16-11-2021, 03:03 PM
मैं करीब 9 घंटे से लगातार गाड़ी चला रहा था इसलिए बुरी तरह थक गया था ऑर मुझे भूख भी बहुत लग रही थी लेकिन आस-पास कही भी कोई होटेल या ढाबा नही खुला था जहाँ मैं खाना खा सकूँ इसलिए मैने गाड़ी चलाते रहना ही मुनासिब समझा मैं सुबह तक लगातार गाड़ी चलाता रहा... सुबह मैं उस शहर मे आ गया था जहाँ हीना अक्सर मुझे इलाज के लिए लाया करती थी... इसलिए गाड़ी को मैने उसी शॉपिंग माल के सामने रोक दिया जहाँ से रिज़वाना ने मुझे कपड़े दिलवाए थे मैने जल्दी से गाड़ी को पार्क किया ऑर उस माल मे चला गया सुबह का वक़्त था इसलिए पूरा माल खाली नज़र आ रहा था वहाँ कोई भी नही था बस दुकान वाले ही आए हुए थे जो अपना-अपना माल सेट कर रहे थे मैने एक दुकान मे जाके नाज़ी, फ़िज़ा, हीना ऑर बाबा के लिए नये कपड़े लिए ऑर कुछ ऑर समान लेके वापिस गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर फिर से अपना सफ़र शुरू कर दिया... उस शहर से मेरा गाँव पास ही था इसलिए जल्दी ही मैं अपने गाव की सरहद मे घुस चुका था जहाँ से मेरा गाव शुरू होता था...
कुछ ही देर मे मैं मेरे गाव के काफ़ी करीब तक पहुँच गया था... लह-लहाते खेत ऑर ताज़ी हवा ने मेरी सारी थकान को एक दम गायब कर दिया गाव की ताज़ी हवा मे साँस लेते ही जैसे मेरा रोम-रोम खिल उठा... मैने गाड़ी साइड पर रोक दी ऑर कुछ देर बाहर आके गाव की ताज़ा हवा ऑर खेतो की हरियाली का मज़ा लेने लगा वही पास ही एक सॉफ पानी का ट्यूब-वेल था जहाँ मैने पानी पीया ऑर चेहरे को धो कर वापिस अपने सफ़र के लिए निकल पड़ा... अब कुछ ही दूरी रह गई थी ऑर अब मैं किसी भी वक़्त मैं मेरे गाव तक पहुँच सकता था इसलिए अब मैने अपनी गाड़ी की रफ़्तार भी बढ़ा दी ... मुझे गाव मे घुसते ही एक अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी एस लग रहा था जैसे मैं अपने घर वापिस आ गया हूँ... कुछ ही दूरी पर मुझे मेरा खेत नज़र आया जहाँ मैं काम किया करता था... मैने फॉरन गाड़ी रोकी ऑर सबसे पहले अपने खेत मे चला गया वहाँ गन्ने की फसल एक दम तैयार खड़ी थी... मैं कुछ देर अपने खेत मे रुका ऑर फसल का जायेज़ा लेने लगा ऑर सोचने लगा की ज़रूर ये फसल नाज़ी ऑर फ़िज़ा ने उगाई होगी फिर वापिस आके अपनी गाड़ी मे बैठ गया ऑर अपनी गाड़ी को अपने घर की तरह दौड़ा दिया आज मैं बेहद खुश था इसलिए बार-बार अपने घरवालो के लिए खरीदे हुए समान को बार-बार देख रहा था ऑर चूम रहा था...
कुछ ही देर मे मैने मेरी गाड़ी मेरे घर के सामने रोक दी... मैं जल्दी से गाड़ी से उतरा ऑर अपना बॅग ऑर घरवालो के लिए खरीदा हुआ समान निकाला ऑर तेज़ कदमो के साथ अपना घर के दरवाज़े के बाहर खड़ा हो गया... मैं बेहद खुश भी था ऑर डर भी रहा था कि जाने इतने वक़्त के बाद सब लोग मुझे देख कर कैसा बर्ताव करेंगे... फ़िज़ा तो ज़रूर मुझसे नाराज़ होगी ऑर नाज़ी तो ज़रूर मेरे साथ झगड़ा तक कर लेगी लेकिन हाँ बाबा ज़रूर मेरा साथ देंगे ऑर उन दोनो को चुप करवा देंगे ऐसे ही काई अन-गिनत ख़याल ऑर अपने ज़ोर-ज़ोर से धड़कते दिल के साथ मैने दरवाज़ा खट-खाटाया... कुछ देर बाद एक औरत ने दरवाज़ा खोला ऑर मेरे सामने आके खड़ी हो गई...
औरत: हाँ क्या काम है...
मैं: जी मैं नीर हुन्न...
औरत: (बेरूख़ी से) कौन नीर ... किससे मिलना है तुमको...
मैं: आप कौन हो ओर यहाँ क्या कर रही हो...
औरत: अरे अजीब आदमी हो मेरे घर मे मुझ से ही पूछ रहे हो कि यहाँ क्या कर रही हूँ... तुम हो कौन ऑर किससे मिलना है...
मैं: जी आप बाबा नाज़ी या फ़िज़ा मे से किसी को भी बुला दीजिए वो मुझे जानते हैं...
औरत: यहाँ इस नाम का कोई नही है दफ़ा हो जाओ यहाँ से...
इतना कह कर उसने मेरे मुँह पर दरवाज़ा बंद कर दिया... मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि ये क्या हुआ सब लोग कहाँ गये ऑर ये कौन औरत थी जो इतनी बेरूख़ी से मुझसे बात कर रही थी... बाबा कहाँ है, फ़िज़ा कहाँ है, नाज़ी कहाँ है ऐसे ही कई सवाल एक साथ मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे जिनका मुझे जवाब ढूँढना था... मैं वापिस उदास ऑर परेशान हालत मे वापिस अपनी गाड़ी के पास आ गया ऑर सारा समान वापिस गाड़ी मे रख दिया...
कुछ ही देर मे मैं मेरे गाव के काफ़ी करीब तक पहुँच गया था... लह-लहाते खेत ऑर ताज़ी हवा ने मेरी सारी थकान को एक दम गायब कर दिया गाव की ताज़ी हवा मे साँस लेते ही जैसे मेरा रोम-रोम खिल उठा... मैने गाड़ी साइड पर रोक दी ऑर कुछ देर बाहर आके गाव की ताज़ा हवा ऑर खेतो की हरियाली का मज़ा लेने लगा वही पास ही एक सॉफ पानी का ट्यूब-वेल था जहाँ मैने पानी पीया ऑर चेहरे को धो कर वापिस अपने सफ़र के लिए निकल पड़ा... अब कुछ ही दूरी रह गई थी ऑर अब मैं किसी भी वक़्त मैं मेरे गाव तक पहुँच सकता था इसलिए अब मैने अपनी गाड़ी की रफ़्तार भी बढ़ा दी ... मुझे गाव मे घुसते ही एक अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी एस लग रहा था जैसे मैं अपने घर वापिस आ गया हूँ... कुछ ही दूरी पर मुझे मेरा खेत नज़र आया जहाँ मैं काम किया करता था... मैने फॉरन गाड़ी रोकी ऑर सबसे पहले अपने खेत मे चला गया वहाँ गन्ने की फसल एक दम तैयार खड़ी थी... मैं कुछ देर अपने खेत मे रुका ऑर फसल का जायेज़ा लेने लगा ऑर सोचने लगा की ज़रूर ये फसल नाज़ी ऑर फ़िज़ा ने उगाई होगी फिर वापिस आके अपनी गाड़ी मे बैठ गया ऑर अपनी गाड़ी को अपने घर की तरह दौड़ा दिया आज मैं बेहद खुश था इसलिए बार-बार अपने घरवालो के लिए खरीदे हुए समान को बार-बार देख रहा था ऑर चूम रहा था...
कुछ ही देर मे मैने मेरी गाड़ी मेरे घर के सामने रोक दी... मैं जल्दी से गाड़ी से उतरा ऑर अपना बॅग ऑर घरवालो के लिए खरीदा हुआ समान निकाला ऑर तेज़ कदमो के साथ अपना घर के दरवाज़े के बाहर खड़ा हो गया... मैं बेहद खुश भी था ऑर डर भी रहा था कि जाने इतने वक़्त के बाद सब लोग मुझे देख कर कैसा बर्ताव करेंगे... फ़िज़ा तो ज़रूर मुझसे नाराज़ होगी ऑर नाज़ी तो ज़रूर मेरे साथ झगड़ा तक कर लेगी लेकिन हाँ बाबा ज़रूर मेरा साथ देंगे ऑर उन दोनो को चुप करवा देंगे ऐसे ही काई अन-गिनत ख़याल ऑर अपने ज़ोर-ज़ोर से धड़कते दिल के साथ मैने दरवाज़ा खट-खाटाया... कुछ देर बाद एक औरत ने दरवाज़ा खोला ऑर मेरे सामने आके खड़ी हो गई...
औरत: हाँ क्या काम है...
मैं: जी मैं नीर हुन्न...
औरत: (बेरूख़ी से) कौन नीर ... किससे मिलना है तुमको...
मैं: आप कौन हो ओर यहाँ क्या कर रही हो...
औरत: अरे अजीब आदमी हो मेरे घर मे मुझ से ही पूछ रहे हो कि यहाँ क्या कर रही हूँ... तुम हो कौन ऑर किससे मिलना है...
मैं: जी आप बाबा नाज़ी या फ़िज़ा मे से किसी को भी बुला दीजिए वो मुझे जानते हैं...
औरत: यहाँ इस नाम का कोई नही है दफ़ा हो जाओ यहाँ से...
इतना कह कर उसने मेरे मुँह पर दरवाज़ा बंद कर दिया... मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि ये क्या हुआ सब लोग कहाँ गये ऑर ये कौन औरत थी जो इतनी बेरूख़ी से मुझसे बात कर रही थी... बाबा कहाँ है, फ़िज़ा कहाँ है, नाज़ी कहाँ है ऐसे ही कई सवाल एक साथ मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे जिनका मुझे जवाब ढूँढना था... मैं वापिस उदास ऑर परेशान हालत मे वापिस अपनी गाड़ी के पास आ गया ऑर सारा समान वापिस गाड़ी मे रख दिया...