11-11-2021, 12:12 PM
उसके बाद मुझे कुछ याद नही क्योंकि मेरी आँखो के आगे अंधेरा छा गया ऑर मैं फिर से बेहोश हो गया... जब आँख खुली तो मैं वापिस उसी कमरे मे था जहाँ मुझे पहले रखा गया था ऑर मेरे सामने जापानी बैठा था ऑर मेरे मुँह पर पानी मार रहा था...
जापानी: उठ जा मेरे बाप साला कब्से सोया पड़ा है...
मैं: (अपनी आँखें सॉफ करते हुए) जापानी तू यहाँ...
जापानी: हाँ मैं... अब बात सुन मेरी ये सब साले पागल हो गये हैं लेकिन मैं जानता हूँ तू मेरा भाई है मेरा शेरा...
मैं: तू यहाँ कैसे आया...
जापानी: वो सब छोड़ ये ले मेरी गन ऑर ये कुछ पैसे रख ले तेरे काम आएँगे ऑर ये ले मेरी गाड़ी की चाबी... अब तू यहाँ से निकल जा तेरा यहाँ रहना ठीक नही वरना छोटा शेख़ ऑर उसके आदमी तुझे ठोक देंगे...
मैं: लेकिन तू...
जापानी: मेरी फिकर मत कर यार तेरे वैसे ही मुझ पर बहुत अहसान है आज बहुत मुद्दत के बाद मोक़ा मिला है यारी का हक़ अदा करने का अब तू यहाँ से जा ऑर यहाँ से चले जाना यहाँ तू एक दम सेफ रहेगा ऑर तुझे तेरे हर सवाल का जवाब भी मिल जाएगा जो तू अक्सर सबसे पुछ्ता रहता है ऑर इस जगह के बारे मे किसी को कुछ भी मत बताना ( एक पर्ची मेरे हाथ मे देते हुए)
उसके बाद मुझे कमरे के बाहर फाइयर की आवाज़ सुनाई देने लगी... मैं पूरी तरह होश मे तो नही था फिर भी चलने के क़ाबिल था मुझे जापानी ने पकड़कर जल्दी से खड़ा किया ऑर अपनी कोट की जेब से एक ऑर गन निकाल ली ऑर मेरे आगे आके खड़ा हो गया... ऑर कमरे के बाहर मेरा हाथ पकड़कर ले गया बाहर नीचे बहुत से लोग थे जो फाइयर कर रहे थे... वही बाल्कनी मे कुछ जापानी के लोग भी थे जो जवाब मे फाइयर कर रहे थे लेकिन नीचे खड़े लोगो की तादाद बहुत ज़्यादा थी ऑर उपर खड़े लोग गिनती मे बस 5-6 ही थे... तभी एक गोली आके जापानी के पेट मे लगी... जिससे वो वही गिर गया मैने उसको जल्दी से संभाला ऑर जापानी की दी हुई पिस्टल से मैने भी नीचे खड़े लोगो पर फाइयर करना शुरू कर दिया...
जापानी: तू रहने दे शेरा तू जा यहाँ से हम लोग संभाल लेंगे...
मैं: पागल हो गया तुझे गोली लगी तू चल मेरे साथ जो होगा देखा जाएगा...
जापानी: नही यार अपना साथ यही तक था अब तू जा मैं इनको ज़्यादा देर नही रोक पाउन्गा ऑर याद रखना छोटा शेख़ तुझ पर मेरा उधार है जब हाथ लगे तो साले के भेजे मे गोली मारना मेरी तरफ से... यहाँ किसी पर भी भरोसा मत करना सब साले कुत्ते हैं मेरी बात याद रखना...
मैं: (रोते हुए) यार तू कैसी बात कर रहा है तुझे कुछ नही होगा तू चल मेरे साथ इन सब को मैं अकेला ही देख लूँगा ऑर शेख़ को तू खुद मारेगा...
जापानी: (हँसते हुए) शेर की आँख मे आँसू अच्छे नही लगते तू जा यहाँ से...
तभी एक गोली मेरी गर्दन को छू कर निकल गई जिससे मेरी गर्दन से खून निकलने लगा ऑर दर्द की एक तेज़ लहर मेरे पूरे बदन मे दौड़ गई... ये देखकर जाने जापानी को क्या हुआ उसने मुझे पिछे धक्का दे दिया जिससे मैं ज़मीन पर गिर गया ऑर खुद खड़ा होके अँधा-धुन्ध नीचे खड़े लोगो पर गोलियाँ बरसाने लगा... नशे के इंजेक्षन की वजह से मैं चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था इससे पहले कि मैं खड़ा होता जापानी सीढ़ियो से नीचे उतरने लग गया ऑर उन लोगो पर अपनी दूसरी पिस्टल से भी गोलियाँ चलाने लगा... जब तक मैं वापिस अपने पैरो पर खड़ा हुआ नीचे सब लोग मर चुके थे... ऑर जापानी सीढ़ियो मे पड़ा तड़प रहा था उसके पूरे बदन से पानी की तरह खून निकल रहा था...
मैं दवाई के नशे मे लड़-खडाता हुआ सीढ़ियो से नीचे की तरफ आया ऑर जाके जापानी को देखा तो वो भी मुझे छोड़ कर जा चुका था... मैने आज अपनी जिंदगी का सबसे कीमती दोस्त खो दिया था जिसने जिंदगी के हर मोड़ पर मेरा साथ दिया था... मेरी आँखो मे आँसू ऑर दिल मे छोटे शेख़ के लिए बे-इंतेहा नफ़रत थी... मैने अपने आँसू सॉफ किए ऑर अपने दोस्त जापानी का स्काफ जो वो हमेशा अपने हाथ पर बांधता था उसे उतार कर अपने हाथ पर बाँध लिया ऑर वहाँ से सीधा घर के बाहर निकल गया ऑर जल्दी से जापानी की कार मे बैठ गया...
मैने कार स्टार्ट की ऑर अपनी जेब मे हाथ डाल कर जापानी की दी हुई पर्ची को देखने लगा... उसमे लिखा पता देखा ऑर अपनी कार को तेज़ रफ़्तार से दौड़ा दिया मैं नही जानता था कि जापानी ने मुझे कहाँ भेजा है... मैं काफ़ी देर से गाड़ी चला रहा था ऑर अब मैं उस इलाक़े से काफ़ी दूर भी निकल आया था अचानक मुझे याद आया कि आज के हुए इस हादसे के बारे मे ख़ान को बता दूं ऑर अब आगे क्या करना है ये भी पूछ सकूँ... लेकिन फिर मुझे राणा की याद आई ऑर इतना तो मैं समझ गया कि ज़रूर ख़ान के ऑफीस मे ही कोई खबरी है जो मेरी पल-पल की खबर छोटे शेख़ तक पहुँचा रहा है इसलिए मैने ख़ान को भी उस ठिकाने के बारे मे बताना ठीक नही समझा क्योंकि ये मुमकिन था कि कोई ख़ान का फोन भी टॅप कर रहा हो... यही सब सोचता हुआ मैं लगातार गाड़ी को दौड़ाता रहा कुछ घंटे की ड्राइव के बाद मुझे हाइवे पर एक पेट्रोल पंप नज़र आया वहाँ मैने रुक कर अपनी गाड़ी मे फ़्यूल भरवाया...
मैं: सुनिए यहाँ कोई टेलिफोन है मुझे एक फोन करना है...
लड़का: जी साहब अंदर है कर लीजिए फोन...
मैं: (गाड़ी से बाहर निकलते हुए) शुक्रिया...
लड़का: साहब आपको तो बहुत चोट लगी है ऑर आपकी गर्दन से खून भी निकल रहा है...
मैं: कोई बात नही ये ठीक हो जाएगा मेरा छोटा सा एक्सीडेंट हुआ था...
लड़का: बुरा ना मानो साहब तो मेरा घर पास ही है अगर आप चाहे तो मैं आपकी पट्टी करवा सकता हूँ...
मैं: नही कोई बात नही शुक्रिया...
उसके बाद वहाँ पड़े एक पानी के घड़े से पहले मैने अपना मुँह धोया ऑर अपनी गर्दन पर लगा खून सॉफ किया... क्योंकि इस बात को आब काफ़ी वक़्त हो गया था इसलिए जखम से खून निकलना बंद हो गया था ऑर मेरी गर्दन पर लगा खून भी सूख गया था... उसके बाद मैं पेट्रोल पंप के अंदर चला गया ऑर ख़ान का नंबर डायल किया...
ख़ान: हल्लो...
मैं: हल्लो ख़ान साहब मैं नीर बोल रहा हूँ...
ख़ान: नीर तुम... ये किसका नंबर है
मैं: ख़ान साहब ये एक पेट्रोल पंप का नंबर है ऑर यहाँ बहुत गड़बड़ हो गई है
ख़ान: क्या हुआ...
उसके बाद मैने सारी बात तफ़सील से ख़ान को बता दी...
ख़ान: हमम्म यार ये तो बहुत गड़बड़ हो गई है ऑर तुम्हारी बात एक दम सही है मुझे भी लगता है कोई ना कोई मेरे दफ़्तर मे ही है जो छोटा शेख़ से मिला हुआ है... उस कमीने खबरी की वजह से ही मेरे सबसे खास इनफॉर्मर राणा की जान गई है... खैर कोई बात नही वो सब मैं संभाल लूँगा... अब तुम ये बताओ कि अब तुम कहाँ हो...
मैं: पता नही ख़ान साहब अभी तो मैं उसी शहर मे हूँ ( मैने झूठ बोला क्योंकि जापानी ने मुझे उस जगह के बारे मे किसी को भी बताने से मना किया था)
ख़ान: तुम कुछ दिन के लिए अंडर-ग्राउंड हो जाओ कुछ दिन बाद मुझसे कॉंटॅक्ट करना ऑर मेरे मोबाइल पर फोन करके बताना कि तुम कहाँ हो फिर मैं तुमको तुम्हारा अगला कदम बताउन्गा तब तक छोटे शेख़ को भूल जाओ...
मैं: जी ठीक है...
उसके बाद मैने फोन बंद किया ऑर बाहर आ गया जहाँ वो लड़का खड़ा मेरा ही इंतज़ार कर रहा था... मैने उसको फ़्यूल के पैसे दिए ऑर वापिस अपनी कार मे आके बैठ गया... ऑर वापिस अपनी कार को तेज़ रफ़्तार से दौड़ा दिया... मुझे मेरी मज़िल पर पहुँचते-पहुँचते रात हो गई थी... जापानी ने जहाँ का मुझे पता दिया था मैं नही जानता था कि उसने मुझे कहाँ भेजा है इसलिए मेरे दिमाग़ मे अब भी कई सवाल घूम रहे थे... कुछ ही देर मे मैं अपनी मंज़िल पर पहुँच गया जो एक बस्ती सी लग रही थी... वहाँ काफ़ी घरो मे रोशनी नज़र आ रही थी लेकिन मुझे जितना पता दिया गया था वो सिर्फ़ उस बस्ती तक का ही था आगे मुझे पता नही था कि कौन्से घर मे जाना है क्योंकि वहाँ मुझे बहुत से घर नज़र आ रहे थे... मैं कार से उतरा ऑर एक घर का दरवाज़ा खट-खाटाया...