11-11-2021, 12:11 PM
अपडेट-44
छोटा: (मुझे गन देते हुए) ले भाई शेरा अपना तोहफा क़बूल कर ऑर थोक दे साले को...
मैं: (गन पकड़ते हुए) शेख़ साहब क्या मैं इस हरंखोर का चेहरा देख सकता हूँ एक बार अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो...
छोटा: ज़रूर यार क्यो नही... (अपने आदमी को इशारा करते हुए) नक़ाब हटाओ इसका...
मैं: (चोन्क्ते हुए) ये तो राणा है शेख़ साब...
छोटा: ठीक पहचाना ये राणा ही है साला पोलीस का खबरी है मुझे पता चला है कि इसी ने तुम्हारी इन्फर्मेशन पोलीस तक पहुँचाई थी...
मैं: (गन नीचे करते हुए) लेकिन शेख़ साहब यही तो मुझे यहाँ तक लेके आया था ये कैसे पोलीस का खबरी हो सकता है अगर ये पोलीस का खबरी होता तो मुझे पोलीस तक लेके जाता यहाँ क्यों लाता... आपको किसी ने ग़लत इन्फर्मेशन दी है...
लाला: हाँ शेख़ साहब शेरा सही कह रहा है
छोटा: (अपनी गन निकालते हुए) मैने जो बोला वो करो... तुम लोग अपना भेजा मत चलाओ समझे...
मैं: ख़ान साहब आपको इतना यक़ीन कैसे हैं...
छोटा: (गुस्से से अपनी पिस्टल मेरे सिर पर रखते हुए) तुझे सुना नही मैने क्या बोला तू इसको ठोक नही तो मैं तुझे ठोक दूँगा... 3 गिनने तक का वक़्त देता हूँ तुझे... अगर तेरी गोली नही चली तो मेरी चलेगी...
मैं: शेख़ साहब मेरी बात सुनिए एक बार...
छोटा: 1...
जापानी: यार तू पागल हो गया है ठोक देना साले को इसके लिए क्यो अपनी जान से खेल रहा है...
मैं गहरी सोच मे डूबा हुआ था ऑर फ़ैसला नही कर पा रहा था कि राणा को बचाऊ या खुद को अगर मैं राणा पर गोली नही चलाता तो शेख़ मुझे मार देता लेकिन अब मैं कोई अपराधी नही था इसलिए चाह कर भी उस पर गोली नही चला सकता था... अभी मैं अपनी ही सोचो मे गुम था कि शेख़ की आवाज़ मेरे कानो से टकराई...
छोटा: 2...
मैं: (अपनी गन नीचे करते हुए)
शेख़: तुझसे गोली नही चलेगी नीर... (मेरे हाथ से गन लेते हुए ऑर राणा को अपनी पिस्टल से गोली मारते हुए)
शेख़ ने मेरे सामने राणा को मार दिया... लेकिन ये बात मेरे लिए किसी झटके से कम नही थी कि शेख़ को मेरी असलियत पता थी क्योंकि उसने मुझे शेरा नही नीर कहकर पुकारा था... इसका मतलब ख़ान के दफ़्तर मे कोई था जो शेख़ का आदमी था ऑर उसको मेरे बारे मे सब कुछ बता रहा था...
जापानी: शेख़ साहब ये नीर नही शेरा है...
शेख़: खा गये ना धोखा तुम सब भी... जिसको तुम शेरा समझ रहे हो वो शेरा नही नीर है इसको हमारा काम तमाम करने के लिए ही पोलीस ने यहाँ भेजा है...
जापानी: (चोन्क्ते हुए) क्याआ... नही... नही... शेख़ साहब आपको किसी ने ग़लत इन्फर्मेशन दी है ये शेरा ही है मैं अपने दोस्त को पहचानने मे धोखा नही खा सकता...
शेख़: जो गया था वो शेरा था लेकिन अब जो वापिस आया है ये शेरा नही नीर है समझा...
लाला: लेकिन ये कैसे हो सकता है शेरा मर जाएगा लेकिन पोलीस का साथ कभी नही देगा आप से ज़्यादा हम शेरा को जानते हैं...
शेख़: ठीक है अगर ये शेरा है तो पुछो इसको बाबा का सेफ कहाँ है ऑर उन्होने सारा सोना कहाँ रखा हुआ है... अब ये बात तो सिर्फ़ शेरा ही जानता है ना... अगर ये शेरा है तो इसको साबित करनी होगी ये बात...
मैं: मेरा यक़ीन करो शेख़ साहब मैं शेरा ही हूँ लेकिन मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही है मैं सच कह रहा हूँ...
शेख़: ठीक है फिर याद कर लो आराम से जब तक तुमको याद नही आ जाता तब तक तुम इस घर से बाहर नही जा सकते ( अपने आदमियो को इशारा करते हुए) डाल दो इसको राणा की जगह पर ऑर इसको तब तक मारो जब तक ये सब कुछ बता नही देता...
उसके बाद शेख़ के आदमियो ने मुझे पकड़ लिया ऑर उपर एक कमरे मे ले गये जहाँ मुझे एक कमरे मे बंद कर दिया गया जिसका दरवाज़ा लोहे का बना था... मैं अंदर से चिल्लाता रहा ऑर दरवाज़ा खोलने की नाकाम कोशिश करता रहा... लेकिन दरवाज़ा बंद होने के बाद किसी ने मेरी बात नही सुनी...
अभी मुझे कमरे मे दाखिल हुए कुछ ही देर हुई थी कि दरवाज़े के नीचे से धुआँ आने लगा जिससे मुझे अज़ीब सी घुटन होने लगी ऑर लगातार खाँसी आने लगी... वो अज़ीब किस्म की गॅस थी जिससे कुछ ही देर मे मेरी आँखो के सामने अंधेरा छा गया ऑर मैं बेहोश हो गया... मुझे नही पता मैं कितनी देर वहाँ ज़मीन पर बेहोश पड़ा रहा लेकिन जब मुझे होश आया तो मैं कुर्सी से बँधा पड़ा था... मेरे चारो तरफ बहुत सारे लोग खड़े थे ऑर एक अँग्रेज़ आदमी मेरी बाजू को रूई (कॉटन) से सॉफ कर रहा था...
मैं: कौन हो तुम ऑर मुझे बाँधा क्यो है खोलो मुझे...
अँग्रेज़: रिलॅक्स !!! अभी सब ठीक हो जाएगा... (दूसरे आदमी से एक इंजेक्षन लेते हुए)
मैं: हरामखोर खोल मुझे... (अपने आप को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए)
अँग्रेज़: कम डाउन !!! अभी सब ठीक हो जाएगा...
शेख़: आखरी बार पूछ रहा हूँ बाबा का सेफ कहाँ है ऑर उसको कैसे खोलते हैं बता नही तो कुछ देर बाद तू सब कुछ खुद ही बता देगा...
मैं: मैने बोला ना मुझे कुछ याद नही एक बार बात समझ मे नही आती...
शेख़: डॉक्टर यू कॅन कंटिन्यू ये ऐसे नही बताएगा साला बहुत पुराना पापी है...
उसके बाद वो अँग्रेज़ डॉक्टर ने मुझे वो इंजेक्षन लगा दिया जिससे मुझे एक अजीब सा नशा छाने लगा मेरे चारो तरफ की चीज़े मुझे गोल-गोल घूमती हुई नज़र आने लगी मैं बोलना चाह रहा था लेकिन मुझसे बोला नही जा रहा था ऑर बहुत तेज़ नींद आ रही थी...
अँग्रेज़: (मेरे गाल थप-थपाते हुए) क्या नाम है तुम्हारा...
मैं: (अँग्रेज़ को गौर से देखते हुए) हमम्म्म...
अँग्रेज़: क्या नाम है तुम्हारा...
मैं: कभी शेरा कभी नीर मैं दोनो हूँ हाहहहहहहाहा
अँग्रेज़: तुमको यहाँ किसने भेजा है
मैं: (ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए)
अँग्रेज़: तुमको यहाँ किसने भेजा है
मैं: तेरी माँ ने... हाहहहहहहाहा
शेख़: (मुझे थप्पड़ मारते हुए) डोज बढ़ाओ डॉक्टर...
अँग्रेज़: (एक ऑर इंजेक्षन मुझे लगाते हुए) तुमको यहाँ किसने भेजा है
मैं: बाबा ने (यहाँ मे गाव वाले बाबा का ज़िक्र कर रहा हूँ) हाहहहहहाहा
शेख़: (चोन्क्ते हुए) तुमको बाबा ने किस लिए यहाँ भेजा है
मैं: तेरी मारने के लिए भोसड़ी के... हाहहहहहहाहा
छोटा: (मुझे गन देते हुए) ले भाई शेरा अपना तोहफा क़बूल कर ऑर थोक दे साले को...
मैं: (गन पकड़ते हुए) शेख़ साहब क्या मैं इस हरंखोर का चेहरा देख सकता हूँ एक बार अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो...
छोटा: ज़रूर यार क्यो नही... (अपने आदमी को इशारा करते हुए) नक़ाब हटाओ इसका...
मैं: (चोन्क्ते हुए) ये तो राणा है शेख़ साब...
छोटा: ठीक पहचाना ये राणा ही है साला पोलीस का खबरी है मुझे पता चला है कि इसी ने तुम्हारी इन्फर्मेशन पोलीस तक पहुँचाई थी...
मैं: (गन नीचे करते हुए) लेकिन शेख़ साहब यही तो मुझे यहाँ तक लेके आया था ये कैसे पोलीस का खबरी हो सकता है अगर ये पोलीस का खबरी होता तो मुझे पोलीस तक लेके जाता यहाँ क्यों लाता... आपको किसी ने ग़लत इन्फर्मेशन दी है...
लाला: हाँ शेख़ साहब शेरा सही कह रहा है
छोटा: (अपनी गन निकालते हुए) मैने जो बोला वो करो... तुम लोग अपना भेजा मत चलाओ समझे...
मैं: ख़ान साहब आपको इतना यक़ीन कैसे हैं...
छोटा: (गुस्से से अपनी पिस्टल मेरे सिर पर रखते हुए) तुझे सुना नही मैने क्या बोला तू इसको ठोक नही तो मैं तुझे ठोक दूँगा... 3 गिनने तक का वक़्त देता हूँ तुझे... अगर तेरी गोली नही चली तो मेरी चलेगी...
मैं: शेख़ साहब मेरी बात सुनिए एक बार...
छोटा: 1...
जापानी: यार तू पागल हो गया है ठोक देना साले को इसके लिए क्यो अपनी जान से खेल रहा है...
मैं गहरी सोच मे डूबा हुआ था ऑर फ़ैसला नही कर पा रहा था कि राणा को बचाऊ या खुद को अगर मैं राणा पर गोली नही चलाता तो शेख़ मुझे मार देता लेकिन अब मैं कोई अपराधी नही था इसलिए चाह कर भी उस पर गोली नही चला सकता था... अभी मैं अपनी ही सोचो मे गुम था कि शेख़ की आवाज़ मेरे कानो से टकराई...
छोटा: 2...
मैं: (अपनी गन नीचे करते हुए)
शेख़: तुझसे गोली नही चलेगी नीर... (मेरे हाथ से गन लेते हुए ऑर राणा को अपनी पिस्टल से गोली मारते हुए)
शेख़ ने मेरे सामने राणा को मार दिया... लेकिन ये बात मेरे लिए किसी झटके से कम नही थी कि शेख़ को मेरी असलियत पता थी क्योंकि उसने मुझे शेरा नही नीर कहकर पुकारा था... इसका मतलब ख़ान के दफ़्तर मे कोई था जो शेख़ का आदमी था ऑर उसको मेरे बारे मे सब कुछ बता रहा था...
जापानी: शेख़ साहब ये नीर नही शेरा है...
शेख़: खा गये ना धोखा तुम सब भी... जिसको तुम शेरा समझ रहे हो वो शेरा नही नीर है इसको हमारा काम तमाम करने के लिए ही पोलीस ने यहाँ भेजा है...
जापानी: (चोन्क्ते हुए) क्याआ... नही... नही... शेख़ साहब आपको किसी ने ग़लत इन्फर्मेशन दी है ये शेरा ही है मैं अपने दोस्त को पहचानने मे धोखा नही खा सकता...
शेख़: जो गया था वो शेरा था लेकिन अब जो वापिस आया है ये शेरा नही नीर है समझा...
लाला: लेकिन ये कैसे हो सकता है शेरा मर जाएगा लेकिन पोलीस का साथ कभी नही देगा आप से ज़्यादा हम शेरा को जानते हैं...
शेख़: ठीक है अगर ये शेरा है तो पुछो इसको बाबा का सेफ कहाँ है ऑर उन्होने सारा सोना कहाँ रखा हुआ है... अब ये बात तो सिर्फ़ शेरा ही जानता है ना... अगर ये शेरा है तो इसको साबित करनी होगी ये बात...
मैं: मेरा यक़ीन करो शेख़ साहब मैं शेरा ही हूँ लेकिन मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही है मैं सच कह रहा हूँ...
शेख़: ठीक है फिर याद कर लो आराम से जब तक तुमको याद नही आ जाता तब तक तुम इस घर से बाहर नही जा सकते ( अपने आदमियो को इशारा करते हुए) डाल दो इसको राणा की जगह पर ऑर इसको तब तक मारो जब तक ये सब कुछ बता नही देता...
उसके बाद शेख़ के आदमियो ने मुझे पकड़ लिया ऑर उपर एक कमरे मे ले गये जहाँ मुझे एक कमरे मे बंद कर दिया गया जिसका दरवाज़ा लोहे का बना था... मैं अंदर से चिल्लाता रहा ऑर दरवाज़ा खोलने की नाकाम कोशिश करता रहा... लेकिन दरवाज़ा बंद होने के बाद किसी ने मेरी बात नही सुनी...
अभी मुझे कमरे मे दाखिल हुए कुछ ही देर हुई थी कि दरवाज़े के नीचे से धुआँ आने लगा जिससे मुझे अज़ीब सी घुटन होने लगी ऑर लगातार खाँसी आने लगी... वो अज़ीब किस्म की गॅस थी जिससे कुछ ही देर मे मेरी आँखो के सामने अंधेरा छा गया ऑर मैं बेहोश हो गया... मुझे नही पता मैं कितनी देर वहाँ ज़मीन पर बेहोश पड़ा रहा लेकिन जब मुझे होश आया तो मैं कुर्सी से बँधा पड़ा था... मेरे चारो तरफ बहुत सारे लोग खड़े थे ऑर एक अँग्रेज़ आदमी मेरी बाजू को रूई (कॉटन) से सॉफ कर रहा था...
मैं: कौन हो तुम ऑर मुझे बाँधा क्यो है खोलो मुझे...
अँग्रेज़: रिलॅक्स !!! अभी सब ठीक हो जाएगा... (दूसरे आदमी से एक इंजेक्षन लेते हुए)
मैं: हरामखोर खोल मुझे... (अपने आप को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए)
अँग्रेज़: कम डाउन !!! अभी सब ठीक हो जाएगा...
शेख़: आखरी बार पूछ रहा हूँ बाबा का सेफ कहाँ है ऑर उसको कैसे खोलते हैं बता नही तो कुछ देर बाद तू सब कुछ खुद ही बता देगा...
मैं: मैने बोला ना मुझे कुछ याद नही एक बार बात समझ मे नही आती...
शेख़: डॉक्टर यू कॅन कंटिन्यू ये ऐसे नही बताएगा साला बहुत पुराना पापी है...
उसके बाद वो अँग्रेज़ डॉक्टर ने मुझे वो इंजेक्षन लगा दिया जिससे मुझे एक अजीब सा नशा छाने लगा मेरे चारो तरफ की चीज़े मुझे गोल-गोल घूमती हुई नज़र आने लगी मैं बोलना चाह रहा था लेकिन मुझसे बोला नही जा रहा था ऑर बहुत तेज़ नींद आ रही थी...
अँग्रेज़: (मेरे गाल थप-थपाते हुए) क्या नाम है तुम्हारा...
मैं: (अँग्रेज़ को गौर से देखते हुए) हमम्म्म...
अँग्रेज़: क्या नाम है तुम्हारा...
मैं: कभी शेरा कभी नीर मैं दोनो हूँ हाहहहहहहाहा
अँग्रेज़: तुमको यहाँ किसने भेजा है
मैं: (ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए)
अँग्रेज़: तुमको यहाँ किसने भेजा है
मैं: तेरी माँ ने... हाहहहहहहाहा
शेख़: (मुझे थप्पड़ मारते हुए) डोज बढ़ाओ डॉक्टर...
अँग्रेज़: (एक ऑर इंजेक्षन मुझे लगाते हुए) तुमको यहाँ किसने भेजा है
मैं: बाबा ने (यहाँ मे गाव वाले बाबा का ज़िक्र कर रहा हूँ) हाहहहहहाहा
शेख़: (चोन्क्ते हुए) तुमको बाबा ने किस लिए यहाँ भेजा है
मैं: तेरी मारने के लिए भोसड़ी के... हाहहहहहहाहा