10-11-2021, 04:36 PM
अपडेट-40
उसके बाद मैं ऑर राणा एक कार मे बैठे ऑर अपने नये सफ़र के लिए रवाना हो गये मैं नही जानता था कि मुझे कहा भेजा जा रहा है ऑर वो लोग कौन है ऑर कैसे होंगे क्या वो मुझे अपने साथ लेके जाएँगे या नही... मुझे ये भी नही पता था कि जिस सफ़र पर मुझे भेजा गया है वहाँ से मैं ज़िंदा लौटुन्गा भी या नही... ऐसे ही कई सवाल मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे... लेकिन इस वक़्त मेरे पास किसी सवाल का जवाब नही था लेकिन तेज़ी से गुज़रने वाले वक़्त के पास मेरे हर सवाल का जवाब था... अब मैं चुप-चाप बैठा अपनी आने वाली मज़िल का इंतज़ार कर रहा था जहाँ मुझे जाना था...
राणा गाड़ी को तेज़ रफ़्तार से भगा रहा था ऑर मैं खिड़की से अपना चेहरा बाहर निकाले ठंडी हवा का मज़ा ले रहा था... मुझे नही पता कब मेरी आँख लग गई ऑर मैं सो गया... जाने मैं कितनी देर सोता रहा लेकिन राणा के हिलाने से मेरी आँख खुल गई...
राणा: शेरा भाई एरपोर्ट आ गया है उतरो...
मैं: (दोनो हाथो से आँखें मलते हुए) क्या...
राणा: भाई एरपोर्ट आ गया फ्लाइट पकड़नी है ना गाड़ी से उतरो...
मैं: (अपने दोनो हाथ अपने मुँह पर फेरते हुए) हाँ चलो...
उसके बाद मैं ऑर राणा गाड़ी से उतर गये राणा ने जल्दी से गाड़ी की पिच्छली सीट से उसका ऑर मेरा सूट केस निकाला ऑर मेरी तरफ बढ़ने लगा... मैने अपना सूट केस पकड़ लिया ऑर उसने अपना... फिर हमने गाड़ी को वही छोड़ दिया ऑर हम दोनो एरपोर्ट के अंदर आ गये... ये जगह मेरे लिए एक दम नयी थी मैं ठीक होने के बाद पहले कभी ऐसी जगह पर नही आया था... राणा ने मुझे एक जगह की तरफ इशारा करके बैठने को कहा ऑर खुद किसी से मिलने चला गया... मैं एरपोर्ट पर एक खाली जगह पर बैठ गया ऑर चारो तरफ देख रहा था वहाँ के लोग जो घूम रहे थे ओर सेक्यूरिटी गार्ड जो लोगो को चेक कर रहे थे... एक जगह पर सबके समान को एक मशीन (स्केनर) मे डाल कर चेक किया जा रहा था इसलिए मुझे अपने समान की फिकर होने लगी क्योंकि इतना तो मुझे देख कर ही समझ आ गया था कि मेरा समान भी ज़रूर चेक होगा ऑर मेरे पास पिस्टल भी थी ऑर ख़ान के दिए हुए ट्रांसमेटेर्स भी जिससे ख़ान मुझ तक पहुँच सके... अभी मैं सोच ही रहा था कि राणा 2 गार्ड जिनके पास हथियार थे उनके साथ मेरी तरफ आ रहे थे मुझे लगा शायद उन लोगो ने राणा को पकड़ लिया... इसलिए मैने जल्दी से अपना एक हाथ जॅकेट मे डाल लिया जिस तरफ पिस्टल थी ऑर अपना हाथ पिस्टल पर रख लिया...
राणा: चलो भाई काम हो गया 10 मिंट बाद फ्लाइट है अपनी...
मैं: (चैन की साँस लेकर अपना हाथ जॅकेट से बाहर निकालते हुए) अच्छा... लेकिन ये लोग कौन है...
राणा: भाई ये ख़ान साहब के ही लोग हैं हम को यहाँ कोई परेशानी ना हो इसलिए...
मैं: अच्छा... मैं तो समझा तुमको इन्होने पकड़ लिया...
राणा: (मुस्कुरा कर) नही भाई सब ठीक है आप बे-फिकर हो जाए...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म यार राणा वैसे हम क्या शहर से बाहर जा रहे हैं...
राणा: (हँसते हुए) भाई आपको ख़ान साहब ने कुछ नही बताया...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए)
राणा: कोई बात नही... चलो चलें देर हो रही है...
उसके बाद कोई खास बात नही हुई जल्दी ही हम रनवे पर आ गये जहाँ हमारा छोटा सा प्लेन ऑलरेडी तेयार खड़ा था... हम दोनो को वो दोनो लोग बिना सेक्यूरिटी चेक के एक छोटे से प्लेन तक छोड़ गये जहाँ सिर्फ़ मैं ऑर राणा ही बैठे थे बाकी तमाम प्लेन खाली पड़ा था... मैं हर चीज़ को बड़ी हैरानी से देख रहा था क्योंकि ये सब कुछ मेरे लिए एक दम नया था... खैर कुछ ही घंटे के बाद हम हमारी मंज़िल तक पहुँच गये... फ्लाइट से उतरने के बाद मैं राणा के पिछे-पिछे ही चल पड़ा क्योंकि मैं नही जानता था कि उसके बाद कहाँ जाना है... फ्लाइट से उतरने के बाद एरपोर्ट पर एक कार पहले से मोजूद थी जिसमे मैं ऑर राणा बैठ गये... बाहर रात हो गई थी लेकिन इतनी ज़्यादा रोशनी ऑर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स थी जो मैने पहले कभी नही देखी थी मैने जल्दी से कार का ग्लास नीचे किया ऑर बाहर देखने लगा...
राणा: भाई क्या कर रहे हो शीशा बंद करो कोई देख सकता है...
मैं: यहाँ हम को कौन जानता है यार देखने दो ना अच्छा लग रहा है...
राणा: भाई आपके लिए ये शहर अजनबी है लेकिन आप इस शहर के लिए अजनबी नही हो आपके इस शहर मे सिर्फ़ दोस्त ही नही दुश्मन भी बहुत है... मैं आपके लिए ही कह रहा हूँ...
मैं: (बिना कुछ बोले शीशा उपर करते हुए) ठीक है... वैसे क्या तुम मेरे बारे मे सब कुछ जानते हो...
राणा: भाई इस शहर मे शायद ही कोई ऐसा हो जिसने शेरा भाई का नाम नही सुना हो...
मैं: वैसे अब हम जा कहाँ रहे हैं...
राणा: होटेल मे जहाँ हमने रुकना है फिर कल शाम को डील है तो वहाँ जाना है...
मैं: अच्छा...
उसके बाद हम दोनो कार मे खामोश बैठे रहे ऑर कुछ देर बाद कार ने हम को एक बहुत ऊँची बिल्डिंग के सामने उतार दिया ये एक बेहद शानदार होटेल था... अंदर राणा के साथ मैं होटेल के अंदर चला गया वहाँ हम दोनो के लिए पहले से रूम बुक थे... राणा मुझे शाम को तेयार रहने का बोलकर अपने कमरे मे चला गया... मैं भी सफ़र से थक गया था इसलिए रूम मे आते ही सो गया...
उसके बाद मैं ऑर राणा एक कार मे बैठे ऑर अपने नये सफ़र के लिए रवाना हो गये मैं नही जानता था कि मुझे कहा भेजा जा रहा है ऑर वो लोग कौन है ऑर कैसे होंगे क्या वो मुझे अपने साथ लेके जाएँगे या नही... मुझे ये भी नही पता था कि जिस सफ़र पर मुझे भेजा गया है वहाँ से मैं ज़िंदा लौटुन्गा भी या नही... ऐसे ही कई सवाल मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे... लेकिन इस वक़्त मेरे पास किसी सवाल का जवाब नही था लेकिन तेज़ी से गुज़रने वाले वक़्त के पास मेरे हर सवाल का जवाब था... अब मैं चुप-चाप बैठा अपनी आने वाली मज़िल का इंतज़ार कर रहा था जहाँ मुझे जाना था...
राणा गाड़ी को तेज़ रफ़्तार से भगा रहा था ऑर मैं खिड़की से अपना चेहरा बाहर निकाले ठंडी हवा का मज़ा ले रहा था... मुझे नही पता कब मेरी आँख लग गई ऑर मैं सो गया... जाने मैं कितनी देर सोता रहा लेकिन राणा के हिलाने से मेरी आँख खुल गई...
राणा: शेरा भाई एरपोर्ट आ गया है उतरो...
मैं: (दोनो हाथो से आँखें मलते हुए) क्या...
राणा: भाई एरपोर्ट आ गया फ्लाइट पकड़नी है ना गाड़ी से उतरो...
मैं: (अपने दोनो हाथ अपने मुँह पर फेरते हुए) हाँ चलो...
उसके बाद मैं ऑर राणा गाड़ी से उतर गये राणा ने जल्दी से गाड़ी की पिच्छली सीट से उसका ऑर मेरा सूट केस निकाला ऑर मेरी तरफ बढ़ने लगा... मैने अपना सूट केस पकड़ लिया ऑर उसने अपना... फिर हमने गाड़ी को वही छोड़ दिया ऑर हम दोनो एरपोर्ट के अंदर आ गये... ये जगह मेरे लिए एक दम नयी थी मैं ठीक होने के बाद पहले कभी ऐसी जगह पर नही आया था... राणा ने मुझे एक जगह की तरफ इशारा करके बैठने को कहा ऑर खुद किसी से मिलने चला गया... मैं एरपोर्ट पर एक खाली जगह पर बैठ गया ऑर चारो तरफ देख रहा था वहाँ के लोग जो घूम रहे थे ओर सेक्यूरिटी गार्ड जो लोगो को चेक कर रहे थे... एक जगह पर सबके समान को एक मशीन (स्केनर) मे डाल कर चेक किया जा रहा था इसलिए मुझे अपने समान की फिकर होने लगी क्योंकि इतना तो मुझे देख कर ही समझ आ गया था कि मेरा समान भी ज़रूर चेक होगा ऑर मेरे पास पिस्टल भी थी ऑर ख़ान के दिए हुए ट्रांसमेटेर्स भी जिससे ख़ान मुझ तक पहुँच सके... अभी मैं सोच ही रहा था कि राणा 2 गार्ड जिनके पास हथियार थे उनके साथ मेरी तरफ आ रहे थे मुझे लगा शायद उन लोगो ने राणा को पकड़ लिया... इसलिए मैने जल्दी से अपना एक हाथ जॅकेट मे डाल लिया जिस तरफ पिस्टल थी ऑर अपना हाथ पिस्टल पर रख लिया...
राणा: चलो भाई काम हो गया 10 मिंट बाद फ्लाइट है अपनी...
मैं: (चैन की साँस लेकर अपना हाथ जॅकेट से बाहर निकालते हुए) अच्छा... लेकिन ये लोग कौन है...
राणा: भाई ये ख़ान साहब के ही लोग हैं हम को यहाँ कोई परेशानी ना हो इसलिए...
मैं: अच्छा... मैं तो समझा तुमको इन्होने पकड़ लिया...
राणा: (मुस्कुरा कर) नही भाई सब ठीक है आप बे-फिकर हो जाए...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म यार राणा वैसे हम क्या शहर से बाहर जा रहे हैं...
राणा: (हँसते हुए) भाई आपको ख़ान साहब ने कुछ नही बताया...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए)
राणा: कोई बात नही... चलो चलें देर हो रही है...
उसके बाद कोई खास बात नही हुई जल्दी ही हम रनवे पर आ गये जहाँ हमारा छोटा सा प्लेन ऑलरेडी तेयार खड़ा था... हम दोनो को वो दोनो लोग बिना सेक्यूरिटी चेक के एक छोटे से प्लेन तक छोड़ गये जहाँ सिर्फ़ मैं ऑर राणा ही बैठे थे बाकी तमाम प्लेन खाली पड़ा था... मैं हर चीज़ को बड़ी हैरानी से देख रहा था क्योंकि ये सब कुछ मेरे लिए एक दम नया था... खैर कुछ ही घंटे के बाद हम हमारी मंज़िल तक पहुँच गये... फ्लाइट से उतरने के बाद मैं राणा के पिछे-पिछे ही चल पड़ा क्योंकि मैं नही जानता था कि उसके बाद कहाँ जाना है... फ्लाइट से उतरने के बाद एरपोर्ट पर एक कार पहले से मोजूद थी जिसमे मैं ऑर राणा बैठ गये... बाहर रात हो गई थी लेकिन इतनी ज़्यादा रोशनी ऑर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स थी जो मैने पहले कभी नही देखी थी मैने जल्दी से कार का ग्लास नीचे किया ऑर बाहर देखने लगा...
राणा: भाई क्या कर रहे हो शीशा बंद करो कोई देख सकता है...
मैं: यहाँ हम को कौन जानता है यार देखने दो ना अच्छा लग रहा है...
राणा: भाई आपके लिए ये शहर अजनबी है लेकिन आप इस शहर के लिए अजनबी नही हो आपके इस शहर मे सिर्फ़ दोस्त ही नही दुश्मन भी बहुत है... मैं आपके लिए ही कह रहा हूँ...
मैं: (बिना कुछ बोले शीशा उपर करते हुए) ठीक है... वैसे क्या तुम मेरे बारे मे सब कुछ जानते हो...
राणा: भाई इस शहर मे शायद ही कोई ऐसा हो जिसने शेरा भाई का नाम नही सुना हो...
मैं: वैसे अब हम जा कहाँ रहे हैं...
राणा: होटेल मे जहाँ हमने रुकना है फिर कल शाम को डील है तो वहाँ जाना है...
मैं: अच्छा...
उसके बाद हम दोनो कार मे खामोश बैठे रहे ऑर कुछ देर बाद कार ने हम को एक बहुत ऊँची बिल्डिंग के सामने उतार दिया ये एक बेहद शानदार होटेल था... अंदर राणा के साथ मैं होटेल के अंदर चला गया वहाँ हम दोनो के लिए पहले से रूम बुक थे... राणा मुझे शाम को तेयार रहने का बोलकर अपने कमरे मे चला गया... मैं भी सफ़र से थक गया था इसलिए रूम मे आते ही सो गया...