16-11-2021, 03:05 PM
अपडेट-51
हीना: तुम्हारे जाने के बाद तुम नही जानते यहाँ बहुत कुछ हो गया है मेरे साथ भी ऑर तुम्हारे घरवालो के साथ भी...
मैं: क्या हुआ है बताओ तो सही...
हीना: तुम्हारे वालिद ऑर फ़िज़ा अब इस दुनिया मे नही हैं...
मैं: (हैरानी से) क्या... कब हुआ ये सब कैसे हुआ...
हीना: तुम्हारे जाने के बाद बाबा की तबीयत बहुत खराब रहने लगी थी इसलिए मैने ऑर नाज़ी ने मिलकर उनको हॉस्पिटल अड्मिट करवा दिया बिचारी नाज़ी ने बहुत उनकी खिदमत की आखरी वक़्त मे लेकिन उपर वाले की मर्ज़ी के आगे किया भी क्या जा सकता है वो नाज़ी ऑर फ़िज़ा को रोता हुआ छोड़ कर चले गये...
मैं: (अपनी आँख से आँसू सॉफ करते हुए) ऑर फ़िज़ाअ...
हीना: बाबा के जाने के कुछ दिन बाद ही क़ासिम जैल से रिहा होके वापिस आ गया ऑर आते ही उसने दोनो लड़कियो पर ज़ुल्म करने शुरू कर दिए... वो पैसे के लिए रोज़ फ़िज़ा को मारता था उस बेगैरत को इतना भी तरस नही आया कि फ़िज़ा माँ बनने वाली है उसने तो यहाँ तक इनकार कर दिया था कि वो बच्चा उसका नही है ऑर वो फ़िज़ा पर गंदे-गंदे इल्ज़ाम लगा के रोज़ उसको मारता था... ऐसे ही एक बार उसने फ़िज़ा के पेट मे लात मार दी जिससे उसकी तबीयत बहुत ज़्यादा खराब हो गई बिचारी नाज़ी भागी-भागी मेरे पास आई हम दोनो मिलकर उसको शहर लेके गये लेकिन डॉक्टर ने कहा कि फ़िज़ा को बचना बहुत मुश्किल है ऑर बच्चे की जान को भी ख़तरा है इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा लेकिन ऑपरेशन के बाद बच्चा तो बच गया लेकिन फ़िज़ा को डॉक्टर बचा नही सके... लेकिन उसकी निशानी आज भी नाज़ी के पास है... फ़िज़ा के कफ़न दफ़न के बाद क़ासिम ने मकान ऑर खेत पर क़ब्ज़ा कर लिया उसके बाद उसने एक तवायफ़ से शादी कर ली
बिचारी नाज़ी उस बच्चे को भी संभालती थी ऑर दिन भर घर का काम भी करती थी बदले मे उसको 2 वक़्त का खाना भी पूरा नही दिया जाता था क़ासिम की नयी बीवी रोज़ नाज़ी को बहुत मारती थी... फिर एक दिन उस बद-ज़ात औरत ने नाज़ी को भी घर निकाल दिया... क़ासिम के पास जब पैसे ख़तम हो गये तो उसने तुम्हारे खेत मेरे अब्बू को बेच दिए...
मैं: (रोते हुए) नाज़ी ऑर फ़िज़ा का बच्चा कहाँ है...
हीना: (अपने आँसू पोंछते हुए) यही हैं मेरे पास नाज़ी अब हवेली मे ही काम करती है...
मैं: क्या मैं मिल सकता हूँ उन दोनो से...
हीना: हाँ ज़रूर मिल सकते हो लेकिन मुझे नीचे जाने की इजाज़त नही है तुम रूको मैं किसी को भेज कर नाज़ी को बुल्वाती हूँ...
उसके बाद हीना ने मुझे पर्दे के पिछे छुपने को कहा ऑर खुद बाहर खड़े दरबान से नाज़ी को बुला कर लाने का कहा ऑर वापिस आके गेट बंद कर लिया ऑर फिर से आके मेरे पास बेड पर बैठ गई...
मैं: हीना मुझे समझ नही आ रहा मैं ये तुम्हारा अहसान कैसे उतारूँगा तुम नही जानती तुमने मेरे लिए क्या किया है...
हीना: पागल हो क्या मैने कुछ नही किया... ये तो मेरा फ़र्ज़ था तुम्हारे बाद उनका ख़याल मुझे ही तो रखना था ना...
मैं: (हीना के दोनो हाथ चूमते हुए) शुक्रिया... तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया अगर मैं कभी तुम्हारे किसी काम आ सकूँ तो खुद को बहुत खुश नसीब समझूंगा...
हीना: नीर जानना नही चाहोगे मेरी शादी किससे हो रही है...
मैं: (सवालिया नज़रों से हीना को देखते हुए) किस के साथ... ?
हीना: तुम्हारे इनस्पेक्टर ख़ान के साथ...
ये मेरे लिए एक ऑर बड़ा झटका था क्योंकि उसी को तो मैं यहाँ मारने आया था...
मैं: क्य्ाआ...
हीना: मैं उस बेगैरत इंसान से शादी नही करना चाहती नीर क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ उस कमीने ने मेरे अब्बू को भी पता नही कैसे शादी के लिए राज़ी कर लिया है जानते हो जिस कमीने पर तुम अपने परिवार की ज़िम्मेदारी छोड़ कर गये थे उसने एक बार भी आके ये नही देखा कि वो लोग ज़िंदा है या मर गये... बस डॉक्टर रिज़वाना कभी-कभी आती थी जो नाज़ी ऑर फ़िज़ा को कुछ पैसे दे जाया करती थी घर खर्च के लिए उसके बाद उसने भी आना बंद कर दिया सुना है उसकी किसी कार आक्सिडेंट मे मौत हो गई थी... मुझे वो इंसान बिल्कुल पसंद नही है जो इंसान अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से नही संभाल सकता क्या गारंटी है कि वो मेरा ख़याल रख लेगा...
मैं: तुम मुझसे प्यार करती हो हीना... ??
हीना: (मुस्कुरा कर नज़रें नीचे करके हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म... क्या तुम्हारी जिंदगी मे कोई ऑर लड़की है...
मैं: (मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि मैं क्या जवाब दूं लेकिन हीना का मुझ पर अहसान था इसलिए मैने बिना कुछ सोचे समझा उसको हाँ कहने का फ़ैसला कर लिया) नही यार ऐसी कोई बात नही है मुझे भी तुम बहुत पसंद हो... लेकिन तुम मेरी जिंदगी के बारे मे कुछ नही जानती एक बार मेरा सच सुन लो उसके बाद जो तुम्हारा फ़ैसला होगा मुझे मंज़ूर होगा...
हीना: मुझे कुछ नही पता मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ तुम मुझे जिस हाल मे भी रखोगे मैं रह लूँगी ऑर बहुत खुश रहूंगी तुम्हारे साथ...
मैं: लेकिन मैं एक गॅंग्स्टर हूँ ऑर मेरा नाम नीर नही शेरा है...
हीना: तो क्या हुआ गॅंग्स्टर शादी नही करते क्या... मुझे उससे कोई फरक नही पड़ता मैं बस तुमसे प्यार करती हूँ इससे ज़्यादा मुझे कुछ नही पता अब बोलो मुझसे शादी करोगे या नही...
मैं: (बिना कुछ बोले हीना का चेहरा पकड़ कर उसके होंठ चूमते हुए) मिल गया जवाब...
हीना: (आँखें फाड़-फाड़ कर मुझे देखते हुए) हाँ...
तभी किसी ने दरवाज़ा खट-खाटाया तो हम लोग दूर होके बैठ गये... हीना ने मुझे दुबारा पर्दे के पिछे छुप जाने का इशारा किया ऑर खुद दरवाज़ा खोलने चली गई...