16-11-2021, 03:02 PM
आज इतने वक़्त के बाद मैं वापिस उसी जगह जा रहा था जहाँ मुझे नयी जिंदगी मिली थी... मुझे अपने गाँव गये पूरे सवा साल हो चुके थे ऑर इन सवा सालो मे जाने क्या-क्या बदल गया होगा... मैं तेज़ रफ़्तार से गाड़ी भगा रहा था साथ मे बाबा, फ़िज़ा, नाज़ी ऑर हीना के बारे मे भी सोच रहा था जाने वो लोग मेरे बिना कैसे होंगे... रास्ता लंबा था ऑर वक़्त था जो बीतने का नाम ही नही ले रहा था एक-एक पल मेरे लिए एक सदी जैसा हो गया था... मैं गाड़ी भी चला रहा था ऑर अपनी बीती हुई जिंदगी को भी याद कर रहा था...
अचानक मेरी नज़र उसी पेट्रोल पंप पर पड़ी जिस पेट्रोल पंप से मैने पेट्रोल भरवाया था ऑर जब मैं घायल था तो वहाँ पर खड़े लड़के ने मेरी मदद करने की कोशिश भी की थी... वहाँ कुछ लोग तोड़-फोड़ कर रहे थे... मैने उन लोगो को देख कर गाड़ी वही रोक दी ऑर गाड़ी से बाहर निकल आया... वहाँ पर कुछ लोग उस लड़के को बुरी तरह मार रहे थे... मैं तेज़ कदमो के साथ वहाँ गया ऑर जाते ही सामने खड़े हुए आदमी को लात मारी जो उस लड़के को बुरी तरह पीट रहा था मेरी लात खाते ही वो दूर जाके ज़मीन पर गिर गया...
आदमी: कौन है ओये तू...
मैं: क्यो मार रहे हो इस लड़के को...
आदमी: साले ने हम से ब्याज पर पैसा लिया था अपनी माँ के इलाज के लिए अब इसकी माँ को मरे को इतना वक़्त हो गया है ऑर अभी तक हमारा पैसा वापिस नही किया...
मैं: कितना पैसा है...
आदमी: 20,000 ऑर उपर से 15,000 ब्याज...
मैने बिना कोई सवाल जवाब किए अपने जेब मे हाथ डाला ऑर 50,000 रुपये के नोट का बंडल उस आदमी के मुँह पर फैंक दिया...
मैं: (अपनी जेब से गन निकाल कर उसको लोड करते हुए) अब दफ़ा हो जाओ यहाँ से नही तो तुम मे से कोई भी अपनी टाँगो पर चल कर यहाँ से नही जाएगा...
आदमी: बादशाहो हम को हमारे पैसे मिल गये अब हमने इससे क्या लेना है... शुक्रिया...
मैं: (उंगली से जाने का इशारा करते हुए) दफ़ा हो जाओ...
उसके बाद मैने नीचे पड़े उस लड़के को उठाया ऑर पेट्रोल पंप के अंदर ले गया...
मैं: (घड़े से पानी भरते हुए) तुम ठीक हो...
लड़का: जी साहब मैं ठीक हूँ... मुझे समझ नही आ रहा आपका ये अहसान मैं कैसे उतारूँगा...
मैं: मैने तुम पर कोई अहसान नही किया यही समझ लो तुम्हारी अम्मी ने तुम्हारे लिए पैसे भेजे थे...
लड़का: शुक्रिया साहब...
मैं: (लड़के को पानी देते हुए) क्या नाम है तुम्हारा...
लड़का: (पानी पीते हुए) जी... रुस्तम...
मैं: एक बात समझ नही आई तुम्हारा तो ये पेट्रोल पंप है ना फिर तुम्हारे पास पैसे की क्या कमी है...
लड़का: साहब ये पेट्रोल पंप मेरा नही शेरा भाई जान का है मैं तो यहाँ मुलाज़िम हूँ...
मैं: (हैरान होते हुए) क्या शेरा का है ये पेट्रोल पंप...
लड़का: जी साहब पहले शेख़ साहब का होता था लेकिन आज कल इस पेट्रोल पंप के मैल्क शेरा भाई जान हैं...
मैं: (मुस्कुराते हुए) तुमने देखा है शेरा को...
रुस्तम: जी नही साहब... बस नाम ही सुना है... बाबा के जनाज़े पर दूर से देखा था एक बार उसके बाद कभी नही देखा...
मैं: (मुस्कुराते हुए) तो अब नज़दीक से भी देख लो...
रुस्तम: (अपनी जगह से खड़ा होते हुए) आप शेरा भाई हो साहब जी...
मैं: (हां मे सिर हिलाते हुए) दुनिया तो यही कहती है...
रुस्तम: (हाथ जोड़ते हुए) आप एक दम बाबा जैसे हो साहब बाबा ने मुझे रोज़ी दी ऑर आपने आज मेरी जान बचाई... मेरी ये जान आज से आपकी अमानत है अगर कभी मैं आपके काम आ सकूँ तो अपनी खुश नसीबी समझूंगा...
उसके बाद हम कुछ देर बाते करते रहे फिर वहाँ से पेट्रोल भरवा कर उसको कुछ पैसे दिए पेट्रोल पंप की मरम्मत के लिए ऑर कुछ पैसे उसके खुद के इलाज के लिए... फिर मैं अपने सफ़र के लिए वापिस निकल पड़ा...
अचानक मेरी नज़र उसी पेट्रोल पंप पर पड़ी जिस पेट्रोल पंप से मैने पेट्रोल भरवाया था ऑर जब मैं घायल था तो वहाँ पर खड़े लड़के ने मेरी मदद करने की कोशिश भी की थी... वहाँ कुछ लोग तोड़-फोड़ कर रहे थे... मैने उन लोगो को देख कर गाड़ी वही रोक दी ऑर गाड़ी से बाहर निकल आया... वहाँ पर कुछ लोग उस लड़के को बुरी तरह मार रहे थे... मैं तेज़ कदमो के साथ वहाँ गया ऑर जाते ही सामने खड़े हुए आदमी को लात मारी जो उस लड़के को बुरी तरह पीट रहा था मेरी लात खाते ही वो दूर जाके ज़मीन पर गिर गया...
आदमी: कौन है ओये तू...
मैं: क्यो मार रहे हो इस लड़के को...
आदमी: साले ने हम से ब्याज पर पैसा लिया था अपनी माँ के इलाज के लिए अब इसकी माँ को मरे को इतना वक़्त हो गया है ऑर अभी तक हमारा पैसा वापिस नही किया...
मैं: कितना पैसा है...
आदमी: 20,000 ऑर उपर से 15,000 ब्याज...
मैने बिना कोई सवाल जवाब किए अपने जेब मे हाथ डाला ऑर 50,000 रुपये के नोट का बंडल उस आदमी के मुँह पर फैंक दिया...
मैं: (अपनी जेब से गन निकाल कर उसको लोड करते हुए) अब दफ़ा हो जाओ यहाँ से नही तो तुम मे से कोई भी अपनी टाँगो पर चल कर यहाँ से नही जाएगा...
आदमी: बादशाहो हम को हमारे पैसे मिल गये अब हमने इससे क्या लेना है... शुक्रिया...
मैं: (उंगली से जाने का इशारा करते हुए) दफ़ा हो जाओ...
उसके बाद मैने नीचे पड़े उस लड़के को उठाया ऑर पेट्रोल पंप के अंदर ले गया...
मैं: (घड़े से पानी भरते हुए) तुम ठीक हो...
लड़का: जी साहब मैं ठीक हूँ... मुझे समझ नही आ रहा आपका ये अहसान मैं कैसे उतारूँगा...
मैं: मैने तुम पर कोई अहसान नही किया यही समझ लो तुम्हारी अम्मी ने तुम्हारे लिए पैसे भेजे थे...
लड़का: शुक्रिया साहब...
मैं: (लड़के को पानी देते हुए) क्या नाम है तुम्हारा...
लड़का: (पानी पीते हुए) जी... रुस्तम...
मैं: एक बात समझ नही आई तुम्हारा तो ये पेट्रोल पंप है ना फिर तुम्हारे पास पैसे की क्या कमी है...
लड़का: साहब ये पेट्रोल पंप मेरा नही शेरा भाई जान का है मैं तो यहाँ मुलाज़िम हूँ...
मैं: (हैरान होते हुए) क्या शेरा का है ये पेट्रोल पंप...
लड़का: जी साहब पहले शेख़ साहब का होता था लेकिन आज कल इस पेट्रोल पंप के मैल्क शेरा भाई जान हैं...
मैं: (मुस्कुराते हुए) तुमने देखा है शेरा को...
रुस्तम: जी नही साहब... बस नाम ही सुना है... बाबा के जनाज़े पर दूर से देखा था एक बार उसके बाद कभी नही देखा...
मैं: (मुस्कुराते हुए) तो अब नज़दीक से भी देख लो...
रुस्तम: (अपनी जगह से खड़ा होते हुए) आप शेरा भाई हो साहब जी...
मैं: (हां मे सिर हिलाते हुए) दुनिया तो यही कहती है...
रुस्तम: (हाथ जोड़ते हुए) आप एक दम बाबा जैसे हो साहब बाबा ने मुझे रोज़ी दी ऑर आपने आज मेरी जान बचाई... मेरी ये जान आज से आपकी अमानत है अगर कभी मैं आपके काम आ सकूँ तो अपनी खुश नसीबी समझूंगा...
उसके बाद हम कुछ देर बाते करते रहे फिर वहाँ से पेट्रोल भरवा कर उसको कुछ पैसे दिए पेट्रोल पंप की मरम्मत के लिए ऑर कुछ पैसे उसके खुद के इलाज के लिए... फिर मैं अपने सफ़र के लिए वापिस निकल पड़ा...