16-11-2021, 01:53 PM
मैं एक सेक्सोलॉजिस्ट डॉ रेखा गुप्ता का किरदार निभा रही हूं। जो अपने जिम में एक यंग ट्रेनर से मिलती है, जिसे उससे प्यार हो जाता है। कहानी इसी के चारों ओर घूमती है कि वह किस तरह इस पर प्रतिक्रिया देती है और आखिरकार उसे जिंदगी की किन वास्तविकताओं के बारे में पता चलता है। इस फिल्म में महिलाओं के बारे में एक बहुत गहरा संदेश है कि जब वे अपनी इच्छाओं और कामुकता के बारे में खुलकर बात करती हैं, तो उन्हें किस तरह आसानी से उपलब्ध माना जाता है। फिल्म में रेखा का एक और पक्ष दिखाया गया है, जो अपने परिवार और काम को लेकर बेहद गंभीर है और लोग उसे जिस तरह से आंकते है वह उससे बिल्कुल भिन्न है।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.