16-11-2021, 02:59 PM
अपडेट-50
उसके बाद कुछ देर ऐसे ही बाते चलती रही फिर आख़िर तय ये हुआ कि बाकी सब लोग धंधा संभालेंगे ऑर मैं ख़ान को मारने जाउन्गा... उसके बाद मैने मीटिंग बर्खास्त की ऑर सब को उनके काम पर लगा दिया ऑर खुद अपनी कार मे बैठकर घर आ गया जहाँ मैने जल्दी से कपड़े पॅक करने लगा... अचानक मुझे रूबी का ख्याल आया जो घर मे नही थी उसको बताए बिना जाना मुझे सही नही लगा इसलिए मैने सोचा जाते हुए उससे भी मिल कर जाउन्गा मैं जानता था वो दिन भर कहाँ होती है... इसलिए मैने जल्दी से अपने कपड़े बॅग मे डाले ऑर साथ मे कुछ हथियार ऑर पैसे भी रख लिए... फिर मैं घर के बाहर आ गया जहाँ गॅंग के तमाम लोग मोजूद थे ऑर मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे...
रसूल: ये क्या शेरा तुम अभी ही जा रहे हो...
मैं: हां मुझे अभी जाना है लेकिन पहले मैं रूबी से मिलना चाहता हूँ उसके बाद जाउन्गा...
लाला: ठीक है फिर हम भी तुम्हारे साथ ही चलते हैं...
उसके बाद मैं अपनी गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर मेरे पिछे तमाम गाडियो का क़ाफ़िला चल पड़ा... कुछ ही देर मे हम यतीम खाने के बाहर थे... वहाँ कुछ बच्चे इधर-उधर घूम रहे थे... मैने बच्चो को देख कर बाकी सब लोगो को बाहर ही रुकने का इशारा किया ऑर खुद यतीम खाने के अंदर चला गया जहाँ बाहर बच्चों को पढ़ाया जा रहा था वहाँ बहुत सी लड़कियाँ ऑर औरते बच्चों को पढ़ा रही थी... मैने चारो तरफ नज़र घुमाई तो एक पेड़ के नीचे कुछ बच्चों को पढ़ाती हुई मुझे रूबी नज़र आई... रूबी को देखकर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई... उस वक़्त उसका चेहरा ब्लॅकबोर्ड की तरफ था मैं चुप चाप जाके बच्चों के साथ बैठ गया जिस पर सब बच्चे मुझे देख कर हँसने लगे... रूबी बच्चों को कुछ पढ़ा रही थी ऑर मैं बस खामोशी से बैठा उसको देख रहा था तभी उसकी आवाज़ आई...
रूबी: सबको समझ आ गया ना...
मैं: मुझे समझ नही आया मेडम जी...
रूबी: (पलट ते हुए) शेरा तुम यहाँ...
मैं: मेडम क्वेस्चन मुझे समझ नही आया दुबारा समझाओ...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) आप ऑफीस मे चलिए मैं अभी आती हूँ...
मैं: (सल्यूट करते हुए) यस मेडम...
मेरी इस हरकत पर सब बच्चे हँसने लग गये ऑर रूबी मुझे आँखें दिखाने लग गई इसलिए मैं चुप चाप वहाँ से उठा ऑर जाके उसके ऑफीस मे बैठ गया ऑफीस मे घुसते ही सामने बाबा की तस्वीर लगी थी मैं उनके नूरानी चेहरे को देख रहा था तभी अचानक एक हाथ मेरे कंधे पर आके रुक गया साथ ही एक मीठी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई...
रूबी: आज क्या बात है सूरज कहीं ग़लत साइड से तो नही निकल गया जो तुमने यहाँ दर्शन दे दिए...
मैं: ऐसी कोई बात नही है मैं बस तुमसे मिलने के लिए आया था...
रूबी: (मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए) नियत तो ठीक है जनाब की... आज दिन मे भी बड़ा रोमेंटिक मूड बना हुआ है...
मैं: (हँसते हुए) नही यार मूड वाली कोई बात नही आक्च्युयली मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा था सोचा तुमसे मिल कर नही जाउन्गा तो तुमको बुरा लगेगा...
रूबी: (अपनी कुर्सी से खड़ी होके मेरे गाल खिचते हुए) हाए मेरी जान बड़ा ख़याल रखने लग गये हो मेरा...
मैं: (अपने गाल छुड़ाते हुए) क्या कर रही हो यार बच्चे देखेंगे तो क्या सोचेंगे...
रूबी: आए... हाए तुम कब्से लोगो की परवाह करने लग गये...
मैं: ज़्यादा शहद मत टपकाओ ऑर मेरी बात सुनो तुमको हर वक़्त मज़ाक ही सूझता है...
रूबी: अच्छा मुझे मज़ाक सूझता है... ऑर वो जो तुम बाहर करके आए हो वो बड़ी सयानी हरकत थी ना यस मेडम... यस मेडम... तब बच्चों ने नही देखा होगा क्या...
मैं: (कान पकड़ते हुए) अच्छा बाबा ग़लती हो गई माफ़ कर दो आगे से नही करूँगा...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) थ्ट्स लाइक आ गुड बॉय... अच्छा बताओ यहाँ कैसे आना हुआ...
मैं: मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ
रूबी: (उदास होते हुए) फिर से जा रहे हो...
मैं: अर्रे मैं हमेशा के लिए नही जा रहा बस कुछ दिन की बात है फिर वापिस आ जाउन्गा...
रूबी: मोबाइल साथ लेके जा रहे हो ना...
मैं: हम्म... क्यो...
रूबी: ठीक है जल्दी वापिस आ जाना ऑर अपना ख़याल रखना ऑर मुझसे रोज़ बात करनी पड़ेगी...
उसके बाद कुछ देर ऐसे ही बाते चलती रही फिर आख़िर तय ये हुआ कि बाकी सब लोग धंधा संभालेंगे ऑर मैं ख़ान को मारने जाउन्गा... उसके बाद मैने मीटिंग बर्खास्त की ऑर सब को उनके काम पर लगा दिया ऑर खुद अपनी कार मे बैठकर घर आ गया जहाँ मैने जल्दी से कपड़े पॅक करने लगा... अचानक मुझे रूबी का ख्याल आया जो घर मे नही थी उसको बताए बिना जाना मुझे सही नही लगा इसलिए मैने सोचा जाते हुए उससे भी मिल कर जाउन्गा मैं जानता था वो दिन भर कहाँ होती है... इसलिए मैने जल्दी से अपने कपड़े बॅग मे डाले ऑर साथ मे कुछ हथियार ऑर पैसे भी रख लिए... फिर मैं घर के बाहर आ गया जहाँ गॅंग के तमाम लोग मोजूद थे ऑर मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे...
रसूल: ये क्या शेरा तुम अभी ही जा रहे हो...
मैं: हां मुझे अभी जाना है लेकिन पहले मैं रूबी से मिलना चाहता हूँ उसके बाद जाउन्गा...
लाला: ठीक है फिर हम भी तुम्हारे साथ ही चलते हैं...
उसके बाद मैं अपनी गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर मेरे पिछे तमाम गाडियो का क़ाफ़िला चल पड़ा... कुछ ही देर मे हम यतीम खाने के बाहर थे... वहाँ कुछ बच्चे इधर-उधर घूम रहे थे... मैने बच्चो को देख कर बाकी सब लोगो को बाहर ही रुकने का इशारा किया ऑर खुद यतीम खाने के अंदर चला गया जहाँ बाहर बच्चों को पढ़ाया जा रहा था वहाँ बहुत सी लड़कियाँ ऑर औरते बच्चों को पढ़ा रही थी... मैने चारो तरफ नज़र घुमाई तो एक पेड़ के नीचे कुछ बच्चों को पढ़ाती हुई मुझे रूबी नज़र आई... रूबी को देखकर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई... उस वक़्त उसका चेहरा ब्लॅकबोर्ड की तरफ था मैं चुप चाप जाके बच्चों के साथ बैठ गया जिस पर सब बच्चे मुझे देख कर हँसने लगे... रूबी बच्चों को कुछ पढ़ा रही थी ऑर मैं बस खामोशी से बैठा उसको देख रहा था तभी उसकी आवाज़ आई...
रूबी: सबको समझ आ गया ना...
मैं: मुझे समझ नही आया मेडम जी...
रूबी: (पलट ते हुए) शेरा तुम यहाँ...
मैं: मेडम क्वेस्चन मुझे समझ नही आया दुबारा समझाओ...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) आप ऑफीस मे चलिए मैं अभी आती हूँ...
मैं: (सल्यूट करते हुए) यस मेडम...
मेरी इस हरकत पर सब बच्चे हँसने लग गये ऑर रूबी मुझे आँखें दिखाने लग गई इसलिए मैं चुप चाप वहाँ से उठा ऑर जाके उसके ऑफीस मे बैठ गया ऑफीस मे घुसते ही सामने बाबा की तस्वीर लगी थी मैं उनके नूरानी चेहरे को देख रहा था तभी अचानक एक हाथ मेरे कंधे पर आके रुक गया साथ ही एक मीठी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई...
रूबी: आज क्या बात है सूरज कहीं ग़लत साइड से तो नही निकल गया जो तुमने यहाँ दर्शन दे दिए...
मैं: ऐसी कोई बात नही है मैं बस तुमसे मिलने के लिए आया था...
रूबी: (मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए) नियत तो ठीक है जनाब की... आज दिन मे भी बड़ा रोमेंटिक मूड बना हुआ है...
मैं: (हँसते हुए) नही यार मूड वाली कोई बात नही आक्च्युयली मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा था सोचा तुमसे मिल कर नही जाउन्गा तो तुमको बुरा लगेगा...
रूबी: (अपनी कुर्सी से खड़ी होके मेरे गाल खिचते हुए) हाए मेरी जान बड़ा ख़याल रखने लग गये हो मेरा...
मैं: (अपने गाल छुड़ाते हुए) क्या कर रही हो यार बच्चे देखेंगे तो क्या सोचेंगे...
रूबी: आए... हाए तुम कब्से लोगो की परवाह करने लग गये...
मैं: ज़्यादा शहद मत टपकाओ ऑर मेरी बात सुनो तुमको हर वक़्त मज़ाक ही सूझता है...
रूबी: अच्छा मुझे मज़ाक सूझता है... ऑर वो जो तुम बाहर करके आए हो वो बड़ी सयानी हरकत थी ना यस मेडम... यस मेडम... तब बच्चों ने नही देखा होगा क्या...
मैं: (कान पकड़ते हुए) अच्छा बाबा ग़लती हो गई माफ़ कर दो आगे से नही करूँगा...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) थ्ट्स लाइक आ गुड बॉय... अच्छा बताओ यहाँ कैसे आना हुआ...
मैं: मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ
रूबी: (उदास होते हुए) फिर से जा रहे हो...
मैं: अर्रे मैं हमेशा के लिए नही जा रहा बस कुछ दिन की बात है फिर वापिस आ जाउन्गा...
रूबी: मोबाइल साथ लेके जा रहे हो ना...
मैं: हम्म... क्यो...
रूबी: ठीक है जल्दी वापिस आ जाना ऑर अपना ख़याल रखना ऑर मुझसे रोज़ बात करनी पड़ेगी...