11-11-2021, 12:05 PM
उसके बाद मैने जैसे ही चलना शुरू किया वहाँ पर कुछ लोगो ने हवा मे अपनी बंदूके तान ली ऑर गोलियाँ चलानी शुरू कर दी साथ सारी भीढ़ मेरे नाम का नारा बुलंद करने लगी... मैं ऑर लाला जब आगे गये तो सामने मुझे एक बड़ा सा पिंजरा नज़र आया जिसमे 2 लोग आपस मे लड़ रहे थे... आगे जाते ही मेरे ऑर लाला के लिए वहाँ बैठे लोगो ने कुर्सियाँ खाली करदी ऑर सब लोग वहाँ मेरा हाल-चाल पुछ्ने लगे हम दोनो वहाँ कुर्सी पर बैठ कर उन दोनो लड़ने वाले आदमियो का मॅच देखने लगे... जाने क्यो मुझे यहाँ आके एक अजीब सी खुशी हो रही थी जैसे मुझे गाँव जाते खुशी होती थी मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपने घर ही आ गया हूँ...
मैं कुर्सी पर आराम से बैठा था कि इतने मे एक घंटी की टॅनन्न्न की आवाज़ से फाइट शुरू हो गई... सब लोगो ने दोनो फाइटर्स पर अपना दाव लगाना शुरू कर दिया... मैं बड़े गौर से दोनो फाइटर्स को देख रहा था जो घंटी की आवाज़ से ही एक दूसरे पर टूट पड़े थे ऑर लड़ना शुरू हो गये थे... कुछ देर फाइट ऐसे ही चलती रही तभी फाइट के बीच मे पिछे से मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा... मैने पलट कर देखा तो ये जापानी था जैसा की मुझे ख़ान ने बताया था की इश्स पुर गांग मे यही मेरा सबसे जिगरी दोस्त था... मैं उसको देखते ही फॉरन अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया ऑर उसको मुस्कुरा कर देखने लगा... वो बिना कुछ बोले मुझे गौर से देख रहा था वो मुझे देखकर रो भी रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था ऑर फिर उसने मुझे अपनी तरफ खींच कर गले से लगा लिया...
जापानी: (रोते हुए ओर मुस्कुरकर) भाई तू कहाँ चला गया था यार तुझे कितना ढूँढा मैने...
मैं: बस यार क्या बताऊ जाने दे बहुत लंबी कहानी है फिर कभी बताउन्गा...
जापानी: शेरा तू यहाँ क्यो बैठा है चल उपर आजा अपने ऑफीस मे वहाँ से फाइट देखेंगे...
मैं: (लाला को देखते हुए) चल लाला चलते हैं...
उसके बाद हम तीनो वहाँ से उठे ऑर सीढ़िया चढ़ते हुए एक आलीशान से कमरे मे आ गये जिसकी सामने की पूरी दीवार किसी काँच के ग्लास की बनी थी जिससे हम आर-पार देख सकते थे मैं कॅबिन मे घुसते ही ग्लास के पास जाके खड़ा हो गया ऑर नीचे हो रही फाइट देखने लगा... उपर से नीचे का नज़ारा ऑर भी शानदार दिखाई दे रहा था... तभी मुझे जापानी की आवाज़ आई...
जापानी: शेरा भाई यहाँ क्यो खड़ा है ये ले ये टी... वी मे लाइव फाइट देख ले... (बड़ा सा टीवी ऑन करते हुए)
मैं: (पलटकर टीवी मे देखते हुए) ये तो ऑर भी सॉफ नज़र आ रहा है...
जापानी: भाई अब तू बैठ कर फाइट देख मैं थोड़ा काम कर लूँ (परेशान होते हुए)
उसके बाद वो लोग बैठकर बाते करने लगे ऑर मैं बैठा आराम से टीवी मे फाइट देखने लगा... फाइट ख़तम होते ही कुछ लोग जापानी के कॅबिन मे आ गये ऑर आते ही 1 आदमी ने ज़ोर-ज़ोर से हँसना शुरू कर दिया... मैने नोट किया कि उन लोगो के आने से जापानी कुछ ऑर ज़्यादा परेशान हो गया था...
उनमे से एक आदमी जापानी से: जापानी भाई तेरा फाइटर आज फिर से हार रहा है...
जापानी: छोड़ ना यार साली तक़दीर ही खराब है (कुछ काग़ज़ के टुकड़ो को फाड़ते हुए)
मैं: क्या हुआ जापानी परेशान लग रहा है भाई
जापानी: कुछ नही यार ये तो चलता रहता है तू आराम से फाइट देख मैं थोड़ी देर मे आता हूँ लाला इसका ख्याल रखना...
लाला: (हाथ हिलाते हुए) ओके...
मैं: क्या हुआ लाला ये परेशान क्यो लग रहा था सब ठीक तो है...
लाला: कुछ नही यार इसने अपना बेड़ा-गर्क खुद किया है कितनी बार बोला है कि ये फाइट क्लब इसके बस का नही है... इस धंधे को छोड़कर मेरे साथ क्लब मे आ जाए लेकिन ये मानता ही नही...
मैं: ये बता समस्या क्या है...
लाला: होना क्या है यार अभी जो लोग आए थे ना उनके साथ इसकी बेट्टिंग चलती है करोड़ो रूपिया दाव पर लगता है ऑर हर बार इसका फाइटर हार जाता है जापानी इस वक़्त काफ़ी लॉस मे चल रहा है अब अगले हफ्ते बाबा को हिसाब देना है बस इसलिए ये परेशान है...
मैं: क्या हम जापानी की मदद नही कर सकते...
लाला: (अपनी कुर्सी मेरे पास करते हुए) मेरी जान अभी तो तू आया है इतनी जल्दी ये सब पंगे मे मत पड़ तू बस ऐश कर यार...
मैं: लेकिन यार जब मैं था तब भी क्या ये फाइट क्लब ऐसे ही लॉस मे चलता था?
लाला: नही यार जब तू था... तब तो यही बाबा का टॉप बिज़्नेस होता था उस वक़्त यहाँ सब अच्छा था लेकिन आज तेरे ही बनाए हुए सब फाइटर शम्मी के लिए काम करते हैं ऑर उसकी तरफ से फाइट करते हैं... इसलिए तो जापानी के पास लड़ने के लिए स्ट्रॉंग फाइटर नही है...
मैं: ये शम्मी कौन है...
लाला: वही बंदा जो अभी हँस रहा था पागलो की तरह...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है... अच्छा मुझे फाइट के रूल्स बता मेरे पास एक फाइटर है...
लाला: (ज़ोर से हँसते हुए) रूल्स कौन्से यार... कोई रूल नही है जब तक सामने वाला फाइटर अपने पैरो पर
खड़ा होने लायक है तब तक फाइट चलती रहती है...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) समझ गया... एक काम कर शम्मी को बोल एक ऑर फाइट रख ले ऑर यहाँ के फेव फाइटर को बुला ले जो भी उसके पास है...
लाला: (हैरानी से मुझे देखते हुए) भाई तू क्या करने वाला है...
मैं: हिसाब बराबर करने का वक़्त आ गया है...
मैं कुर्सी पर आराम से बैठा था कि इतने मे एक घंटी की टॅनन्न्न की आवाज़ से फाइट शुरू हो गई... सब लोगो ने दोनो फाइटर्स पर अपना दाव लगाना शुरू कर दिया... मैं बड़े गौर से दोनो फाइटर्स को देख रहा था जो घंटी की आवाज़ से ही एक दूसरे पर टूट पड़े थे ऑर लड़ना शुरू हो गये थे... कुछ देर फाइट ऐसे ही चलती रही तभी फाइट के बीच मे पिछे से मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा... मैने पलट कर देखा तो ये जापानी था जैसा की मुझे ख़ान ने बताया था की इश्स पुर गांग मे यही मेरा सबसे जिगरी दोस्त था... मैं उसको देखते ही फॉरन अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया ऑर उसको मुस्कुरा कर देखने लगा... वो बिना कुछ बोले मुझे गौर से देख रहा था वो मुझे देखकर रो भी रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था ऑर फिर उसने मुझे अपनी तरफ खींच कर गले से लगा लिया...
जापानी: (रोते हुए ओर मुस्कुरकर) भाई तू कहाँ चला गया था यार तुझे कितना ढूँढा मैने...
मैं: बस यार क्या बताऊ जाने दे बहुत लंबी कहानी है फिर कभी बताउन्गा...
जापानी: शेरा तू यहाँ क्यो बैठा है चल उपर आजा अपने ऑफीस मे वहाँ से फाइट देखेंगे...
मैं: (लाला को देखते हुए) चल लाला चलते हैं...
उसके बाद हम तीनो वहाँ से उठे ऑर सीढ़िया चढ़ते हुए एक आलीशान से कमरे मे आ गये जिसकी सामने की पूरी दीवार किसी काँच के ग्लास की बनी थी जिससे हम आर-पार देख सकते थे मैं कॅबिन मे घुसते ही ग्लास के पास जाके खड़ा हो गया ऑर नीचे हो रही फाइट देखने लगा... उपर से नीचे का नज़ारा ऑर भी शानदार दिखाई दे रहा था... तभी मुझे जापानी की आवाज़ आई...
जापानी: शेरा भाई यहाँ क्यो खड़ा है ये ले ये टी... वी मे लाइव फाइट देख ले... (बड़ा सा टीवी ऑन करते हुए)
मैं: (पलटकर टीवी मे देखते हुए) ये तो ऑर भी सॉफ नज़र आ रहा है...
जापानी: भाई अब तू बैठ कर फाइट देख मैं थोड़ा काम कर लूँ (परेशान होते हुए)
उसके बाद वो लोग बैठकर बाते करने लगे ऑर मैं बैठा आराम से टीवी मे फाइट देखने लगा... फाइट ख़तम होते ही कुछ लोग जापानी के कॅबिन मे आ गये ऑर आते ही 1 आदमी ने ज़ोर-ज़ोर से हँसना शुरू कर दिया... मैने नोट किया कि उन लोगो के आने से जापानी कुछ ऑर ज़्यादा परेशान हो गया था...
उनमे से एक आदमी जापानी से: जापानी भाई तेरा फाइटर आज फिर से हार रहा है...
जापानी: छोड़ ना यार साली तक़दीर ही खराब है (कुछ काग़ज़ के टुकड़ो को फाड़ते हुए)
मैं: क्या हुआ जापानी परेशान लग रहा है भाई
जापानी: कुछ नही यार ये तो चलता रहता है तू आराम से फाइट देख मैं थोड़ी देर मे आता हूँ लाला इसका ख्याल रखना...
लाला: (हाथ हिलाते हुए) ओके...
मैं: क्या हुआ लाला ये परेशान क्यो लग रहा था सब ठीक तो है...
लाला: कुछ नही यार इसने अपना बेड़ा-गर्क खुद किया है कितनी बार बोला है कि ये फाइट क्लब इसके बस का नही है... इस धंधे को छोड़कर मेरे साथ क्लब मे आ जाए लेकिन ये मानता ही नही...
मैं: ये बता समस्या क्या है...
लाला: होना क्या है यार अभी जो लोग आए थे ना उनके साथ इसकी बेट्टिंग चलती है करोड़ो रूपिया दाव पर लगता है ऑर हर बार इसका फाइटर हार जाता है जापानी इस वक़्त काफ़ी लॉस मे चल रहा है अब अगले हफ्ते बाबा को हिसाब देना है बस इसलिए ये परेशान है...
मैं: क्या हम जापानी की मदद नही कर सकते...
लाला: (अपनी कुर्सी मेरे पास करते हुए) मेरी जान अभी तो तू आया है इतनी जल्दी ये सब पंगे मे मत पड़ तू बस ऐश कर यार...
मैं: लेकिन यार जब मैं था तब भी क्या ये फाइट क्लब ऐसे ही लॉस मे चलता था?
लाला: नही यार जब तू था... तब तो यही बाबा का टॉप बिज़्नेस होता था उस वक़्त यहाँ सब अच्छा था लेकिन आज तेरे ही बनाए हुए सब फाइटर शम्मी के लिए काम करते हैं ऑर उसकी तरफ से फाइट करते हैं... इसलिए तो जापानी के पास लड़ने के लिए स्ट्रॉंग फाइटर नही है...
मैं: ये शम्मी कौन है...
लाला: वही बंदा जो अभी हँस रहा था पागलो की तरह...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है... अच्छा मुझे फाइट के रूल्स बता मेरे पास एक फाइटर है...
लाला: (ज़ोर से हँसते हुए) रूल्स कौन्से यार... कोई रूल नही है जब तक सामने वाला फाइटर अपने पैरो पर
खड़ा होने लायक है तब तक फाइट चलती रहती है...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) समझ गया... एक काम कर शम्मी को बोल एक ऑर फाइट रख ले ऑर यहाँ के फेव फाइटर को बुला ले जो भी उसके पास है...
लाला: (हैरानी से मुझे देखते हुए) भाई तू क्या करने वाला है...
मैं: हिसाब बराबर करने का वक़्त आ गया है...