16-11-2021, 03:15 PM
अभी मुझे सोए हुए कुछ ही देर हुई थी कि मेरी जेब मे पड़ा मेरा फोन बजने लगा जिससे अचानक मेरी आँख खुल गई... मैने अपने उपर लेटी नाज़ी को जल्दी से साइड पर किया ऑर खुद बैठ कर जेब मे हाथ डाल कर फोन देखने लगा... मैने फोन देखा तो डिसप्ले पर रसूल लिखा था... मैने जल्दी से फोन कान को लगाया ऑर नाज़ी के पास बैठकर ही रसूल से बात करने लगा...
मैं: हां रसूल भाई क्या हाल है...
रसूल: मैं खेरियत से हूँ भाई तुम कैसे हो...
मैं: मैं भी ठीक हूँ... बताओ कैसे फोन किया था...
रसूल: भाई मुझे अभी खबर मिली है कि तुम्हारे शिकार ख़ान की आज शादी है ऑर वो एक गाव मे जा रहा है...
मैं: (हँसते हुए) यार तुम्हारी गर्दन बड़ी लंबी है वहाँ बैठे हुए भी सब जगह मुँह मारते रहते हो...
रसूल: (हँसते हुए) भाई मैं तो तुम्हारा काम ही आसान कर रहा हूँ जल्दी से सुल्तानपूरा के लिए निकल जाओ वहाँ आज ख़ान ज़रूर आएगा शादी करने के लिए...
मैं: तुम्हारे खबरी ने तुमको ये नही बताया कि मैं कहाँ हूँ...
रसूल: कहाँ हो भाई... ?
मैं: मैं इस वक़्त ख़ान के कभी ना होने वाले ससुराल मे बैठा उसका इंतज़ार कर रहा हूँ...
रसूल: वाह... क्या बात है च्छा गये यार शेरा भाई... लेकिन यार तुमको पता कैसे चला कि ख़ान आज सुल्तानपूरा आएगा...
मैं: किस्मत भी कोई चीज़ होती है यार मैं तो यहाँ कुछ ऑर काम से आया था लेकिन साला पंगा कुछ ऑर ही हो गया फिर मुझे ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया...
रसूल: भाई तुमको वहाँ किस आदमी से काम पड़ गया ऑर वहाँ तुम्हारा कौन है...
मैं: यार ये वही गाव है जहाँ मुझे नयी ज़िंदगी मिली थी मैं तो यहाँ उन फरिश्तो से मिलने आया था लेकिन यहाँ जब ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया...
रसूल: अच्छा... तो ये बात है... भाई आपको कुछ बताना था...
मैं: वो छोड़ पहले मेरी बात सुन... तुझसे एक काम था यार
रसूल: हुकुम करो भाई जान हाज़िर है...
मैं: असल मे यार एक पंगा हो गया है...
रसूल: क्या हुआ भाई सब ख़ैरियत तो है...
मैं: (खड़ा होके कमरे से बाहर जाते हुए) यार एक मिंट होल्ड कर...
(नाज़ी को देखते हुए) नाज़ी तुम रूको मैं ज़रा बात करके आया
नाज़ी: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
मैं: यार रसूल दरअसल पंगा ये हुआ है कि जिस लड़की से ख़ान की शादी होने वाली है वो लड़की मुझसे प्यार करती है ऑर वो मुझसे शादी करना चाहती है ऑर जिन्होने मेरी जान बचाई थी वो भी अब इस दुनिया मे नही रहे बिचारी उनकी लड़की एक दम अकेली हो गई है...
रसूल: भाई तो इसमे सोचना कैसा आप उनको भी यही ले आओ ना ख़ान को मारने के बाद...
मैं: वही तो बता रहा हूँ ना यार...
रसूल: जी भाई बोलो...
मैं: ख़ान यहाँ अकेला नही आएगा उसके साथ काफ़ी लोग होंगे अगर मुझे कुछ हो जाए तो इन दोनो को मैं वहाँ गाव मे तुम्हारे पास भेज दूँगा तुम इनका ख़याल रखना...
रसूल: भाई कैसी बात कर रहे हो तुमको कुछ नही होगा तुम इनको खुद लेके आओगे ऑर मुझे तुम्हारे निशाने पर पूरा ऐतबार है ऑर फिर मुझे लगा शायद तुमको पता नही होगा इसलिए मैने उस गाव मे अपने कुछ आदमी भी भेजे हैं जो आपकी मदद कर सके...
मैं: (हैरान होते हुए) क्या... कौन्से आदमी कौन लोग आ रहे हैं यहाँ...
रसूल: भाई मुझे लगा आपको शायद पता नही होगा इसलिए हम ही ख़ान का गेम बजा देंगे इसलिए मैने वहाँ अपने लोग भेज दिए हैं...
मैं: अच्छा किया अब मुक़ाबला बराबरी का होगा वो लोग कब तक यहाँ पहुँच जाएँगे...
रसूल: भाई आप लाला को फोन करके पूछ लो ना अपने तमाम लोगो के साथ वही आ रहा है अब तो शायद पहुँचने वाले भी होंगे...
मैं: अच्छा... चलो ठीक है अब तुम फोन मत करना... हम जल्द ही मिलेंगे...
उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर आने वाले लम्हे के बारे मे सोचने लगा
मैं: हां रसूल भाई क्या हाल है...
रसूल: मैं खेरियत से हूँ भाई तुम कैसे हो...
मैं: मैं भी ठीक हूँ... बताओ कैसे फोन किया था...
रसूल: भाई मुझे अभी खबर मिली है कि तुम्हारे शिकार ख़ान की आज शादी है ऑर वो एक गाव मे जा रहा है...
मैं: (हँसते हुए) यार तुम्हारी गर्दन बड़ी लंबी है वहाँ बैठे हुए भी सब जगह मुँह मारते रहते हो...
रसूल: (हँसते हुए) भाई मैं तो तुम्हारा काम ही आसान कर रहा हूँ जल्दी से सुल्तानपूरा के लिए निकल जाओ वहाँ आज ख़ान ज़रूर आएगा शादी करने के लिए...
मैं: तुम्हारे खबरी ने तुमको ये नही बताया कि मैं कहाँ हूँ...
रसूल: कहाँ हो भाई... ?
मैं: मैं इस वक़्त ख़ान के कभी ना होने वाले ससुराल मे बैठा उसका इंतज़ार कर रहा हूँ...
रसूल: वाह... क्या बात है च्छा गये यार शेरा भाई... लेकिन यार तुमको पता कैसे चला कि ख़ान आज सुल्तानपूरा आएगा...
मैं: किस्मत भी कोई चीज़ होती है यार मैं तो यहाँ कुछ ऑर काम से आया था लेकिन साला पंगा कुछ ऑर ही हो गया फिर मुझे ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया...
रसूल: भाई तुमको वहाँ किस आदमी से काम पड़ गया ऑर वहाँ तुम्हारा कौन है...
मैं: यार ये वही गाव है जहाँ मुझे नयी ज़िंदगी मिली थी मैं तो यहाँ उन फरिश्तो से मिलने आया था लेकिन यहाँ जब ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया...
रसूल: अच्छा... तो ये बात है... भाई आपको कुछ बताना था...
मैं: वो छोड़ पहले मेरी बात सुन... तुझसे एक काम था यार
रसूल: हुकुम करो भाई जान हाज़िर है...
मैं: असल मे यार एक पंगा हो गया है...
रसूल: क्या हुआ भाई सब ख़ैरियत तो है...
मैं: (खड़ा होके कमरे से बाहर जाते हुए) यार एक मिंट होल्ड कर...
(नाज़ी को देखते हुए) नाज़ी तुम रूको मैं ज़रा बात करके आया
नाज़ी: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
मैं: यार रसूल दरअसल पंगा ये हुआ है कि जिस लड़की से ख़ान की शादी होने वाली है वो लड़की मुझसे प्यार करती है ऑर वो मुझसे शादी करना चाहती है ऑर जिन्होने मेरी जान बचाई थी वो भी अब इस दुनिया मे नही रहे बिचारी उनकी लड़की एक दम अकेली हो गई है...
रसूल: भाई तो इसमे सोचना कैसा आप उनको भी यही ले आओ ना ख़ान को मारने के बाद...
मैं: वही तो बता रहा हूँ ना यार...
रसूल: जी भाई बोलो...
मैं: ख़ान यहाँ अकेला नही आएगा उसके साथ काफ़ी लोग होंगे अगर मुझे कुछ हो जाए तो इन दोनो को मैं वहाँ गाव मे तुम्हारे पास भेज दूँगा तुम इनका ख़याल रखना...
रसूल: भाई कैसी बात कर रहे हो तुमको कुछ नही होगा तुम इनको खुद लेके आओगे ऑर मुझे तुम्हारे निशाने पर पूरा ऐतबार है ऑर फिर मुझे लगा शायद तुमको पता नही होगा इसलिए मैने उस गाव मे अपने कुछ आदमी भी भेजे हैं जो आपकी मदद कर सके...
मैं: (हैरान होते हुए) क्या... कौन्से आदमी कौन लोग आ रहे हैं यहाँ...
रसूल: भाई मुझे लगा आपको शायद पता नही होगा इसलिए हम ही ख़ान का गेम बजा देंगे इसलिए मैने वहाँ अपने लोग भेज दिए हैं...
मैं: अच्छा किया अब मुक़ाबला बराबरी का होगा वो लोग कब तक यहाँ पहुँच जाएँगे...
रसूल: भाई आप लाला को फोन करके पूछ लो ना अपने तमाम लोगो के साथ वही आ रहा है अब तो शायद पहुँचने वाले भी होंगे...
मैं: अच्छा... चलो ठीक है अब तुम फोन मत करना... हम जल्द ही मिलेंगे...
उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर आने वाले लम्हे के बारे मे सोचने लगा