11-11-2021, 12:10 PM
कुछ दिन ऐसे ही गुज़रने के बाद एक दिन मुझे लाला से पता लगा कि छोटे शेख़ (शेख़ साहब का बेटा) वापिस आ रहा है ऑर मुझसे मिलना चाहता है... क्योंकि मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही था इसलिए मैं उसे भी अपना दोस्त ऑर हमदर्द ही समझ रहा था यही आगे चलकर मेरी सबसे बड़ी ग़लती साबित हुई...
मैं रोज़ की तरह अपने होटेल के रूम मे तेयार हो रहा था कि किसी ने मेरा रूम नॉक किया जब दरवाज़ा खोला तो मुझे पता चला कि छोटा शेख़ ने मुझे नीचे लाला के कॅबिन मे बुलाया है... मैं फॉरन तेयार होके नीचे चला गया... नीचे जाते ही 2 गार्ड ने मुझे रोक लिया ऑर मेरी तलाशी लेने लगे... ये दोनो लोग मेरे लिए नये थे क्योंकि लाला के सब आदमियो को मैं जानता था... मेरी तलाशी लेने के बाद उन्होने मेरी गन निकाल ली ऑर मेरे लिए कॅबिन का दरवाज़ा खोल दिया ऑर मैं बिना कुछ बोले चुप-चाप अंदर चला गया... अंदर कुर्सी पर एक आदमी बैठा जिसने टेबल पर अपनी दोनो टांगे रखी हुई थी ऑर उसके पास ही लाला अपने दोनो हाथ बाँधे खड़ा था... सबसे अजीब बात तो ये थी कि आज वहाँ रोज़ की तरह लाला का एक भी आदमी मोजूद नही था सब लोग हाथ मे हथियार पकड़े थे ऑर सब नये चेहरे थे...
छोटा शेख़: (अपनी सिग्रेट जलाते हुए) ओह्हुनो... तो मेरे आदमी सही कह रहे थे शेरा सच मे वापिस आ गया है भाई वाहह...
मैं: (अदब से सलाम करते हुए) जी... आपने मुझे याद किया था...
छोटा: अर्रे ये सलाम करना कब से सीख लिया अपन तो पुराने दोस्त हैं यार... चलो यहाँ आओ बैठो...
मैं: (कुर्सी पर बैठ ते हुए) जी शुक्रिया...
छोटा: तो तुमको पुराना कुछ भी याद नही है हमम्म...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) जी नही...
छोटा: हम्म... तो ये बात है... (अपने आदमियो को इशारा करते हुए)
मैं: (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) मुझे कुछ समझ नही आ रहा आपने बस मुझसे यही पुच्छना था...
छोटा: नही यार मैं तो तुम्हारे लिए एक तोहफा लाया था सोचा तुमको पसंद आएगा...
मैं: जी कौनसा तोहफा
छोटा: चलो आओ तुमको तुम्हारा तोहफा दिखाऊ... (मेरे पास आते हुए) तुम जानना नही चाहोगे तुमको गोली किसने मारी थी...
मैं: (चोन्क्ते हुए) क्या... आप जानते हैं... कौन है वो कमीना उस साले को तो मैं ज़िंदा दफ़न कर दूँगा जिसने मेरी ये हालत की है... (गुस्से से)
छोटा: भाई तुम्हारा दुश्मन हमारा दुश्मन... मेरे आदमी तो उसको वही ठोक देते जहाँ वो हम को मिला था फिर सोचा तुमको पहली बार मिल रहा हूँ ठीक होने के बाद खाली हाथ जाउन्गा तो तुमको अच्छा नही लगेगा इसलिए तुम्हारे लिए इससे आला तोहफा नही हो सकता था इसलिए तुम्हारे लिए बचा के रखा है...
मैं: कौन है वो हरम्खोर क्या नाम है उसका बताओ मुझे शेख़ साहब आपका अहसानमंद रहेगा ये शेरा...
छोटा: खुद ही चलकर देख लेना...
उसके बाद छोटा शेख़,मैं ऑर लाला साथ मे शेख़ के आदमी नीचे चले गये ऑर फिर हमारे लिए कार्स आ गई मैं, लाला ऑर छोटा शेख़ एक गाड़ी मे बैठे थे बाकी सब आदमी पिछे दूसरी गाडियो मे आ रहे थे... मेरे बार-बार पुच्छने पर भी छोटा शेख़ मुझे उस आदमी का नाम नही बता रहा था... इधर मेरे अंदर एक अजीब सा तूफान जाग गया था मैं बे-क़रार हुआ जा रहा था उस आदमी को अपने हाथो से गोली मारने के लिए जिसने मेरा अतीत मेरी शक्सियत मुझसे छीन ली थी... आज अगर मुझे मेरे बारे मे कुछ भी याद नही था तो उसका ज़िम्मेदार वही आदमी था... अब मुझे इंतज़ार था उस पल का जब मेरा ऑर उस आदमी का सामना होगा जिसने मुझे गोली मारी थी...
कुछ देर बाद हमारी कार एक आलीशान मकान के सामने रुक गई... गाड़ी के रुकते ही लोग गाड़ी से उतर गये मैने अपनी कोट के साइड मे हाथ डाला ताकि मैं गन निकाल सकूँ ऑर जाते ही उस आदमी पर गोली चला सकूँ जिसने मेरी ये हालत की थी... लेकिन कोट मे हाथ डालते ही मुझे याद आया कि मेरी पिस्टल तो छोटे शेख़ के आदमियो ने ले ली थी...
मैं: (पलट ते हुए) शेख़ साहब मुझे मेरी गन चाहिए
छोटा: अर्रे भाई इतनी भी क्या बे-सबरी पहले अंदर तो चलो तुमको तुम्हारी गन भी मिल जाएगी... फिर जो दिल चाहे कर लेना उसके साथ...
मैं: ठीक है
उसके बाद हम सब लोग घर के अंदर चले गये... अंदर जाने के बाद हम सब को शेख़ ने सोफे पर बैठने का इशारा किया ऑर खुद अपने दो गार्ड्स के साथ सीढ़ियो से उपर चला गया... उस वक़्त इंतज़ार का एक-एक पल मेरे लिए कई साल के इंतजार जैसा हो रहा था मैं चाहता था कि जल्दी से जल्दी वो इंसान मेरे सामने आ जाए ऑर उसकी जान ले लूँ ताकि मेरे दिल को कुछ क़रार आ सके... मैं खामोश होके गर्दन नीचे लटकाए बैठा था मेरे साथ लाला ऑर जापानी बैठे थे बाकी के तमाम लोग सोफे के आस-पास खड़े हुए थे... कुछ ही देर मे छोटा शेख़ एक मुस्कान के साथ सीढ़ियो से नीचे उतरता हुआ नज़र आया... उसके पिछे कुछ लोग एक आदमी को पकड़ कर नीचे ला रहे थे उसके चेहरे को एक काले नक़ाब से ढका हुआ था ऑर देखने से लग रहा था जैसे वो आदमी उसको घसीट कर नीचे ला रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे वो बेहोश हो... कुछ ही देर मे वो लोग उसको उठाके नीचे ले आए ऑर एक कुर्सी पर बिठा दिया... तभी छोटा शेख़ मेरे पास आया ऑर गन निकाल कर मुझे पकड़ा दी...