आ गया...
वहाँ जाके मैं रूबी से मिला ऑर यही बात रूबी से भी कही तो उसका भी जवाब यही था कि हीना ऑर नाज़ी मुझे उससे ज़्यादा प्यार करती है इसलिए मैं उन दोनो मे से किसी से शादी करूँ...
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उसका जवाब सुनके मैं वहाँ से वापिस घर की तरफ चल दिया ऑर जाने कब मेरे कदम मुझे बाबा की क़ब्र तक ले आए... वहाँ मैं कुछ देर बैठा रहा ऑर अपने सवालो के जवाब हासिल करने की कोशिश करता रहा लेकिन मैं नाकाम साबित हो रहा था फिर मैं अपनी गुज़री हुई ज़िंदगी को देखने लगा जब मैं सबसे पहले नाज़ी से मिला था वहाँ उसने कैसे पहले मेरी जान बचाई फिर फ़िज़ा के साथ मेरी बेहतरीन देख-भाल कि जिससे मैं चन्द महीनो मे अपने पैरो पर खड़ा हो गया कही ना कही मेरा रोम-रोम नाज़ी ऑर उसके परिवार के अहसान के नीचे दबा हुआ था ऑर वैसे भी अब उसका मेरे सिवा कौन था मैं उसको कैसे छोड़कर जा सकता था, दूसरी तरफ हीना थी जिसने मेरी एक छोटी सी दिल्लगी को प्यार समझ कर मेरे जाने के बाद नीर ऑर नाज़ी का ना सिर्फ़ ख़याल रखा बल्कि मेरी गैर हाज़री मे बाबा ऑर फ़िज़ा की भी हमेशा मदद की वो नही होती तो आज शायद नाज़ी ऑर नीर भी ज़िंदा नही होते, वही रूबी के बारे मे सोचता तो वो सबसे अलग थी सारी दुनिया ने मान लिया था कि मैं मर चुका हूँ फिर भी वो मेरा इंतज़ार करती रही मुझसे शादी किए बिना भी मेरी बेवा बनकर वो अपनी उमर गुज़ारने के लिए तेयार थी ऑर मेरे चले जाने के बाद उसने मेरे सपने को अपनी ज़िंदगी का मकसद बना लिया ऑर अपनी सारी ज़िंदगी यतीम खाने के नाम करदी...
देखा जाए तो मैं इन तीनो का ही कही ना कही कर्ज़दार था इनके किए हुए प्यार ऑर अहसान को मैं ऐसे कैसे छोड़ कर जा सकता था लिहाज़ा मैने एक ऐसा फ़ैसला किया जो शायद किसी ने भी ना सोचा हो... एक नतीजे पर पहुँच कर मैं खुद को काफ़ी शांत महसूस कर रहा था ऑर बाबा की कब्र के पास बैठा खुश हो रहा था...
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