16-11-2021, 02:51 PM
अपडेट-48
उसके बाद मैने जल्दी से लॉकर खोला ऑर अपने दुश्मनो की फाइल खोल कर देखने लगा उसमे हर आदमी की फोटो के साथ तमाम डीटेल भी साथ दर्ज थी जिनमे तक़रीबन लोगो को मेरे लोग ख़तम कर चुके थे... उसके बाद मैने दूसरी फाइल उठाई जिसमे हमारे दूसरे मुल्क़ो मे कहाँ-कहाँ कॉंटॅक्ट्स है उन सब के बारे मे था... लेकिन तीसरी फाइल वो थी जिसमे हमारे पोलीस मे कितने लोग काम करते थे उनके बारे मे लिखा था... मैने जल्दी से वो फाइल भी निकाली ऑर 1-1 पेज पलटकर देखने लगा लेकिन एक पेज के आते ही मेरे होश उड़ गये क्योंकि मैं कभी सोच भी नही सकता कि ये इंसान भी धोखेबाज़ निकलेगा मतलब इसी ने राणा की ओर मेरी खबर छोटे तक पहुँचाई थी...
मैं हैरान परेशान उस फाइल मे लगी तस्वीर को देख रहा था... मेरा सारा बदन ठंडा पड़ गया था ऑर मैं समझ नही पा रहा था कि मेरे साथ ये क्या हो गया है... क्योंकि वो तस्वीर किसी ऑर की नही बल्कि इनस्पेक्टर ख़ान ऑर रिज़वाना की थी... इन दोनो पर ही मैने ऐतबार किया था ऑर आज मुझे दोनो तरफ से एक साथ धोखे का झटका लगा था... क्योंकि ख़ान वो इंसान था जिसने मुझे यहाँ भेजा था इस गांग को ख़तम करने के लिए ऑर रिज़वाना वो थी जो मेरे लिए सब कुछ छोड़ने का दावा करती थी मुझसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करने का दावा करती थी... अब मुझे सारी कहानी समझ मे आ रही थी कि क्यो रिज़वाना मेरे इतने करीब आई क्यो ख़ान ने मुझे रिज़वाना के पास ही रहने को कहा ऑर क्यो मुझे तेयार करके यहाँ भेजा गया... राणा की मौत, क़ानून की वफ़ादारी, ज़ुर्म का ख़ात्मा सब नाटक था ख़ान का... उन दोनो की तस्वीर देख कर मैं गुस्से से पागल हुआ जा रहा था लेकिन ये बात मैं बड़े शेख़ साहब (बाबा) को ज़ाहिर नही कर सकता था कि मैं उन दोनो को जानता हूँ ऑर मुझे यहाँ एक इनफॉर्मर बनाके उन्होने ही भेजा है... मेरा दिमाग़ सुन्न हो गया था कुछ समझ नही आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ कहाँ जाउ क्योंकि मैं उनके बनाए हुए जाल मे फस गया था ये एक ऐसा दल-दल था जहाँ रह कर ही मैं ज़िंदा रह सकता था क्योंकि अगर अब मैं इस गॅंग को छोड़ता तो मेरे लोग ही मुझे ख़तम कर देते इनसे बच भी जाता तो अब मैं भी क़ानून का मुजरिम था क़ानून मुझे कभी माफ़ नही करता ऑर ज़ाहिर सी बात है अब मुझे क़ानून से माफी मिलने का भी कोई रास्ता नही था... इसलिए जिन लोगो ने मुझे इस मुसीबत मे फसाया था उनको ख़तम करने के बारे मे सोचने लगा... अब मैं ये काम कर भी सकता था क्योंकि अब मैं इस गॅंग का लीडर था... लेकिन इनको अब मैं इनके ही हथियार से मारना चाहता था जैसा धोखा इन्होने मेरे साथ किया था वैसा ही धोखा इनको देना चाहता था... मैं अपने ही ख़यालो मे खोया हुआ था कि अचानक बाबा की आवाज़ मेरे कानो से टकराई...
बाबा: क्या हुआ बेटा कहाँ खो गये...
मैं: (चोन्क्ते हुए) जी... जी कुछ नही बाबा...
बाबा: क्या सोचने लगे...
मैं: कुछ नही बाबा मैं बस तस्वीरे देख रहा था... क्या ये पोलीस मे सब कम करने वाले लोग हमारे हैं...
बाबा: बेटा किसी ज़माने मे ये सब लोग हमारे ही थे लेकिन जब से छोटा अलग हुआ है गॅंग से तो उसके लोग उसके लिए काम करते हैं ऑर हमारे लोग हमारे लिए...
मैं: क्या बाबा उस डिपार्टमेंट मे हमारे लोग भी है...
बाबा: हाँ बेटा अब भी हमारे लोग वहाँ मोजूद है...
मैने ये बात सुनते ही जल्दी से लॉकर बंद किया ऑर वो फाइल उठा के ले आया जिसमे तमाम इनफॉर्मर्स की इन्फर्मेशन थी...
मैं: बताओ बाबा इसमे हमारे लोग कौन है...
बाबा: लेकिन तुम्हे आज पोलीस मे हमारे इनफॉर्मर की क्या ज़रूरत पड़ गई अचानक...
मैं: बाबा मैं हर जगह से गॅंग को मजबूत करना चाहता हूँ कही कोई कमज़ोरी बाकी नही रहने देना चाहता इसलिए जो छोटे के लिए काम करते हैं उनको ख़तम करवा दूँगा जिससे छोटे का इन्फर्मेशन रॅकेट टूट जाएगा...
बाबा: (खुश होते हुए) ये हुई ना बात... तुमने ठीक कहा अगर उसका धंधा ख़तम कर दिया तो वो भी ख़तम हो जाएगा... लेकिन बेटा ये तुम करोगे कैसे...
मैं: बाबा आप बस देखते जाइए मैं क्या-क्या करता हूँ...
बाबा: (मुस्कुराते हुए) आज क्या बात है बहुत दिन बाद मुझे मेरे पुराना शेरा नज़र आ रहा है तुम्हारे अंदर...
मैं: बस बाबा अब तो आपको पुराने वेल शेरा से भी क़ाबिल ओर ख़तरनाक बनके दिखौँगा...
उसके बाद मैने जल्दी से लॉकर खोला ऑर अपने दुश्मनो की फाइल खोल कर देखने लगा उसमे हर आदमी की फोटो के साथ तमाम डीटेल भी साथ दर्ज थी जिनमे तक़रीबन लोगो को मेरे लोग ख़तम कर चुके थे... उसके बाद मैने दूसरी फाइल उठाई जिसमे हमारे दूसरे मुल्क़ो मे कहाँ-कहाँ कॉंटॅक्ट्स है उन सब के बारे मे था... लेकिन तीसरी फाइल वो थी जिसमे हमारे पोलीस मे कितने लोग काम करते थे उनके बारे मे लिखा था... मैने जल्दी से वो फाइल भी निकाली ऑर 1-1 पेज पलटकर देखने लगा लेकिन एक पेज के आते ही मेरे होश उड़ गये क्योंकि मैं कभी सोच भी नही सकता कि ये इंसान भी धोखेबाज़ निकलेगा मतलब इसी ने राणा की ओर मेरी खबर छोटे तक पहुँचाई थी...
मैं हैरान परेशान उस फाइल मे लगी तस्वीर को देख रहा था... मेरा सारा बदन ठंडा पड़ गया था ऑर मैं समझ नही पा रहा था कि मेरे साथ ये क्या हो गया है... क्योंकि वो तस्वीर किसी ऑर की नही बल्कि इनस्पेक्टर ख़ान ऑर रिज़वाना की थी... इन दोनो पर ही मैने ऐतबार किया था ऑर आज मुझे दोनो तरफ से एक साथ धोखे का झटका लगा था... क्योंकि ख़ान वो इंसान था जिसने मुझे यहाँ भेजा था इस गांग को ख़तम करने के लिए ऑर रिज़वाना वो थी जो मेरे लिए सब कुछ छोड़ने का दावा करती थी मुझसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करने का दावा करती थी... अब मुझे सारी कहानी समझ मे आ रही थी कि क्यो रिज़वाना मेरे इतने करीब आई क्यो ख़ान ने मुझे रिज़वाना के पास ही रहने को कहा ऑर क्यो मुझे तेयार करके यहाँ भेजा गया... राणा की मौत, क़ानून की वफ़ादारी, ज़ुर्म का ख़ात्मा सब नाटक था ख़ान का... उन दोनो की तस्वीर देख कर मैं गुस्से से पागल हुआ जा रहा था लेकिन ये बात मैं बड़े शेख़ साहब (बाबा) को ज़ाहिर नही कर सकता था कि मैं उन दोनो को जानता हूँ ऑर मुझे यहाँ एक इनफॉर्मर बनाके उन्होने ही भेजा है... मेरा दिमाग़ सुन्न हो गया था कुछ समझ नही आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ कहाँ जाउ क्योंकि मैं उनके बनाए हुए जाल मे फस गया था ये एक ऐसा दल-दल था जहाँ रह कर ही मैं ज़िंदा रह सकता था क्योंकि अगर अब मैं इस गॅंग को छोड़ता तो मेरे लोग ही मुझे ख़तम कर देते इनसे बच भी जाता तो अब मैं भी क़ानून का मुजरिम था क़ानून मुझे कभी माफ़ नही करता ऑर ज़ाहिर सी बात है अब मुझे क़ानून से माफी मिलने का भी कोई रास्ता नही था... इसलिए जिन लोगो ने मुझे इस मुसीबत मे फसाया था उनको ख़तम करने के बारे मे सोचने लगा... अब मैं ये काम कर भी सकता था क्योंकि अब मैं इस गॅंग का लीडर था... लेकिन इनको अब मैं इनके ही हथियार से मारना चाहता था जैसा धोखा इन्होने मेरे साथ किया था वैसा ही धोखा इनको देना चाहता था... मैं अपने ही ख़यालो मे खोया हुआ था कि अचानक बाबा की आवाज़ मेरे कानो से टकराई...
बाबा: क्या हुआ बेटा कहाँ खो गये...
मैं: (चोन्क्ते हुए) जी... जी कुछ नही बाबा...
बाबा: क्या सोचने लगे...
मैं: कुछ नही बाबा मैं बस तस्वीरे देख रहा था... क्या ये पोलीस मे सब कम करने वाले लोग हमारे हैं...
बाबा: बेटा किसी ज़माने मे ये सब लोग हमारे ही थे लेकिन जब से छोटा अलग हुआ है गॅंग से तो उसके लोग उसके लिए काम करते हैं ऑर हमारे लोग हमारे लिए...
मैं: क्या बाबा उस डिपार्टमेंट मे हमारे लोग भी है...
बाबा: हाँ बेटा अब भी हमारे लोग वहाँ मोजूद है...
मैने ये बात सुनते ही जल्दी से लॉकर बंद किया ऑर वो फाइल उठा के ले आया जिसमे तमाम इनफॉर्मर्स की इन्फर्मेशन थी...
मैं: बताओ बाबा इसमे हमारे लोग कौन है...
बाबा: लेकिन तुम्हे आज पोलीस मे हमारे इनफॉर्मर की क्या ज़रूरत पड़ गई अचानक...
मैं: बाबा मैं हर जगह से गॅंग को मजबूत करना चाहता हूँ कही कोई कमज़ोरी बाकी नही रहने देना चाहता इसलिए जो छोटे के लिए काम करते हैं उनको ख़तम करवा दूँगा जिससे छोटे का इन्फर्मेशन रॅकेट टूट जाएगा...
बाबा: (खुश होते हुए) ये हुई ना बात... तुमने ठीक कहा अगर उसका धंधा ख़तम कर दिया तो वो भी ख़तम हो जाएगा... लेकिन बेटा ये तुम करोगे कैसे...
मैं: बाबा आप बस देखते जाइए मैं क्या-क्या करता हूँ...
बाबा: (मुस्कुराते हुए) आज क्या बात है बहुत दिन बाद मुझे मेरे पुराना शेरा नज़र आ रहा है तुम्हारे अंदर...
मैं: बस बाबा अब तो आपको पुराने वेल शेरा से भी क़ाबिल ओर ख़तरनाक बनके दिखौँगा...