16-11-2021, 03:13 PM
मैं भी अपनी मज़िल के करीब ही था इसलिए मैं रुकना नही चाहता था इसलिए तेज़-तेज़ झटके मारने जारी रखे लेकिन शायद अब उसको दर्द हो रहा था...
नाज़ी: झटके मत दो अब दर्द हो रहा है वैसे ही पहले जैसे गोल-गोल करो उसमे मज़ा आता है...
मैं: ठीक है
उसके बाद मैं अपनी गान्ड को गोल-गोल घुमाने लगा जिससे लंड अंदर चूत की दीवारो टकरा रहा था...
नाज़ी: अंदर जलन हो रही है इसको फिर से गीला कर लो ना...
मैं: हमम्म
मैं लंड को चूत से बाहर निकाला ऑर अपने हाथ पर ढेर सारा थूक इकट्ठा करके अपने लंड पर लगा लिया अब मैने लंड को फिर से चूत के निशाने पर रखा ऑर धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा जिससे नाज़ी को फिर से दर्द होने लगा इसलिए उसने सस्सस्स के साथ अपनी फिर से आँखें बंद कर ली...
लंड डालने के बाद मैं कुछ देर वैसे ही चूत मे लंड डाले पड़ा रहा जब नाज़ी का दर्द कम हो गया तो मैने फिर से झटके लगाने शुरू कर दिए इस बार नाज़ी भी अपनी गान्ड को नीचे की तरफ दबा रही थी ऑर साथ मे मेरे होंठ चूस रही थी हम दोनो ही अब मज़िल के करीब थे कुछ तेज़ ऑर ज़ोरदार झटको के साथ मैं ऑर नाज़ी दोनो एक साथ अपनी मज़िल के करीब पहुँच गये मेरा लंड एक के बाद एक झटके से पिचकारियाँ मारने लगा ऑर मेरा सारा माल नाज़ी की चूत की गहराइयो मे उतरने लगा मेरे लंड की हर पिचकारी के साथ वो मज़े से सस्सस्स अहह सस्स्सस्स ऊओह कर रही थी हम दोनो बुरी तरह हाँफ रहे थे ऑर पसीने से भीगे पड़े थे वो मेरी छाती पर सिर रख कर अपनी साँस को दुरुस्त करने लगी कुछ देर मे ही हम दोनो एक दम नॉर्मल हो गये थे ऑर मेरा लंड भी अपनी खुंराक मिलने के बाद शांत होके बैठ चुका था... साँस के दुरुस्त होने के बाद नाज़ी मेरे उपर से उठी ऑर मेरा लंड पुउउक्ककक की आवाज़ से उसकी चूत से बाहर निकल आया साथ ही मेरा ऑर उसका माल भी उसकी चूत से बहता हुआ मेरी रान पर गिरने लगा... साथ ही मेरे कानो मे नाज़ी की आवाज़ टकराई...
नाज़ी: हाए ये खून कहाँ से आ गया...
मैं: तुम्हारा निकला है... जब पहली बार करते हैं तो निकलता है...
नाज़ी: इतना सारा खून...
मैं: कुछ नही होता पहली बार आता है...
उसके बाद वो बिना कुछ कहे खड़ी हुई ऑर इधर उधर देखने लगी ऑर फिर संदूक खोलकर एक कपड़ा उठा लाई जिससे पहले उसने मेरी रान सॉफ की ऑर फिर उसी कपड़े से अपनी चूत को अच्छे से सॉफ किया मैं लेटा उसको देख रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था... वो भी मुझे देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी...
नाज़ी: ये क्या किया है... गंदे कही के... (मुँह बना कर)
मैं बिना कुछ बोले उसको देख कर मुस्कुरा रहा था... फिर उसने जल्दी से अपने कपड़े उठाए ऑर कमरे मे ही एक कौने पर जाके अपनी चूत को पानी से धो कर सॉफ करने लगी... मैं भी खड़ा हुआ ऑर उसके पिछे चला गया उसने पानी डाल कर मेरे लंड को भी अच्छे से सॉफ किया जो कि उसके खून ऑर हम दोनो के माल से भरा पड़ा था... उसके बाद हमने कपड़े पहने ऑर वापिस उसी चद्दर की एक तरफ जहाँ सॉफ थी वहाँ जाके लेट गये नाज़ी इस बार भी मेरे उपर ही लेटी थी ऑर मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी... अब मैं आँखें बंद किए लेटा था ऑर ख़ान के आने का इंतज़ार कर रहा था कि कब ख़ान आए ऑर उसको मार कर मैं अपने बिज़्नेस का लॉस ऑर मेरे परिवार के साथ हुई ज़्यादती का बदला ले सकूँ...
मैं नाज़ी के साथ सेक्स करके काफ़ी थक गया था इसलिए कुछ ही देर मे मुझे नींद ने अपनी आगोश मे ले लिया...
नाज़ी: झटके मत दो अब दर्द हो रहा है वैसे ही पहले जैसे गोल-गोल करो उसमे मज़ा आता है...
मैं: ठीक है
उसके बाद मैं अपनी गान्ड को गोल-गोल घुमाने लगा जिससे लंड अंदर चूत की दीवारो टकरा रहा था...
नाज़ी: अंदर जलन हो रही है इसको फिर से गीला कर लो ना...
मैं: हमम्म
मैं लंड को चूत से बाहर निकाला ऑर अपने हाथ पर ढेर सारा थूक इकट्ठा करके अपने लंड पर लगा लिया अब मैने लंड को फिर से चूत के निशाने पर रखा ऑर धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा जिससे नाज़ी को फिर से दर्द होने लगा इसलिए उसने सस्सस्स के साथ अपनी फिर से आँखें बंद कर ली...
लंड डालने के बाद मैं कुछ देर वैसे ही चूत मे लंड डाले पड़ा रहा जब नाज़ी का दर्द कम हो गया तो मैने फिर से झटके लगाने शुरू कर दिए इस बार नाज़ी भी अपनी गान्ड को नीचे की तरफ दबा रही थी ऑर साथ मे मेरे होंठ चूस रही थी हम दोनो ही अब मज़िल के करीब थे कुछ तेज़ ऑर ज़ोरदार झटको के साथ मैं ऑर नाज़ी दोनो एक साथ अपनी मज़िल के करीब पहुँच गये मेरा लंड एक के बाद एक झटके से पिचकारियाँ मारने लगा ऑर मेरा सारा माल नाज़ी की चूत की गहराइयो मे उतरने लगा मेरे लंड की हर पिचकारी के साथ वो मज़े से सस्सस्स अहह सस्स्सस्स ऊओह कर रही थी हम दोनो बुरी तरह हाँफ रहे थे ऑर पसीने से भीगे पड़े थे वो मेरी छाती पर सिर रख कर अपनी साँस को दुरुस्त करने लगी कुछ देर मे ही हम दोनो एक दम नॉर्मल हो गये थे ऑर मेरा लंड भी अपनी खुंराक मिलने के बाद शांत होके बैठ चुका था... साँस के दुरुस्त होने के बाद नाज़ी मेरे उपर से उठी ऑर मेरा लंड पुउउक्ककक की आवाज़ से उसकी चूत से बाहर निकल आया साथ ही मेरा ऑर उसका माल भी उसकी चूत से बहता हुआ मेरी रान पर गिरने लगा... साथ ही मेरे कानो मे नाज़ी की आवाज़ टकराई...
नाज़ी: हाए ये खून कहाँ से आ गया...
मैं: तुम्हारा निकला है... जब पहली बार करते हैं तो निकलता है...
नाज़ी: इतना सारा खून...
मैं: कुछ नही होता पहली बार आता है...
उसके बाद वो बिना कुछ कहे खड़ी हुई ऑर इधर उधर देखने लगी ऑर फिर संदूक खोलकर एक कपड़ा उठा लाई जिससे पहले उसने मेरी रान सॉफ की ऑर फिर उसी कपड़े से अपनी चूत को अच्छे से सॉफ किया मैं लेटा उसको देख रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था... वो भी मुझे देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी...
नाज़ी: ये क्या किया है... गंदे कही के... (मुँह बना कर)
मैं बिना कुछ बोले उसको देख कर मुस्कुरा रहा था... फिर उसने जल्दी से अपने कपड़े उठाए ऑर कमरे मे ही एक कौने पर जाके अपनी चूत को पानी से धो कर सॉफ करने लगी... मैं भी खड़ा हुआ ऑर उसके पिछे चला गया उसने पानी डाल कर मेरे लंड को भी अच्छे से सॉफ किया जो कि उसके खून ऑर हम दोनो के माल से भरा पड़ा था... उसके बाद हमने कपड़े पहने ऑर वापिस उसी चद्दर की एक तरफ जहाँ सॉफ थी वहाँ जाके लेट गये नाज़ी इस बार भी मेरे उपर ही लेटी थी ऑर मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी... अब मैं आँखें बंद किए लेटा था ऑर ख़ान के आने का इंतज़ार कर रहा था कि कब ख़ान आए ऑर उसको मार कर मैं अपने बिज़्नेस का लॉस ऑर मेरे परिवार के साथ हुई ज़्यादती का बदला ले सकूँ...
मैं नाज़ी के साथ सेक्स करके काफ़ी थक गया था इसलिए कुछ ही देर मे मुझे नींद ने अपनी आगोश मे ले लिया...