16-11-2021, 03:04 PM
कुछ देर गाड़ी मे बैठने के बाद मैं सोचने लगा कि अब मैं कहा जाउ ऑर किससे पुछु इन्न सब लोगो के बारे मे तभी अचानक मुझे याद आया कि हीना मुझे इन सबके बारे मे बता सकती है... मैने फॉरन गाड़ी स्टार्ट की ऑर गाड़ी को हीना की हवेली की तरफ घुमा दिया... मैं उस वक़्त काफ़ी परेशान था इसलिए बहुत तेज़ रफ़्तार से गाड़ी चला रहा था... कुछ ही मिनिट मे मैने गाड़ी को चौधरी की हवेली के सामने रोक दिया... सामने मुझे 2 दरबान बैठे नज़र आए... मैं फॉरन गाड़ी से उतरा ऑर उन दोनो के पास जाके खड़ा हो गया... इन दोनो दरबानो को मैं जानता था इसलिए उनको देखते ही मैने फॉरन पहचान लिया...
दरबान: कौन हो भाई क्या काम है...
मैं: अर्रे भाई मुझे भूल गये क्या मैं नीर हूँ याद आया...
दरबान: (सवालिया नज़रों से मुझे देखते हुए) कौन नीर ... क्या काम है...
मैं: यार भूल गये मैं तुम्हारी छोटी मालकिन को गाड़ी चलानी सिखाता था याद है...
दरबान: (कुछ याद करते हुए) हाँ... हाँ... याद आ गया तुम हैदर बाबा के छोटे बेटे हो ना...
मैं: हाँ मैं उन्ही का बेटा हूँ... मुझे तुम्हारी मेम्साब से मिलना है
दरबान: (हँसते हुए) पागल हो क्या खुद भी मार खाओगे हम को भी मार खिलवाओगे उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है...
मैं: लेकिन समस्या क्या है यार पहले भी तो मैं उनसे मिलता ही था ना...
दरबान: आज छोटी मालकिन की शादी है इसलिए आज उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है...
मैं: क्या... आज हीना की शादी है...
दरबान: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हाँ
मैं: देखो यार मेरा उससे मिलना बहुत ज़रूरी है मेरी मजबूरी को समझो...
दरबान: (आपस मे बात करते हुए) ठीक है लेकिन इसमे हमारा क्या फ़ायदा...
मैं: (अपनी जेब से कुछ पैसे निकाल कर दरबान को देते हुए) अब तो मिल सकता हूँ ना...
दरबान: (खुश हो कर नोट गिनते हुए) कितना वक़्त लगेगा...
मैं: बस 10-15 मिनिट ज़्यादा से ज़्यादा नही...
दरबान: ठीक है लेकिन ज़्यादा वक़्त मत लगाना ये मेरा साथी तुमको पिछे के रास्ते से हवेली मे ले जाएगा लेकिन अगर किसी ने तुमको पकड़ लिया तो हम तुमको नही जानते तुम हम को नही जानते बोलो मंज़ूर है...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) मंज़ूर है अब चलो जल्दी...
उसके बाद एक दरबान मुझे हवेली के पिछे की तरफ ले गया जहाँ से एक छोटा सा दरवाज़ा था जिस पर ताला लगा हुआ था उसने मेरे सामने जल्दी से ताला खोला ऑर फिर हम दोनो अंदर चले गये वो चारो तरफ देखता हुआ ऑर लोगो की नज़रों से बचा कर उपर तक ले आया ऑर उंगली से हीना के कमरे की तरफ इशारा कर दिया...
दरबान: (उंगली से इशारा करते हुए) ये वाला कमरा है छोटी मालकिन का अब जल्दी जाओ ओर ज़्यादा वक़्त मत लगाना कही कोई आ ना जाए नही तो दोनो मरेंगे...
मैं: शुक्रिया... मैं जल्दी आ जाउन्गा...
मैं दबे पाँव हीना के कमरे मे चला गया ऑर कमरे को अंदर से कुण्डी लगा ली ताकि कोई भी बाहर का अंदर ना आ सके... मैं जैसे ही कमरे मे घुसा मुझे सामने बेड पर हीना लेटी हुई नज़र आई जिसकी हालत देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि या तो वो बीमार है या फिर वो सो रही है... उसके पास ही मेरा कुर्ता पाजामा पड़ा था जो उसको मैने पहनने के लिए दिया था जिसे मैने फॉरन पहचान लिया... मैं जल्दी से उसके पास गया ऑर उसको कंधे से हिला कर उठाया...
मैं: (दबी हुई आवाज़ मे) उठो हीना... हीना... हीनाअ
हीना: (बिना मेरी तरफ देखे) दफ़ा हो जाओ यहाँ से मैने कहा ना मैं ये शादी नही करूँगी...
ये बात सुनकर मुझे भी झटका लगा कि ये हीना क्या कह रही है... लेकिन मैं जानना चाहता था कि असल माजरा क्या है हीना क्यो शादी से मना कर रही है...
मैं: (हीना को पकड़कर उठाते हुए) हीना मैं हूँ देखो मुझे एक बार...
हीना: (थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ उठाते हुए) नीर तूमम्म... तुम वापिस आ गये...
मैं: (मुस्कुराते हुए) हाँ मैं वापिस आ गया हूँ क्या हुआ है... तुमने ये क्या हालत बना रखी है अपनी... (अपने हाथ से हीना के बिखरे हुए बाल संवारते हुए)
हीना: (रोते हुए मुझे गले लगाकर) मुझे ले चलो यहाँ से नीर मैं यहाँ एक पल भी अब रहना नही चाहती...
मैं कुछ समझ नही पा रहा था कि हुआ क्या है... इसलिए बिना उससे कोई ऑर सवाल किए मैं उसको चुप करवाने लगा... कुछ देर रोने के बाद वो चुप हो गई फिर मैने पास पड़े ग्लास से उसको पानी पिलाया...
मैं: अब ठीक हो...
हीना: (पानी पीते हुए हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म...
मैं: अब मुझे बताओ क्या हुआ है यहाँ...
दरबान: कौन हो भाई क्या काम है...
मैं: अर्रे भाई मुझे भूल गये क्या मैं नीर हूँ याद आया...
दरबान: (सवालिया नज़रों से मुझे देखते हुए) कौन नीर ... क्या काम है...
मैं: यार भूल गये मैं तुम्हारी छोटी मालकिन को गाड़ी चलानी सिखाता था याद है...
दरबान: (कुछ याद करते हुए) हाँ... हाँ... याद आ गया तुम हैदर बाबा के छोटे बेटे हो ना...
मैं: हाँ मैं उन्ही का बेटा हूँ... मुझे तुम्हारी मेम्साब से मिलना है
दरबान: (हँसते हुए) पागल हो क्या खुद भी मार खाओगे हम को भी मार खिलवाओगे उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है...
मैं: लेकिन समस्या क्या है यार पहले भी तो मैं उनसे मिलता ही था ना...
दरबान: आज छोटी मालकिन की शादी है इसलिए आज उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है...
मैं: क्या... आज हीना की शादी है...
दरबान: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हाँ
मैं: देखो यार मेरा उससे मिलना बहुत ज़रूरी है मेरी मजबूरी को समझो...
दरबान: (आपस मे बात करते हुए) ठीक है लेकिन इसमे हमारा क्या फ़ायदा...
मैं: (अपनी जेब से कुछ पैसे निकाल कर दरबान को देते हुए) अब तो मिल सकता हूँ ना...
दरबान: (खुश हो कर नोट गिनते हुए) कितना वक़्त लगेगा...
मैं: बस 10-15 मिनिट ज़्यादा से ज़्यादा नही...
दरबान: ठीक है लेकिन ज़्यादा वक़्त मत लगाना ये मेरा साथी तुमको पिछे के रास्ते से हवेली मे ले जाएगा लेकिन अगर किसी ने तुमको पकड़ लिया तो हम तुमको नही जानते तुम हम को नही जानते बोलो मंज़ूर है...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) मंज़ूर है अब चलो जल्दी...
उसके बाद एक दरबान मुझे हवेली के पिछे की तरफ ले गया जहाँ से एक छोटा सा दरवाज़ा था जिस पर ताला लगा हुआ था उसने मेरे सामने जल्दी से ताला खोला ऑर फिर हम दोनो अंदर चले गये वो चारो तरफ देखता हुआ ऑर लोगो की नज़रों से बचा कर उपर तक ले आया ऑर उंगली से हीना के कमरे की तरफ इशारा कर दिया...
दरबान: (उंगली से इशारा करते हुए) ये वाला कमरा है छोटी मालकिन का अब जल्दी जाओ ओर ज़्यादा वक़्त मत लगाना कही कोई आ ना जाए नही तो दोनो मरेंगे...
मैं: शुक्रिया... मैं जल्दी आ जाउन्गा...
मैं दबे पाँव हीना के कमरे मे चला गया ऑर कमरे को अंदर से कुण्डी लगा ली ताकि कोई भी बाहर का अंदर ना आ सके... मैं जैसे ही कमरे मे घुसा मुझे सामने बेड पर हीना लेटी हुई नज़र आई जिसकी हालत देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि या तो वो बीमार है या फिर वो सो रही है... उसके पास ही मेरा कुर्ता पाजामा पड़ा था जो उसको मैने पहनने के लिए दिया था जिसे मैने फॉरन पहचान लिया... मैं जल्दी से उसके पास गया ऑर उसको कंधे से हिला कर उठाया...
मैं: (दबी हुई आवाज़ मे) उठो हीना... हीना... हीनाअ
हीना: (बिना मेरी तरफ देखे) दफ़ा हो जाओ यहाँ से मैने कहा ना मैं ये शादी नही करूँगी...
ये बात सुनकर मुझे भी झटका लगा कि ये हीना क्या कह रही है... लेकिन मैं जानना चाहता था कि असल माजरा क्या है हीना क्यो शादी से मना कर रही है...
मैं: (हीना को पकड़कर उठाते हुए) हीना मैं हूँ देखो मुझे एक बार...
हीना: (थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ उठाते हुए) नीर तूमम्म... तुम वापिस आ गये...
मैं: (मुस्कुराते हुए) हाँ मैं वापिस आ गया हूँ क्या हुआ है... तुमने ये क्या हालत बना रखी है अपनी... (अपने हाथ से हीना के बिखरे हुए बाल संवारते हुए)
हीना: (रोते हुए मुझे गले लगाकर) मुझे ले चलो यहाँ से नीर मैं यहाँ एक पल भी अब रहना नही चाहती...
मैं कुछ समझ नही पा रहा था कि हुआ क्या है... इसलिए बिना उससे कोई ऑर सवाल किए मैं उसको चुप करवाने लगा... कुछ देर रोने के बाद वो चुप हो गई फिर मैने पास पड़े ग्लास से उसको पानी पिलाया...
मैं: अब ठीक हो...
हीना: (पानी पीते हुए हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म...
मैं: अब मुझे बताओ क्या हुआ है यहाँ...