16-11-2021, 02:48 PM
लेकिन एक रात मे मैं रूबी के बहुत नज़दीक आ गया था उसमे एक अजीब सा अपनापन था जिसने मेरे दिल मे उसके लिए जगह बना दी थी...
कुछ देर ऐसे ही बातें करने के बाद हम दोनो सुबह जल्दी तेयार हो गये क्योंकि हमे बड़े शेख़ साहब (बाबा) से मिलने भी जाना था... उसके बाद हम सुबह बाबा से मिलने चले गये वहाँ कोई ख़ास बात नही हुई बाबा रूबी से यतीम खाने के बारे मे पूछते रहे... बाबा हम दोनो को एक बार फिर साथ देखकर बहुत खुश थे... उसके बाद रूबी मुझसे कही घूमने चलने की ज़िद्द करने लगी इसलिए बाबा से मिलकर वहाँ से हम एक जीप मे बैठे ऑर घूमने चले गये...
मैं रूबी से बातें करते हुए गाड़ी चला रहा था कि अचानक एक कार तेज़ रफ़्तार से मेरे पास से गुज़र गई ऑर आगे जाके कुछ दूरी पर सड़क के बीच मे रुक गई जिसने मुझे भी चोन्का दिया ऑर मैने भी अपनी जीप रोक दी... इससे पहले कि मैं कुछ समझ पता सामने खड़ी कार का दरवाज़ा खुला ऑर उसमे से कुछ लोग निकले ऑर मेरी जीप पर अँधा-धुन्ध गोलियाँ चलाने लगे... मैं इस अचानक हमले के लिए तेयार नही था ना ही उनसे मुक़ाबला करने के लिए उस वक़्त मेरे पास कोई हथियार था... 1 गोली जब जीप के सामने वाले काँच पर लगी तो मैने रूबी को पकड़कर नीचे कर दिया ताकि गोली रूबी को ना लग जाए ऑर जीप को रिवर्स मे पिछे की तरफ चलाने लगा...
रूबी: शेरा ये कौन लोग है जो पागलो की तरह हम पर गोलियाँ चला रहे हैं...
मैं: पता नही शायद छोटे शेख़ के लोग हैं...
रूबी इस तरह अचानक हुआ हमले से बहुत ज़्यादा डर गई थी इसलिए मैने वहाँ से निकलना ही मुनासिब समझा... मैं पूरी रफ़्तार से गाड़ी पिछे की तरफ दौड़ा रहा था ऑर वो लोग लगातार हमारी जीप पर गोलियाँ चला रहे थे... अब हम उनसे काफ़ी दूर आ गये थे इसलिए वो लोग वापिस कार मे बैठ गये ऑर कार को हमारी तरफ भगाने लगे... मैने भी गाड़ी घुमा कर रोड की जगह जंगल मे जीप को घुसा दिया था... मैने अपनी जीप बंद की ऑर रूबी को जीप से उतारकर थोड़ी दूरी पर एक पेड़ के पीछे खड़ा कर दिया जिससे सामने से वो किसी को नज़र नही आ सकती थी...
मैं: तुम यही रूको मैं अभी आता हूँ...
रूबी: कहाँ जा रहे हो शेरा उनके पास हथियार है...
मैं: डरो मत कुछ नही होता उनके पास हथियार है तो शेरा खुद एक हथियार का नाम है...
रूबी: मत जाओ ना... मुझे डर लग रहा है...
मैं: (उसका गाल को सहलाते हुए) कुछ नही होगा फिकर मत करो मैं बस अभी आ रहा हूँ...
तब तक वो कार भी जंगल के बाहर रुक चुकी थी ऑर उसमे बैठे तमाम लोग जंगल के अंदर आ चुके थे... वो 5 लोग थे ऑर सबके हाथ मे पिस्टल थी इसलिए मैं सामने से उनका मुक़ाबला नही कर सकता था... इसलिए मैने एक तरकीब सोची ऑर एक पेड़ पर चढ़ गया जिसकी लताये नीचे ज़मीन पर लटक रही थी... मैने पेड़ पर चढ़ कर कुछ लताओ को पकड़ा ऑर उनका एक फँदा बना लिया... पेड़ बहुत घना था इसलिए नीचे से मुझे कोई देख नही सकता था लेकिन मैं सबको देख पा रहा था उनमे से 2 लोग जल्दी से जीप के पास आए ऑर अंदर देखने लगे जब जीप खाली मिली तो 1 आदमी वही खड़ा हो गया ऑर बाकी 4 लोग इधर उधर मुझे ढूँढने लगे... जो 1 आदमी जीप के पास खड़ा था उस तक मैं आराम से पहुन्च सकता था इसलिए मैने वो लताओ का बनाया हुआ फँदा नीचे फैंका ऑर उस आदमी के गले मे डाल कर झटके से उपर खींच लिया वो आदमी वही मर गया... फिर मैने पेड़ से नीचे छलाँग लगाई ऑर जीप के नीचे घुस गया ऑर बाकी के लोगो का इंतज़ार करने लगा तभी 2 लोग वापिस आते हुए नज़र आए... मुझे नीचे से सिर्फ़ 4 टांगे ही नज़र आ रही थी इसलिए मैने नीचे से वो दोनो लोगो की टाँगो को पकड़ कर खींच दिया जिससे वो दोनो गिर गये... मैं जल्दी से बाहर निकला ऑर पूरी ताक़त के साथ अपने दोनो घुटने उन दोनो के सिर मे मारे जिससे वो दोनो भी वही ढेर हो गये... मैने जल्दी से उन दोनो को धकेल कर जीप के नीचे कर दिया ताकि उनके साथी उनको देख ना सके...
अब सिर्फ़ 2 लोग बचे थे जो ना-जाने कहाँ चले गये थे... मैं वापिस पेड़ पर चढ़ कर उनका इंतज़ार करने लगा कुछ देर इंतज़ार करने के बाद जब कोई नही आया तो मैने पेड़ से नीचे उतरने का सोचा... तभी 1 आदमी सामने से आता हुआ नज़र आया इसलिए मैं वही रुक गया... वो आदमी चारो तरफ देखने लगा शायद वो अपने साथियो को तलाश कर रहा था... मैं उस पर भी हमला करना चाहता था लेकिन वो आदमी मुझसे कुछ दूरी पर खड़ा था इसलिए उसको पास बुलाने के लिए मैने उस आदमी को नीचे फैंक दिया जिसको मैने लताओ का फँदा लगाके मारा था... मेरी ये तरकीब काम कर गई वो दौड़ता हुआ आया ऑर अपने आदमी को देखने लगा इससे पहले कि वो उपर देखता मैने उसके उपर छलाँग लगा दी... लेकिन इस अचानक हमले से उसकी गन से फाइयर निकल गया जिसकी आवाज़ पूरे जुंगल मे गूज़ गई... मैने जल्दी से उसकी गन पकड़ी ऑर उसके मुँह मे उसकी पिस्टल डाल कर फाइयर कर दिया वो भी वही ढेर हो गया... लेकिन अब जो आखरी बचा था वो शायद अलर्ट हो गया था गोली की आवाज़ सुनकर इसलिए मैं जानता था कि वो अपनी कार के पास ही भागेगा इसलिए मैं फॉरन तेज़ी से भागता हुआ उसकी कार के पास चला गया... मैं उसको मारने के चक्कर मे ये भी भूल गया कि रूबी मेरे साथ थी जिसको मैने जंगल मे अकेला छोड़ दिया है... कुछ ही देर मे वो आदमी मुझे रूबी के साथ नज़र आया उसने रूबी के सिर पर गन लगा रखी थी ओर मुझे आवाज़ लगा रहा था...
आदमी: शेरा जहाँ भी है बाहर आजा नही तो ये लड़की गई समझ...
मेरे पास भी अब एक पिस्टल थी लेकिन मैं रूबी की जान का जोखिम नही ले सकता था इसलिए चुप-चाप बाहर आ गया ओर पिस्टल को पिछे अपनी बेल्ट मे सेट कर लिया ताकि उसको पिस्टल नज़र ना आए...
आदमी: सामने आके खड़ा होज़ा...
मैं: लड़की को छोड़ दे...
आदमी: नही तो क्या कर लेगा अगर मैं चाहूं तो तुम दोनो को यही दफ़न कर सकता हूँ...
मैं: तेरे जैसे कितने ही आए ऑर आज ज़मीन के 4 फीट नीचे पड़े हैं इसलिए मुझे गुस्सा मत दिला ऑर इसको छोड़ दे तेरी जान बक्ष दूँगा नही तो साले तडपा-तडपा कर मारूँगा...
आदमी: (हँसते हुए) रस्सी जल गई लेकिन बल नही गया गुस्सा आ गया तो क्या कर लेगा... लगता है तुझे गोली मार कर ही यहाँ से लेके जाना पड़ेगा तू ज़िंदा तो चलेगा नही...
कुछ देर ऐसे ही बातें करने के बाद हम दोनो सुबह जल्दी तेयार हो गये क्योंकि हमे बड़े शेख़ साहब (बाबा) से मिलने भी जाना था... उसके बाद हम सुबह बाबा से मिलने चले गये वहाँ कोई ख़ास बात नही हुई बाबा रूबी से यतीम खाने के बारे मे पूछते रहे... बाबा हम दोनो को एक बार फिर साथ देखकर बहुत खुश थे... उसके बाद रूबी मुझसे कही घूमने चलने की ज़िद्द करने लगी इसलिए बाबा से मिलकर वहाँ से हम एक जीप मे बैठे ऑर घूमने चले गये...
मैं रूबी से बातें करते हुए गाड़ी चला रहा था कि अचानक एक कार तेज़ रफ़्तार से मेरे पास से गुज़र गई ऑर आगे जाके कुछ दूरी पर सड़क के बीच मे रुक गई जिसने मुझे भी चोन्का दिया ऑर मैने भी अपनी जीप रोक दी... इससे पहले कि मैं कुछ समझ पता सामने खड़ी कार का दरवाज़ा खुला ऑर उसमे से कुछ लोग निकले ऑर मेरी जीप पर अँधा-धुन्ध गोलियाँ चलाने लगे... मैं इस अचानक हमले के लिए तेयार नही था ना ही उनसे मुक़ाबला करने के लिए उस वक़्त मेरे पास कोई हथियार था... 1 गोली जब जीप के सामने वाले काँच पर लगी तो मैने रूबी को पकड़कर नीचे कर दिया ताकि गोली रूबी को ना लग जाए ऑर जीप को रिवर्स मे पिछे की तरफ चलाने लगा...
रूबी: शेरा ये कौन लोग है जो पागलो की तरह हम पर गोलियाँ चला रहे हैं...
मैं: पता नही शायद छोटे शेख़ के लोग हैं...
रूबी इस तरह अचानक हुआ हमले से बहुत ज़्यादा डर गई थी इसलिए मैने वहाँ से निकलना ही मुनासिब समझा... मैं पूरी रफ़्तार से गाड़ी पिछे की तरफ दौड़ा रहा था ऑर वो लोग लगातार हमारी जीप पर गोलियाँ चला रहे थे... अब हम उनसे काफ़ी दूर आ गये थे इसलिए वो लोग वापिस कार मे बैठ गये ऑर कार को हमारी तरफ भगाने लगे... मैने भी गाड़ी घुमा कर रोड की जगह जंगल मे जीप को घुसा दिया था... मैने अपनी जीप बंद की ऑर रूबी को जीप से उतारकर थोड़ी दूरी पर एक पेड़ के पीछे खड़ा कर दिया जिससे सामने से वो किसी को नज़र नही आ सकती थी...
मैं: तुम यही रूको मैं अभी आता हूँ...
रूबी: कहाँ जा रहे हो शेरा उनके पास हथियार है...
मैं: डरो मत कुछ नही होता उनके पास हथियार है तो शेरा खुद एक हथियार का नाम है...
रूबी: मत जाओ ना... मुझे डर लग रहा है...
मैं: (उसका गाल को सहलाते हुए) कुछ नही होगा फिकर मत करो मैं बस अभी आ रहा हूँ...
तब तक वो कार भी जंगल के बाहर रुक चुकी थी ऑर उसमे बैठे तमाम लोग जंगल के अंदर आ चुके थे... वो 5 लोग थे ऑर सबके हाथ मे पिस्टल थी इसलिए मैं सामने से उनका मुक़ाबला नही कर सकता था... इसलिए मैने एक तरकीब सोची ऑर एक पेड़ पर चढ़ गया जिसकी लताये नीचे ज़मीन पर लटक रही थी... मैने पेड़ पर चढ़ कर कुछ लताओ को पकड़ा ऑर उनका एक फँदा बना लिया... पेड़ बहुत घना था इसलिए नीचे से मुझे कोई देख नही सकता था लेकिन मैं सबको देख पा रहा था उनमे से 2 लोग जल्दी से जीप के पास आए ऑर अंदर देखने लगे जब जीप खाली मिली तो 1 आदमी वही खड़ा हो गया ऑर बाकी 4 लोग इधर उधर मुझे ढूँढने लगे... जो 1 आदमी जीप के पास खड़ा था उस तक मैं आराम से पहुन्च सकता था इसलिए मैने वो लताओ का बनाया हुआ फँदा नीचे फैंका ऑर उस आदमी के गले मे डाल कर झटके से उपर खींच लिया वो आदमी वही मर गया... फिर मैने पेड़ से नीचे छलाँग लगाई ऑर जीप के नीचे घुस गया ऑर बाकी के लोगो का इंतज़ार करने लगा तभी 2 लोग वापिस आते हुए नज़र आए... मुझे नीचे से सिर्फ़ 4 टांगे ही नज़र आ रही थी इसलिए मैने नीचे से वो दोनो लोगो की टाँगो को पकड़ कर खींच दिया जिससे वो दोनो गिर गये... मैं जल्दी से बाहर निकला ऑर पूरी ताक़त के साथ अपने दोनो घुटने उन दोनो के सिर मे मारे जिससे वो दोनो भी वही ढेर हो गये... मैने जल्दी से उन दोनो को धकेल कर जीप के नीचे कर दिया ताकि उनके साथी उनको देख ना सके...
अब सिर्फ़ 2 लोग बचे थे जो ना-जाने कहाँ चले गये थे... मैं वापिस पेड़ पर चढ़ कर उनका इंतज़ार करने लगा कुछ देर इंतज़ार करने के बाद जब कोई नही आया तो मैने पेड़ से नीचे उतरने का सोचा... तभी 1 आदमी सामने से आता हुआ नज़र आया इसलिए मैं वही रुक गया... वो आदमी चारो तरफ देखने लगा शायद वो अपने साथियो को तलाश कर रहा था... मैं उस पर भी हमला करना चाहता था लेकिन वो आदमी मुझसे कुछ दूरी पर खड़ा था इसलिए उसको पास बुलाने के लिए मैने उस आदमी को नीचे फैंक दिया जिसको मैने लताओ का फँदा लगाके मारा था... मेरी ये तरकीब काम कर गई वो दौड़ता हुआ आया ऑर अपने आदमी को देखने लगा इससे पहले कि वो उपर देखता मैने उसके उपर छलाँग लगा दी... लेकिन इस अचानक हमले से उसकी गन से फाइयर निकल गया जिसकी आवाज़ पूरे जुंगल मे गूज़ गई... मैने जल्दी से उसकी गन पकड़ी ऑर उसके मुँह मे उसकी पिस्टल डाल कर फाइयर कर दिया वो भी वही ढेर हो गया... लेकिन अब जो आखरी बचा था वो शायद अलर्ट हो गया था गोली की आवाज़ सुनकर इसलिए मैं जानता था कि वो अपनी कार के पास ही भागेगा इसलिए मैं फॉरन तेज़ी से भागता हुआ उसकी कार के पास चला गया... मैं उसको मारने के चक्कर मे ये भी भूल गया कि रूबी मेरे साथ थी जिसको मैने जंगल मे अकेला छोड़ दिया है... कुछ ही देर मे वो आदमी मुझे रूबी के साथ नज़र आया उसने रूबी के सिर पर गन लगा रखी थी ओर मुझे आवाज़ लगा रहा था...
आदमी: शेरा जहाँ भी है बाहर आजा नही तो ये लड़की गई समझ...
मेरे पास भी अब एक पिस्टल थी लेकिन मैं रूबी की जान का जोखिम नही ले सकता था इसलिए चुप-चाप बाहर आ गया ओर पिस्टल को पिछे अपनी बेल्ट मे सेट कर लिया ताकि उसको पिस्टल नज़र ना आए...
आदमी: सामने आके खड़ा होज़ा...
मैं: लड़की को छोड़ दे...
आदमी: नही तो क्या कर लेगा अगर मैं चाहूं तो तुम दोनो को यही दफ़न कर सकता हूँ...
मैं: तेरे जैसे कितने ही आए ऑर आज ज़मीन के 4 फीट नीचे पड़े हैं इसलिए मुझे गुस्सा मत दिला ऑर इसको छोड़ दे तेरी जान बक्ष दूँगा नही तो साले तडपा-तडपा कर मारूँगा...
आदमी: (हँसते हुए) रस्सी जल गई लेकिन बल नही गया गुस्सा आ गया तो क्या कर लेगा... लगता है तुझे गोली मार कर ही यहाँ से लेके जाना पड़ेगा तू ज़िंदा तो चलेगा नही...