13-11-2021, 04:27 PM
(This post was last modified: 19-11-2021, 06:41 PM by aamirhydkhan1. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गुरुजी के आश्रम में सावित्री
इस कहानी "गुरूजी का ट्रीटमेंट" के मूल लेखक समित भाई है जिन्होंने ये कहानी इंग्लिश में लिखी है . कुछ हिस्सों का हिंदी में अनुवाद मेरे दोस्त दीपक ने किया है कुछ भाग नेट पर अन्यत्र भी उपलभ्ध हैं . ये एक महिला की कहानी है जिसकी कोई संतान नहीं है . वो एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं.?
इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे रजोनिवृति , परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और महा यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है
वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
फिर भी जिन्हे ऐसे विषयो से कोई भी दिक्क्त है वे इस कहानी से दूर रहे .
दीपक कुमार
अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . धर्म या मजहब का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .
इस कहानी "गुरूजी का ट्रीटमेंट" के मूल लेखक समित भाई है जिन्होंने ये कहानी इंग्लिश में लिखी है . कुछ हिस्सों का हिंदी में अनुवाद मेरे दोस्त दीपक ने किया है कुछ भाग नेट पर अन्यत्र भी उपलभ्ध हैं . ये एक महिला की कहानी है जिसकी कोई संतान नहीं है . वो एक आश्रम में जाती है और वहां उसे क्या क्या अनुभव होते हैं.?
इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
मेरा प्रयास है इसी कहानी को थोड़ा आगे बढ़ाने का जिसमे रजोनिवृति , परिकरमा, योनि पूजा , लिंग पूजा और महा यज्ञ में उस महिला के साथ क्या क्या हुआ लिखने का प्रयास करूँगा .. अभी कुछ थोड़ा सा प्लाट दिमाग में है और आपके सुझाव आमनत्रित है और मैं तो चाहता हूँ के बाकी लेखक भी यदि कुछ लिख सके तो उनका भी स्वागत है
वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
फिर भी जिन्हे ऐसे विषयो से कोई भी दिक्क्त है वे इस कहानी से दूर रहे .
दीपक कुमार
अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . धर्म या मजहब का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .