16-11-2021, 03:18 PM
अभी मुझे वहाँ बैठे कुछ ही देर हुई थी कि एक हाथ मेरे कंधे पर पड़ा ऑर पिछे से आवाज़ आई...
आदमी: ओये खाबीज़ तुझे यहाँ बड़े लोगो मे बैठने को किसने बोला है चल बाहर दफ्फा हो ऑर सेक्यूरिटी का ख़याल रख साले को दारू पीने की पड़ी है...
मैं: (बिन कुछ बोले अपनी कुर्सी से खड़ा होते हुए) जी जनाब...
मैं उठकर बाहर जाने लगा तो उस आदमी ने पिछे से एक पिस्टल मेरी पीठ पर रख दी...
आदमी: अपने आप को बहुत होशियार समझता है शेरा... तुझे क्या लगता है तू यहाँ आके हमारे लोगो को मारेगा ऑर हम को पता भी नही चलेगा अब बिना कोई आवाज़ किए चुप-चाप मेरे साथ चल नही तो यही गोली मार दूँगा...
मैं बिना कुछ बोले उसके आगे चलने लगा... वो मुझे सीढ़ियो से उपर की तरफ ले गया मैं नही जानता था कि वो आदमी कौन है ऑर मुझे कैसे जानता है... मेरे सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उसने मेरी कमर पर लटकी पिस्टल भी उतार ली ऑर मेरी कमर पर हाथ रख कर चेक करते हुए मेरी कमीज़ मे मोजूद 2 पिस्टल भी निकाल ली अब मेरे पास सिर्फ़ 3 पिस्टल थी 1 जो मेरी टोपी मे मोजूद थी ऑर बाकी 2 मेरे जुत्तो मे थी... मैं चुप चाप धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ रहा था ऑर उस आदमी से नीज़ात पाने का रास्ता सोच रहा था...
आदमी: ख़ान भाई सही थे तू साला यहाँ ज़रूर आएगा ऑर देखो आ भी गया यहाँ मरने के लिए...
मैं: मदारचोड़ ठोकना है तो गोली चला दिमाग़ मत चाट मेरा...
आदमी: तू चल तो सही बेटा इतनी भी क्या जल्दी है मरने की... एक बार ख़ान भाई का निकाह हो लेने दे तुझे तो फ़ुर्सत से मारेंगे साले गद्दार...
मैं: गद्दार मैं नही तेरा हरामखोर ख़ान है जिसने हर कदम पर मेरे साथ फरेब किया है...
हम लोग बातें करते हुए उपर आ गये वो आदमी मुझे एक कमरे मे ले गया जहाँ पहले से कुछ लोग मोजूद थे... उन्होने मुझे एक कुर्सी पर बिठाया ओर बाँध दिया साथ ही मेरे सिर से टोपी उतार दी जिसमे मैने एक पिस्टल भी रखी हुई थी...
आदमी: ओये नवाब ये ले ख़ान भाईजान का तोहफा संभाल कर रख मैं उनको बताके आता हूँ कि आशिक़ कुत्ते की मौत मरने को खुद ही आ गया है...
मैं: मरने नही भेन्चोद तुम्हारी मारने आया हूँ अगर एक बाप का है तो खोल मेरे हाथ फिर तुझे बताता हूँ कि मैं यहाँ मारने आया हूँ या तुम सब की क़बर बनाने आया हूँ...
आदमी: मेरे मुँह पर मुक्का मारते हुए... सस्स्सस्स ज़ोर से तो नही लगी शेरा...
मैं: अगर मेरे हाथ आज़ाद हो गये तो तुझे फ़ुर्सत से मारूँगा भेन्चोद शेर को बाँध कर मर्दानगी दिखाता है साले ना-मर्द...
नवाब: (मुझे लात मारते हुए) साले मे गर्मी बहुत है यार इसका तो इलाज मैं करता हूँ तू जा फ़ारूख़ यहाँ से ऑर ख़ान भाई को लेके आ...
उसके बाद वो फ़ारूख़ नाम का आदमी कमरे से बाहर चला गया अब मेरे आस-पास कुछ लोग मोजूद थे जिन्होने मुझ पर लातों ऑर मुक्को की बरसात शुरू करदी... मैं बँधा हुआ था इसलिए जवाब भी नही दे सकता था लिहाजा पड़ा रहा ऑर उनकी मार ख़ाता रहा... कुछ देर मुझे मारने के बाद वो लोग वापिस बेड पर जाके बैठ गये ऑर शराब पीने लगे... मैने ज़मीन पर कुर्सी से बँधा हुआ गिरा पड़ा था ऑर वो लोग मुझसे एक दम बे-फिकर थे मैने अच्छा मोक़ा जान कर अपने बँधे हुए हाथो पर पूरा ज़ोर लगा दिया जिससे मेरे हाथो पर बँधी रस्सी टूट गई ऑर मेरा एक हाथ आज़ाद हो गया मैने जल्दी से अपने दूसरे हाथ की रस्सी भी खोली ऑर वैसे ही पड़ा रहा... अब मैं सही मोक़े के इंतज़ार मे था कि कब उनकी मुझसे नज़र हटे ताकि मैं अपने पैरो की रस्सी खोल सकूँ... लेकिन कुछ ही देर मे फ़ारूख़ वहाँ वापिस आ गया इसलिए मैं वापिस बँधी हुई हालत मे ही रस्सी को अपने दोनो हाथो से पकड़े हुए लेटा रहा...
फ़ारूख़: ओये कमीनो अपने बाप को उठा तो देते सालो इतना मारने को किसने बोला था...
आदमी: यार हम क्या करते साला बहुत कड़वा बोलता है हमारा भेजा घुमा रहा था अब देख कैसे खामोश होके पड़ा है...
फ़ारूख़: ख़ान भाई ने बोला है कि निकाह के बाद वो इसका भी काम कर देंगे तब तक इसको बाँध कर रखो...
आदमी: ठीक है...
आदमी: ओये खाबीज़ तुझे यहाँ बड़े लोगो मे बैठने को किसने बोला है चल बाहर दफ्फा हो ऑर सेक्यूरिटी का ख़याल रख साले को दारू पीने की पड़ी है...
मैं: (बिन कुछ बोले अपनी कुर्सी से खड़ा होते हुए) जी जनाब...
मैं उठकर बाहर जाने लगा तो उस आदमी ने पिछे से एक पिस्टल मेरी पीठ पर रख दी...
आदमी: अपने आप को बहुत होशियार समझता है शेरा... तुझे क्या लगता है तू यहाँ आके हमारे लोगो को मारेगा ऑर हम को पता भी नही चलेगा अब बिना कोई आवाज़ किए चुप-चाप मेरे साथ चल नही तो यही गोली मार दूँगा...
मैं बिना कुछ बोले उसके आगे चलने लगा... वो मुझे सीढ़ियो से उपर की तरफ ले गया मैं नही जानता था कि वो आदमी कौन है ऑर मुझे कैसे जानता है... मेरे सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उसने मेरी कमर पर लटकी पिस्टल भी उतार ली ऑर मेरी कमर पर हाथ रख कर चेक करते हुए मेरी कमीज़ मे मोजूद 2 पिस्टल भी निकाल ली अब मेरे पास सिर्फ़ 3 पिस्टल थी 1 जो मेरी टोपी मे मोजूद थी ऑर बाकी 2 मेरे जुत्तो मे थी... मैं चुप चाप धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ रहा था ऑर उस आदमी से नीज़ात पाने का रास्ता सोच रहा था...
आदमी: ख़ान भाई सही थे तू साला यहाँ ज़रूर आएगा ऑर देखो आ भी गया यहाँ मरने के लिए...
मैं: मदारचोड़ ठोकना है तो गोली चला दिमाग़ मत चाट मेरा...
आदमी: तू चल तो सही बेटा इतनी भी क्या जल्दी है मरने की... एक बार ख़ान भाई का निकाह हो लेने दे तुझे तो फ़ुर्सत से मारेंगे साले गद्दार...
मैं: गद्दार मैं नही तेरा हरामखोर ख़ान है जिसने हर कदम पर मेरे साथ फरेब किया है...
हम लोग बातें करते हुए उपर आ गये वो आदमी मुझे एक कमरे मे ले गया जहाँ पहले से कुछ लोग मोजूद थे... उन्होने मुझे एक कुर्सी पर बिठाया ओर बाँध दिया साथ ही मेरे सिर से टोपी उतार दी जिसमे मैने एक पिस्टल भी रखी हुई थी...
आदमी: ओये नवाब ये ले ख़ान भाईजान का तोहफा संभाल कर रख मैं उनको बताके आता हूँ कि आशिक़ कुत्ते की मौत मरने को खुद ही आ गया है...
मैं: मरने नही भेन्चोद तुम्हारी मारने आया हूँ अगर एक बाप का है तो खोल मेरे हाथ फिर तुझे बताता हूँ कि मैं यहाँ मारने आया हूँ या तुम सब की क़बर बनाने आया हूँ...
आदमी: मेरे मुँह पर मुक्का मारते हुए... सस्स्सस्स ज़ोर से तो नही लगी शेरा...
मैं: अगर मेरे हाथ आज़ाद हो गये तो तुझे फ़ुर्सत से मारूँगा भेन्चोद शेर को बाँध कर मर्दानगी दिखाता है साले ना-मर्द...
नवाब: (मुझे लात मारते हुए) साले मे गर्मी बहुत है यार इसका तो इलाज मैं करता हूँ तू जा फ़ारूख़ यहाँ से ऑर ख़ान भाई को लेके आ...
उसके बाद वो फ़ारूख़ नाम का आदमी कमरे से बाहर चला गया अब मेरे आस-पास कुछ लोग मोजूद थे जिन्होने मुझ पर लातों ऑर मुक्को की बरसात शुरू करदी... मैं बँधा हुआ था इसलिए जवाब भी नही दे सकता था लिहाजा पड़ा रहा ऑर उनकी मार ख़ाता रहा... कुछ देर मुझे मारने के बाद वो लोग वापिस बेड पर जाके बैठ गये ऑर शराब पीने लगे... मैने ज़मीन पर कुर्सी से बँधा हुआ गिरा पड़ा था ऑर वो लोग मुझसे एक दम बे-फिकर थे मैने अच्छा मोक़ा जान कर अपने बँधे हुए हाथो पर पूरा ज़ोर लगा दिया जिससे मेरे हाथो पर बँधी रस्सी टूट गई ऑर मेरा एक हाथ आज़ाद हो गया मैने जल्दी से अपने दूसरे हाथ की रस्सी भी खोली ऑर वैसे ही पड़ा रहा... अब मैं सही मोक़े के इंतज़ार मे था कि कब उनकी मुझसे नज़र हटे ताकि मैं अपने पैरो की रस्सी खोल सकूँ... लेकिन कुछ ही देर मे फ़ारूख़ वहाँ वापिस आ गया इसलिए मैं वापिस बँधी हुई हालत मे ही रस्सी को अपने दोनो हाथो से पकड़े हुए लेटा रहा...
फ़ारूख़: ओये कमीनो अपने बाप को उठा तो देते सालो इतना मारने को किसने बोला था...
आदमी: यार हम क्या करते साला बहुत कड़वा बोलता है हमारा भेजा घुमा रहा था अब देख कैसे खामोश होके पड़ा है...
फ़ारूख़: ख़ान भाई ने बोला है कि निकाह के बाद वो इसका भी काम कर देंगे तब तक इसको बाँध कर रखो...
आदमी: ठीक है...