16-11-2021, 02:50 PM
ऐसे ही कुछ दिन गुज़र गये अब मैं सारा काम सीख चुका था... हर काम को मैं बहुत अच्छे से मुक़ाम्मल कर रहा था जिसे देख कर बाबा भी बहुत खुश हो रहे थे कि उनका फ़ैसला सही था... मैं सोच भी नही सकता था कि जहाँ मुझे एक इनफॉर्मर बनाके भेजा गया था वहाँ के तमाम गिरोह का अब मैं हेड बन गया था... अब मैं मेरी मर्ज़ी का मालिक था इसलिए अपने तरीके से अपने बिज़्नेस को चलाने मे लग गया कुछ ही दिन मे मैने बिज़्नेस को बढ़ाना शुरू कर दिया... मेरे बिज़्नेस मे जितनी भी रुकावट थी सबको मैने हटा दिया था क्योंकि जो भी मेरे काम के बीच मे आ रहा था मेरे लोग उसे ख़तम करते जा रहे थे... अब तो ये आलम था कि छोटा ऑर शम्मी भी डर कर कही अंडरग्राउंड हो गये थे मेरी ताक़त दिन-ओ-दिन बढ़ती जा रही ऑर मेरा गॅंग भी बड़ा होता जा रहा था जिसमे मैने हर काम के लिए स्पेशलिस्ट रखे हुए थे जो मेरे एक हुकुम के गुलाम थे... मैं ताक़त के नशे मे ये भी भूल चुका था कि मुझे ख़ान ने किस मक़सद से यहाँ भेजा था... ना तो मेरे दिमाग़ मे नाज़ी थी ना ही हीना ऑर नाही फ़िज़ा थी यहाँ तक की मुझे बेटा मानने वाले बाबा को भी मैं भूल गया... ऐसे ही मुझे काम करते हुए 1 महीना हो गया था...
लेकिन महीने के आखरी दिन जब तमाम लोग अपने बिज़्नेस की कमाई मेरे पास लेके आए तो मैने उन सबको उनका हिस्सा वापिस दे दिया ऑर बाकी का तमाम पैसा बाबा की ही तरह सेफ मे रखने चला गया जो नीचे बाबा के कमरे के नीचे जाती एक सुरंग मे बना हुआ था जहाँ सिर्फ़ मैं ही जा सकता था क्योंकि बाबा ने सिर्फ़ मुझे ही वहाँ जाने का रास्ता बताया था... सबसे पहले मैं सारा पैसा लेके बाबा के पास गया ऑर उनको हिसाब दिया...
मैं: बाबा ये तमाम महीने की कलेक्षन है...
बाबा: बेटा ये तो पहले से काफ़ी ज़्यादा लग रही है तुमने सबको उनका हिस्सा तो दे दिया है ना...
मैं: जी बाबा सबको दे दिया है...
बाबा: ठीक है बेटा... अब मुझे नीचे लेके चलो ऑर एक बार मेरे सामने तुम मुझे सेफ खोल कर दिखा दो तो मुझे भी तसल्ली हो जाएगी...
मैं: जी बाबा...
उसके बाद मैने बाबा को उनकी व्हील चेयर पर बिठाया ऑर उनको नीचे बनी सुरंग मे ले गया ऑर उनको तमाम सेफ खोल कर दिखा दिए जिसे देखकर वो बहुत खुश हुए... बाबा तमाम सेफ के बारे मे मुझे साथ-साथ बताते भी जा रहे थे कि कहाँ कौनसी चीज़ पड़ी है... तभी एक छोटे से लॉकर पर मेरी नज़र गई...
मैं: बाबा उसमे क्या है... (छोटे लॉकर की तरफ इशारा करते हुए)
बाबा: बेटा उसमे हमारे बिज़्नेस की ही फाइल्स है जिसमे हमारे तमाम दुश्मनो के नाम हैं साथ ही कुछ फाइल्स ऐसी है जिसमे हमारे पोलीस मे कौन-कौन से लोग काम करते हैं उनके नाम हैं ऑर बाकी कुछ हमारे विदेशो मे जो लोग कॉंटॅक्ट्स है उनकी डीटेल्स हैं...
मैं: तो बाबा अपने वो फाइल मुझे पहले क्यो नही दी दुश्मनो का भी इलाज कर देते...
बाबा: नही बेटा अभी वो लोग अंडरग्राउंड है तो रहने दो तुम अपने काम पर ध्यान दो जब वो लोग अपनी टाँग अड़ाएँगे तो उनको रास्ते से हटा देना...
मैं: जी बाबा जैसा आप कहे... बाबा आपको ऐतराज़ ना हो तो क्या मैं वो लॉकर भी खोल कर देख लूँ... (छोटे लॉकर की तरफ इशारा करते हुए)
बाबा: (मुस्कुराते हुए) ऐतराज़ कैसा बेटा अब तो सब तुम्हारा है जो चाहे करो...
मैं: (खुश होते हुए) शुक्रिया बाबा...
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लेकिन महीने के आखरी दिन जब तमाम लोग अपने बिज़्नेस की कमाई मेरे पास लेके आए तो मैने उन सबको उनका हिस्सा वापिस दे दिया ऑर बाकी का तमाम पैसा बाबा की ही तरह सेफ मे रखने चला गया जो नीचे बाबा के कमरे के नीचे जाती एक सुरंग मे बना हुआ था जहाँ सिर्फ़ मैं ही जा सकता था क्योंकि बाबा ने सिर्फ़ मुझे ही वहाँ जाने का रास्ता बताया था... सबसे पहले मैं सारा पैसा लेके बाबा के पास गया ऑर उनको हिसाब दिया...
मैं: बाबा ये तमाम महीने की कलेक्षन है...
बाबा: बेटा ये तो पहले से काफ़ी ज़्यादा लग रही है तुमने सबको उनका हिस्सा तो दे दिया है ना...
मैं: जी बाबा सबको दे दिया है...
बाबा: ठीक है बेटा... अब मुझे नीचे लेके चलो ऑर एक बार मेरे सामने तुम मुझे सेफ खोल कर दिखा दो तो मुझे भी तसल्ली हो जाएगी...
मैं: जी बाबा...
उसके बाद मैने बाबा को उनकी व्हील चेयर पर बिठाया ऑर उनको नीचे बनी सुरंग मे ले गया ऑर उनको तमाम सेफ खोल कर दिखा दिए जिसे देखकर वो बहुत खुश हुए... बाबा तमाम सेफ के बारे मे मुझे साथ-साथ बताते भी जा रहे थे कि कहाँ कौनसी चीज़ पड़ी है... तभी एक छोटे से लॉकर पर मेरी नज़र गई...
मैं: बाबा उसमे क्या है... (छोटे लॉकर की तरफ इशारा करते हुए)
बाबा: बेटा उसमे हमारे बिज़्नेस की ही फाइल्स है जिसमे हमारे तमाम दुश्मनो के नाम हैं साथ ही कुछ फाइल्स ऐसी है जिसमे हमारे पोलीस मे कौन-कौन से लोग काम करते हैं उनके नाम हैं ऑर बाकी कुछ हमारे विदेशो मे जो लोग कॉंटॅक्ट्स है उनकी डीटेल्स हैं...
मैं: तो बाबा अपने वो फाइल मुझे पहले क्यो नही दी दुश्मनो का भी इलाज कर देते...
बाबा: नही बेटा अभी वो लोग अंडरग्राउंड है तो रहने दो तुम अपने काम पर ध्यान दो जब वो लोग अपनी टाँग अड़ाएँगे तो उनको रास्ते से हटा देना...
मैं: जी बाबा जैसा आप कहे... बाबा आपको ऐतराज़ ना हो तो क्या मैं वो लॉकर भी खोल कर देख लूँ... (छोटे लॉकर की तरफ इशारा करते हुए)
बाबा: (मुस्कुराते हुए) ऐतराज़ कैसा बेटा अब तो सब तुम्हारा है जो चाहे करो...
मैं: (खुश होते हुए) शुक्रिया बाबा...
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