11-11-2021, 12:04 PM
अपडेट-42
उसके बाद मैं ऑर लाला दोनो कार मे बैठ कर निकल पड़े...
कुछ ही देर मे लाला मुझे आबादी से निकाल कर ऐसी जगह ले गया जहाँ ना तो कोई ऊँची बिल्डिंग थी ना हो कोई चका-चोंध थी... रास्ता एक दम सुनसान था अंधेरी रात अपने पूरे शबाब पर थी... सिर्फ़ हेड लाइट ही थी जिसकी रोशनी से हमे सामने का नज़र आ रहा था वरना आस-पास कही कोई आबादी नही थी इसलिए मुझसे रहा नही गया ऑर मैने पूछ लिया...
मैं: लाला हम कहाँ जा रहे हैं?
लाला: भाई तुमको बताया तो था कि जापानी ऑर सूमा भी तुझसे मिलना चाहते हैं...
मैं: ऑर कितना दूर है...
लाला: बस 15 मिंट आँख बंद करके बैठ ऑर समझ पहुँच ही गये (गाड़ी की स्पीड बढ़ाते हुए)
कुछ ही देर मे गाड़ी अपनी फुल स्पीड पर थी ऐसा लग रहा था जैसे गाड़ी दौड़ नही रही बल्कि उड़ रही है लाला एक दम मेरे जैसे गाड़ी चला रहा था... शायद इसलिए मुझे भी ऐसी तेज़ गाड़ी चलाने की आदत थी... लाला ने 15 मिंट से भी कम वक़्त मे एक बस्ती मे गाड़ी को घुसा दिया जहाँ गलियाँ बेहद तंग थी लोग सड़को पर ही बैठ कर अपना समान बेच रहे थे लाला को ऑर मुझे देख कर सब लोग हैरान हो रहे थे ऑर हाथ उठा कर मुझे सलाम कर रहे थे मुझे बार-बार सबके सलाम का जवाब देना पड़ रहा था इसलिए जब तक गाड़ी उस गली से गुज़रती रही मैने अपना हाथ हवा मे उठा कर ही रखा... कुछ ही देर मे एक ऐसी जगह लाला ने गाड़ी रोक दी जो बाहर से देखने मे किसी गॉडाउन जैसा लग रहा था लेकिन अंदर से बहुत शोर आ रहा था... मैं बड़े गौर से उस जगह को देखने लगा मुझे जाने क्यो वो जगह मुझे जानी-पहचानी सी लग रही थी...
मैं: लाला ये कौनसी जगह है...
लाला: चल भाई तुझे मर्दो वाला खेल दिखाता हूँ (कार रोकते हुए)
मैं: (कार का गेट खोलते हुए) चल...
उसके बाद मैं ऑर लाला उस जगह के अंदर चले गये वहाँ बहुत ज़्यादा भीढ़ थी यहाँ तक कि सही से खड़े होने की भी जगह नही थी लोग एक दूसरे पर चढ़ रहे थे इतना बूरा हाल था तभी लाला ने अपनी जेब से फोन निकाला ऑर किसी को फोन किया...
लाला: हल्लो... भेन्चोद बुलाने से पहले ये तो बता देता कि यहाँ दबा के मारना है हम को...
लाला: हाँ साथ ही आया है... यार कहाँ से आएँ यहाँ पैर रखने की जगह नही है...
लाला: साला इसी लिए मैं यहाँ आता नही हूँ...
लाला: अच्छा ठीक है...
लाला: ओके भाई 5 मिंट मे मिलते हैं बस
उसके बाद उसने फोन काट दिया...
लाला: चल भाई शेरा इसके बीच मे से ही निकलना पड़ेगा... जानता है तेरी ऑर जापानी की ये मनपसंद जगह है तुम दोनो सारा दिन यही पड़े रहते थे... (हँसते हुए) यार तू यहाँ सारा दिन रहता कैसे था मुझे तो ये समझ नही आ रहा ये भीढ़ मे निकलते हुए मेरी तो जान निकल जाएगी तू पता नही कैसे जाता था...
लाला की ये बात सुनकर जाने मुझे ऐसा क्यो लगा कि मैं पहले भी हवा मे फाइयर निकाल कर रास्ता सॉफ कर चुका हूँ इसलिए मैने फॉरन लाला से कह दिया...
मैं: तू बोले तो रास्ता मैं सॉफ करूँ...
लाला: (हैरान होते हुए) कैसे...
मैं: (अपनी गन निकालते हुए) तू बस देखता जा...
मैं उस गेट के सामने जाके खड़ा हो गया ऑर सब लोग शोर मचा रहे थे कोई जाने का रास्ता नही दे रहा था मैने 2-3 बार आवाज़ लगाई लेकिन कोई नही सुना इसलिए मैने गन को हवा मे उपर उठाया ऑर एक फाइयर निकाल दिया... सबकी नज़र पिछे मेरी तरफ देखने लगी ऑर मुझे देखते ही सब ने हाथ उठा कर शेरा... शेरा... शेरा... करने लगे ऑर मेरे लिए रास्ता छोड़ दिया मैने पलटकर लाला की तरफ देखा ऑर बस मुस्कुरा दिया... जवाब मे वो भी मुझे देख कर मुस्कुराया ऑर मेरे कंधे पर थपकी मारते हुए मुझे शाबाशी देने लगा...
उसके बाद मैं ऑर लाला दोनो कार मे बैठ कर निकल पड़े...
कुछ ही देर मे लाला मुझे आबादी से निकाल कर ऐसी जगह ले गया जहाँ ना तो कोई ऊँची बिल्डिंग थी ना हो कोई चका-चोंध थी... रास्ता एक दम सुनसान था अंधेरी रात अपने पूरे शबाब पर थी... सिर्फ़ हेड लाइट ही थी जिसकी रोशनी से हमे सामने का नज़र आ रहा था वरना आस-पास कही कोई आबादी नही थी इसलिए मुझसे रहा नही गया ऑर मैने पूछ लिया...
मैं: लाला हम कहाँ जा रहे हैं?
लाला: भाई तुमको बताया तो था कि जापानी ऑर सूमा भी तुझसे मिलना चाहते हैं...
मैं: ऑर कितना दूर है...
लाला: बस 15 मिंट आँख बंद करके बैठ ऑर समझ पहुँच ही गये (गाड़ी की स्पीड बढ़ाते हुए)
कुछ ही देर मे गाड़ी अपनी फुल स्पीड पर थी ऐसा लग रहा था जैसे गाड़ी दौड़ नही रही बल्कि उड़ रही है लाला एक दम मेरे जैसे गाड़ी चला रहा था... शायद इसलिए मुझे भी ऐसी तेज़ गाड़ी चलाने की आदत थी... लाला ने 15 मिंट से भी कम वक़्त मे एक बस्ती मे गाड़ी को घुसा दिया जहाँ गलियाँ बेहद तंग थी लोग सड़को पर ही बैठ कर अपना समान बेच रहे थे लाला को ऑर मुझे देख कर सब लोग हैरान हो रहे थे ऑर हाथ उठा कर मुझे सलाम कर रहे थे मुझे बार-बार सबके सलाम का जवाब देना पड़ रहा था इसलिए जब तक गाड़ी उस गली से गुज़रती रही मैने अपना हाथ हवा मे उठा कर ही रखा... कुछ ही देर मे एक ऐसी जगह लाला ने गाड़ी रोक दी जो बाहर से देखने मे किसी गॉडाउन जैसा लग रहा था लेकिन अंदर से बहुत शोर आ रहा था... मैं बड़े गौर से उस जगह को देखने लगा मुझे जाने क्यो वो जगह मुझे जानी-पहचानी सी लग रही थी...
मैं: लाला ये कौनसी जगह है...
लाला: चल भाई तुझे मर्दो वाला खेल दिखाता हूँ (कार रोकते हुए)
मैं: (कार का गेट खोलते हुए) चल...
उसके बाद मैं ऑर लाला उस जगह के अंदर चले गये वहाँ बहुत ज़्यादा भीढ़ थी यहाँ तक कि सही से खड़े होने की भी जगह नही थी लोग एक दूसरे पर चढ़ रहे थे इतना बूरा हाल था तभी लाला ने अपनी जेब से फोन निकाला ऑर किसी को फोन किया...
लाला: हल्लो... भेन्चोद बुलाने से पहले ये तो बता देता कि यहाँ दबा के मारना है हम को...
लाला: हाँ साथ ही आया है... यार कहाँ से आएँ यहाँ पैर रखने की जगह नही है...
लाला: साला इसी लिए मैं यहाँ आता नही हूँ...
लाला: अच्छा ठीक है...
लाला: ओके भाई 5 मिंट मे मिलते हैं बस
उसके बाद उसने फोन काट दिया...
लाला: चल भाई शेरा इसके बीच मे से ही निकलना पड़ेगा... जानता है तेरी ऑर जापानी की ये मनपसंद जगह है तुम दोनो सारा दिन यही पड़े रहते थे... (हँसते हुए) यार तू यहाँ सारा दिन रहता कैसे था मुझे तो ये समझ नही आ रहा ये भीढ़ मे निकलते हुए मेरी तो जान निकल जाएगी तू पता नही कैसे जाता था...
लाला की ये बात सुनकर जाने मुझे ऐसा क्यो लगा कि मैं पहले भी हवा मे फाइयर निकाल कर रास्ता सॉफ कर चुका हूँ इसलिए मैने फॉरन लाला से कह दिया...
मैं: तू बोले तो रास्ता मैं सॉफ करूँ...
लाला: (हैरान होते हुए) कैसे...
मैं: (अपनी गन निकालते हुए) तू बस देखता जा...
मैं उस गेट के सामने जाके खड़ा हो गया ऑर सब लोग शोर मचा रहे थे कोई जाने का रास्ता नही दे रहा था मैने 2-3 बार आवाज़ लगाई लेकिन कोई नही सुना इसलिए मैने गन को हवा मे उपर उठाया ऑर एक फाइयर निकाल दिया... सबकी नज़र पिछे मेरी तरफ देखने लगी ऑर मुझे देखते ही सब ने हाथ उठा कर शेरा... शेरा... शेरा... करने लगे ऑर मेरे लिए रास्ता छोड़ दिया मैने पलटकर लाला की तरफ देखा ऑर बस मुस्कुरा दिया... जवाब मे वो भी मुझे देख कर मुस्कुराया ऑर मेरे कंधे पर थपकी मारते हुए मुझे शाबाशी देने लगा...