16-11-2021, 02:41 PM
मैं: बाबा अब मेरे लिए क्या हुकुम है...
बाबा: (अपने तकिये के नीचे हाथ डाल कर गन निकालते हुए) एक म्यान मे 2 तलवारे नही रह सकती शेरा तुमको उसे ख़तम करना होगा ऑर मेरी कुर्सी संभालनी होगी...
मैं: बाबा वो आपका बेटा है
बाबा: मेरे बेटे इस वक़्त मेरे साथ मोजूद हैं... जिसको मैं तुम्हे ख़तम करने के लिए बोल रहा हूँ वो मेरा तो क्या किसी का भी बेटा नही है... मुझे अफ़सोस होता है ऐसी औलाद पर, एक तुम लोग हो जो सिर्फ़ मेरी परवरिश के लिए अपनी जान तक दाँव पर लगाने को तेयार रहते हो मेरे लिए एक वो है जो कुर्सी के लिए अपने ही बाप को मारना चाहता है...
मैं: जी बाबा जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा...
बाबा: (मुस्कुराते हुए) मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटा...
उसके बाद बाबा को हमने आराम करने दिया ऑर हम सब बाहर आके बैठ गये आज मैं बहुत खुश था क्योंकि एक मुद्दत के बाद मुझे सुकून मिला था मैं अब अपने बारे मे सब कुछ जान चुका था...
मैं: यार लाला तुम लोगो से मैं अक्सर इतने सवाल पुछ्ता था कभी तो मुझे बता देते
लाला: यार हम क्या करते बाबा का हुकुम था जब तक तू ठीक नही हो जाता तुझे कुछ ना बताया जाए जानता है अगर छोटे को तेरे बारे मे पता ना चलता तो अब भी तुझे हम लोगो ने कुछ नही बताना था लेकिन अफ़सोस उस कमीने को तेरे बारे मे सब पता चल गया ऑर इसी चक्कर मे जापानी को अपनी जान गँवानी पड़ी...
मैं: यार मैं सच कहता हूँ अगर मुझ पर नशे का असर नही होता तो मैं जापानी को खरॉच भी नही आने देता...
सूमा: हम जानते हैं यार तू हम सब के लिए अपनी जान भी दाव पर लगा सकता है लेकिन क्या करते दोस्त तू एक क़ोरा काग़ज़ बनके वापिस आया था तुझे ये सब कुछ बताते भी तो कैसे...
मैं: कोई बात नही यार तुम लोगो ने ठीक किया
उसके बाद बाकी का दिन ऐसे ही गुज़रा लेकिन आज मैं बहुत खुश था ऑर दिल को एक तसल्ली थी कि मेरा भी कोई है... ऑर सबसे बड़ी बात मुझे मेरा सुकून मिल गया था क्योंकि जो सवाल हमेशा मेरे दिमाग़ मे घूमते रहते थे ऑर मुझे परेशान करते थे उनसे आज मुझे निजात मिल गई थी मेरा दिल चाह रहा था कि मैं अपनी ये खुशी बाबा, नाज़ी, फ़िज़ा, हीना ऑर रिज़वाना के साथ भी बांटु लेकिन अफ़सोस मैं उन लोगो से बहुत दूर था... मेरा दिल चाह रहा था कि काश वो भी आज मेरे साथ होते तो ये देख कर कितना खुश होते कि मेरा भी एक परिवार है जिसमे उन सब लोगो की तरह ये लोग भी बे-इंतेहा प्यार करते हैं... ऐसी सोचो के साथ मेरा पूरा दिन गुज़र गया शाम को रसूल हम सब के लिए खाना ले आया जो हम सब ने मिलकर खाया... उसके बाद मैं रसूल के साथ वापिस अपनी बस्ती मे आ गया ऑर अपने घर मे जाके सुकून से सो गया...
बाबा: (अपने तकिये के नीचे हाथ डाल कर गन निकालते हुए) एक म्यान मे 2 तलवारे नही रह सकती शेरा तुमको उसे ख़तम करना होगा ऑर मेरी कुर्सी संभालनी होगी...
मैं: बाबा वो आपका बेटा है
बाबा: मेरे बेटे इस वक़्त मेरे साथ मोजूद हैं... जिसको मैं तुम्हे ख़तम करने के लिए बोल रहा हूँ वो मेरा तो क्या किसी का भी बेटा नही है... मुझे अफ़सोस होता है ऐसी औलाद पर, एक तुम लोग हो जो सिर्फ़ मेरी परवरिश के लिए अपनी जान तक दाँव पर लगाने को तेयार रहते हो मेरे लिए एक वो है जो कुर्सी के लिए अपने ही बाप को मारना चाहता है...
मैं: जी बाबा जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा...
बाबा: (मुस्कुराते हुए) मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटा...
उसके बाद बाबा को हमने आराम करने दिया ऑर हम सब बाहर आके बैठ गये आज मैं बहुत खुश था क्योंकि एक मुद्दत के बाद मुझे सुकून मिला था मैं अब अपने बारे मे सब कुछ जान चुका था...
मैं: यार लाला तुम लोगो से मैं अक्सर इतने सवाल पुछ्ता था कभी तो मुझे बता देते
लाला: यार हम क्या करते बाबा का हुकुम था जब तक तू ठीक नही हो जाता तुझे कुछ ना बताया जाए जानता है अगर छोटे को तेरे बारे मे पता ना चलता तो अब भी तुझे हम लोगो ने कुछ नही बताना था लेकिन अफ़सोस उस कमीने को तेरे बारे मे सब पता चल गया ऑर इसी चक्कर मे जापानी को अपनी जान गँवानी पड़ी...
मैं: यार मैं सच कहता हूँ अगर मुझ पर नशे का असर नही होता तो मैं जापानी को खरॉच भी नही आने देता...
सूमा: हम जानते हैं यार तू हम सब के लिए अपनी जान भी दाव पर लगा सकता है लेकिन क्या करते दोस्त तू एक क़ोरा काग़ज़ बनके वापिस आया था तुझे ये सब कुछ बताते भी तो कैसे...
मैं: कोई बात नही यार तुम लोगो ने ठीक किया
उसके बाद बाकी का दिन ऐसे ही गुज़रा लेकिन आज मैं बहुत खुश था ऑर दिल को एक तसल्ली थी कि मेरा भी कोई है... ऑर सबसे बड़ी बात मुझे मेरा सुकून मिल गया था क्योंकि जो सवाल हमेशा मेरे दिमाग़ मे घूमते रहते थे ऑर मुझे परेशान करते थे उनसे आज मुझे निजात मिल गई थी मेरा दिल चाह रहा था कि मैं अपनी ये खुशी बाबा, नाज़ी, फ़िज़ा, हीना ऑर रिज़वाना के साथ भी बांटु लेकिन अफ़सोस मैं उन लोगो से बहुत दूर था... मेरा दिल चाह रहा था कि काश वो भी आज मेरे साथ होते तो ये देख कर कितना खुश होते कि मेरा भी एक परिवार है जिसमे उन सब लोगो की तरह ये लोग भी बे-इंतेहा प्यार करते हैं... ऐसी सोचो के साथ मेरा पूरा दिन गुज़र गया शाम को रसूल हम सब के लिए खाना ले आया जो हम सब ने मिलकर खाया... उसके बाद मैं रसूल के साथ वापिस अपनी बस्ती मे आ गया ऑर अपने घर मे जाके सुकून से सो गया...