16-11-2021, 02:14 PM
सुबह अपनी आदत के मुताबिक़ मैं जल्दी उठ गया ऑर नहा-धो कर तेयार हो गया उसके बाद रसूल का बेटा अली मुझे उसके घर बुलाने के लिए आ गया वहाँ मैने रसूल ने ऑर अली ने साथ मिल कर नाश्ता किया... फिर रसूल मुझे वही बैठने का कह कर खुद कहीं चला गया... मैं भी अब एक दम फारिग था इसलिए अली के साथ खेलने मे लग गया... कुछ देर बाद रसूल वापिस आ गया...
रसूल: चलो शेरा चलें...
मैं: कहाँ चलना है...
रसूल: तुम चलो तो सही बहुत से लोग हैं जो तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं...
मैं: अच्छा चलो...
रसूल: सुनो पहले ये कपड़े बदल लो ऑर ये जूते ऑर लॉकेट भी उतार दो...
मैं: लेकिन क्यो
रसूल: सबर करो तुमको तुम्हारे सब सवालो का जवाब मिल जाएगा...
उसके बाद मैं कपड़े बदलकर ऑर रसूल के दिए कपड़े पहनकर रसूल के साथ घर से बाहर निकल गया जहाँ बाहर एक कार हमारा इंतज़ार कर रही थी हम दोनो चुप-चाप उस कार मे जाके बैठ गये... कुछ देर बाद कार ने हम को एक खंडहर के बाहर उतार दिया...
मैं: रसूल ये कौनसी जगह है...
रसूल: (खुश होते हुए) तुम चलो तो सही
मैं सवालिया नज़रों से रसूल को देखता हुआ उसके पीछे-पीछे चलने लगा... खंडहर के अंदर घुसते ही बाहर मुझे बाहर कुछ लोग खड़े नज़र आए जिनके हाथ मे बंदूकें थी... उनको देखते ही मैं अलर्ट हो गया ऑर अपना हाथ पीछे अपनी गन के उपर रख लिया ताकि ज़रूरत पड़ने पर मैं जल्दी से गन निकाल सकूँ... लेकिन वहाँ तो सब उल्टा हो गया था वो लोग मुझे देखते ही खुश हो गये ऑर बारी-बारी मुझसे गले मिलने लगे... वो सब लोग मुझे देख कर बहुत खुश थे... उसके बाद एक आदमी जल्दी से एक क़बर के सामने जाके खड़ा हो गया उसने एक नज़र मुझे मुस्कुरा कर देखा ऑर फिर क़बर पर लगे एक पत्थर को घुमा दिया जिससे क़बर किसी दरवाज़े की तरह खुल गई फिर वो आदमी मुझे पिछे आने का इशारा करके नीचे उतर गया... मैं भी बाकी लोगो के साथ उस क़बर के अंदर उतर गया जो कि बाहर से क़बर जैसी लगती थी लेकिन अंदर से एक ख़ुफ़िया रास्ता थी लेकिन मुझे ये नही पता था कि ये रास्ता जाता कहाँ है मैं बस उनके पीछे-पीछे चल रहा था...
कुछ ही देर मे हम एक आलीशान जगह पर खड़े थे वहाँ नीचे बहुत से लोग पहले से मोजूद थे सब ने बारी-बारी आके मुझे गले से लगाया ऑर जापानी का अफ़सोस किया मेरे साथ... उसके बाद वो लोग मुझे एक कमरे मे ले गये जहाँ एक बुजुर्ग बेड पर लेटे हुए थे जिनके एक तरफ खून की बोतल लगी थी शायद वो बहुत ज़्यादा घायल थे ऑर उनके बाजू मे सूमा, गानी ऑर लाला भी बैठे थे... उनको वहाँ देख कर मैं बेहद हैरान था कि ये लोग यहाँ कैसे हैं...
मैं: तुम दोनो यहाँ कैसे...
लाला: सब बताते हैं पहले बाबा से तो मिल ले यार...
मैं: (चोन्क्ते हुए) क्या ये बड़े शेख़ साहब है?
सूमा: हाँ भाई
बाबा: (हाथ उठाकर मुझे पास आने का इशारा करते हुए) यहाँ आओ बेटा...
मैं: (बाबा का हाथ चूमते हुए) लेकिन छोटा तो बोल रहा था ये दुबई मे हैं...
बाबा: (मेरा हाथ पकड़ते हुए) यहाँ बैठो बेटा मैं जानता हूँ तुम्हारे दिमाग़ मे बहुत से सवाल है ऑर आज मैं तुमको तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूँगा... उसने तुम्हारे साथ ही नही बल्कि हम सब के साथ भी धोखा किया है... लेकिन पहले ये बताओ तुम इतना वक़्त तक थे कहाँ पर ऑर वो कौन फरिश्ते थे जिन्होने तुमको बचाया...
मैने बाबा को अपनी गुज़री हुई तमाम जिंदगी के बारे मे सच-सच बता दिया... उसके बाद मैं अपने सवालो के जवाब चाहता था इसलिए मैने बारी-बारी बाबा से सवाल पुच्छने शुरू कर दिए...
बाबा: अब पुछो बेटा क्या पुच्छना चाहते हो
मैं: बाबा आप तो छोटे के वालिद हैं फिर आपके साथ उसने धोखा किसलिए किया...
बाबा: वो इंसान किसी का वफ़ादार नही उसका पैसा ही मज़हब है ऑर मक्कारी ही ईमान है...
मैं: लेकिन बाबा आपकी ऐसी हालत कैसे हुई...
बाबा: बेटा मैं बहुत पहले जान गया था कि वो मेरी जगह लेने के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है इसलिए मैने अपनी कुर्सी का वारिस उसे नही बल्कि तुम्हे बनाना चाहता था... लेकिन उस को ये बात पता चल गई ऑर उसने दुनिया को ये बताया कि मैं दुबई मे हूँ जबकि मुझे अपने ही क़िले मे क़ैद कर दिया कुछ दिन बाद उसने मेरी तमाम दोलत के बारे मे मुझसे पूछा जब मैने नही बताया तो उसने मुझे भी गोली मार दी अब मेरे बाद मेरे वारिस तुम थे इसलिए उसने तुम पर भी धोखे से हमला करवा दिया तुमको अपने रास्ते से हटाने के लिए... जिसमे तुम तो बच गये लेकिन तुम्हारी याददाश्त ख़तम हो गई उपर वाले के करम से मैं भी बच गया फिर मेरे ये बच्चे तुमको बहुत दिन तक तलाश करते रहे लेकिन तुम्हारी कोई खबर नही मिली... छोटे को शक़ ना हो इसलिए सूमा, लाला, गानी ऑर जापानी उसकी गॅंग मे काम करते रहे सिर्फ़ इसलिए कि उसकी सारी खबर मुझ तक पहुँचती रहे... फिर एक दिन अचानक से तुम भी वापिस आ गये लेकिन तुमको किसी की कोई खबर नही थी तुम्हारे वापिस आ जाने से छोटे की कुर्सी को सबसे बड़ा ख़तरा हो गया इसलिए उसने हर तरीके से तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश की... रिंग मे भी तुम्हारे खिलाफ जो फाइटर खड़ा हुआ था उसको तुम्हे मारने के लिए कहा गया था लेकिन तुमने उसे ही मार दिया फिर तुम्हारी कार मे उसने बॉम लगवाया लेकिन तुम उस दिन घर से बाहर ही नही निकले ऑर तुम फिर बच गये जब जापानी को ये बात पता चली तो उसने तुमको कभी अकेला नही छोड़ा बहाने से हमेशा लाला या जापानी तुम्हारे साथ रहे... उसके बाद जापानी ने तुम्हे अपने साथ रख लिया ऑर हर क़दम पर बिना तुम्हे पता चले तुम्हारी हिफ़ाज़त करता रहा...
मैं: लेकिन बाबा इन्होने तो मुझे भी कभी कुछ नही बताया...
बाबा: बेटा जैसे तुम वापिस आए थे तुमको ये सब बताना ख़तरे से खाली नही था क्योंकि तुम पर नज़र रखी जा रही थी इसलिए मैने ही इनको तुम्हे कुछ बताने से मना किया था...
मैं: एक बात समझ नही आई आपको मेरा पता कैसे चला...
बाबा: (मुस्कुराते हुए) बेटा तुम लोगो को मैने पैदा नही किया तो क्या हुआ लेकिन तुमको मैने पाला है ऑर तुम सब की मैं रग-रग जानता हूँ...