16-11-2021, 03:01 PM
मैं: (हाथ जोड़ते हुए) ऑर कोई हुकुम सरकार...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) अब जल्दी से इधर आओ ऑर पप्पी दो फिर जाओ... बस इतना ही...
मैं: (हैरान होते हुए) अभी... यहाँ पर...
रूबी: क्यो यहाँ कोई परेशानी है क्या...
मैं: नही परेशानी तो नही है लेकिन कोई बच्चा देख सकता है ना...
रूबी: (अपनी कुर्सी से उठ ते हुए) एक मिंट रूको...
रूबी ने जल्दी से जाके दोनो पर्दो को दरवाज़े के आगे कर दिया जिससे बाहर से कोई भी हम को नही देख सकता था फिर वो जल्दी से आके मेरी गोद मे बैठ गई ऑर अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे हार की तरह डाल ली...
मैं: इरादा क्या है सरकार...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) कुछ खास नही तुम्हारी पप्पी लेने का दिल कर रहा है...
मैं: मुझसे तो ऐसे पूछ रही हो जैसे मैं नही कर दूँगा तो नही लोगि...
मेरे इतना कहते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों से जोड़ दिए ऑर एक दिल-क़श अंदाज़ से मेरे होंठ चूसने लगी मैने भी अपनी दोनो बाजू उसकी कमर मे लपेट ली ऑर उसको अपने साथ अच्छी तरह चिपका लिया जिससे उसके मम्मे मुझे मेरी छाती पर चुभने लगे... हम दोनो बड़ी शिद्दत से एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे ऑर हम दोनो की मज़े से आँखें बंद थी...
अचानक मुझे ख़याल आया कि सब लोग बाहर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं इसलिए ना चाहते हुए भी मैने रूबी को खुद से अलग किया... रूबी कुछ देर वैसे ही मेरे गले मे अपनी दोनो बाजू डाले मेरी छाती पर सिर रख कर बैठी रही... फिर वो मेरे उपर से उठ गई ऑर साइड पर खड़ी हो गई... उसके बाद मैं अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ ऑर एक बार फिर से रूबी को गले से लगा लिया
उसके बाद हम दोनो अलग हुए ऑर बाहर आ गये जहाँ बच्चे इधर-उधर भाग रहे थे... रूबी ने सबको डाँट कर उनकी जगह पर वापिस भेज दिया ऑर खुद मेरे साथ यतीम खाने के गेट तक बाहर आ गई जहाँ पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहे थे... उसके बाद सबसे गले मिलने के बाद सबको उनके हिस्से का काम दुबारा याद करवा दिया फिर आख़िर मे मैं रूबी के पास आया ऑर उसको भी गले लगा लिया...
रूबी: जल्दी आ जाना मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी...
मैं: हमम्म अपना ख़याल रखना...
रूबी: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) तुम भी अपना ख़याल रखना ऑर मुझे फोन करते रहना...
मैं: (मुस्कुराते हुए) ठीक है...
उसके बाद सबको अलविदा कह कर मैं वापिस अपनी गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर अपने सफ़र के लिए रवाना हो गया...
रूबी गेट पर खड़ी मुझे जाता हुआ देखती रही...
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