16-11-2021, 02:44 PM
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अपडेट-46
रात को मैं सुकून से सोया पड़ा था कि अचानक किसी ने मेरा दरवाज़ा खट-खाटाया जिससे एक दम से मेरी नींद खुल गई... मैं अपनी आँखें मलता हुआ दरवाज़े के पास पहुँचा ऑर दरवाज़ा खोल दिया सामने एक लड़की खड़ी थी जो मुझे आँखें फाडे घूर-घूर कर देख रही थी... उसके पिछे रसूल ऑर बाकी कुछ ऑर लोग खड़े थे... वो लड़की शायद कही बाहर से आई थी क्योंकि उसके हाथ मे एक छोटा सा बॅग था ऑर बाकी के कुछ बड़े बॅग्स रसूल ने उठा रखे थे...
मैं: रसूल तुम इतनी रात को यहाँ... ऑर ये कौन है...
रसूल: ये... वो... (नीचे देख कर मुस्कुराते हुए)
इससे पहले कि रसूल अपनी बात पूरी करता वो लड़की ने बिना कुछ बोले मुझे अपने गले से लगा लिया ऑर रोना शुरू कर दिया... मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि ये लड़की कौन है ऑर मुझे इस तरह गले लगाकर क्यो रो रही है...
रसूल: (अपनी आँखों पर हाथ रखते हुए) अहम्... अहम्... अच्छा शेरा भाई सुबह मिलेंगे...
लड़की: (मुझे गले लगाए हुए ही) चलो अंदर...
मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि इतनी रात को ये कौन लड़की है जो इस तरह मेरे घर मे घुस आई है ऑर मुझे पर इतना हक़ जता रही है... वो लड़की मेरे देखते-देखते घर के अंदर चली गई ऑर मैं उसके बाकी बॅग्स उठा कर घर के अंदर ले आया... इससे पहले कि मैं उस लड़की से कुछ पुछ्ता वो फिर से आके मुझसे चिपक गई ऑर उसने एक साथ मुझसे कई सवाल पूछ लिए...
लड़की: (मेरा चेहरा पकड़कर चूमते हुए) कहाँ चले गये थे मुझे छोड़कर, मेरी याद नही आई तुमको, जानते हो तुमने मुझे कितना रुलाया है, क्या हुआ ऐसा क्यो देख रहे हो मुझे जैसे पहली बार देखा हो...
मैं: (उसको खुद से दूर करते हुए) ये क्या बेहूदगी है कौन हो तुम...
लड़की: अच्छा... तो अब मैं कौन हो गई हूँ... शाबाश... क्या बात है कोई नयी ढूँढ ली है क्या जो अब मुझे पहचानना भी बंद कर दिया है...
मैं: देखिए मुझे कुछ भी याद नही है आक्सिडेंट के बाद से मेरी याददाश्त जा चुकी है...
लड़की: (बेड से उठकर मेरे पास आते हुए) हाए... ये कैसे हो गया...
उसके बाद मैने उसको सारी बात फिर से बता दी जिसको वो बड़े गौर से सुन रही थी...
लड़की: शेरा तुमको मैं भी नही याद...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) नही... मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही है...
लड़की: (परेशान होते हुए) ऊओ... माफ़ करना मुझे पता नही था... मुझे सिर्फ़ इतना ही बताया गया कि मेरा शेरा वापिस आ गया है तो मैं खुशी से पागल हो गई थी ऑर मुझसे सुबह तक भी इंतज़ार नही हुआ इसलिए मैं फॉरन चली आई...
मैं: आपका नाम क्या है...
लड़की: मेरा नाम रुबीना है लेकिन सिर्फ़ तुम मुझे प्यार से रूबी बुलाते थे...
मैं: अच्छा... तुम करती क्या हो
रूबी: मैं यतीम बच्चों की देखभाल करती हूँ ऑर उनको पढ़ाती हूँ... तुम्हारे जाने के बाद यही मेरी जिंदगी थी...
मैं: क्या तुम मेरी बीवी हो...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) कह तो तुम बहुत साल से रहे हो कि शादी करेंगे लेकिन अभी तक वो दिन आया नही है...
मैं: तुमने खाना खा लिया...
रूबी: तुमको देखते ही सारी भूख मिट गई... अब तो सुबह ही खाएँगे दोनो साथ मे... खैर जाने दो ये सब... अब काफ़ी रात हो गई है बाकी बातें सुबह करेंगे... मैं कपड़े बदलने जा रही हूँ उसके बाद सो जाते हैं ठीक है...
मैं: ठीक है
मेरे घर मे एक ही बेड था इसलिए मैने उसको अपने बिस्तर पर सुलाना ही मुनासिब समझा ऑर खुद अपना बिस्तर सोफे पर लगा लिया... इतनी देर मे रूबी भी कपड़े बदलकर आ गई थी जो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी...
रूबी: क्या कर रहे हो जनाब...
मैं: बिस्तर कर रहा हूँ अपना...
रूबी: सोफे पर...
मैं: हंजी बेड पर आप सो जाना मैं सोफे पर सो जाउन्गा...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) हाए तुम इतने शरीफ कब्से हो गये... कोई ज़रूरत नही सोफे पर सोने की चलो यहाँ आओ ऑर मेरे साथ आके सो जाओ...
मैं: क्या पहले भी हम साथ मे सोते थे...
रूबी: हां बाबा... पहले भी साथ मे ही सोते थे अब चलो आओ यहाँ ऑर आके सो जाओ मैं तुमको खा नही जाउन्गी...
मैं: ठीक है
उसके बाद मैं उसके साथ जाके लेट गया वो मेरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी ऑर मुझे ही देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी... मैं उसको बड़े गौर से देख रहा था ऑर याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन अफ़सोस मुझे कुछ भी याद नही आ रहा था... लड़की देखने मे काफ़ी खूबसूरत थी बड़ी-बड़ी आँखें, पतले से होंठ, तीखा सा लेकिन बहुत छोटा सा नाक ऑर गालो पर पड़ने वाली बालो की छोटी सी लट तो उउफफफ्फ़ एक दम जानलेवा थी... मैं काफ़ी देर उसको देखता रहा ऑर वो मुझे देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी इसलिए मैने ही बात शुरू की...
मैं: क्या हुआ रूबी...
रूबी: (ना मे सिर हिलाते हुए) मुझे अपनी किस्मत पर यक़ीन नही हो रहा कि तुम वापिस आ गये हो जानते हो तुम्हारे बिना एक-एक दिन मैने मौत जैसा गुज़ारा है...
मैं: अब तो वापिस आ गया हूँ ना
रूबी: लेकिन अब तुम पहले जैसे नही हो...
मैं: क्यो पहले मे ऑर अब मे क्या फरक पड़ा है ओर मैं पहले कैसा था...
रूबी: एम्म्म... पहले बहुत बदमाश थे हमेशा मुझे सताते रहते थे अब तो...
मैं: अब तो क्या...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) कुछ नही जाने दो... एक बात बोलूं अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो...
मैं: हमम्म बोलो...
रूबी: तुमको गले लगने का बहुत दिल कर रहा है अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो...
ये बात सुनकर जाने क्यो मैने खुद उसे गले लगा लिया... ये पहली बार था जब मैं खुद उसको अपने गले से लगाया था... मेरे बिना कुछ बोले इस तरह गले लगाने से वो भी बहुत खुश हो गई ऑर उसने भी अपनी उपर वाली बाजू मेरी कमर मे डालकर मुझे ज़ोर से पकड़ लिया... कुछ देर वो ऐसे ही मेरे साथ गले लगी लेटी रही फिर अचानक मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो रो रही हो इसलिए मैने फॉरन उसका चेहरा अपने हाथो से पकड़कर उपर किया तो वो सच मे रो रही थी...
मैं: (उठकर बैठते हुए) क्या हुआ रो क्यो रही हो... मेरा तुमको गले लगाना बुरा लगा?
रूबी: (आँसू साफ करते हुए ऑर ना मे सिर हिलाते हुए) नही बहुत अच्छा लगा ऑर ये तो खुशी के आँसू हैं... जानते हो इस पल का मैने कितना इंतज़ार किया है...
मैं: मुझे माफ़ कर दो मैं भी तुमको छोड़ कर नही जाना चाहता था लेकिन उस दिन जाने मे क्यो चला गया ऑर उसके बाद मेरे साथ ये सब हो गया... मैं तो तुम्हारा दर्द भी नही बाँट सकता क्योंकि मुझे कुछ भी याद नही है...
रूबी: कोई बात नही अब मैं आ गई हूँ ना तुमको सब याद आ जाएगा... ऑर आगे से मुझे कभी छोड़कर कभी मत जाना...
मैं: (कान पकड़ते हुए) नही जाउन्गा...
उसके बाद हम दोनो फिर से लेट गये इस बार वो मेरे उपर लेटी थी ओर मेरी गाल पर अपने नाज़ुक से हाथ फेर रही थी...
रूबी: तुमने मूच्छे सॉफ करदी अपनी...
मैं: हमम्म क्यो अच्छा नही लग रहा...
रूबी: नही... नही... बहुत अच्छे लग रहे हो... उल्टा मैं तो खुद तुमको इससे सॉफ करने को कहती थी लेकिन तुम हमेशा ये कहकर मना कर देते थे कि मूछ के बिना शेर अच्छा नही लगेगा... अब खुद ही देखो मेरा शेर क्लीन शेव कितना सेक्शी लगता है... (मेरी गाल चूमते हुए)
मैं: (बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए) कमाल है आज तक तो लड़कियाँ ही सेक्सी होती थी अब लड़के भी सेक्सी हो गये हैं...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) तुम तो मेरे सब कुछ हो... मेरी जान हो...
मैं: जानती हो मुझे 2 दिन हो गये यहाँ आए हुए ऑर तुम मुझे आज मिलने आई हो...
रूबी: मैं क्या करती मुझे रसूल भाई जान ने बताया ही आज है नही तो तुमको क्या लगता है मैं रुकने वाली थी क्या... तुमको नही पता मैने तुम्हारे बिना ये वक़्त कैसे निकाला है तुम साथ होते थे तो ऐसा लगता था मेरी हर खुशी मेरे पास है मैं हमेशा महफूज़ हूँ लेकिन तुम्हारे जाने के बाद तो जैसे मेरी दुनिया ही लूट गई थी मैं सारा दिन रोती रहती थी ऑर यही तुम्हारे घर मे ही पड़ी रहती थी फिर एक दिन रसूल भाई जान की बीवी असमा भाभी ने मुझे समझाया ओर मैने तुम्हारे अधुरे सपने को ही अपना मक़सद बना लिया...
मैं: मेरा सपना... कौनसा...
रूबी: तुम्हारी ख्वाहिश थी कि तुम अपना एक यतीम खाना खोलो जहाँ तमाम बे-घर बच्चो को अच्छी तालीम ऑर अच्छा खाना पीना मिल सके इसलिए मैने बाबा की इजाज़त से तुम्हारा सपना पूरा किया ऑर तुम्हारे नाम से एक यतीम खाना खोल दिया बस अब मैं सारा दिन उन्ही बच्चो को पढ़ती रहती हूँ...
मैं: ये तो तुम बहुत नेक़ काम कर रही हो...
उसके बाद हम सुबह तक ऐसे ही बातें करते रहे सुबह कब हुई हम दोनो को पता ही नही चला
अपडेट-46
रात को मैं सुकून से सोया पड़ा था कि अचानक किसी ने मेरा दरवाज़ा खट-खाटाया जिससे एक दम से मेरी नींद खुल गई... मैं अपनी आँखें मलता हुआ दरवाज़े के पास पहुँचा ऑर दरवाज़ा खोल दिया सामने एक लड़की खड़ी थी जो मुझे आँखें फाडे घूर-घूर कर देख रही थी... उसके पिछे रसूल ऑर बाकी कुछ ऑर लोग खड़े थे... वो लड़की शायद कही बाहर से आई थी क्योंकि उसके हाथ मे एक छोटा सा बॅग था ऑर बाकी के कुछ बड़े बॅग्स रसूल ने उठा रखे थे...
मैं: रसूल तुम इतनी रात को यहाँ... ऑर ये कौन है...
रसूल: ये... वो... (नीचे देख कर मुस्कुराते हुए)
इससे पहले कि रसूल अपनी बात पूरी करता वो लड़की ने बिना कुछ बोले मुझे अपने गले से लगा लिया ऑर रोना शुरू कर दिया... मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि ये लड़की कौन है ऑर मुझे इस तरह गले लगाकर क्यो रो रही है...
रसूल: (अपनी आँखों पर हाथ रखते हुए) अहम्... अहम्... अच्छा शेरा भाई सुबह मिलेंगे...
लड़की: (मुझे गले लगाए हुए ही) चलो अंदर...
मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि इतनी रात को ये कौन लड़की है जो इस तरह मेरे घर मे घुस आई है ऑर मुझे पर इतना हक़ जता रही है... वो लड़की मेरे देखते-देखते घर के अंदर चली गई ऑर मैं उसके बाकी बॅग्स उठा कर घर के अंदर ले आया... इससे पहले कि मैं उस लड़की से कुछ पुछ्ता वो फिर से आके मुझसे चिपक गई ऑर उसने एक साथ मुझसे कई सवाल पूछ लिए...
लड़की: (मेरा चेहरा पकड़कर चूमते हुए) कहाँ चले गये थे मुझे छोड़कर, मेरी याद नही आई तुमको, जानते हो तुमने मुझे कितना रुलाया है, क्या हुआ ऐसा क्यो देख रहे हो मुझे जैसे पहली बार देखा हो...
मैं: (उसको खुद से दूर करते हुए) ये क्या बेहूदगी है कौन हो तुम...
लड़की: अच्छा... तो अब मैं कौन हो गई हूँ... शाबाश... क्या बात है कोई नयी ढूँढ ली है क्या जो अब मुझे पहचानना भी बंद कर दिया है...
मैं: देखिए मुझे कुछ भी याद नही है आक्सिडेंट के बाद से मेरी याददाश्त जा चुकी है...
लड़की: (बेड से उठकर मेरे पास आते हुए) हाए... ये कैसे हो गया...
उसके बाद मैने उसको सारी बात फिर से बता दी जिसको वो बड़े गौर से सुन रही थी...
लड़की: शेरा तुमको मैं भी नही याद...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) नही... मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही है...
लड़की: (परेशान होते हुए) ऊओ... माफ़ करना मुझे पता नही था... मुझे सिर्फ़ इतना ही बताया गया कि मेरा शेरा वापिस आ गया है तो मैं खुशी से पागल हो गई थी ऑर मुझसे सुबह तक भी इंतज़ार नही हुआ इसलिए मैं फॉरन चली आई...
मैं: आपका नाम क्या है...
लड़की: मेरा नाम रुबीना है लेकिन सिर्फ़ तुम मुझे प्यार से रूबी बुलाते थे...
मैं: अच्छा... तुम करती क्या हो
रूबी: मैं यतीम बच्चों की देखभाल करती हूँ ऑर उनको पढ़ाती हूँ... तुम्हारे जाने के बाद यही मेरी जिंदगी थी...
मैं: क्या तुम मेरी बीवी हो...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) कह तो तुम बहुत साल से रहे हो कि शादी करेंगे लेकिन अभी तक वो दिन आया नही है...
मैं: तुमने खाना खा लिया...
रूबी: तुमको देखते ही सारी भूख मिट गई... अब तो सुबह ही खाएँगे दोनो साथ मे... खैर जाने दो ये सब... अब काफ़ी रात हो गई है बाकी बातें सुबह करेंगे... मैं कपड़े बदलने जा रही हूँ उसके बाद सो जाते हैं ठीक है...
मैं: ठीक है
मेरे घर मे एक ही बेड था इसलिए मैने उसको अपने बिस्तर पर सुलाना ही मुनासिब समझा ऑर खुद अपना बिस्तर सोफे पर लगा लिया... इतनी देर मे रूबी भी कपड़े बदलकर आ गई थी जो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी...
रूबी: क्या कर रहे हो जनाब...
मैं: बिस्तर कर रहा हूँ अपना...
रूबी: सोफे पर...
मैं: हंजी बेड पर आप सो जाना मैं सोफे पर सो जाउन्गा...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) हाए तुम इतने शरीफ कब्से हो गये... कोई ज़रूरत नही सोफे पर सोने की चलो यहाँ आओ ऑर मेरे साथ आके सो जाओ...
मैं: क्या पहले भी हम साथ मे सोते थे...
रूबी: हां बाबा... पहले भी साथ मे ही सोते थे अब चलो आओ यहाँ ऑर आके सो जाओ मैं तुमको खा नही जाउन्गी...
मैं: ठीक है
उसके बाद मैं उसके साथ जाके लेट गया वो मेरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी ऑर मुझे ही देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी... मैं उसको बड़े गौर से देख रहा था ऑर याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन अफ़सोस मुझे कुछ भी याद नही आ रहा था... लड़की देखने मे काफ़ी खूबसूरत थी बड़ी-बड़ी आँखें, पतले से होंठ, तीखा सा लेकिन बहुत छोटा सा नाक ऑर गालो पर पड़ने वाली बालो की छोटी सी लट तो उउफफफ्फ़ एक दम जानलेवा थी... मैं काफ़ी देर उसको देखता रहा ऑर वो मुझे देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी इसलिए मैने ही बात शुरू की...
मैं: क्या हुआ रूबी...
रूबी: (ना मे सिर हिलाते हुए) मुझे अपनी किस्मत पर यक़ीन नही हो रहा कि तुम वापिस आ गये हो जानते हो तुम्हारे बिना एक-एक दिन मैने मौत जैसा गुज़ारा है...
मैं: अब तो वापिस आ गया हूँ ना
रूबी: लेकिन अब तुम पहले जैसे नही हो...
मैं: क्यो पहले मे ऑर अब मे क्या फरक पड़ा है ओर मैं पहले कैसा था...
रूबी: एम्म्म... पहले बहुत बदमाश थे हमेशा मुझे सताते रहते थे अब तो...
मैं: अब तो क्या...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) कुछ नही जाने दो... एक बात बोलूं अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो...
मैं: हमम्म बोलो...
रूबी: तुमको गले लगने का बहुत दिल कर रहा है अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो...
ये बात सुनकर जाने क्यो मैने खुद उसे गले लगा लिया... ये पहली बार था जब मैं खुद उसको अपने गले से लगाया था... मेरे बिना कुछ बोले इस तरह गले लगाने से वो भी बहुत खुश हो गई ऑर उसने भी अपनी उपर वाली बाजू मेरी कमर मे डालकर मुझे ज़ोर से पकड़ लिया... कुछ देर वो ऐसे ही मेरे साथ गले लगी लेटी रही फिर अचानक मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो रो रही हो इसलिए मैने फॉरन उसका चेहरा अपने हाथो से पकड़कर उपर किया तो वो सच मे रो रही थी...
मैं: (उठकर बैठते हुए) क्या हुआ रो क्यो रही हो... मेरा तुमको गले लगाना बुरा लगा?
रूबी: (आँसू साफ करते हुए ऑर ना मे सिर हिलाते हुए) नही बहुत अच्छा लगा ऑर ये तो खुशी के आँसू हैं... जानते हो इस पल का मैने कितना इंतज़ार किया है...
मैं: मुझे माफ़ कर दो मैं भी तुमको छोड़ कर नही जाना चाहता था लेकिन उस दिन जाने मे क्यो चला गया ऑर उसके बाद मेरे साथ ये सब हो गया... मैं तो तुम्हारा दर्द भी नही बाँट सकता क्योंकि मुझे कुछ भी याद नही है...
रूबी: कोई बात नही अब मैं आ गई हूँ ना तुमको सब याद आ जाएगा... ऑर आगे से मुझे कभी छोड़कर कभी मत जाना...
मैं: (कान पकड़ते हुए) नही जाउन्गा...
उसके बाद हम दोनो फिर से लेट गये इस बार वो मेरे उपर लेटी थी ओर मेरी गाल पर अपने नाज़ुक से हाथ फेर रही थी...
रूबी: तुमने मूच्छे सॉफ करदी अपनी...
मैं: हमम्म क्यो अच्छा नही लग रहा...
रूबी: नही... नही... बहुत अच्छे लग रहे हो... उल्टा मैं तो खुद तुमको इससे सॉफ करने को कहती थी लेकिन तुम हमेशा ये कहकर मना कर देते थे कि मूछ के बिना शेर अच्छा नही लगेगा... अब खुद ही देखो मेरा शेर क्लीन शेव कितना सेक्शी लगता है... (मेरी गाल चूमते हुए)
मैं: (बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए) कमाल है आज तक तो लड़कियाँ ही सेक्सी होती थी अब लड़के भी सेक्सी हो गये हैं...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) तुम तो मेरे सब कुछ हो... मेरी जान हो...
मैं: जानती हो मुझे 2 दिन हो गये यहाँ आए हुए ऑर तुम मुझे आज मिलने आई हो...
रूबी: मैं क्या करती मुझे रसूल भाई जान ने बताया ही आज है नही तो तुमको क्या लगता है मैं रुकने वाली थी क्या... तुमको नही पता मैने तुम्हारे बिना ये वक़्त कैसे निकाला है तुम साथ होते थे तो ऐसा लगता था मेरी हर खुशी मेरे पास है मैं हमेशा महफूज़ हूँ लेकिन तुम्हारे जाने के बाद तो जैसे मेरी दुनिया ही लूट गई थी मैं सारा दिन रोती रहती थी ऑर यही तुम्हारे घर मे ही पड़ी रहती थी फिर एक दिन रसूल भाई जान की बीवी असमा भाभी ने मुझे समझाया ओर मैने तुम्हारे अधुरे सपने को ही अपना मक़सद बना लिया...
मैं: मेरा सपना... कौनसा...
रूबी: तुम्हारी ख्वाहिश थी कि तुम अपना एक यतीम खाना खोलो जहाँ तमाम बे-घर बच्चो को अच्छी तालीम ऑर अच्छा खाना पीना मिल सके इसलिए मैने बाबा की इजाज़त से तुम्हारा सपना पूरा किया ऑर तुम्हारे नाम से एक यतीम खाना खोल दिया बस अब मैं सारा दिन उन्ही बच्चो को पढ़ती रहती हूँ...
मैं: ये तो तुम बहुत नेक़ काम कर रही हो...
उसके बाद हम सुबह तक ऐसे ही बातें करते रहे सुबह कब हुई हम दोनो को पता ही नही चला